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मृत्युञ्जय वीर भगतसिंह के जीवन के कुछ यादगार किस्से
बाल सुलभ ज्ञान कृति का लोकार्पण
वन नेशन वन इलेक्शन आज के भारत की आवश्यकता
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भारत में लोकसभा एवं विभिन्न प्रदेशों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ ही होते रहे हैं। परंतु केंद्र सरकार द्वारा कुछ विधानसभाओं को 1950 एवं 1960 के दशक में इनकी अवधि समाप्त होने के पूर्व ही भंग करने के चलते कुछ विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा से अलग कराने की आवश्यकता पड़ी थी, उसके बाद से लोकसभा, विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं एवं स्थानीय स्तर पर नगर निगमों, निकायों एवं पंचायतों के चुनाव अलग अलग समय पर कराए जाने लगे। आज स्थिति यह निर्मित हो गई है कि लगभग प्रत्येक सप्ताह अथवा प्रत्येक माह भारत के किसी न किसी भाग में चुनाव हो रहे होते हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान प्रत्येक वर्ष केवल 65 दिन ऐसे रहे हैं जब भारत के किसी स्थान पर चुनाव नहीं हुए हैं।
किसी भी देश में चुनाव कराए जाने पर न केवल धन खर्च होता है बल्कि जनबल का उपयोग भी करना पड़ता है। जनबल का यह उपयोग एक तरह से अनुत्पादक श्रम की श्रेणी में गिना जाना चाहिए क्योंकि इस प्रकार के श्रम से किसी प्रकार का उत्पादन तो होता नहीं है परंतु एक तरह से श्रमदान जरूर करना होता है। यह श्रम यदि बचाकर किसी उत्पादक कार्य में लगाया जाय तो केवल कल्पना ही की जा सकती है कि इस श्रम से देश के सकल घरेलू उत्पाद में अतुलनीय वृद्धि दर्ज की जा सकती है। अमेरिकी थिंक टैंक के एक अर्थशास्त्री के अनुसार, देश में बार बार चुनाव कराए जाने के चलते उस देश का सकल घरेलू उत्पाद लगभग एक प्रतिशत से कम हो जाता है।
चुनाव कराने के लिए होने वाले खर्च पर भी यदि विचार किया जाय तो भारत में केवल लोकसभा चुनाव कराने के लिए ही 60,000 करोड़ रुपए का खर्च किया जाता है।
आप कल्पना कर सकते हैं इस राशि में यदि विभिन्न प्रदेशों की विधानसभाओं, नगर निगमों, निकायों एवं ग्राम पंचायतों के चुनाव पर किए जाने वाले खर्च को भी जोड़ा जाय तो खर्च का यह आंकड़ा निश्चित ही एक लाख करोड़ रुपए के आंकडें को पार कर जाएगा।
उक्त बातों के ध्यान में आने के पश्चात केंद्र सरकार ने विचार किया है कि भारत में “वन नेशन वन इलेक्शन” के नियम को लागू किया जाना चाहिए। इस विचार को आगे बढ़ाने एवं इस संदर्भ में नियम आदि बनाने के उद्देश्य से भारत के पूर्व राष्ट्रपति माननीय श्री रामनाथ कोविंद जी की अध्यक्षता में एक विशेष समिति का गठन किया गया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट हाल ही में राष्ट्रपति/केंद्र सरकार को सौंप दी है। इसके बाद, केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल की समिति ने इस रिपोर्ट को स्वीकृत कर लिया है एवं इसे अब लोकसभा एवं राज्यसभा के सामने विचार के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
किसी भी देश की लोकतंत्रीय प्रणाली में समय पर चुनाव कराना एक महत्वपूर्ण कार्य होता है। चुनाव किस प्रकार हों, समय पर हों एवं सही तरीके से हों, इसका बहुत महत्व होता है। परंतु देश में चुनाव बार बार होना भी अपने आप में ठीक स्थिति नहीं कही जा सकती है। विश्व के कई देशों, यथा स्वीडन, ब्राजील, बेलजियम, दक्षिण अफ्रीका, आदि में समस्त प्रकार के चुनाव एक साथ ही कराए जाने के नियम का पालन सफलतापूर्वक किया जा रहा है।
चुनाव एक साथ कराने के कई फायदे हैं जैसे इन देशों में चुनाव कराने सम्बंधी खर्चों पर नियंत्रण रहता है। दूसरे, सुरक्षा हेतु पुलिसकर्मियों एवं चुनाव करवाने के लिए स्थानीय कर्मचारियों की बड़ी मात्रा में आवश्यकता को कम किया जा सकता है। तीसरे, देश में चुनाव एक साथ कराने से अभिशासन पर अधिक ध्यान दिया जा सकता है एवं चौथे विभिन्न स्तर के चुनाव एक साथ कराने से चुनाव में वोट डालने वाले नागरिकों की संख्या में निश्चित ही वृद्धि होती है क्योंकि नागरिकों को मालूम होता है कि पांच साल में केवल एक बार ही वोट डालना है अतः वह अन्य कार्यों को दरकिनार करते हुए अपने वोट डालने के अधिकार का उपयोग करना पसंद करता है।
इसी प्रकार यदि कोई नागरिक किसी अन्य नगर यथा दिल्ली में कार्य कर रहा है और उसके मुंबई का निवासी होने चलते उसे वोट डालने के लिए मुंबई जाना होता है तो पांच वर्ष में एक बार तो इस महान कार्य के लिए वह दिल्ली से मुंबई आ सकता है परंतु पांच वर्षों में पांच बार तो वह दिल्ली से मुंबई नहीं जा पाएगा।
