Wednesday, November 27, 2024
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पूजा मिश्रा ने फराह खान और कलर्स को नोटिस भेजा

कलर्स चैनल पर आने वाले सलमान खान के रिअलिटी शो के पांचवें सीजन में हिस्सा लेने वालीं पूजा मिश्रा ने 'कलर्स' चैनल को एक कानूनी नोटिस भेजा है। दरअसल, पूजा मिश्रा का कहना है कि 'कलर्स' चैनल पर दिखाए जाने वाला कुकरी शो 'फराह की दावत' असल में उनका आइडिया था।

कुकरी शो 'फराह की दावत' को जानी-मानी निर्माता-निर्देशक फराह खान होस्ट कर रही हैं। पूजा मिश्रा ने चैनल पर उनका आइडिया चुराने का आरोप लगाया है और इसके लिए उन्होंने कानूनी नोटिस भेजकर इस चैनल को खूब खरी-खोटी भी सुनाई है।

कानूनी नोटिस में पूजा मिश्रा के कुकरी शो के बारे में कहा गया है कि कलर्स चैनल ने पूजा मिश्रा प्रोडक्शंस के पहले कुकरी शो की नकल कर और 'फराह की दावत' को ऑन एयर कर प्रोफेशनलिज्म की सारी सीमाएं लांघ दी है। इसमें यह भी बताया गया है कि पूजा मिश्रा के कुकरी शो की स्पॉन्सरशिप के लिए वीडियोकॉन ने उनसे संपर्क भी किया था, लेकिन कलर्स ने 'फराह की दावत' के लिए वीडियोकॉन को प्रस्ताव दे दिया। पूजा मिश्रा प्रोडक्शनंस का कुकरी शो जल्द ही न्यूयॉर्क के एक फूड चैनल पर ऑन एयर होने वाला है।

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व्यवहार कौशल ( सॉफ्ट स्किल ) से सँवारें अपना व्यक्तित्व

व्यावहारिक कौशल अक्सर एक व्यक्ति के अन्य लोगों के साथ संबंधों के तौर तरीके, व्यक्तित्व लक्षण, सामाजिक गौरव, संचार, भाषा, व्यक्तिगत आदतों, मित्रता और आशावाद के साथ जुड़ा शब्द है। साफ्ट स्किल एक नौकरी और कई अन्य गतिविधियों की व्यावसायिक जरूरत को पूरा करती हैं। व्यवहार कुशलता से आपकी तकनीकी दक्षता में चार चाँद लग जाते हैं। आप अधिक स्वीकार किये जाते हैं,अधिक सहयोग और सम्मान के अधिकारी बनते हैं और आपकी कार्यशैली अधिक परिणाम देने वाली सिद्ध होती है। अगर आप व्यवहार कुशल हैं,तो बेशक समझेंगे कि ज़रा सी बात से लोगों के अहम को चोट लग जाती है,जिसका सीधा असर आपसे जुड़े पूरे अमले पर पड़ता है। 

आज माना जा रहा है कि प्रशासक अपने साथियों एवं स्टाफ के साथ व्यवहार कुशल रहें तथा स्वयं के सद्भावी होने का परिचय दें ताकि संस्था में स्वस्थ माहौल का निर्माण किया जा सके। यह बात हाल ही में राजस्थान के अलवर के विधि कॉलेज प्राचार्य डॉ. बाबूलाल यादव ने अगर कही तो याद रहे कि आज का प्रबंध विज्ञान और प्रशासनिक कर्म कौशल भी व्यवहार की ज़मीन पर ही फल फूल रहा है। इसी तरह एक अवसर पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी श्री राजीव मिश्रा ने अपने कार्यालय कक्ष में जिले के सभी पुलिस पदाधिकारी व थानाध्यक्षों को अपनी ड्यूटी के प्रति सजग व संवेदनशील रहने की हिदायत दी। विभिन्न थानों से मिल रही शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए कहा कि वे  कि जनता के साथ व्यवहार कुशल बनकर थानेदारी करें। इससे व्यवहार कौशल का महत्त्व समझा जा सकता है। 

बहरहाल,समय के साथ-साथ सॉफ्ट स्किल यानी व्यवहार कौशल करियर के निर्माण के रूप में उभरकर सामने आया है। कई दफ़े, करियर में एक निश्चित बिंदु के बाद ठहराव-सा आ जाता है और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सम्बंधित अधिकारी या कर्मचारी में नेतृत्व क्षमता, समूह में काम करना, सामाजिक सम्प्रेषण तथा संबंध निर्माण कौशलों का अभाव होता है। इन्हीं गुणों को सॉफ्ट स्किल में शामिल किया गया है।  इसका एक व्यापक क्षेत्र है जिसमें सम्प्रेषण कौशल, श्रवण कौशल,टीम कौशल, नेतृत्व के गुण, सृजनात्मकता और तर्कसंगति, समस्या निवारण कौशल तथा परिवर्तनशीलता आदि सम्मिलित हैं। 

