वाराणसी। गो रक्षा के नाम पर हिंसा और राजनीति के बीच मोहम्मद फैज खान गायों को बचाने के लिए पदयात्रा कर रहे हैं। फैज 12,000 किलोमीटर की यह पदयात्रा लेह से कन्याकुमारी तक करेंगे। गो सेवा सद्भावना पदयात्रा नाम से शुरू हुई यह पदयात्रा को लोगों को गायों के संरक्षण के लिए जागरूक करना है।
बुधवार को फैज 130 दिनों की 2,100 किलोमीटर की पदयात्रा करके उत्तर प्रदेश के वाराणसी पहुंचे। उन्होंने बताया कि वह रोज 20 से 25 किलोमीटर पैदल चलते हैं। उन्हें उम्मीद है कि वह जनवरी 2019 तक अमृतसर पहुंच जाएंगे। उन्होंने बताया कि उनकी इस पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य यह है कि गो सेवा के माध्यम से लोगों के बीच साम्प्रदायिक सदभावना फैले। उन्होंने कहा कि लोगों को गाय का संरक्षण करना चाहिए जो मानव की जिंदगी बचाती है। उन्हें दुख है कि उस गाय के संरक्षण के नाम पर हिंसा हो रही है।
फैज ने बताया कि उन्होंने 24 जून को उनकी यात्रा लेह से सिंधु दर्शन उत्सव के दौरान की थी। यात्रा दो चरणों में पूरी होगी। पहले फेज की पदयात्रा में जम्मू और कश्मीर, हिमाच प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, वेस्ट बंगाल, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडू शामिल किया है। दूसरे फेज की यात्रा कन्याकुमारी से अमृतसर की होगी जो केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और पंजाब होते हुए अमृतसर में खत्म होगी।
फैज ने बताया कि वह जहां जाते हैं, वहां लोगों को गऊ कथा के जरिए गायों का महत्व बताते हैं। उन्होंने कहा कि एक गाय की आत्मकथा ने उन्हें प्रेरित किया। उसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वह अपनी जिंदगी जानवरों के संरक्षण के लिए समर्पित कर देंगे। उन्होंने बताया कि मदरसा की जगह उन्होंने उनकी प्राथमिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर रायपुर से पढ़ाई की। उसके बाद राजनीति शास्त्र में एमए किया। उन्होंने दो साल तक एक सरकारी स्कूल में पढ़ाया, उसके बाद गायों को बचाने के लिए नौकरी छोड़ दी और यह यात्रा शुरू की।
वाराणसी में चार दिनों तक रुके फैज यहांं विभिन्न संगठनों द्वारा आयोजित किए गए कार्यक्रमों में शामिल हुए। यह यात्रा आरएसस से सबद्ध विंग मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा आयोजित की जा रही है।
साभार- टाईम्स ऑफ इंडिया से