इसके अलावा लोकसभा, विधानसभाओं, स्थानीय निकायों एवं पंचायतों के चुनाव अलग अलग होने से विभिन्न पार्टियों के पदाधिकारी, इनमें केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों के मंत्री आदि भी शामिल रहते हैं, अपना सरकारी कार्य छोड़कर चुनाव प्रचार के लिए अपना समय देते हैं। जबकि, यह समय तो उन्हें देश एवं प्रदेश की सेवा में लगाना चाहिए। इससे देश में अभिशासन की गुणवत्ता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
वन नेशन वन इलेक्शन के लिए गठित उक्त विशेष समिति ने यह सलाह दी है कि शुरुआत में लोकसभा एवं समस्त प्रदेशों की विधान सभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकते है।
यदि ऐसा होता है तो यह भी सही है कि देश में लोकसभा एवं विधान सभा चुनाव एक साथ कराने के लिए संसाधनों की भारी मात्रा में आवश्यकता पड़ेगी, इसका हल किस प्रकार निकाला जाएगा इस पर भारतीय संसद में विचार किया जा सकता है। साथ ही, भारत में 6 राष्ट्रीय दल, 54 राज्य स्तरीय दल एवं 2000 से अधिक गैर मान्यता प्राप्त दल हैं जिनके बीच में सामंजस्य स्थापित करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, भारत में अंतिम बार लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एक साथ 1960 के दशक में कराए गए थे। आज भारतीय नागरिकों को भी शिक्षित करने की आवश्यकता होगी कि लोकसभा, विधान सभाओं एवं स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ किस प्रकार कराए जा सकते हैं ताकि उन्हें वोट डालने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो।
इन समस्याओं का हल भारतीय संसद में चर्चा के दौरान निकाला जा सकता है। यदि किसी कारण से केंद्र में लोकसभा अथवा किसी प्रदेश में विधानसभा पांच वर्ष की समय सीमा के पूर्व ही गिर जाती है तो लोकसभा अथवा उस प्रदेश की विधान सभा के चुनाव शेष बचे हुए समय के लिए पुनः कराए जा सकते हैं, ऐसे प्रावधान को कानूनी रूप प्रदान दिया जा सकता है। इससे विभिन्न राजनैतिक दलों के सांसदों एवं विधायकों पर भी यह दबाव रहेगा कि वे लोकसभा अथवा विधानसभा को समय पूर्व भंग कराने अथवा गिराने का प्रयास नहीं करें।वन नेशन वन इलेक्शन के सम्बंध में कुछ संशोधन तो देश के वर्तमान कानून में करने ही होंगे और फिर पूर्व में भी विभिन्न विषयों पर अलग अलग खंडकाल में (समय समय पर) 100 बार से अधिक संशोधन कानून में किए ही जा चुके हैं।
यह तर्क भी सही नहीं है कि देश में एक साथ चुनाव कराने से भारत के नागरिक केंद्र एवं राज्यों में एक ही राजनैतिक दल की सरकार चुनने को प्रोत्साहित होंगे। परंतु, भारत का नागरिक अब पूर्ण रूप से परिपक्व एवं सक्षम हो चुका है कि वह लोकसभा एवं विधान सभा चुनाव एक साथ कराए जाने पर केवल एक ही दल की सरकार को नहीं चुनेगा। देश में ऐसा कई बार हुआ है कि लोकसभा एवं विधान सभा के एक साथ हुए चुनवा में लोकसभा में एक दल के सांसद को चुना गया है एवं विधान सभा में किसी अन्य दल के विधायक को चुना गया है।
भारत आज एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है, ऐसे समय में भारत को अपने संसाधनों का उत्पादक कार्यों के लिए उपयोग करना आवश्यक होगा न कि रक्षा एवं सरकारी कर्मचारी देश में बार बार हो रहे चुनाव के कार्यों में व्यस्त रहें। कुल मिलाकर वन नेशन वन इलेक्शन, देश के हित में उठाया जा रहा एक मजबूत कदम है। इस विषय पर, भारत के हित में, देश के समस्त राजनैतिक दलों को गम्भीरता से विचार कर इस नियम को भारत में लागू किया जाना चाहिए।
प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
के-8, चेतकपुरी कालोनी,
झांसी रोड, लश्कर,
ग्वालियर – 474 009
मोबाइल क्रमांक – 9987949940
ई-मेल – prahlad.sabnani@gmail.com
पाली में ‘मीडिया गुरु सम्मान’ से हुए प्रो.द्विवेदी का सम्मान
पाली। अखिल भारतीय साहित्य परिषद राजस्थान ,कल्पवृक्ष साहित्य सेवा संस्थान एवं वंदेमातरम् शिक्षण समूह पाली के संयुक्त तत्वावधान में पं. विष्णुप्रसाद चतुर्वेदी समृति द्वितीय राष्ट्रीय व्याख्यानमाला एवं साहित्यकार सम्मान समारोह का आयोजन पाली में संपन्न हुआ। इस मौके पर भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी को ‘राष्ट्रीय मीडिया गुरु सम्मान’ से अलंकृत किया गया। साथ ही उन्होंने कार्यक्रम को मुख्य वक्ता की आसंदी से संबोधित भी किया।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय सचिव जगतगुरु विजयराम रावलद्वारा पीठाधीश्वर जगद्गुरु वेदेही वल्लभ देवाचार्य, साहित्यकार डा.जितेंद्र कुमार सिंह संजय , कवयित्री डा. चारुशीला सिंह, राजेन्द्र सिंह भाटी, प्रो. डा.मंजू शर्मा, नूतनबाला कपिला, सहायक कलेक्टर ऋषि सुधांसु पाण्डेय कोषाधिकारी हंसा राजपुरोहित उपस्थित रहे।