यहां कुछ ऐसे व्यवहार कौशलों की चर्चा की जा रही है जो आपके रोजगार की संभावनाओं और व्यक्तित्व में सुधार कर सकते हैं। 
प्रभावी सम्प्रेषण कौशल
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प्रभावी सम्प्रेषण कौशलों में सार्वजनिक भाषणों,प्रस्तुतिकरण,बातचीत,संघर्ष समाधान, बैठकों में प्रभावी संचालन आदि के लिए रिपोर्ट तैयार करना, प्रस्ताव, मैनुअल तैयार करना, ज्ञापन, सूचनाएं लिखना,कार्यालयीन पत्र-व्यवहार आदि के लिए लेखन कौशल शामिल हैं। इनमें मौखिक और गैर-मौखिक दोनों रूप सम्मिलित है। इसमें कुछ हद तक दक्षता होना जरूरी है। हिन्दी के साथ अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषा का के ज्ञान का संगम हो तो समझिये बात कुछ और ही होगी।   
कार्य कौशल
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अंतर-वैयक्तिक और सामूहिक-कार्य कौशल उत्पादकता तथा बेहतर वातावरण के लिए योगदान करते हैं। सामान्यतः इन कौशलों को पढ़ाये जाने की आवश्यकता होती है अथवा प्रैक्टिस और जागरुकता से इन्हें सीखा जा सकता है। इस कौशल के चार आयाम होते हैं, जिनके नाम हैः सहयोग, सम्प्रेषण, कार्य, नीतिशास्त्र और नेतृत्व। इन आयामों का प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहिए। 
व्यक्तिगत कौशल
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बहुत से लोग इस बात को लेकर अचम्भित होते हैं कि वे व्यवसाय में अपेक्षानुसार सफल क्यों नहीं होते हैं। व्यक्तिगत कौशल,वे कौशल होते हैं जो आपको न केवल समाज और कार्य क्षेत्र में स्वीकार्य तथा सम्मान योग्य बनाते हैं बल्कि एक अच्छा रोजगार प्राप्त करने और बेहतर करियर विकास में आपकी मदद करते हैं। इनमें निर्णय करने की योग्यता, सावधानी , निर्णय क्षमता, शांति, वचनबद्धता, सहयोग, भावनात्मक स्थिरता, परानुभूति, लचीलापन, उदारता, सहनशीलता, आत्म-विश्वास, आत्म-नियंत्रण, आत्म-निर्भरता, आत्म-सम्मान, ईमानदारी और अन्यों के बीच विनोदशीलता की अनुभूति आदि गुण सम्मिलित हैं। 
समस्या-निदान कौशल 
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क्या आपको ऐसी स्थितियों का अक्सर सामना करना पड़ता है जब आप सही फैसले करने में असमर्थ होते हैं ? आपके सामने ऐसी स्थितियां उत्पन्न होने की ज्यादा संभावनाएं उस वक्त होती हैं जब आप किसी संगठन में कार्य करते हैं। ऐसी दबावपूर्ण स्थितियों का मुकाबला करने के वास्ते आपको कुछेक ऐसे कौशल विकसित करने की आवश्यकता है जो आपको  समस्याओं के निदान और कार्य-नीतियां लागू करने में मददगार हो सकते हों। 
अनुकूलन और नीति कौशल 
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आधुनिक संगठन तीव्रता से बदलाव के दौर से गुज़र रहे हैं।  फलस्वरूप, किसी आधुनिक संगठन में कार्यरत कोई कर्मचारी न केवल कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार होना चाहिए बल्कि उसमें लचीलेपन के साथ-साथ तेजी से हो रहे परिवर्तनों के अनुरुप ढालने की योग्यता भी होनी चाहिए। नियोक्ता को अनुकूलनशीलता विकसित करने के लिए विभिन्न कौशलों की आवश्यकता होती है। मिलजुलकर कार्य के लिए वातावरण तैयार करना, दूसरों के विश्वास और धारणा संबंधी पक्ष का सम्मान करना,कार्य स्थल को  जातीय/सांस्कृतिक भेदभाव से बचाना आदि अहम बातें हैं। 

कार्य नीतिशास्त्र नैतिक सदगुणों पर आधारित मूल्यों का एक समूह है, जिसमें विश्वसनीय बनना, सामाजिक कौशलों के लिए काम करना और उन्हें बरकरार रखने की कला को शामिल किया जा सकता है। इनके अलावा जिम्मेदारी की अनुभूति, ईमानदारी और वचनबद्धता को भी इनमें शामिल किया जा सकता है। 

