सदैव हँसमुख रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार डॉ अरुण जैन का ह्र्दयगति रुक जाने से 27 मार्च 2021 को देहावसान हो गया। अचानक से अरुण जी का जाना सभी को स्तब्ध कर गया। न तो वे बीमार थे और न ही कभी किसी गम्भीर बीमारी से वे ग्रसित रहे। स्वतंत्रता सेनानी रहे श्री अवंतीलाल जैन साहब ने नईदुनिया ब्यूरो चीफ के रूप में नईदुनिया को वर्षों तक संभाला ।फिर भारतीय सेना में नौकरी कर रहे अरुण जी को नौकरी रास नहीं आई और वे उज्जैन आ गए। अपने पिता से पत्रकारिता के संस्कार ले वे उज्जैन में ही नईदुनिया के ब्यूरो चीफ हो गए। तब वो दौर नईदुनिया का स्वर्णिम दौर था और नईदुनिया हो या अरुण जी हों शहर में उनकी बड़ी साख थी। मैं भी तब अप्रत्यक्ष रूप से नईदुनिया से जुड़ गया था।
मेरे मित्र पत्रकार चंद्रकांत जोशी जी भी तब नईदुनिया से उज्जैन में जुड़े थे और आजकल मुंबई में हैं। अरुण जी को मैं स्थानीय सांस्कृतिक आयोजनों , खेलों और नाटकों की समीक्षाएँ तब लिखकर दे आता था और वे मेरे नाम सहित उन्हें प्रकाशित करते थे। फिर वे मुझे कोई स्टोरी भी लिखने को देते रहे। तब नईदुनिया से कई पत्रकार जुड़े थे और सुनील चौरसिया जी , पुरोहित जी ,बी एल शर्मा जी आदि भी नई सड़क वाले कार्यालय में थे। अरुण जी सबको साथ लेकर चलते थे। फिर नईदुनिया का कार्यालय घण्टाघर पर आ गया और ये कंप्यूटर युग की शुरुआत थी। तब की हॉटलाइन , समाचार हाथ से लिखकर बस से इंदौर रवाना करना का स्थान ईमेल ने ले लिया था।
अरुण जी यूँ तो सीधे साधे इंसान थे मगर हेकडीबाजी जबर्दस्त थी। किसी से यदि पंगा ले लिया तो फिर किसी की नहीं सुनते थे।ऐसे ही किसी बात पर नईदुनिया के तब के इंदौर मालिकों से अनबन हो गई और उन्होंने नईदुनिया को अलविदा कह दिया। आदरणीय शिव शर्मा जी और यार दोस्तों ने उन्हें खूब समझाया भी मगर वे पीछे लौटने वालों में से नहीं थे।फिर उन्होंने एक सुसज्जित कार्यालय लेकर ‘ खबर मीडिया की ‘ अपना अखबार और मीडिया एजेंसी प्रारंभ की। अरुण जी के पास पुराने तथ्यों और खबरों का खजाना था और एक से बढ़कर एक रिपोर्ट वे अपने अखबार के जरिये देते रहे। पत्रकार के रूप में कई विदेश यात्राएं अरुण जी ने कीं। शहर की पत्रकारिता में उनका प्रमुख नाम था। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
(डॉ. हरीश कुमार सिंह उज्जैन के सक्रिय रचनाधर्मी हैं व विविध विषयों पर लिखते हैं)