राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (संघ)के दूसरे सरसंचालक एमएस गोलवरकर ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘ बंच ऑफ थॉट ‘ में सनातन धर्म को कई परंपराओं ,प्रथाओं और भारतीय परंपरा का समूह बताएं हैं ।संघ के लिए सनातन एक सांस्कृतिक और दार्शनिक अवधारणा है ।
1.सनातन धर्म भारतीय संस्कृति और सभ्यता के मूल्य का योज्य है; और
2.सनातन धर्म मौलिक रूप से हिंदू धर्म है।
संघ का मानना है कि सनातन धर्म सभ्यता के आगमन के पश्चात अस्तित्व में आया था। यह हिंदू धर्म की तुलना में अत्यधिक व्यापक है ।संघ के सर सह कार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल जी का कहना है कि “जो धर्म (जीवन पद्धति) अनंत काल से चला आ रहा है वह सनातन धर्म है ।यह सर्व समावेशी विचारधारा है ।इसी से अन्य सभी विचार ,आस्थाएं और जीवन मूल्य निकले हैं ।भारत में जो भी नए धर्म का अस्तित्व आया ,वह सनातन धर्म का रूप है ।हिंदू धर्म स्वयं सनातन धर्म का रूप है”।
भारत की धार्मिक परंपरा समानताएं तलाशती हैं ।एक साथ रहने के विचार पर काम करती हैं। भौगोलिक क्षेत्र के कारण भारत में रहने वाले व्यक्तियों को हिंदू कहते हैं, जबकि हिंदुओं का वास्तविक धर्म सनातन धर्म है ।समाज की सेवा ही नारायण सेवा है। संकट के समय में व्यक्ति और व्यक्ति के बीच अंतर नहीं है। सभी का सहयोग किया जाना चाहिए, चाहे वह हिंदू, ईसाई या मुस्लिम हो ।इस संदर्भ में गुरु जी का कहना है कि “हमारे कार्य हमारे सनातन – शाश्वत धर्म कीउपादेयताऔर प्रकाश को लाने में सफल हो सके “।संघ के भीतर निर्णय लेने वाले सर्वोच्च निकाय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा ने वर्ष 2003 में प्रस्ताव पारित किया ,जिसमें सनातन धर्म को हिंदू धर्म ,भारतीयता और राष्ट्रीयता के बराबर बताया था ।हिंदू धर्म सनातन धर्म है जो शाश्वत रूप से हमारे देश की असली राष्ट्रीयता है ।सनातन धर्म का उत्थान और पतन हिंदू धर्म के उत्थान और पत्तन से जुड़ा है। सनातन धर्म हिंदू राष्ट्र से है ।धर्म भारत का स्वभाव है और सनातन धर्म हिंदू राष्ट्र है ।हिंदू राष्ट्र का उन्नयन धर्म के सशक्तिकरण का प्रबोधन है ।ईश्वर की इच्छा है कि सनातन धर्म का उत्थान हो और इसलिए भारत का उत्थान निश्चित है ।धर्म जीवन जीने का कला है ,कर्तव्य की भावना है और मानवीय सेवा का अभिकरण है।
सनातन धर्म सफलता का कार्य करता है ।हमको एक होकर सब की चिंता करनी है। भारत की परंपरागत संस्कृति के आधार पर भारत वैश्विक स्तर पर अत्यंत परम वैभव – संपन्न शक्ति संपन्न और विवेकी राष्ट्र था ।भारत परम वैभव और शक्ति संपन्न होने के बावजूद संसार के किसी देश का अहित नहीं किया है। भारत पूरी दुनिया को सुख और शांति पूर्ण पूर्वक जीवन जीने की शिक्षा देने वाला राष्ट्र है। सनातन धर्म का कार्य सबको जोड़ करके राष्ट्र को सशक्त बनाना है ।सनातन धर्म विविधता पूर्ण समाज को संगठित करने का कार्य करता है। सनातन धर्म भारत से निकले सभी संप्रदायों का सामूहिक मूल्य बोध है ,उसी का परंपरागत नाम सनातन धर्म है। समाज, राज्य और व्यवस्था में छोटे-छोटे स्वार्थ सबके अलग-अलग हैं। विविधताओं से भरा पूरा देश है ।पंथ,संप्रदाय, जाति, उपजाति भाषा और प्रांत कितने सारे तत्व हैं ? इन सभी को एक रसायन के साथ एकता के सूत्र में बांधने वाली आकर्षण शक्ति है वह सनातन धर्म है।