20-30 रुपये खाने की ऐसी थाली जो स्वादिष्ट भी हो और पौष्टिक भी हो, शायद आज के समय हम-आप इसकी कल्पना नहीं कर सकते हैं। तेजी से बढ़ती महंगाई का सबसे ज्यादा असर खाने-पीने और स्वास्थ्य के क्षेत्र पर काफी पड़ा है। इस वजह से अगर स्वादिष्ट और पौष्टिक खाना चाहिए तो कम से कम 50 रुपये तो जेब ढीली करनी पड़ती है।
ऐसे में गरीब-मजदूर वर्ग के लिए रोड किनारे लगी रेहड़ी, ढाबों आदि के अलावा खाने का सस्ता कोई और विकल्प नहीं था। लेकिन, गुड़गांव स्थित रेस्ट्रॉन्ट जनता मील्स 20-30 रुपये में स्वादिष्ट और पौष्टिक आहारों वाली थाली बेचकर अविश्वसनीय कारनामा अंजाम दे रहा है।
इस कंपनी की शुरुआत मई 2013 में हुई थी। इस का लक्ष्य गरीब वर्ग जो रेहड़ियों, ढाबा, छोटे रेस्ट्रॉन्ट या घर के पके खाने पर निर्भर रहते हैं, को 20-30 के हिसाब से सस्ता, साफ और पोषक खाना उपलब्ध करवाना है।
इस तरह का रेस्ट्रॉन्ट खोलने का विचार जेसी वान डे जैंड के भारत आने और जनता मील्स में निवेश करने वाले प्रभात अग्रवाल से उनकी मुलाकात के बाद आया था। जैंड अपनी कंपनी एन्विउ जो इन्कयुबेटर बनाती है, के प्रसार के लिए भारत आए थे। वह सोशल सेक्टर में किसी स्टार्टअप्स की तलाश में थे लेकिन अग्रवाल से मुलाकात के बाद उन्होंने अपना बिजनस ट्रैक बदलने और खाने का बिजनस शुरू करने का निर्णय किया।
बहुत ही कम समय में जनता मील्स ने काफी तरक्की की है। अभी दिल्ली, मानेसर और गुड़गांव में इसके कुल 25 आउटलेट्स हैं जिनमें 8 से 16 सीटें होती हैं। इस रेस्ट्रॉन्ट का खाना सेंट्रल किचन में तैयार किया जाता है जो पूरे भारत में स्कूल लॉन्च प्रोग्राम चलाने वाली एनजीओ अक्षय पत्रा की संपत्ति है।
अग्रवाल ने बताया, 'हमारा टारगेट सेगमेंट गुड़गांव में रहने वाले करीब 10 लाख और दिल्ली एनसीआर में रहने वाले एक करोड़ या उससे ज्यादा लोग हैं।' कंपनी खाना सप्लाई का काम भी करती है और ज्यादातर सप्लाई गारमेंट फैक्ट्रियों, एनजीओ, झुग्गी-झोपड़ियों में चलने वाले स्कूल और इसके सेंट्रल किचन से नजदीक एक बड़े निर्माण स्थल पर की जाती है।
अग्रवाल ने बताया, 'हमारा खाना दो स्थानों पर खाया जाता है, या तो रेस्ट्रॉन्ट के अंदर या लोग अपने स्थान पर ले जाकर खाते हैं। इस व्यवस्था से हमारे टारगेट सेगमेंट को पोषक खाना मिल पाता है।'
साभार- इकॉनामिक टाईम्स से
20-30 रु. में स्वादिष्ट खाना मिलता है बेंगलुरू में
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