मुख्य वक्ता प्रो. संजय द्विवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि साहित्य का मूल उद्देश्य ही लोक मंगल है। पिछले कुछ वर्षो में भारत अपनी जड़ों की तरफ वापसी कर रहा है। यह ‘विचारों की घर वापसी का समय’ है।
सालों साल तक चले समाजतोड़क साहित्यिक अभियानों के बजाए समाज को जोड़ने वाले तथा भारतबोध कराने वाले साहित्य सृजन की आवश्यकता है । इससे भारत विकसित भारत बनेगा और अपने सपनों में रंग भरेगा। कार्यक्रम के संयोजक साहित्य परिषद के प्रांत अध्यक्ष डा.अखिलानंद और पवन पाण्डेय ने अतिथियों के प्रति स्वागत और आभार ज्ञापन किया।
दुर्गा पूजा, दिवाली और छठ के त्योहारी सीजन के दौरान, फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनों के 6,000 से अधिक फेरे चलाए जाएंगे
पश्चिम रेलवे द्वारा 86 फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनों के साथ
1,380 से अधिक फेरे विभिन्न गंतव्यों के लिए चलाए जा रहे हैं।
दुर्गा पूजा, दिवाली और छठ पूजा के दौरान यात्रियों की सुगम आवाजाही के लिए भारतीय रेल द्वारा इस वर्ष 519 स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जाएगा। इन स्पेशल ट्रेनों का संचालन 1 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच किया जाएगा। रेलवे अधिकारी के मुताबिक़ हर साल त्योहारों के अवसर पर रेलवे द्वारा स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जाता है। इस वर्ष इन स्पेशल ट्रेनों की संख्या में भारी बढ़ोतरी की गई है। इनमें से, पश्चिम रेलवे 86 फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनों के साथ 1,382 फेरे चला रहा है, जो पूरे भारतीय रेलवे में सबसे अधिक हैं।
गौरतलब है कि दुर्गा पूजा, दिवाली और छठ पर्वों के दौरान लाखों की संख्या में यात्री सफर करते हैं। यात्रियों की भारी भीड़ को सुगम एवं आरामदायक यात्रा प्रदान करने के लिए रेलवे द्वारा इस वर्ष भी विशेष ट्रेनों का संचालन करने की तैयारी की गई है। दो महीने की अवधि के दौरान ये स्पेशल ट्रेनें लगभग 6000 फेरे लगाएंगी और बड़ी तादाद में यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने का काम करेंगी। पिछले वर्ष भी भारतीय रेल द्वारा बड़ी संख्या में त्योहार स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया गया था और इन ट्रेनों ने कुल 4,429 फेरे लगाए थे, जिनके माध्यम से लाखों की संख्या में यात्रियों को आरामदायक यात्रा की सुविधा प्राप्त हुई थी।
जाहिर है कि हर साल दुर्गा पूजा, दीपावली और छठ पूजा के अवसर पर देश भर से बड़ी संख्या में लोग उत्तर प्रदेश और बिहार की ओर प्रस्थान करते हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के लिए ये त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि परिवारों से मिलने का भी एक अहम अवसर होते हैं। हर साल त्योहारों के दौरान यात्रियों की भीड़ की वजह से अधिकांश ट्रेनों में दो-तीन महीने पहले से ही टिकट वेटिंग लिस्ट में चली जाती हैं। इसी को देखते हुए रेलवे द्वारा इस वर्ष भी त्योहारों के अवसर पर स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है।
इस वर्ष, पश्चिम रेलवे ने 86 स्पेशल ट्रेनों की अधिसूचना जारी की है, जो 1,380 से अधिक फेरे लगाएंगी। पिछले वर्ष की तुलना में, पश्चिम रेलवे ने 21 और ट्रेनें जोड़ी हैं और लगभग 270 अतिरिक्त फेरे बढ़ाए हैं, ताकि त्योहारी सीजन के दौरान बढ़ती यात्रा मांग को पूरा किया जा सके। ये ट्रेनें उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर भारत, उत्तर पूर्व आदि के गंतव्यों के लिए चलाई जा रही हैं। पश्चिम रेलवे द्वारा मुंबई से देश के विभिन्न गंतव्यों के लिए 14 जोड़ी स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। इसी प्रकार, सूरत/उधना से यात्रियों की भारी मांग को पूरा करने के लिए 8 जोड़ी स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं, जबकि 20 जोड़ी स्पेशल ट्रेनें सूरत/उधना या भेस्तान से होकर गुजर रही हैं। इसी तरह, गुजरात के अन्य स्टेशनों जैसे वापी, वलसाड, वडोदरा, अहमदाबाद, साबरमती, हापा, ओखा, राजकोट, भावनगर टर्मिनस आदि से स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं, साथ ही मध्य प्रदेश के इंदौर, डॉ. अंबेडकर नगर और उज्जैन से भी स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं।
पर्यटन मंत्रालय ने अतुल्य भारत कंटेंट हब और डिजिटल पोर्टल शुरू किया
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने 27 सितंबर 2024 को विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर नए सिरे से तैयार किए गए अतुल्य भारत डिजिटल पोर्टल (www.incredibleindia.
