Monday, June 17, 2024
spot_img
Homeपत्रिकाकला-संस्कृतिकिसी फिल्म को देखने जैसा था रेखा सुथार की जिंदगी की दास्तान...

किसी फिल्म को देखने जैसा था रेखा सुथार की जिंदगी की दास्तान सुनना

घूंघट निकाल कर घर के सारे काम करने वाली बहू ने कैसे सास को अपनी दोस्त बनाकर अपने सपनों को पूरा किया यह रोचक दास्तान यायावर कथाकार रेखा सुतार ने “हारना नहीं ज़िंदगी” के तहत सुनाई। राजस्थान के रनकपुर (गाला) की निवासी रेखा सुतार 12वीं कक्षा में नेशनल स्तर की बेसबॉल खिलाड़ी रह चुकी हैं। वे मेडल जीतने वाली अपने इलाक़े की पहली महिला हैं। शादी के बाद वे घर की दहलीज़ से कैसे बाहर निकलीं। कैसे यायावर बनने के लिए उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़ दी। कैसे उन्होंने बुलेट मोटरसाइकिल पर कालीमठ जैसे दुर्गम पहाड़ी इलाक़ों की सैर की… रेखा की यह रोमांचक दास्तान सुनकर श्रोता रोमांचित हो गए। कई श्रोताओं ने उनसे सम्वाद भी किया। उन्होंने बताया कि निकट भविष्य में ‘विंडो सीट’ नाम से उनकी किताब प्रकाशित हो रही है जिसमें उन्होंने अपने यात्रा संस्मरणों को दर्ज किया है।

रेखा ने जिस आत्मविश्वास और बुलंद आवाज में अपने बचपन से लेकर विवाह और फिर ससुराल में घूंघट से लेकर तमाम प्रतिबंधों के बीच रहते हुए अपने मन की बात से पुरातन सोच वाले ससुराल वालों को राजी करवाने के पूरे घटनाक्रम को प्रस्तुत किया वह किसी फिल्म की तरह रोमांचक, सनसनीखेज और सुखांत से भरा था। राजस्थान के एक छोटे से गाँव से मुंबई जैसे महानगर के पारंपरिक व रुढ़िवादी परिवार में ब्याह कर आई एक बच्ची किस आत्मविश्वास से पूरे परिवार की सोच को बदल देती है रेखा सुथार के मुँह से ये जानना और सुनना किसी रोमांच से कम नहीं था।

चित्रनगरी संवाद मंच मुम्बई की ओर से रविवार 16 मई 2024 को मृणालताई हाल, केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट, गोरेगांव में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत में बीबीसी के पूर्व ब्राडकास्टर भारतेंदु विमल के उपन्यास ‘सोन मछली’ पर चर्चा हुई। कथाकार सूरज प्रकाश ने प्रस्तावना पेश करते हुए उपन्यास के कथ्य के महत्वपूर्ण पहलुओं का ज़िक्र किया। अपनी रचना प्रक्रिया पर बोलते हुए भारतेंदु विमल ने बताया कि कैसे उन्होंने बीयर बार संस्कृत की पृष्ठभूमि में सोनम नामक पात्र के ज़रिए इस उपन्यास की रचना की। उन्होंने श्रोताओं के सवालों के जवाब भी दिये।

‘सोन मछली’ की भूमिका जाने माने कथाकार कमलेश्वर ने लिखी है। कमलेश्वर जी के अनुसार सोन मछली’ में सत्ता, षड्यंत्र और दलाली के केंद्र में स्थित भ्रष्ट पूजी तंत्र की शिकार और लाचार लड़कियों की करुण गाथा सांस ले रही है।

बनाया है मैंने यह घर धीरे-धीरे
खुले मेरे ख़्वाबों के पर धीरे-धीरे
धरोहर के अंतर्गत हिंदी के वरिष्ठतम कवि राम दरश मिश्र की इस ग़ज़ल का पाठ कवयित्री सीमा अग्रवाल ने किया। उनकी प्रस्तुति बहुत असरदार थी। इस अवसर पर वरिष्ठ कवि विजय अरुण, उदयभानु सिंह, डॉ बनमाली चतुर्वेदी और रचना शंकर ने काव्य पाठ किया।
आपका : #देवमणि_पांडेय

#चित्रनगरीसंवादमंच #सोनमछली
https://www.facebook.com/csmanchs का फेसबुक पेज

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार