Monday, July 1, 2024
No menu items!
spot_img
No menu items!
Homeआपकी बातलोकतंत्र में संकीर्ण सोच व कुंठित विचार से परहेज़ करना चाहिए

लोकतंत्र में संकीर्ण सोच व कुंठित विचार से परहेज़ करना चाहिए

सुबह-सुबह समाचार पत्र,रेलगाड़ी(किसी भी यान में),साइबर कैफ़े, सार्वजनिक स्थान(स्वास्थ्य वर्धक पार्क),जलपान गृह एवं बौद्धिक संस्थानों(अपवाद स्वरूप) वाद-प्रति वाद, विचार-विमर्श का विषय कुंठित सोच/संकीर्ण संप्रत्यय होता है।।स्पष्ठ शब्दों में कहा जाए तो यह घटना जातीय,नस्लीय हमला कुंठित सोच/संकीर्ण विचार का वाहक है।भारत गणतंत्र का संविधान(देश की सर्वोच्च विधि/कानून) प्रत्येक नागरिक एवं व्यक्ति को समानता(सामाजिक,राजनीतिक/राजनैतिक एवं आर्थिक)प्रदान करता है;अर्थात किसी भी नागरिक एवं व्यक्ति को उसके धर्म,मुलवंश, नस्ल,जाति, रंग एवं समुदाय के आधार पर विभेद/निषेध करता है;इसके अतिरिक्त छुआछुत को भी नागरिक अपराध घोषित किया है। 

संविधान प्रत्येक नागरिक एवं व्यक्ति के व्यक्त्वि के विकास के लिए चतुर्दिश प्रयास करता है;एवं ऐसा वातावरण का निर्माण किया है,जिसमें भयविहीन स्वंत्रत अभिव्यक्ति, स्वतंत्र चयन एवं सुख की साधना का उपभोग कर सकते है।संविधान पंथनिरपेक्ष/धर्मनिरपेक्ष भावना का भी समादर करता है।वैश्विक परिदृश्य में भी देखा जाए तो सदियों तक रंगभेद, नस्लीय उत्कृष्टता और दुनिया के बड़े भूभाग पर शासन -शोषण ,औपनिवेशिक दासता/गुलामी का प्रतीक ग्रेट ब्रिटेन(अब इंग्लैंड) का समाज/व्यवस्था स्वयं को इन कुंठित सोच/कुंठित कारकों से पार्थक्य कर रहा है।इस उदारवादी सोच का परिणाम है कि ‘भूरी चमड़ी(अश्वेत का वैकासिक अवस्था) वाले हिन्दू को सरकार का मुखिया/शाशकाध्यक्ष(संबैधानिक राजतन्त्र) में ताजपोशी करा रहा है।

दुनिया के लगभग -लगभग 30 सभ्य राष्ट्र(लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करने वाले देश,संयुक्त राष्ट्र के मौलिक सिद्धांत में आस्था रखने वाले देश) है,जहा पर भारतवंशी/भारतीय मूल के व्यक्ति राष्ट्राध्यक्ष/शाशकाध्यक्ष है।हम सभी भारतीय संविधान के मौलिक संप्रत्यय(मौलिक अधिकार,मौलिक कर्त्तव्य, राज्य के निति-निदेशक तत्त्वों) को आत्मीय स्तर,भाषायी भावनाओ एवं आध्यात्मिक परिवेश एवं नैतिक मूल्य के रूप आत्मसात करना चाहिए।

(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली में सहायक आचार्य हैं) 

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार