Saturday, April 27, 2024
spot_img
Homeभारत गौरवमंगल यान की खास बातें...

मंगल यान की खास बातें…

मंगलयान यानी हमें मंगल ग्रह तक पहुंचाने वाला जरिया। चेन्नई से 80 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा से करीब ढाई बजे इतिहास लिखे जाने की तैयारी है। और यही यान हमें लाल ग्रह तक ले जाएगा।

यूं तो मिशन मार्स को लेकर बीते कई दिनों से चर्चा जारी है, लेकिन आज अंतरिक्ष विज्ञानियों समेत पूरे देश के लिए अहम दिन है। आइए जानते हैं कि इस मिशन की कामयाबी के क्या मायने हैं और इसका मतलब क्या है।

भारत लाल ग्रह तक पहुंचने की कोशिश करने वाला दुनिया का केवल चौथा मुल्क है। हमसे पहले सोवियत संघ, अमेरिका और यूरोप यह कारनामा कर चुके हैं।

यह देश का पहला मंगल मिशन है और कोई भी मुल्क पहली कोशिश में कामयाब नहीं रहा है। दुनिया ने मंगल तक पहुंचने की 40 कोशिश की, लेकिन इनमें से 23 बार वह नाकाम रही। जापान को 1999 और 2011 में चीन को भी असफलता का मुंह देखना पड़ा।

स्वदेशी स्तर पर तैयार पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) का नया वर्जन, एक्सटेंडेड रॉकेट के साथ मंगलयान को पृथ्वी के आखिरी छोर तक ले जाएगा। इसके बाद सैटेलाइट के ‌थ्रस्टर छह छोटे फ्यूल बर्न वाली प्रक्रिया शुरू करेंगे, जो उसे और बाहरी परिधि में ले जाएगा। और आखिरकार गुलेल जैसी प्रक्रिया से इसे लाल ग्रह की ओर रवाना किया जाएगा।

मंगलयान के सफर से जुड़ा कार्यक्रम भी दिलचस्प है। 300 दिन और 78 करोड़ किलोमीटर का सफर कर वह ऑरबिट मार्स में पहुंचेगा और वहां के वातावरण का अध्ययन करेगा।

यह यान जब ग्रह के सबसे करीब होगा, तब इसकी दूरी उसके सरफेस से 365 किलोमीटर होगी। और जब सबसे दूर होगा, तो दोनों के बीच फासला 80 हजार किलोमीटर होगा।

सवाल उठता है कि इतना खर्च करने के बाद हमें हासिल क्या होगा? मंगलयान पर लगने वाले पांच सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरण यह पता लगाएंगे कि मंगल पर मौसम की प्रक्रिया किस तरह काम करती है। साथ ही वह इस बात की तफ्तीश भी करेंगे कि उस पानी का क्या हुआ, जो काफी पहले मंगल ग्रह पर बड़ी मात्रा में हुआ करता था।

मंगलयान मंगल ग्रह पर मीथेन गैस की भी तलाश भी करेगा, जो पृथ्वी पर जीवन को जन्म देने वाली प्रक्रिया में अहम रसायन रहा है। इससे भौगोलिक प्रक्रियाओं को जानने में मदद मिलेगी।

कोई भी उपकरण इन सवालों का जवाब देने लायक पर्याप्त आंकड़े नहीं भेजेगा, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इन डाटा से यह पता लगेगा कि ग्रह भौगोलिक रूप से कैसे विकसित हुए हैं? ऐसी कौन सी स्थितियां हैं, जो जीवन को जन्म देती हैं और ब्रह्मांड में और जीवन कहां हो सकता है?

2008-09 में इसरो ने चंद्रयान 1 लॉन्च किया था, जिसने पता लगाया कि चांद पर पानी रहा है। मंगलयान को उसी टेक्‍नोलॉजी के आधार पर तैयार किया गया है, जिसे हमने चंद्रयान मिशन के दौरान टेस्ट किया था।

.

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार