Saturday, November 23, 2024
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मूर्तियों के विसर्जन से प्रदूषित होती नदियाँ

<p>उदयपुर। &nbsp;झीलों की नगरी की झीले नये जल से लबालब है। नवरात्री का पर्व &nbsp;समापन की और अग्रसर है।नवरात्रि के दौरान जिन देवी मूर्तियों की पूजा अर्चना की गयी है उनके विषर्जन की तैयारिया चरम पर है।झीलों के जल को निर्मल रखने और देवी प्रतिमाओं का आदर इसी में निहित है कि मूर्तियों का विसर्जन झीलों में न करे।<br />
हाल ही में इलाहबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में संगम में मूर्ति विषर्जन पर रोक लगाई है। जब गंगा और यमुना जैसी सदानीरा बड़ी नदियों का पानी भी मूर्तिओ से प्रभावित होता है ऐसी &nbsp;स्थिति में शहर की &nbsp;झीलों का क्या हश्र होगा। डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित परिसंवाद में उक्त विचार उभर कर आये।<br />
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<p>झील संरक्षण समिति के अनिल मेहता व डॉ तेज राजदान ने कहा कि मूर्ति ,ताजिये या कोई अन्य पूजन या इबादत की सामग्री झील में प्रवाहित करना रुकना चाहिए।पेय जल को गन्दा करना अनुचित है।प्रशासन से बार बार आग्रह करने के उपरांत भी विषर्जन हेतु स्थान का निर्धारण नहीं होना संवेदन हीनता की निशानी है।<br />
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<p>बजरंग सेना के कमलेन्द्र सिंह पवार ने कहा कि झीलों में होने वाले विषर्जन को रोका जाना चाहिए।इस वर्ष एक सो पैतीस मुर्तिया &nbsp;मेलडी माता मंदिर से ले जाई गयी है जो पिछले वर्ष नवरात्री पश्चात् मंदिर में रखी गयी थी।पवार ने आग्रह किया की जो भी गरबा मंडल चाहे मेलडी मातामंदिर में मुर्तिया रख सकेगा और उसे अगले वर्ष पुनः ले जा सकेगा जिससे मूर्ति की हमेशा पूजा अर्चना भी होगी और अगले वर्ष के लिए संरक्षित भी।झील व पर्यावरण संरक्षण के लिए इस वर्ष तिरपन माताजी की तस्वीरे बाटी गयी है तथा जो गरबा मंडल मूर्ति को झील में विषर्जन नहीं करेगा उस गरबा मंडल को इस वर्ष बजरंग सेना द्वारा आयोजित पर्यावरण सम्मान समारोह में सम्मानित किया जायेगा।<br />
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<p>चाँद पोल नागरिक समिति के तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि पूजन सामग्री ,मूर्ति आदि का विषर्जन झीलों में करने की रवायत अब रुकनी चाहिए।प्रति वर्ष मूर्ति विषर्जन &nbsp;के पश्चात् झील प्रेमिओ द्वारा मूर्तियों को बहार निकल जाता है किन्तु मूर्तियों पर लगे कठोर और विषेले रंग जल में गुल जाते है जो जलीय जीवो के साथ ही मानव स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुचते है।रेड क्रोमियम व रात को चमकने वाले रंग में युरेनियम ऑक्साइड की मात्रा होती है जो दीर्घ अवधि तक अपना प्रभाव रखती है।<br />
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<p>डॉ मोहन सिंह मेहता ट्रस्ट के सचिव नन्द किशोर शर्मा ने बताया कि झील हितेषियो ,मिडिया ,नागरिक संस्थाओ एवं धार्मिक संघठनो ने मूर्ति ,ताजिये आदि के विषर्जन पर जो चेतना &nbsp;बनायीं है उसे और आगे ले जाने की जरुरत है।मूर्ति विषर्जन झीलों में ना होकर बहार ही हो तथा प्रशासन पुक्ता व्यवस्था करे जिससे इस वर्ष झीलों में विषर्जन रुके। शर्मा ने आगे कहा कि झीलों को स्वच्छ बनाये रखने का दायित्व प्रशासन का है।</p>

<p>&nbsp;नितेश सिंह</p>
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एक निवेदन

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