प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर्यावरण मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण संरक्षण भारत की परंपरा में रही है, लेकिन बावजूद इसके भारत पर्यावरण के मुद्दों पर विश्व का नेतृत्व करने में विफल रहा। मोदी ने इस दौरान जंगल और वनवासियों की जमीन को लेकर विपक्ष पर लैंड बिल के बारे में भ्रम फैलाने का आरोप भी लगाया।
विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में मोदी ने 10 शहरों में प्रदूषण स्तर की निगरानी करने के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक की शुरुआत की। मोदी ने इस मौके पर पर्यावरण संरक्षण और बिजली बचाने के कुछ टिप्स भी सुझाए।
ये बोले मोदीजी….
-प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन में भारत का हिस्सा सबसे कम है। दुनिया में जब पर्यावरण सबसे पहले बहस शुरू हुई, तो भारत को इसका नेतृत्व करना चाहिए था। भारत की जीवन पद्धति पर्यावरण जुड़ी रही है।
रीसाइकलिंग भारत से सीखे दुनिया
भारत में रीसाइकलिंग की परंपरा सालों पुरानी है। दादी मां घर में पुराने कपड़ों से रात को बिछाने के लिए गद्दी बना देती थीं। उसके भी बेकार होने पर झाड़ू-पोछा के लिए उस कपड़े का इस्तेमाल होता है।
-गुजरात के लोग आम खाते हैं, लेकिन वे आम को भी इतना री-साइकल करते हैं कि कोई सोच भी नहीं सकता है।
चांदनी रात में बचाएं बिजली
मोदी ने सम्मेलन में चांदनी रात में बिजली बचाने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा, 'गांवों में परंपरा थी कि चांदनी रात में दादी बच्चों को सूई में धागा डालना सिखाती थी। इसके पीछे चांदनी के महत्व को समझाना होता था। आज नई पीढ़ी को चांदनी रात का अहसास नहीं है।'
उन्होंने कहा, 'अगर शहरी निकाय तय कर लें कि पूर्णिमा की रात को स्ट्रीट लाइट न जलाएं और पूरे मोहल्ले में सूई में धागा डालने का त्योहार मनाया जाए, तो इससे ऊर्जा बचाई जा सकती है।'
संडे ऑन साइकल हफ्ते में एक दिन ऊर्जा से चलने वाले वाहनों को न चलाने का संकल्प लें। इसके लिए संडे ऑन साइकल जैसा कार्यक्रम बनाया जा सकता है। मोदी ने चुटकी लेते हुए कहा, 'कोई कह सकता है कि मोदी साइकल कंपनियों के एजेंट बन गए हैं।'