मुंबई के बांगुर नगर के विशाल विष्णु पार्क में चल रहे शाकम्भरी सहस्त्रचण्डी यज्ञ स्थल पर प्रतिदिन हजारों लोगों की भीड़ जुट रही है। यज्ञ के साथ ही यहाँ प्रतिदिन विभिन्न अध्यात्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन हो रहा है। श्री बंकेश अग्रवाल और श्रीमती सुमन अग्रवाल के संकल्प से संपन्न हो रहे इस विराट आयोजन में मुंबई जैसे शहर में धर्म, अध्यात्म, श्रध्दा संस्कृति और आस्था की लहर ने पूरे परिसर को एक तीर्थ के रूप में बदल दिया है। इस आयोजन से मुंबई के कई परिवार और उद्योगपति पूरी श्रध्दा और आस्था से जुड़े हैं।
आयोजनों की इस श्रृंखला में देश की जानी मानी प्रेरक वक्ता और नारायण रेकी सत्संग परिवार (एनआरएसपी) और रेकी ग्रैंड मास्टर श्रीमती राजेश्वरी मोदी जो अपने प्रशंसकों के बीच राज दीदी के रूप में लोकप्रिय हैं, उन्होंने कार्यक्रम ने एक अलग ही समाँ बाँध दिया। एक आम गृहिणी की भूमिका से देश और दुनिया की लाखों महिलाओं को अपने जादुई शब्दों, ममतामयी भावना और अध्यात्म की शक्ति से प्रेरित करने वाली राज दीदी जब मंच पर आई तो पूरा पंडाल खचाखच भर चुका था और शोर शराबे के बीच कई लोग अपने लिए जगह बनाने की जद्दोजहद में लगे थे। कार्यक्रम में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा थी लेकिन राज दीदी के मंच पर आते ही पूरे परिसर में एकाएक निस्तब्धता छा गई। ऐसा लगा मानों हर व्यक्ति उनके एक एक शब्द को पी लेना चाहता था।
राज दीदी अपनी सहज सरल शैली में श्रोताओं से रू-ब-रू होती है और उनसे सीधा संवाद कायम करती है। उनके संवाद का एक ही संदेश होता है जीवन को सकारात्मक बनाओ। श्रोताओं के जटिल प्रश्नों का वे इतने सहज सरल शब्दों में जवाब देती हैं कि उनके जवाब सुनकर लोगों के मन में बरसों से पड़ी गाँठें खुल जाती है।
मंच पर आते ही उनसे पहला सवाल था कि हम जीवन में किसी के प्रति सकारात्मक भाव रखते है फिर भी वह हमारे प्रति नकारात्मक रवैया अपनाए तो क्या करें। इस पर राज दीदी ने क भारतीय सैनिक और जापानी सैनिक का किस्सा सुनाकर बताया कि द्वितीय विश्व युध्द में एक भारतीय सैनिक को दुश्मन देश जापान का एक सैनिक युध्द भूमि से बाहर दर्द से कराहता हुआ दिखाई दिया। भारतीय सैनिक को उस पर दया आई और उसकी मदद करते हुए उसे सहारा दिया और उसे चाय पिलाई, इस पर जापानी सैनिक ने भारतीय सैनिक पर चाकू से हमला कर दिया।
भारतीय सैनिक घायल हो गया। दोनों को एक ही अस्पताल में भर्ती कराया गया। दोनों अस्पताल में पलंग पर आसपास ही थे। होश आने पर भारतीय सैनिक ने देखा कि बगल में वही जापानी सैनिक लेटा है तो वह उसके पास फिर चाय लेकर गया और उससे कहा कि कल तो मैं तुम्हारी इच्छा से चाय लेकर आया था आज मैं अपनी इच्छा से तुम्हारे पास चाय लेकर आया हूँ। कहना न होगा कि इस बात का जापानी सैनिक पर क्या प्रभाव पड़ा होगा।
राज दीदी के पास हजारों लोगों के अनुभवों के अनगिनत किस्से हैं, उनके शब्दों का चमत्कार ही है कि कई किताबें पढ़कर जो बात समझ में नहीं आती वो उनके दो शब्दों से किसी जादुई दवा की तरह व्यक्ति के मन के घावों को तिरोहित कर देती है।