यह संग्रह विभिन्न हितधारकों के उपयोग के लिए है। इसमें टूर ऑपरेटर, पत्रकार, छात्र, शोधकर्
कंटेंट हब नए अतुल्य भारत डिजिटल पोर्टल का हिस्सा है। इसका उद्देश्य दुनिया भर में यात्रा व्यापार (यात्रा मीडिया, टूर ऑपरेटर, ट्रैवल एजेंट) के लिए अतुल्य भारत पर अपनी ज़रूरत की हर चीज़ को एक ही स्थान पर एक्सेस करना आसान और सुविधाजनक बनाना है। इससे वे अपने सभी मार्केटिंग और प्रचार प्रयासों में अतुल्य भारत को बढ़ावा दे सकें।
कंटेंट हब में वर्तमान में लगभग 5,000 कंटेंट एसेट हैं। रिपॉजिटरी पर उपलब्ध कंटेंट कई संगठनों के सहयोगात्मक प्रयास का परिणाम है। इसमें पर्यटन मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, संस्कृति मंत्रालय और अन्य शामिल हैं।
अतुल्य भारत डिजिटल पोर्टल एक पर्यटक–केंद्रित, वन–स्टॉप डिजिटल समाधान है जिसे भारत आने वाले आगंतुकों के लिए यात्रा के अनुभव को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। नया पोर्टल यात्रियों को उनकी यात्रा के हर चरण में, खोज और शोध से लेकर योजना, बुकिंग, यात्रा और वापसी तक आवश्यक जानकारी और सेवाएँ प्रदान करता है।
नया पोर्टल वीडियो, छवियों और डिजिटल मानचित्रों जैसी मल्टीमीडिया सामग्री का उपयोग करके आकर्षणों, शिल्प, त्योहारों, या
पर्यटन मंत्रालय डिजिटल पोर्टल को अतुल्य भारत की खोज करने वाले सभी लोगों के लिए प्रेरणा का एक निरंतर स्रोत बनाने के लिए कई कदम उठाए है। इनमे नई सुविधाओं को शामिल करना, क्राउडसोर्सिंग के माध्यम से अतिरिक्त सामग्री जोड़ने के लिए संगठनों और संस्थानों के साथ साझेदारी कर पोर्टल में सुधार और विकास कार्य शामिल है।
पश्चिम रेलवे: अतुल्य भारत की अतुल्य रेल
विश्व पर्यटन दिवस 2024
भारत के विविध और चिरस्थायी खजानों का प्रवेश द्वार
मुंबई पश्चिम रेलवे सिर्फ़ परिवहन की जीवनरेखा ही नहीं है, बल्कि यह भारत के कुछ सबसे प्रतिष्ठित और विविधतापूर्ण पर्यटन स्थलों का प्रवेश द्वार भी है। कच्छ के रण में मौजूद शुष्क नमक के मैदानों से लेकर राजसी मंदिरों और शांत नदी किनारे तक पश्चिम रेलवे यात्रियों को कई तरह के परिदृश्यों, संस्कृतियों और इतिहास से जोड़ती है। पश्चिम रेलवे प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक भव्यता और आध्यात्मिक गहराई का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करता है, जो इसे भारत के पर्यटन उद्योग में एक प्रमुख योगदानकर्ता बनाता है।
इस विश्व पर्यटन दिवस पर रेलवे देशभर में फैले अपने व्यापक रेल नेटवर्क के माध्यम से इस अविश्वसनीय भूमि के चमत्कारों को देखने के लिए यात्रियों का स्वागत करती है।
हम अपनी यात्रा की शुरुआत पश्चिम रेलवे के मुंबई सेंट्रल मंडल के सुंदर बिलिमोरा-वघई रेल खंड से करते हैं, जो गुजरात राज्य के डांग क्षेत्र के हरे-भरे जंगलों और आदिवासी गांवों से होकर गुजरने वाली एक नैरो-गेज लाइन के माध्यम से यात्रियों को एक आकर्षक यात्रा पर ले जाता है। यह आकर्षक और कम ज्ञात मार्ग भारत के समृद्ध रेलवे इतिहास की याद दिलाता है और धीमी गति से चलते हुए प्रकृति से जुड़ने और ग्रामीण भारत की शांति का अनुभव की तलाश करने वालों के लिए एकदम सही है।
रेलवे ने इस लाइन को एक विरासत अनुभव के रूप में संरक्षित किया है, जो पर्यटकों को समय में पीछे जाने और एक शांतिपूर्ण, अविस्मरणीय ट्रेन यात्रा का आनंद लेने का अवसर प्रदान करता है। वडोदरा मंडल में जाने पर कोई भी व्यक्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के साथ भारत की वास्तुकला की चमक देख सकता है, जो दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है।
नर्मदा नदी के तट पर स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल को यह भव्य श्रद्धांजलि न केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक भी है। पश्चिम रेलवे इस प्रतिष्ठित स्थल को सीधी रेल कनेक्टिविटी प्रदान करता है, जिससे देश के सभी कोनों से यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। ट्रेन से आने वाले पर्यटक स्मारक की विशालता को देखकर आश्चर्यचकित हो सकते हैं, साथ ही सरदार सरोवर बांध और उसके आसपास की प्राकृतिक सुंदरता की शानदार पृष्ठभूमि की सराहना भी कर सकते हैं।
जैसे ही ट्रेन अहमदाबाद मंडल से गुज़रती है, यह विरासत और आश्चर्य से भरी जगहों के दरवाज़े खोलती है। यात्रियों का स्वागत गुजरात के प्राचीन चमत्कारों द्वारा किया जाता है, जहाँ पर्यटक पाटन शहर में सरस्वती नदी के तट पर स्थित रानी की वाव, जटिल नक्काशीदार बावड़ी को देखने का आनंद ले सकते हैं। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है, जो अपनी शानदार वास्तुकला और समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। इसके अलावा, पाटन स्टेशन से सिर्फ़ 30 किमी दूर स्थित विस्मयकारी मोढेरा सूर्य मंदिर भारत की प्राचीन शिल्पकला और स्थापत्य कला का प्रमाण है।
