क्या भारत में योग्यता के अनुरूप नौकरियां, रोजगार और रोजी-रोटी की कमी है?
किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व के उन्नयन के लिए कौशल योग्यता महत्वपूर्ण कारक है। योग्यता के कारण व्यक्ति अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है ,जिससे वह परिवार, समाज, संगठन, व्यवस्था और राष्ट्र-राज्य में महत्वपूर्ण भूमिका का निष्पादन कर सके। बदलते भारतीय ज्ञान प्रणाली में कौशल की भूमिका को सर्वोपरि प्रत्यय माना जा रहा है।
कौशल विकास के कारण व्यक्ति अपने जीविकोपार्जन के लिए सक्षम हो जाता है। भारत के ज्ञान प्रणाली में कौशल की उपादेयता बढ़ रही है। राष्ट्र-राज्य (देश) के आर्थिक विकास और सामाजिक विकास के लिए कौशल विकास और ज्ञान प्रत्यय अति आवश्यक है। एक प्रतिवेदन के अनुसार, देश की 53 प्रतिशत जनसंख्या (ऊर्जावान जनसंख्या) 30 वर्ष से कम है। इस आबादी के लिए स्थिर रोजगार एक चुनौती बना हुआ है।
भारत की आबादी में योग्यता के अनुसार नौकरी की कमी है। जनसांख्यिकी संभावनाओं की प्रत्याशा में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने पीएम गति शक्ति मास्टर योजना को तैयार किया है। इसके अंतर्गत उद्योगों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के आसपास कौशल प्रशिक्षण की स्थापना की जा रही है । भारत के आर्थिकी में कुशल कर्मचारियों की कमी को दूर करने में इससे काफी मदद प्राप्त होगी।
एक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के मुताबिक, 12-59 आयु वर्ग में 84 प्रतिशत भारतीयों को तकनीकी ज्ञान और प्रशिक्षण प्राप्त है। आवधिक श्रम बल सर्वे के अनुसार, महिलाओं में 90 प्रतिशत है। भारत को ऊंचे लक्ष्य रखते हुए युवाओं को कुशल बनाकर विनिर्माण क्षेत्र में चीन को पछाड़ना होगा ।यह बानगी तभी संभव है, जब कार्यबल की उत्पादक क्षमता और कौशल की गुणवत्ता में गुणात्मक उन्नयन हो सके।