व्यवहार कौशल अर्जित करने के लिए आपको जागरूक रहकर  सदैव यह याद रखना होगा कि इन कौशलों को पूरे समर्पण के साथ व्यवहार में लाएं। अभ्यास और अमल से आपके कार्य में सुधार होता है और आपको अपनी त्रुटियों और कमियों को जानने तथा उन्हें दूर करने में मदद मिलती है जिससे आप में आत्म-विश्वास की भावना बलवती होती है। 
व्यक्तित्व विकास
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बदलते समय के साथ अब एक सामान्य व्यक्ति से सुशिक्षित और परिपक्व व्यक्तित्व होने की अहमियत बढ़ गई है। विभिन्न संगठनों, खासकर कम्पनियों को ऐसे व्यक्तियों की तलाश रहती है जो कुशाग्र और सुशिक्षित होते हैं। जिनका व्यक्तित्व प्रभावी होता है। जिनमें ऐसा सम्प्रेषण कौशल हो जो उन्हें स्वयं और दूसरों को भी आगे रख सकें। जिनमें अपने कर्मचारियों को भर्ती के उपरांत सही ढंग से प्रशिक्षण देने और उन्हें अपने संसथान में बनाये रखने की योग्यता हो। स्मरण रहे कि ज्यादातर लोग प्रतिभाओं के साथ जन्म लेते हैं, परंतु उन्हें परिष्कृत और शिक्षित करने की आवश्यकता होती है। उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए बाजार में बहुत से संस्थान संचालित किए जा रहे हैं। ये संस्थान काफी धन अर्जन कर रहे हैं और इस तरह सॉफ्ट स्किल प्रशिक्षकों को आकर्षक रोजगार का विकल्प प्रदान कर रहे हैं। 
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प्राध्यापक,दिग्विजय पीजी कालेज,
राजनांदगांव। मो.9301054300 

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देश का पहला परमवीर स्मारक मुंबई में बनाएगी महाराष्ट्र सरकार

मुंबई। राष्ट्र के सर्वोच्च वीरता सम्मान ‘परमवीर चक्र’ विजेताओं की स्मृतियों को स्थायी रखने एवं उनके शौर्य का सम्मान के उद्देश्य से महाराष्ट्र सरकार मुंबई में परमवीर स्मारक का निर्माण करेगी। वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने महाराष्ट्र भाजपा के वरिष्ठ विधायक मंगल प्रभात लोढ़ा को यह आश्वासन देते हुए कहा कि इस बारे में अगले कुछ ही दिनों में प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। देश का यह प्रथम परमवीर स्मारक होगा।

मुंबई की विभिन्न समाजसेवी संस्थाओं के एक प्रतिनिधि मंडल के साथ वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार से मिले विधायक लोढ़ा ने सरकार से मांग की कि परमवीर स्मारक के लिए गिरगांव चौपाटी स्थित बैंड स्टेंड या फिर हैंगिंग गार्डन में स्थान चिन्हित किया जाए। जहां उनकी शौर्य गाथा एवं जीवन परिचय के साथ उनकी प्रतिमा की स्थापना की जाए, जिससे आनेवाली पीढ़ियों को राष्ट्र के रक्षकों के बलिदान से प्रेरणा मिल सके।

वित्त मंत्री मुनगंटीवार ने कहा कि सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है। उन्होंने आश्वस्त किया कि आनेवाले कुछ ही समय में परमवीर स्मारक की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। विधायक लोढ़ा को वित्त मंत्री ने विसवास दिलाते हुए कहा कि जिन योद्धाओं ने अपनी जान की परवाह न करते हुए देश के लिए अपने प्राणों की परवाह नहीं की, मुंबई का यह स्मारक उन्हें एक श्रेष्ठ श्रद्धांजलि के स्वरूप में विकसित किया जाएगा। मुंबई में बननेवाला देश का यह पहला परमवीर स्मारक होगा, जहां अब तक के सभी 21 परमवीरों के बारे में एक साथ जानकारी उपलब्ध होगी।  

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राजकमल प्रकाशन ने मनाया अपना 66वां स्थापना दिवस

इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में राजकमल प्रकाशन के 66वें स्थापना दिवस के मौके पर मराठी के वरिष्ठ साहित्यकार भालचंद्र नेमाड़े ने ‘भारतीयता और हिन्दुत्व’ विषयक व्याख्यान में कहा कि, ‘भारतीयता कभी भी एकवचनात्मक नहीं थी. भारत बहुवचन वाला सांस्कृतिक देश है। इसकी विविधता इसकी पहचान है। जब अंग्रेज आएं तो उन्होंने एकवचन वाले सांस्कृतिक धारा को आगे बढाया और आज हम भी कुछ हद तक उसी धारा में बह रहे हैं, इससे विकास नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपनी विविधताओं के साथ ही आगे बढ़ना होगा, तभी जाकर विकास संभव है।
राजकमल प्रकाशन के स्थापना दिवस के अवसर पर उसके गौरवमयी इतिहास का उल्लेख करते हुए अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रसिध्द आलोचक नामवर सिंह ने कहा कि, ‘राजकमल ने प्रकाशन के जगत में एक इतिहास बनाया है। हमें हिन्दी को आगे बढाना है तो उसकी बोलियों को भी समृद्ध करना होगा।’ उन्होंने आशा जताई कि भविष्य में राजकमल बोलियों पर भी कुछ पुस्तक प्रकाशित करेगा।
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राजकमल प्रकाशन के चार नए उपक्रमों की घोषणा
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66वें स्थापना दिवस पर राजकमल प्रकाशन की ओर से संपादकीय निदेशक सत्यानंद निरूपम ने राजकमल की योजनाओं के विषय में विस्तार से चर्चा करते हुए सार्थक (राजकमल प्रकाशन का नया उपक्रम) के विषय में बताया। सार्थक, के अंतर्गत पाठकप्रिय गैर-अकादमीक किताबों का प्रकाशन किया जाएगा। आने वाले उपक्रमों के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा, 'राजकमल प्रकाशन जल्द ही 'फंडा', 'चहक' और 'कोरक' नाम से तीन नए उपक्रम लेकर आने वाला है। चहक के अंदर बच्चों के लिए मनोरंजन और ज्ञानपरक सामग्री होगी। वहीं फंडा हल्की फुलकी कहानियों और लेखों से भरपूर होगा। कोरक ‘प्रिंट इन डिमांड’ पर आधारित होगा।
अपने पावर प्वाइंट प्रेसेंटेशन को पेश करते हुए संपादकीय निदेशक सत्यानंद निरूपम ने कहा कि, राजकमल प्रकाशन समूह खास व आम पाठकों से जुड़ने के लिए नए सिरे से काम कर रहा है। फिलहाल नए और पुराने का संक्रमण काल चल रहा है। राजकमल का यह पुनर्नवा काल है।
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मालचंद तिवाड़ी व रवीश कुमार हुए चौथे राजकमल प्रकाशन सृजनात्मक गद्य पुरस्कार (वर्ष 2014-15) से सम्मानित
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राजकमल प्रकाशन के 66वें स्थापना दिवस के अवसर पर राजकमल प्रकाशन सृजनात्मक गद्य सम्मान (वर्ष 2014-15) मालचन्द तिवाड़ी की कथेतर कृति ‘बोरूंदा डायरीः अप्रतिम बिज्जी का विदा-गीत’ व रवीश कुमार के लघु प्रेम कथा ‘इश्क़ में शहर होना’ को दिया गया। राजकमल प्रकाशन में यह पहला साल है जब यह सम्मान दो कृतियों को संयुक्त रूप से दिया जा रहा है। डॉ. नामवर सिंह की अध्यक्षता में गठित निर्णायक मंडल ने दो कृतियों को इस पुरस्कार के लिए चयन किया। निर्णायक मंडल के सम्मानित सदस्य थे- वरिष्ठ कथाकार विश्वनाथ त्रिपाठी एवं मैत्रेयी पुष्पा। इससे पहले यह पुरस्कार क्रमशः ‘चूड़ी बाजार में लड़की’(कृष्ण कुमार), ‘ गांधीः एक असंभव संभावना’ (सुधीर चन्द्र), ’व्योमकेश दरवेश’ (विश्वनाथ त्रिपाठी) को दिया जा चुका है। पुरस्कार स्वरूप पुरस्कृत लेखक को श्रीमती शांति कुमारी बाजपेयी की स्मृति में उनके परिवार द्वारा 1 लाख रुपये की पुरस्कार राशि और राजकमल प्रकाशन द्वारा सम्मान पत्र भेंट किया जाता है।

पुरस्कार मिलने के शुभ अवसर पर खुशी जाहिर करते हुए मालचंद तिवाड़ी ने कहा कि, ‘यह सम्मान हिन्दी की दूर दराज सृजनात्मकता का सम्मान है। मेरे लिए यह सुखद संयोग है। मैंने इस किताब की भूमिका में लिखा है कि यह अप्रतिम बिज्जी की कथा है। इसी कारण इसमें विचित्र आकर्षण बन पड़ा है। इसका श्रेय मेरे वृतांत को उतना नहीं है जितना विजयदान देथा उर्फ बिज्जी की महान सृजनात्मक प्रतिभा का है। मैं राजकमल प्रकाशन और जूरी के सम्मानीय सदस्यों के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करना अपना कर्तव्य समझता हूं।‘

इस मौके पर रवीश कुमार ने कहा कि, 'यह किसी फार्मेट की कहानी नहीं है, लेकिन यह उन लमहों की कहानी है जो सदियों की दिल्ली में रोज घटती रहती है। इस शहर में मिलने के लिए या पहुंचने के लिए बहुत मेहनत करना पड़ा है। ये कहानियां यथार्थपरक हैं।'
धन्यवाद ज्ञापन राजकमल प्रकाशन समूह के निदेशक (सेल्स) आमोद महेश्वरी ने किया। कार्यक्रम की शुरूआत में राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने सबका औपचारिक स्वागत किया। इस अवसर पर विश्वनाथ त्रिपाठी, लीलाधर मंडलोई, सुमन केशरी, सांसद सदस्य हुसैन दलवाई सहित सैकड़ों वरिष्ठ जन उपस्थिति थे।

सादर
आशुतोष कुमार सिंह
साहित्य प्रचार अधिकारी
राजकमल प्रकाशन समूह

9891 22 8151

 

 

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कूची प्ले द्वारा ‘सेफ एंड हेल्दी आउटडोर स्पेसेस इन मॉडर्न डिजाइन’ पर कॉनक्लेव का आयोजन

