62 साल के हो चुके हुसैन इस बात की जीती-जागती मिसाल हैं कि किस तरह से कला प्रेम के आगे धर्म वगैरह कोई मायने नहीं रखता। लाहौर फोर्ट और बादशाही मस्जिद के बीच हुसैन का 'कुकूज़ डेन' नाम का रेस्तरां तवा चिकन, मटन चॉप्स और नान के लिए काफी फेमस है। इसे वह अपनी पत्नी सिलवट और 6 बच्चों के साथ चलाते हैं। यह रेस्तरां यहां मौजूद हिंदू, जैन और बौद्ध मूर्तियों के लिए पहचाना जाता है।
पिछले 25 साल से हुसैन लाहौर और आसपास के खंडहरों में तब्दील हो चुके मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थानों से मूर्तियां इकट्ठा करते रहते हैं। कुछ मूर्तियां उन्होंने स्थानीय लोगों से भी खरीदी हैं। अयोध्या में 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने के बाद पाकिस्तान में जो मंदिर लोगों के निशाने पर आए थे, उन जगहों से वह मूर्तियां लाते हैं।
कट्टरपंथियों ने उस दौरान पाकिस्तान में 300 से ज्यादा मंदिर तबाह कर दिए थे। लाहौर के प्रसिद्ध भैरो, जैन, दुर्गा और शिव मंदिर को भीड़ ने ढहा दिया था। मूर्तियो को तोड़ दिया गया था और मंदिर की जमीन पर कब्जा कर लिया था। इसलिए इन मूर्तियों को इकट्ठा करना हुसैन के लिए आसान काम नहीं था।
हुसैन की कलेक्शन को देखने के लिए दुनिया के कई हिस्सों से लोग यहां पहुंचते हैं। सीनियर बीजेपी नेता एल.के. आडवाणी, फिल्म डायरेक्टर महेश भट्ट, ऐक्टर नसीरुद्दीन शाह, मलाइका अरोड़ा खान और सिंगर हरिहरन जैसी भारतीय हस्तियां भी यहां आ चुकी हैं।
हुसैन को चरमपंथियों से धमकियां भी मिलती हैं, मगर वह इस काम में जुटे हुए हैं। अंग्रेजी अखबार मेल टुडे से बात करते हुए हुसैन ने बताया कि उनकी हॉबी से चिढ़े लोगों ने उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी है। उन्होंने बताया, 'मैं कला प्रेमी हूं और ये मूर्तियां कला और संस्कृति का खूबसूरत नमूना हैं। कला मेरी जिंदगी है।'
हुसैन का रेस्ट्रॉन्ट कम म्यूजियम रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट हीरा मंडी में ही हैं। वह पेंटिंग भी बनाते हैं और उनका विषय ज्यादातर हीरा मंडी की महिलाओं पर केंद्रित रहता है। हुसैन इस तरह की करीब 500 पेंटिग्स बना चुके हैं। उनकी एक पेंटिंग 10 से 15 लाख रुपये में बिकती है।
नैशनल कॉलेज ऑफ आर्ट्स लाहौर से ग्रैजुएट हुसैन बाद में 27 साल तक इसी कॉलेज में फाइन आर्ट्स के टीचर रहे। जब उन्होंने कुकूज़ डेन शुरू किया, ज्यादा लोग नहींं आते थे। आज यह लाहौर के सबसे महंगे रेस्तरां में से एक है और सिलेब्रिटीज अक्सर यहां आती हैं।
1986 में हुसैन सार्क फेस्टिवल के लिए नई दिल्ली आए थे। उनकी इच्छा है कि वह पटियाला और मलेरकोटला भी घूमें, जहां उनकी मां रहती थीं।
साभार- मेल टुडे से