केरल विधानसभा चुनाव में मुस्लिम फैक्टर हमेशा से अहम रहा है। मुस्लिम आबादी के मामले में केरल का नंबर जम्मू-कश्मीर, असम और पश्चिम बंगाल के बाद आता है। आइए जानते हैं इस राज्य की मुस्लिम बहुल सीटों के आँकड़ों का रोचक गणित
लेफ्ट का मुस्लिम वोट 18 फीसदी गिरा, बीजेपी का 5 फीसदी बढ़ा-केरल में कुल 43 सीटें ऐसी हैं, जहां पर मुस्लिम मतदाता राजनीतिक समीकरण बना और बिगाड़ सकते हैं।
-2011 में यहां एलडीएफ को 40.4 फीसदी मुस्लिम वोटों के साथ 14 सीटें मिली थीं।
-2016 विधानसभा चुनाव में एलडीएफ का वोट प्रतिशत (39.6) थोड़ा कम जरूर हुआ, लेकिन इस बार उसे 22 सीटें मिली हैं। पिछली बार की तुलना में एलडीएफ को 8 सीटों का फायदा हुआ है।
-यूडीएफ को 2011 विधानसभा चुनाव में 29 सीटों पर विजय मिली थी। वोट प्रतिशत की बात करें तो पिछले विधानसभा चुनाव में यूडीएफ को 47.8 प्रतिशत मुस्लिम वोट मिले थे।
-2016 विधानसभा चुनाव में यूडीएफ को नुकसान उठाना पड़ा। पार्टी इस बार 21 सीटें जीती हैं। पिछली बार से 8 सीटें कम। यूडीएफ वोट प्रतिशत इस बार 38.4 रहा है, जो कि पिछले चुनाव की तुलना में करीब 11 प्रतिशत कम है।
– 2011 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 7.4 प्रतिशत वोट मिले थे। 2016 में यह आकंड़ा बढ़कर 10.3 प्रतिशत हो गया है। बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ा जरूर है, लेकिन मुस्लिम इलाकों में पार्टी का खाता इस बार भी नहीं खुल पाया।