नई दिल्ली – कूची प्ले सिस्टम्स प्रा. लि., आउटडोर प्लेग्राउंड सिस्टम की डिजाइन और निर्माण करने वाली एक अग्रणी कंपनी है। इसने अपनी नई क्रांतिकारी प्रोडक्ट लाइन ‘कूफीट’ पेश की है, यह एक ऐसा आउटडोर जिम उपकरण है जो दिल्ली एनसीआर निवासियों को प्रकृति के करीब रखते हुए खुद को फिट रखने में मददगार होगा। इस उपकरण का प्रदर्शन इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित ‘सेफ एंड हेल्दी आउटडोर स्पेसेस इन मॉडर्न डिजाइन’ नामक कॉनक्लेव में किया गया, जहां प्रमुख नीति निर्माता, आर्किटेक्ट, लैंड स्केप प्लानर, डॉक्टर और अग्रणी बिल्डर मौजूद थे। 

वर्ष 2014 तक, दुनियाभर में लगभग 230 करोड़ व्यस्कों का वजन सामान्य से अधिक होगा और 70 करोड़ लोग मोटापे के शिकार होंगे। यह आंकड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में सामने आए हैं जिसमें इस महामारी को ‘ग्लोबेसिटी’ का नाम दिया गया है। शीशे के आधुनिक कार्यालयों में बंद रहने वाली शहरी जीवनशैली ने स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाला है और कई बीमारियों को न्यौता दिया है। इसलिए पुराने दौर में लौटते हुए खुले माहौल में एक्सरसाइज करना अब एक महत्वपूर्ण वास्तविकता बन गई है। ऐसे में इस कंपनी का मानना है कि कूफीट स्वास्थ्य से जुड़ी इन तकलीफों का श्रेष्ठ समाधान है।  

वैज्ञानिक नीतियों के आधार पर डिजाइन किए गए खुले स्थान हर उम्र के लोगों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं और इस अहम जरूरत को कूची प्ले के नए उत्पाद ‘कूफीट’ के रूप में समर्थन हासिल हुआ है। इस फिटनेस उपकरण का उपयोग करने वालों को महंगी जिम मेंबरशिप के बारे में नहीं सोचना पड़ेगा और ना ही उन्हें निजी जिम ट्रेनर बुलाने होंगे। शारीरिक व्यायामों से निश्चित रूप से स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली को बढ़ावा मिलेगा और साथ में समाज में एकजुटता के अवसर आएंगे। कूफीट जैसा उत्पाद पब्लिक पार्क, रेसिडेंशियल कॉम्पलेक्स, रिसॉर्ट, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, समुद्री किनारों और अन्य सार्वजनिक स्थलों के लिए पूरी तरह उपयुक्त है। 
कॉनक्लेव में उपस्थित कूची प्ले सिस्टम्स के सीएमडी श्री रॉबेन दास, इंटेग्रल डिजाइन स्टूडियो प्रा. लि. के हेड प्रोफेसर समीर माथुर, एनएमपी डिजाइन की श्रीमती नंदिता पारिख और ईएनटी सर्जन डॉ. अनिल सफाया ने शहरी इलाकों में खुले वातावरण की गतिविधियों पर जोर देते हुए इन्हें समय की जरूरत बताया। 

कूची प्ले सिस्टम्स प्रा लि. के सीएमडी श्री रॉबेन दास ने कहा कि “युवा भारतीय पीढ़ी के लिए सुरक्षित एवं स्वास्थ्यवर्धक संपूर्ण शारीरिक विकास के लिए हमें खेल मैदानों के उपकरणों की स्थापना, विकास और निर्माण में हर छोटी-बड़ी बातों का ध्यान रखना होगा। दूसरे विकसित देशों में उनके भूमि संबंधित अधिकतर संसाधन विकसित होते हैं लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं है। इसलिए भारतीय युवाओं के लिए हमारे सभी आउटडोर स्पोर्ट्स उपकरणों को प्रचलित करने की बेहद अहम जरूरत को मद्देनजर रखते हुए उन वर्गों की समस्या पर ध्यान देना होगा जिनके पास घरों के आसपास खुले स्थानों की कमी है।”

एक विस्तृत दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए श्री दास ने यह भी कहा कि भारत को निकट भविष्य में पार्क और मैदानों का आवंटन करने और इनकी निगरानी के लिए नियमों में सुधार करना चाहिए। यह देश के युवाओं की मूल जरूरत है जो सुरक्षित और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद आधुनिक डिजाइन वाले खुले स्थानों की मांग करते है। 

कूफीट ने दिल्ली एनसीआर के नागरिकों की कल्पना को पूरा करते हुए एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में द्वारका के सेक्टर 10 स्थित डीडीए पार्क में कूफीट उपकरण स्थापित किये हैं और यह पार्क अब अचानक से सभी निवासियों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है। रियल एस्टेट उद्योग से भी इस पायलट प्रोजेक्ट को उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मिली है और नोएडा, गुड़गांव, फरीदाबाद व दिल्ली के कई आवासीय कॉम्पलेक्स में इन आधुनिक जिम्स को स्थापित करने के आग्रह मिले हैं। 

कॉनक्लेव में इन उपकरणों की पूरी श्रेणी प्रदर्शित की गई जैसे एलिप्टिकल ट्रेनर, चेस्ट प्रेस, लैट पुल डाउन, पैरेलल बार और एक्सर-साइकल जिन्हें लगभग सभी दर्शकों द्वारा खूब पसंद किया गया। 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें – 
शैलेश के. नेवटिया – 9716549754, 
अमूल्या नागराज – 09972875644 

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कुछ ऐसी रेलगाड़ियाँ भी चलेगी सेलीब्रिटीज़ के नाम पर!