पश्चिम रेलवे द्वारा प्रदान की गई निर्बाध कनेक्टिविटी यह सुनिश्चित करती है कि गुजरात के ये रत्न देश भर के यात्रियों की पहुँच में हों। सर्दियों के मौसम की शुरुआत के साथ, कच्छ के रण का विशाल और सफ़ेद विस्तार रोमांच चाहने वालों को आकर्षित करता है।
रतलाम मंडल के दर्शनीय स्थल इतिहास, आध्यात्मिकता और प्राकृतिक सुंदरता को एक साथ जोड़ते हैं। जैसे ही ट्रेन इस क्षेत्र से गुज़रती है, पर्यटकों को क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित महाकालेश्वर मंदिर एवं नर्मदा नदी के तट पर स्थित ओंकारेश्वर मंदिर के दर्शन होते हैं, जो आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। सुंदर पातालपानी – कालाकुंड रेल मार्ग, झरनों और घाटियों के लुभावने दृश्यों के साथ, विशेष रूप से मानसून के दौरान जीवंत हो जाता है। पश्चिम रेलवे एक हेरिटेज मीटर गेज ट्रेन चलाता है, जो इस सुंदर वैभव को देखने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ खींचती है। अन्य स्थलों में से एक चित्तौड़गढ़ है, जहाँ प्रतिष्ठित चित्तौड़गढ़ किला इस क्षेत्र की पहचान है। अपनी भव्य वास्तुकला के लिए जाना जाने वाला यह सदियों पुराना किला और इसके अवशेष हमें राजपूतों की वीरता और बहादुरी की याद दिलाते हैं।
भावनगर मंडल भारत के कुछ सबसे प्रतिष्ठित आध्यात्मिक स्थलों का घर है, जिसमें सोमनाथ मंदिर, पालीताना के जैन मंदिर और महात्मा गांधीजी का जन्मस्थान पोरबंदर शामिल हैं। प्रकृति प्रेमी गिर राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा कर सकते हैं, जो राजसी एशियाई शेरों का घर है, जहाँ जूनागढ़ स्टेशन से पहुँचा जा सकता है, जो गिरनार हिल, उपरकोट किला और जटाशंकर महादेव झरने जैसे ऐतिहासिक स्थलों के लिए रेलवे स्टेशन के रूप में भी काम करता है। राजकोट मंडल में द्वारका का आध्यात्मिक शहर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को अपने मंदिरों, शांत समुद्र तट और समृद्ध संस्कृति की ओर आकर्षित करता है।
हर साल 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पर्यटन की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना और यह प्रदर्शित करना है कि यह दुनियाभर में सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक मूल्यों को कैसे प्रभावित करता है। इस वर्ष “पर्यटन और शांति” को थीम के रूप में चुना गया है। यह थीम इस बात पर प्रकाश डालती है कि अंतरराष्ट्रीय सद्भाव, सांस्कृतिक समझ और शांति को बढ़ावा देने में पर्यटन कितना महत्वपूर्ण है। पर्यटन आपसी सम्मान को बढ़ावा देता है और विभिन्न मूल के व्यक्तियों को एकजुट करके संघर्ष को कम करता है। पश्चिम रेलवे का विशाल नेटवर्क यात्रियों को भारत के सबसे कीमती स्थलों से जोड़ने में एक अपरिहार्य भूमिका निभाता है, चाहे वह गुजरात का प्राचीन इतिहास हो, मध्य प्रदेश के आध्यात्मिक अभयारण्य हों या समकालीन भारत के आधुनिक चमत्कार हों। इन विविध क्षेत्रों को आसानी से सुलभ बनाकर, पश्चिम रेलवे न केवल पर्यटन को बढ़ावा देता है, बल्कि यात्रा के अनुभव को भी समृद्ध करता है, जिससे आगंतुकों को अपने अच्छी तरह से जुड़े रेलवे के माध्यम से भारत के दिल की खोज करने में मदद मिलती है।
विश्व पर्यटन दिवस मनाते हुए आइए हम भारतीय रेल की उस महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करें, जो हमारे देश के अद्भुत पर्यटन लों को हम सभी के करीब लाने में निभाती है।
शक्तिशाली देशों की सूची में भारत पहुंचा तीसरे स्थान पर
आस्ट्रेलिया के एक संस्थान, लोवी इन्स्टिटयूट थिंक टैंक, ने हाल ही में एशिया में शक्तिशाली देशों की एक
सूची जारी की है। “एशिया पावर इंडेक्स 2024” नामक इस सूची में भारत को एशिया में तीसरा सबसे
बड़ा शक्तिशाली देश बताया गया है। वर्ष 2024 के इस इंडेक्स में भारत ने जापान को पीछे छोड़ा है। इस
इंडेक्स में अब केवल अमेरिका एवं चीन ही भारत से आगे है। रूस तो पहिले से ही इस इंडेक्स में भारत से
पीछे हो चुका है। इस प्रकार अब भारत की शक्ति का आभास वैश्विक स्तर पर भी महसूस किया जाने लगा
है। एशिया पावर इंडेक्स 2024 के प्रतिवेदन में बताया गया है कि वर्ष 2023 के इंडेक्स में भारत को 36.3
अंक प्राप्त हुए थे जो वर्ष 2024 के इंडेक्स में 2.8 अंक से बढ़कर 39.1 अंकों पर पहुंच गए हैं एवं भारत इस
इंडेक्स में चौथे स्थान से तीसरे स्थान पर आ गया है।
