किसी जगह की मिटटी भीगे, तृप्ति मुझे मिल जाएगी
तर्पण अर्पण करना मुझको, पढ़ पढ़ कर के मधुशाला।
हरिवंश राय बच्चन की सहज और संवेदनशील कविता ‘मधुशाला’ के यह बोल हमें भी हमारी मन की बात कहने पर मजबूर कर देते हैं। तो आइए एक बार फिर से रंग-बिरंगी भावों को बयां करती इन कविताओं के महोत्सव का हम भी हिस्सा बने। हर वर्ष की तरह हमने इस वर्ष भी ‘प्रतिलिपि कविता सम्मान २०१८’ का आयोजन किया है | इस हेतु आप अपनी कविताओं की प्रविष्टियाँ २३ जनवरी तक भेज सकते हैं |
नियम –
1. कृपया महत्तम 5 कवितायें ही भेजें
2. ‘प्रतिलिपि कविता सम्मान २०१८’ हेतु भेजी गई कवितायें प्रतिलिपि पर पहले से प्रकाशित नहीं होनी चाहिए |
3. अंतिम तिथि २३ जनवरी के बाद भेजी गई प्रविष्टि हम इस प्रतियोगिता में शामिल नहीं करेंगे |
4. आप अपनी कवितायें के साथ उसका कवर-ईमेज भी भेज सकते हे। ( क्रिएटिव कॉमन्स वाले कवर ईमेज लेने के लिए आप यह साइट का उपयोग कर सकते हैं : pixabay.com )
5. कविताओं में शब्द-संख्या की कोई मर्यादा नहीं है, आप अपनी कविताओं का प्रकार/श्रेणी भी भेज सकते हैं। कविता का शीर्षक लिखना न भूले। आपकी सब रचनायें एक ही मेईल में भेंजे।
महत्वपूर्ण –
1. कवितायें hindi@pratilipi.com पर मेल करें।
2. कृपया मेल के विषय में जरुर लिखें – ‘प्रतिलिपि कविता सम्मान हेतु’
3. आपकी कवितायें ३ फ़रवरी से प्रतिलिपि की एप्लिकेशन और वेबसाइट के माध्यम द्वारा लाखों पाठकों के सामने रखी जाएगी। रिजल्ट दिन की घोषणा भी इसी दौरान की जाएगी।
पुरस्कार –
1.हम दो कविताओं को पुरस्कृत करेंगे।
अ ) पाठकों की पसंद
ब ) समीक्षक की पसंद
श्रेणी ‘अ’ में कविता का निर्णय पाठक संख्या, कविताओं पर बिताया समय एवं पाठकों द्वारा दी गई रेटिंग्स के आधार पर होगा।
प्रथम विजेता 1000 /-
द्वितीय विजेता 500 /-
श्रेणी ‘ब’ में कविता का निर्णय हमारी पेनल करेंगी।
पुरस्कार –
प्रथम विजेता 1000 /-
द्वितीय विजेता 500 /-
2. पाठकों की पसंद की टॉप १५ कविताओं की ई-बुक हम बनायेंगे और टॉप १५ को सर्टिफिकेट की सॉफ्ट कॉपी मेल द्वारा भी भेजेंगे।
3. विजेताओं को हम ‘प्रतिलिपि साहित्य समारोह ‘ में सम्मानित करेंगे।
पुरस्कार राशि विजेताओं के अकाउंट में ऑनलाइन जमा करा दी जायेगी।