 देश के रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु द्वारा ब्रांड्स के नाम पर ट्रेन दौड़ाने की घोषणा के साथ सेलिब्रिटीज के नाम ट्रेनों का सोसल मीडिया पर ट्रेंड चल गया है।
मोदी एक्सप्रेस : सुरेश प्रभु ने रेल बजट में एक मोदी एक्सप्रेस नाम की ट्रेन चलाने की घोषणा की है। ट्रेन चलेगी नहीं, सिर्फ तेज हॉर्न बजाएगी।
बप्पी लाहिरी एक्सप्रेस : आपने चेन खींची तो आपको इसके पीछे एक और चेन नजर आएगी।
एकता कपूर एक्सप्रेस : एक प्लेटफार्म पर तीन बार आएगी।
आमिर खान एक्सप्रेस : साल में एक बार दौड़ेगी और यात्रियों का चुनाव भी खुद ही करेगी।
सलमान खान एक्सप्रेस : फुटपाथ पर भी चल सकती है।
मनमोहन ट्रेन : एकमात्र साइलेंट ट्रेन।
रजनीकांत एक्सप्रेस : ट्रेन खड़ी रहेगी, स्टेशन आते-जाते रहेंगे।
धौनी एक्सप्रेस : 95 प्रतिशत सफर में 10 किमी प्रति घंटे की रफ्तार, शेष 5 फीसद सफर में 400 किमी प्रतिघंटा की गति।
राहुल गांधी एक्सप्रेस : बार-बार पटरी से उतरेगी।
कांग्रेस एक्सप्रेस : हर बोगी में एक अनुभवी ड्राइवर है, लेकिन इंजन का ड्राइवर छुट्टी पर है।
केजरीवाल एक्सप्रेस : आपको चादर के बदले मफलर मिलेंगे।
अमित शाह ट्रेन : दिल्ली को छोड़कर पूरे देश को कवर करेगी।
अन्ना हजारे ट्रेन : पैंट्री कार नहीं रहेगी।

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राष्ट्रीय जरूरत है अंधश्रद्धा उन्मूलन कानून : उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली। 
राजकमल प्रकाशन के उपक्रम ‘सार्थक’ द्वारा प्रकाशित डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर की पुस्तक का हिन्दी अनुवाद ‘अंधविश्वास उन्मूलन : विचार, आचार व सिंद्धांत’ के तीन खण्डों का लोकार्पण करते हुए उपराष्ट्रपति माननीय मो. हामिद अंसारी ने कहा कि, जिस तरह महाराष्ट्र में अंधविश्वास उन्मूलन कानून है, उसी तरह राष्ट्रीय स्तर पर इस कानून की जरूरत है। इस किताब की महत्ता को रेखांकित करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि, इसका अनुवाद सभी भारतीय भाषाओं में होना चाहिए और इसे स्कूल व कॉलेज के स्तर पर पढाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी तरह के विचार की जरूरत नई पीढी को है। यदि हम आज से ही उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण देंगे तो इसका सुफल हमें भविष्य में मिलेगा।

महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति व राजकमल प्रकाशन समूह के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस लोकार्पण कार्यक्रम में बोलते हुए पुस्तक के संपादक डॉ. सुशील कुमार लवटे ने कहा कि, महाराष्ट्र में समाजसुधारकों की सुदीर्घ परंपरा रही है। यही कारण है महाराष्ट्र में प्रगतिशील विचार और कृति फलती-फूलती रही है।‘अंधविश्वास उन्मूलन: विचार, आचार व सिंद्धांत’ पुस्तक उसी का फल है। डॉ. नरेद्र दाभोलकर की पुत्री मुक्ता दाभोलकर ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि, दूसरे राज्यों के लोग भी हमारे पिताजी के कार्यों के बारे में जानने के लिए उत्सुक थे, इस दिशा में राजकमल प्रकाशन के सार्थक उपक्रम से प्रकाशित तीन खंडों में यह ग्रंथ लोगों को उनकी कार्य-संस्कृति को बताने में मददगार होगी।

इस मौके पर राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने बताया कि, उनका प्रकाशन हमेशा से सामाजिक सरोकारों की पुस्तकों का प्रकाशन करता रहा है। हमें खुशी है कि डॉ. दाभोलकर की पुस्तक हम प्रकाशित कर रहे हैं।

धन्यवाद ज्ञापन देते हुए महाराष्ट्र अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति के कार्याध्यक्ष अविनाश पाटिल ने कहा कि उनका मकसद है कि वे लोग उपराष्ट्रपति के सुझावों को आगे बढ़ाते हुए इस किताब को ज्यादा से ज्यादा भाषाओं में आम लोगों तक पहुंचाएंगे।

लोकार्पण समारोह में प्रख्यात हिन्दी आलोचक नामवर सिंह, ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजे गए मराठी के वरिष्ठ लेखक भालचंद्र नेमाड़े, गोरख थोराट व गांधी स्मृति दर्शन समिति की अध्यक्ष मणिमालाविशिष्ट उपस्थिति रही।

कार्यक्रम का संचालन मुक्ता दाभोलकर ने किया।

 

संपर्क
आशुतोष कुमार सिंह
साहित्य प्रचार अधिकारी
राजकमल प्रकाशन समूह
मो. 9891228151
www.rajkamalprakashan.com

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वीर संघवी ने लिखा, क्यों फ्लॉप हैं राहुल गाँधी!