एशिया पावर इंडेक्स 2024 को विकसित करने के लिए कुल 27 देशों और क्षेत्रों से प्राप्त आंकड़ों का
आंकलन एवं सूक्षम विश्लेषण किया गया है। एशिया में जो नए शक्ति समीकरण बन रहे हैं उनका ध्यान भी
इस इंडेक्स में रखा गया है तथा विभिन्न मापदंडों पर आधारित पिछले 6 वर्षों के आकड़ों का विश्लेषण कर
यह इंडेक्स बनाया गया है। आर्थिक क्षमता, सैन्य (मिलिटरी) क्षमता, अर्थव्यवस्था में लचीलापन, भविष्य में
संसाधनों की उपलब्धता, कूटनीतिक, राजनयिक एवं आर्थिक सम्बंध एवं सांस्कृतिक प्रभाव जैसे मापदंडो
पर उक्त 27 देशों एवं क्षेत्रों का आंकलन कर विभिन्न देशों को इस इंडेक्स में स्थान प्रदान किया गया है।
उक्त इंडेक्स में अमेरिका, 81.7 अंकों के साथ प्रथम स्थान पर है।
चीन 72.7 अंकों के साथ द्वितीय स्थान पर
है। भारत ने इस इंडेक्स में 39.1 अंक प्राप्त कर तृतीय स्थान प्राप्त किया है। जापान को 38.9 अंक,
आस्ट्रेलिया को 31.9 अंक एवं रूस को 31.1 अंक प्राप्त हुए हैं एवं इन देशों का क्रमशः चतुर्थ, पांचवा एवं
छठवां स्थान रहा है। इस इंडेक्स में प्रथम 5 स्थानों में से 4 स्थानों पर “क्वाड” के सदस्य देश हैं – अमेरिका,
भारत, जापान एवं आस्ट्रेलिया। एशिया में अमेरिका की लगातार बढ़ती मजबूत ताकत के चलते उसे इस
इंडेक्स में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। जबकि, चीन की मजबूत मिलिटरी ताकत के चलते उसे इस इंडेक्स में
द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है। जापान के इस इंडेक्स में तीसरे से चौथे स्थान पर आने के कारणों में मुख्य कारण
उसकी आर्थिक स्थिति में लगातार आ रही गिरावट है। भारत ने चौथे स्थान से तीसरे स्थान पर छलांग
लगाई है। आर्थिक क्षमता एवं भविष्य में संसाधनो की उपलब्धता के क्षेत्र में भारत को तीसरा स्थान प्राप्त
हुआ है। साथ ही, सैन्य क्षमता, कूटनीतिक, राजनयिक एवं आर्थिक सम्बंध के क्षेत्र एवं सांस्कृतिक प्रभाव के
क्षेत्र में भारत को चौथा स्थान प्राप्त हुआ है। अब केवल अमेरिका और चीन ही भारत से आगे हैं एवं जापान,
आस्ट्रेलिया एवं रूस भारत से पीछे हो गए हैं। जबकि, कुछ वर्ष पूर्व तक विश्व की महान शक्तियों में भारत
का कहीं भी स्थान नजर नहीं आता था। केवल अमेरिका, रूस, चीन, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रान्स आदि
देशों को ही विश्व में महाशक्ति के रूप में गिना जाता था। अब इस सूची में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच
गया है।
उक्त इंडेक्स तैयार करते समय आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि अन्य शक्तिशाली देशों का भी आंकलन किया
गया है। साथ ही, विश्व में तेजी से बदल रहे शक्ति के नए समीकरणों का भी व्यापक आंकलन किया गया है।
इस आंकलन के अनुसार अमेरिका अभी भी एशिया में सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बना हुआ है। चीन तेजी से
आगे बढ़कर दूसरे स्थान पर आया है। तेजी से बढ़ती सेना एवं आर्थिक तरक्की चीन की मुख्य ताकत है। उक्त
प्रतिवेदन में यह तथ्य भी बताया गया है कि उभरते हुए भारत से अपेक्षाओं एवं वास्तविकताओं में अंतर
दिखाई दे रहा है। इस प्रतिवेदन के अनुसार, भारत के पास अपने पूर्वी देशों को प्रभावित करने की सीमित
क्षमता है। परंतु, वास्तविकता इसके ठीक विपरीत है। भारत अपने पड़ौसी देशों नेपाल, भूटान, श्रीलंका,
बंगलादेश, म्यांमार एवं अफगानिस्तान, आदि की विपरीत परिस्थितियों के बीच भारी मदद करता रहा है।
आसियान के सदस्य देशों की भी भारत समय समय पर मदद करता रहा है, एवं इन देशों का भारत पर
अपार विश्वास रहा है। कोरोना के खंडकाल में एवं श्रीलंका, म्यांमार तथा अफगानिस्तान में आए सामाजिक
संघर्ष के बीच भारत ने इन देशों की मानवीय आधार पर भरपूर आर्थिक सहायता की थी एवं इन्हें अमेरिकी
डॉलर में लाइन आफ क्रेडिट की सुविधा भी प्रदान की थी ताकि इनके विदेशी व्यापार को विपरीत रूप से
प्रभावित होने से बचाया जा सके। उक्त प्रतिवेदन के अनुसार भारत के पास भारी मात्रा में संसाधन मौजूद हैं
एवं जिसके बलबूते पर आगे आने वाले समय में भारत के आर्थिक विकास को और अधिक गति मिलने की
अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं। साथ ही, भारत अपने पड़ौसी देशों की आर्थिक स्थिति सुधारने की भी क्षमता
रखता है। भारत ने हाल ही के वर्षों में उल्लेखनीय आर्थिक सुधार कार्यक्रम लागू किए हैं।
जिसके चलते लगातार तेज हो रहे आर्थिक विकास के बीच सकल घरेलू उत्पाद की स्थिति
और बेहतर हो रही है तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की मान्यता बढ़ रही है। साथ ही,
बहुपक्षीय मंचों पर भी भारत की सक्रिय भागीदारी बढ़ती जा रही है।