राज दीदी ने कहा कि हमारी सकारात्मक सोच हमारे ही नहीं हमारे विरोधी और हमारे दुश्मन की सोच को भी बदल देती है। अपने साथ घटी एक घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि मेरी एक परिचित की सासु माँ का निधन हो गया। सासु माँ के दो बेटे थे लेकिन सासु माँ उनके ही घर में रहती थी। सासु माँ की अलमारी में उनके गहने पैसे आदि रखे थे। उन्होंने मुझसे पूछा कि मुझे वो आलमारी खोलना चाहिए कि नहीं।
मैने उन्हें सलाह दी कि वो आलमारी उनके दोनों बेटों और उनकी बेटी की उपस्थिति में खोले। सासु माँ के क्रियाकर्म आदि से निपटने के बाद सभी परिवारजन इकठ्ठे हुए और आलमारी खोली गई। सबको उनके गहनों और नकदी में से बराबर का हिस्सा दे दिया गया। सासु माँ की इच्छा के अनुसार कुछ गहने उनकी बेटी को दे दिए गए। दूसरे दिन अलसुबह उनके देवर अपने हिस्से के सब गहने लेकर वापस आए और कहने लगे कि इन सब पर आपका अधिकार है क्योंकि आपने हमारी माताजी की अंतिम समय तक सेवा की है।
उन्होंने पूछा कि ये बात आप कल भी कह सकते थे, इस पर उनके देवर ने जवाब दिया कि मैं अगर कल ये बात कहता तो मेरी पत्नी जो साथ में ही थी उसे बुरा लग सकता था, लेकिन जब घर जाकर मैंने अपनी पत्नी को ये बात बताई तो उसने कहा कि आप सुबह जितनी जल्दी हो जाकर ये गहने उनको सौंप दो इसके पहले कि हमारी सोच बदल जाए।
इसके कुछ दिनों बाद उनके देवर का फोन आया कि हमारी जमीन का क सौदा जो बरसों से आटका पड़ा था वो बहुत अच्छी कीमत में हो गया। राज दीदी ने कहा कि एक सकारात्मक सोच ने दोनों परिवारों के मन में मिठास ही नहीं पैदा की बल्कि इस बात का एहसास कराया कि हर बात का समाधान सकारात्मक सोच से हो सकता है।
उन्होंने कहा कि हम जब किसी से बदला लेने के ले उस पर मुकदमा करने या उसका नुक्सान करने के लिए कुछ करते हैं तो हम अपना ही नुक्सान कर बैठते हैं। उन्होंने नकारात्मक सोच का सूक्ष्म विवेचन करते हुए कहा कि जब हम किसी के प्रति नकारात्मक होकर इतना भी सोचते हैं कि ईश्वर उसको सजा देगा तो यह सोच भी आपका ही नुक्सान करती है। अपने प्रशसंकों के जीवन की विभिन्न घटनाओँ और प्रसंगों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि छोटी से छोटी सकारात्मक सोच भी आपके जीवन में बहुत बड़ा बदलाव ला देती है, लेकिन कई बार ये बदलाव तत्काल नहीं आता बल्कि देर से आता है लेकिन जितना आप सकारात्मक सोचते हैं उससे कई गुना आपके पास लौटकर आता है।
राज दीदी ने लगातार ढाई घंटे तक अपने मोहक, प्रेरणा, ऊर्जा और सकारात्मक सोच से भरे वक्तव्य से उपस्थित श्रोताओं को सम्मोहित सा कर दिया। श्रोताओं की आँखों में आँसू, चेहरे पर कृतज्ञता के भाव और उनके शब्दों को पी लेने की जिज्ञासा बता रही थी कि उनके शब्द कितने प्रभावी ढंग से श्रोताओँ के दिल और दिमाग में उतर रहे हैं।राज दीदी के कार्यक्रम में आने वाली महिलाओं और पुरुषों से बात की जाए तो ऐसे अनगिनत किस्से सुनने को मिल जाएंगे कि कैसे उनकी प्रेरणा से लोगों ने अपना ही नहीं बल्कि अपने आसपास के लोगों का जीवन भी बदल दिया। हर कोई उनसे जुड़ें प्रेरक संस्मरण सुनाना चाहता है, अपने जीवन में आए बदलाव के बारे में बहुत कुछ कहना चाहता है।
राज दीदी देश और दुनिया के कई मंचों पर विगत कई वर्षों से ये कार्यक्रम कर रही है और उनकी प्रेरणा से लाखों परिवारों में एक सकारात्मक सोच पैदा हुई है। उनकी सकारात्मक सोच की शक्ति ने हजारों परिवारों ने विशेषकर महिलाओं ने अपने परिवारों को टूटने से बचाया है और नई पीढ़ी को संस्कारवान किया है।
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