पागद-भासा (प्राकृत भाषा)का नया अंक प्रकाशित हो गया है |ये एक छोटा सा अव्यवसायिक प्रयास है |सुधार की संभावनाएं हमेशा रहेंगी ही |आप चाहें तो इसका प्रिंट निकाल कर मंदिरों ,स्वाध्याय भवनों,पुस्तकालयों में रख सकते हैं अपने परिजनों मित्रों में वितरित कर सकते हैं | इस भाषा के प्रचार प्रसार में सोशल मीडिया में शेयर करके नया योगदान भी आप भी कर सकते हैं |हमारे पास इसके प्रचार के अन्य कोई साधन नहीं हैं आप यदि किसी बेब साईट /ब्लॉग/group/या मिडिया से जुड़े हैं तो वहां इसके चार पेज निःशुल्क जोड़ कर इसे आम जनता तथा अन्य विद्वानों तक पहुँचाने में योगदान करें |
मैं भी प्राकृत का सामान्य विद्यार्थी हूँ |किन्तु मेरे साथ नए युवा विद्वानों की एक टीम इस अखबार के माध्यम से निरंतर जुड़ रही है वे अपना अकादमिक और रचनात्मक योगदान इस अखबार में कर रहे हैं |आप सभी का भी स्वागत है |फेसबुक पर प्राकृत के इस पेज को यदि आप LIKE करें तो इस विषय पर गतिविधियाँ आपको निरंतर मिलती रहेगी |आप सभी की सुविधा के लिए हम अखबार में प्रकाशित रचनाओं का हिंदी अनुवाद भले ही अभी अखबार में प्रकाशित न कर पायें किन्तु इस पेज पर देने का प्रयास करेंगे | आपके सुझावों का स्वागत है |इन्टरनेट के निम्नलिखित लिंक पर जाकर आप इस अखबार को देख -पढ़ सकते हैं –
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आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है |
धन्यवाद
आपका
डॉ अनेकांत कुमार जैन
मानद संपादक –
'पागद भासा'(प्राकृत भाषा में प्रथम समाचार पत्र )
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JIN FOUNDATION
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New Delhi-110074