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में एशिया के कई देशों के साथ अपने सम्बंधों को मजबूत किया है। अब तो
अफ्रीकी देशों का भी भारत पर विश्वास बढ़ता जा रहा है एवं भारत में ग्लोबल साउथ का नेतृत्व करने की
अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं। भारत में हाल ही में अपनी कूटनीतिक एवं राजनयिक क्षमता में भी भरपूर
सुधार किया है एवं इसके बल पर वैश्विक स्तर पर न केवल विकसित देशों बल्कि विकासशील देशों को भी
प्रभावित करने में सफल रहा है। यूक्रेन एवं रूस युद्ध के समय केवल भारत ही दोनों देशों के साथ चर्चा कर
पाता है एवं युद्ध को समाप्त करने का आग्रह दोनों देशों को कर पाता है। इसी प्रकार, इजराईल एवं हमास
युद्ध के समय भी भारत दोनों देशों के साथ युद्ध समाप्त करने की चर्चा करने में अपने आप को सहज एवं
सक्षम पाता है। आपस में युद्ध करने वाले दोनों देश भारत की सलाह को गम्भीरता से सुनते नजर आते हैं।
भारत ने कभी भी विभिन्न देशों के आंतरिक स्थितियों पर अपनी विपरीत राय व्यक्त नहीं की है और न ही
कभी उनके आंतरिक मामलों में कभी हस्तक्षेप किया है। इस दृष्टि से वैश्विक पटल पर भारत की यह विशिष्ट
पहचान एवं स्थिति है।
दक्षिण एशिया के देशों में चीन अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा है इसलिए भारत का पूरा ध्यान इस
क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को कम कर अपने प्रभाव को बढ़ाना है। इसी मुख्य कारण से शायद भारत
दक्षिण एशिया के देशों पर अधिक ध्यान देता दिखाई दे रहा है। जिसका आशय उक्त प्रतिवेदन में यह लिया
गया है कि विश्व के अन्य देशों को सहायता करने की भारत की क्षमता तो अधिक है परंतु अभी उसका
उपयोग भारत नहीं कर पा रहा है। हिंद महासागर पर भारत का ध्यान अधिक है और क्वाड के सदस्य देश
मिलकर भारत की इस दृष्टि से सहायता भी कर रहे हैं। दक्षिण एशियाई देशों के अलावा विश्व के अन्य देशों
की मदद करने के संदर्भ में भारत ने हालांकि अभी हाल ही के समय में बढ़त तो बनाई है परंतु अभी और
अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। भारत में आगे बढ़ने की अपार सम्भावनाएं मौजूद हैं।
उक्त प्रतिवेदन में भारत को एशिया को तीसरा सबसे बड़ा ताकतवर देश बताया गया है परंतु वस्तुतः भारत
अब एशिया का ही नहीं बल्कि विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ताकतवर देश बन गया है क्योंकि इस सूची में
एशिया के बाहर से अमेरिका को भी एशिया में पहिले स्थान पर बताया गया है। एक अन्य अमेरिकी थिंक
टैंक का आंकलन है कि भारत यदि इसी रफ्तार से आगे बढ़ता रहा तो इस शताब्दी के अंत तक भारत, चीन
एवं अमेरिका को भी पीछे छोड़कर विश्व का सबसे अधिक शक्तिशाली देश बन जाएगा।
प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
के-8, चेतकपुरी कालोनी,
झांसी रोड, लश्कर,
ग्वालियर – 474 009
मोबाइल क्रमांक – 9987949940
ई-मेल – prahlad.sabnani@gmail.com
सकारात्मक खबरों को बढ़ावा देने से ही समाज स्वस्थ और सुखी होगा: केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरुगन
आबू रोड। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के आबू रोड स्थित मुख्यालय शांतिवन के आनंद सरोवर परिसर में आयोजित राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री डॉ. एल. मुरुगन और मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतन मोहिनी ने किया। मीडिया विंग द्वारा स्वस्थ एवं सुखी समाज के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण- मीडिया की भूमिका विषय पर आयोजित इस राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए देशभर से एक हजार से अधिक प्रिंट, इलेक्ट्रानिक, रेडियाे और बेव जर्नलिज्म से जुड़े पत्रकार, संपादक, ब्यूरो चीफ, रेडियो जॉकी, फ्रीलांसर पत्रकार और मीडिया प्रोफेसर पहुंचे हैं।
शुभारंभ पर केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरुगन ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान है। आज एक अच्छी न्यूज उतनी तेजी से वायरल नहीं होती है जितनी की एक गलत, फेंक न्यूज़ वायरल हो जाती है। पत्रकार पहले खबरों की सत्यता की जांच कर लें उसके बाद ही प्रकाशित करें। अच्छी खबरों को बढ़ावा देने से ही स्वस्थ और सुखी समाज का निर्माण होगा। आज समाज में यदि नकारात्मक माहौल बन रहा है तो हमें चिंतन करने की जरूरत है कि हम समाज में क्या भेज रहे हैं। मूल्यनिष्ठ समाज के निर्माण के लिए हमें जीवन में मूल्यों का समावेश करना होगा।
पत्रकार निजी जीवन में अध्यात्म को अपनाएं –