कांग्रेस में राहुल गांधी की भविष्य की भूमिका को लेकर हो रही चर्चा के बीच एक नई किताब में कहा गया है कि इस युवा नेता ने ‘उभरने में बहुत लंबा वक्त’ ले लिया। किताब में कांग्रेस के 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान को ज्ञात स्मृति में ‘सबसे खराब’ बताया गया है। वरिष्ठ पत्रकार वीर संघवी की भारत के हाल के राजनीतिक इतिहास पर आने वाली किताब ‘मेंडेट: विल ऑफ द पीपुल’ में 2004 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री पद ठुकराने और बड़े मुद्दों पर राहुल के ढुलमुल रवैये के कारण भाजपा को सत्ता के केंद्र में आने का रास्ता मिलने के बारे में लिखा गया है।
 
किताब में कहा गया है कि राहुल ने ‘उभरने में लंबा वक्त लगा दिया और जब उन्होंने ऐसा किया, तब यह स्पष्ट नहीं था कि वह मनमोहन सिंह की सरकार के साथ हैं या उसके खिलाफ।’ उन्होंने लिखा है कि ‘राहुल का प्रेस से दूर रहना और पहले इंटरव्यू में महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपना रुख बताने से बचना, एक तरह से राजनीतिक आत्महत्या करने जैसा था।’ इसके बाद पढ़े लिखे भारतीयों ने उनकी ओर देखना ही बंद कर दिया। ‘रही सही कसर, डीएवीपी शैली के खराब विज्ञापन अभियान अथवा दिशाहीन प्रकृति वाले कांग्रेस के अभियान ने पूरी कर दी।’
 
सोनिया का जिक्र करते हुए सांघ्वी ने लिखा है कि उनके लिए तार्किक यह होता कि वह मनमोहन सिंह को यूपीए दो के दौरान बीच में ही हटाने की कांग्रेस की मांग मान लेतीं। शायद वह मनमोहन के खुद इस्तीफा देने का इंतजार कर रही थीं। लेकिन वही मनमोहन, जिन्होंने कभी कहा था कि परमाणु करार पर पार्टी ने बहुमत से उनका साथ नहीं दिया तो वह पद छोड़ देंगे, कुर्सी से चिपके रहे जबकि उनकी लोकप्रियता गिरती जा रही थी। उन्होंने इस्तीफा देने पर विचार तक करने से इनकार कर दिया।
 
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को हर उस कसौटी पर परखा गया जो उन्होंने अपने लिए 2009 में निर्धारित की थी। वह कांग्रेस के लिए एक ‘मुसीबत’ बन गए थे। शानदार पहले कार्यकाल के बाद मनमोहन भारतीय इतिहास के सबसे खराब पीएम साबित हुए। मनमोहन ने कहा था कि इतिहास उनके प्रति दयालु होगा। लेकिन सच कहूं, मुझे इस पर संदेह है। वह भारत की साख गिराने वाले व्यक्ति के तौर पर याद किए जाएंगे।
 
‘रहस्य’ की तरह हैं सोनिया
‘कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ‘रहस्य’ की तरह हैं। वह कांग्रेस को बचाने के लिए बेहद निजी माहौल से निकलकर राजनीति में आईं। कांग्रेस का नेतृत्व करते हुए 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में जीत हासिल की। लेकिन जब कांग्रेस में स्थितियां बिगड़ रही थीं तब वह कहां थीं? उनकी राजनीतिक सूझबूझ को क्या हो गया था? क्या उन्हें यह नहीं दिख रहा था कि कांग्रेस विनाश की ओर बढ़ रही है। कोई भी इन सवालों का उत्तर नहीं जानता है।’

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भक्तों ने 50 साल में इतना घी चढ़ा दिया कि 9 ‘कुएं’ भर गए

 मध्य प्रदेश के दतिया के विख्‍यात उनाव बालाजी सूर्य मंदिर में कुओं में जमा किया जाता है चढ़ावे का शुद्ध घी, रोजाना चढ़ता है करीब 17 किलो घी 

बूंद-बूंद से घड़ा भरना तो सभी ने सुना होगा, यहां तो कुएं भर गए। पानी से नहीं, शुद्ध घी से। एक-दो नहीं, पूरे नौ। मध्‍यप्रदेश के दतिया से 17 किमी दूर उनाव के बालाजी सूर्य मंदिर परिसर में यह देखा जा सकता है। यहां अखंड ज्योति के लिए भक्तों ने 50 साल में इतना घी चढ़ा दिया कि कुएं (हौदी) बनवाने पड़े। एक दिन में 8 किलो घी उपयोग होता है, जबकि एक दिन में 17 किलो से अधिक घी चढ़ावे में आता है। एक सप्ताह में यह घी सवा क्विंटल हो जाता है। हर साल 8 टन का भंडार हो जाता है। पहले एक कुआं बनाया गया, जब भर गया तो दूसरा। इस तरह पूरे नौ हो गए।