उन्होंने कहा कि एक पत्रकार का मौलिक अधिकार है कि वह आध्यात्मिकता से जुड़े। मीडियाकर्मी अपने निजी जीवन में अध्यात्म को अपनाएं। एक पत्रकार गलत न्यूज़ से देश का माहौल बिगाड़ सकता है इसलिए पत्रकार को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। सूचना देने के लिए मीडिया सबसे शक्तिशाली साधन है, जो दुनिया को खेल और संस्कृति आदि की जानकारी देता है। यह लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। मीडिया हिमालय से लेकर रेगिस्तान में जाकर सूचनाएं जुटाता है।
ब्रह्माकुमारीज़ विश्व शांति के लिए कार्य कर रही है –
केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरुगन ने कहा कि विश्व शांति के लिए ब्रह्माकुमारीज़ संस्था कार्य कर रही है। मैं पहली बार ब्रह्माकुमारीज़ के मुख्यालय आया हूं। यहां आकर बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूं और बहुत खुशी हो रही है। मैंने दादी रतन मोहिनी से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया। यहां की दिव्यता और पवित्र माहौल बहुत सुखदायी है।
मीडिया अपने उद्देश्य से भटक गया है-
डॉ. कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवम जनसंचार विश्विद्यालय रायपुर के पूर्व कुलपति डॉ. मान सिंह परमार ने कहा कि जब देश आजाद नहीं हुआ था तो मीडिया के सामने एक लक्ष्य, एक ध्येय, एक उद्देश्य था। लेकिन जब देश आजाद हो गया तो मीडिया के सामने एक चुनौती थी कि अब किस दिशा में आगे बढ़ा जाए। लेकिन आज व्यापारवाद के दौर में मीडिया अपने उद्देश्य से भटक गया है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है जो किसी भी रीति से समाज के लिए ठीक नहीं है। सोशल मीडिया ने हमें आजादी जरूर दी है लेकिन ऐसा लगता है कि कहीं सोशल मीडिया भस्मासुर न बन जाए। प्रेस काउंसिल बने वर्षों हो गए लेकिन आज तक हम एक आदर्श आचार संहिता लागू नहीं कर पाए हैं।
नई दिल्ली दैनिक जागरण के एक्जीक्यूटिव एडिटर विष्णु प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि हम राष्ट्र और राष्ट्रीयता के स्तंभ हैं। हम सत्यनिष्ठ लोग हैं। लोकतंत्र में संरक्षण की जरूरत है लेकिन यदि मीडिया को नियंत्रीकरण किया जाएगा तो वह अपना अस्तित्व खो देगा। भारत का पत्रकार आध्यात्मिक ही होगा। दिल्ली के पीआईबी के पूर्व प्रिंसिपल डीजी कुलदीप सिंह ने कहा कि कई बार हम पत्रकारों को अपने सिद्धांतों के साथ समझौता करना पड़ता है। लेकिन हमें अपने मूल्यों को कायम रखना होगा।
अश्लील सामग्री मुक्त मीडिया बनाना होगा –
आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि हम सभी पत्रकारों को अभियान चलाना चाहिए कि अश्लील सामग्री मुक्त समाज बने। हमें अश्लील कंटेंट को प्रचारित और प्रसारित करना बंद करना होगा। एक-एक व्यक्ति सूचना का राजदूत है। ब्रह्माकुमारीज़ समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए कार्य कर रही है। ये ब्रह्माकुमार भाई-बहनें त्याग की मूर्ति हैं। दुनिया के बेहतर अखबारों को टक्कर देने वाले अखबार आज हमारे देश में निकल रहे हैं। आज मीडिया का भारतीयकरण करने की जरूरत है। आज हम जिस मीडिया की तर्ज पर कार्य कर रहें हैं, वह पाश्चात्य मीडिया की शैली है। हमारे यहां तो लोक मंगल की भावना को लेकर कार्य करने की परंपरा रही है। हमें संवाद की परंपरा की ओर फिर से बढ़ने की जरूरत है। हम जगतगुरु की बात कर रहे हैं लेकिन कोई शिष्य बनने के लिए तैयार है।
– अतिरिक्त महासचिव राजयोगी बृजमोहन भाई ने कहा कि तीनों कालों की न्यूज़ परमात्मा के पास है। सबसे बड़ा सत्य है कि हम सभी एक आत्मा हैं। जब हम खुद को आत्मा मानेंगे, तभी काम विकार पर विजय पा सकेंगे।
– मीडिया निदेशक राजयोगी बीके करुणा भाई ने कहा कि मीडिया विंग पत्रकारों के जीवन को खुशहाल बनाने के लिए कार्य कर रहा है। हमारा मकसद है पत्रकारों के जीवन में आध्यात्मिक समावेश से समाज को सुखी संपन्न बनाने की ओर ले जाना।
– जयपुर सबजोन की निदेशिका राजयोगिनी बीके सुषमा दीदी ने कहा कि राजयोग को जीवन में शामिल करने से सारे रोग खत्म हो जाते हैं। आपने राजयोग मेडिटेशन से सभी को गहन शांति की अनुभूति कराई।
– शिक्षा प्रभाग की उपाध्यक्ष राजयोगिनी बीके शीलू दीदी ने कहा कि आंतरिक सशक्तिकरण से ही स्वस्थ और सुखी होगा। समाज समृद्ध शाली होगा।
– विंग की राष्ट्रीय संयोजिका बीके सरला आनंद बहन ने कहा कि बिना अध्यात्म के स्वस्थ समाज की परिकल्पना नही की जा सकती है। इस कार्य में मीडिया का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है।
– स्वागत भाषण मीडिया विंग के राष्ट्रीय संयोजक बीके शांतानु भाई ने दिया। स्वागत नृत्य बेंगलुरु से आए सुप्रीम शिव शक्ति सांस्कृतिक अकादमी के बच्चों ने पेश किया। संचालन जयपुर की जोनल संयोजिका चंद्रकला दीदी ने किया।