चार मौकों पर ही 4 टन का चढ़ावा

यहां शुद्ध घी चढ़ाने की परपंरा लगभग 400 वर्ष पहले मंदिर की स्थापना से शुरू हुई थी। मनोकामनाएं पूरी करने, कुष्ठ-चर्म रोग से मुक्ति, संतान एवं यश प्राप्ति के लिए लोग यहां घी चढ़ाते हैं। मकर संक्रांति, बंसत पंचमी, रंग पंचमी और डोल ग्यारस पर ही पूरे साल के बराबर घी चढ़ावे में आ जाता है। हर मौके पर भक्त 10 क्विंटल से ज्यादा घी चढ़ाकर जाते हैं। रविवार और बुधवार को ही भक्त एक क्विंटल से ज्यादा घी चढ़ा देते हैं।

प्रतिदिन 6 से 8 किलो घी से जलते हैं दीप

सूर्य मंदिर में अखंड ज्योति प्रज्जवलित होती है, जिसमें घी का इस्तेमाल होता है। मंदिर के अंदर भोलेनाथ, हनुमान जी सहित लगभग 15 देवी देवताओं के मंदिर है, जहां शाम के वक्त दीपक रखा जाता है। इस हिसाब से यहां प्रतिदिन 6 से 8 किग्रा शुद्ध घी का उपयोग होता है। ग्रहण व अन्य आयोजनों पर हवन आदि में भी इसी घी का इस्तेमाल किया जाता है।

मान्यता: गड़बड़ी की तो शाप

लोग मानते हैं कि घी के चढ़ावे में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी करने पर उन्हें शाप लगता है और कुष्ठ व चर्म रोग आदि बीमारियां हो जाती हैं। इसलिए मंदिर में आने वाले घी में गड़बड़ी नहीं होती।

जगह कम पड़ी तो कुएं में रखने लगे

पुजारी रामाधार पांडे के मुताबिक पहले जमीन में लोहे के टैंकर की तरह 7 फीट लंबाई-चौड़ाई और 8 फीट गहराई वाले 7 कुएं बनाए गए। इसके बाद मंदिर का प्राचीन कुआं भी घी से भर गया। इसके बाद खोदा गया 20 फीट गहरा व 10 फीट चौड़ा कुआं भी लगभग भर चुका है।

साभार- http://naidunia.jagran.com/ से 

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गोइन्का साहित्यिक पुरस्कार 2015 के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित

कमला गोइन्का फाउण्डेशन के प्रबंध न्यासी श्री श्यामसुन्दर गोइन्का ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके वर्ष 2015 के लिए "बाबूलाल गोइन्का हिन्दी साहित्य पुरस्कार" एवं हिन्दीतर भाषी हिन्दी युवा लेखकों के लिए "प्रो. एन. नागप्पा युवा साहित्यकार पुरस्कार" (वय सीमा 35 वर्ष) तथा "रामनाथ गोइन्का पत्रकारिता शिरोमणि पुरस्कार" के साथ-साथ हिन्दी से तमिल व तमिल से हिन्दी एवं मलयालम से हिनदी व हिन्दी से मलयालम अनुवाद के लिए सद्य घोषित "बालकृष्ण गोइऩ्का अनूदित साहित्य पुरस्कार" के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित की हैं।

श्री गोइन्का जी ने जानकारी दी है कि अहिन्दी भाषी साहित्यकार यानी जिनकी मातृभाषा दक्षिण भारतीय भाषाओं में जैसें कन्नड़, मलयालम, तेलुगु, तमिल, तुलु, उड़िया अथवा कोंकणी में जो हिन्दी में मूल रूप से लिख रहे हैं, इन प्रतियोगिताओं में भाग ले सकते हैं। जो हिन्दी भाषी साहित्यकार अहिन्दी भाषी क्षेत्रों में 10 वर्षों या अधिक से हिन्दी साहित्य की सेवा कर रहे हैं, वे भी इन पुरस्कारों के हकदार होंगे। ऐसे हिन्दी किंवा अहिन्दी भाषी दोनों इन पुरस्कारों के लिए अपनी प्रविष्टि भेज सकते हैं। प्रविष्टियां मिलने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल 2015 है।
नियमावली एवं पु्रस्ताव-पत्र के लिए हमारी वेब साइट www.kgfmumbai.com का अवलेकन करें। अधिक जानकारी के लिए बैंगलोर दूरभाष: 080-32005502 (कमलेश) इ-डाक : kgf@gogoindia.com या साधारण पत्र द्वारा संपर्क किया जा सकता है।

 

कमलेश यादव
(कार्यकारी सचिव, कमला गोइन्का फाउण्डेशन)
मो. 9620207976.

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