Thursday, January 16, 2025
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रूप चौदस

दीपावली के एक दिन पूर्व आने वाली चतुर्दशी को रुप चौदस या रूप चतुर्दशी या  नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है।  इसी दिन बजरंग बली हुनमान का जन्म दिवस भी माना गया है। इसे छोटी दीपावली भी कहते है। इस दिन रुप और सौंदर्य प्रदान करने वाले देवता श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है । इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था और राक्षस बारासुर द्वारा बंदी बनाई गई सोलह हजार एक सौ कुआँरी कन्याओं को उससे मुक्ति दिलाई थी। नरकासुर के वध के कारण इसे नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।

जिस प्रकार महिलाओं के लिए सुहाग पड़वा का स्नान माना जाता है, उसी प्रकार रूप चौदस पर पुरुषों के लिए शुद्घि स्नान माना गया है। वर्षभर ज्ञात, अज्ञात दोषों के निवारणार्थ इस दिन स्नान करने का महत्व शास्त्रों में है।

सूर्योदय के पहले स्नान रूप चौदस को नर्क चौदस भी कहा जाता है। माना जाता है कि सूर्योदय के पहले चंद्र दर्शन के समय में उबटन, सुगंधित तेल से स्नान करना चाहिए। सूर्योदय के बाद जो स्नान करता है, उसे नर्क समान यातना भोगनी पड़ती है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि ऋतु परिवर्तन के कारण त्वचा में आने वाले परिवर्तन से बचने के लिए भी विशेष तरीके से स्नान किया जाता है। माना जाता है कि ग्रीष्म और फिर वर्षा ऋतु के कारण त्वचा में जहाँ नमी बढ़ जाती है। वहीं इसके कारण त्वचा पर अन्य तत्वों की परत भी बन जाती है। इस स्थिति में शीत ऋतु के दौरान त्वचा फटने लगती है। रूप चौदस पर विशेष उबटन के जरिए और गर्मी और वर्षा ऋतु के दौरान बनी परत को हटाने के लिए रूप चौदस पर विशेष उबटन का स्नान उत्तम रहता है। इससे त्वचा फटती नहीं।.

नमो ने ममो पर ली मीठी चुटकियाँ

गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा के पीएम पद के दावेदार नरेंद्र मोदी ने आज इशारों-इशारों में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर हमला बोला।

नर्मदा में सरदार पटेल पर आधारित 'स्टैच्यू ऑप यूनिटी' का शिलान्यास करते हुए उन्होंने कहा, "दो दिन पहले मुझे प्रधानमंत्री से मिलने का मौ‌का मिला। उन्होंने बहुत अच्छी बात कही। मुझे गर्व है उनकी बात पर।"

मोदी ने कहा, "उन्होंने कहा कि सरदार सच्चे सेकुलर नेता हैं। हम भी कहते हैं कि देश को वही सेकुलरवाद चाहिए। हमें वही पटेल वाला सेकुलरवाद चाहिए, वोटबैंक वाला सेकुलरवाद नहीं।"

'पटेल को सीमाओं में बांधना अन्याय'
गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा, "पटेल सारे देश के हैं, किसी दल के नहीं। उन्हें दल की सीमाओं में बांधना खुद उनसे बड़ा अन्याय है।" दो दिन पहले एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि उन्हें इस बात का गर्व है कि वह उस राजनीतिक दल से जुड़े हैं, जो पटेल का रहा है।

मोदी ने कांग्रेस सरकार पर तंज कसते हुए कहा, "हमने गांधी स्मारक बनाया, तो किसी ने चैलेंज नहीं किया। सरदार की बात हुई, तो परेशानी क्यों हो रही है? यह गुजरात इफेक्ट है कि आज अखबार में सरकारी विज्ञापनों में पटेल दिख रहे हैं।

सदियों तक कायम रहेगी प्रतिमा
उन्होंने कहा, "मूर्ति बनाने का काम देश-विदेश के विशेषज्ञ करेंगे। वही तय करेंगे‌ कि उसमें क्या सामग्री लगनी है और तकनीक क्या होगी। लेकिन प्रतिमा ऐसी बनेगी कि सदियों तक कायम रहेगी। हम हिंदुस्तान के हर गांव से लोहा मांग रहे हैं। किसानों से पुराने औजार मांग रहे हैं।"

मोदी ने कहा कि सरदार सरोवर योजना का‌ शिलान्यास पंडितजी ने किया था। इस सरकार ने अपने कार्यकाल में पिछली तमाम सरकारों से दोगुना खर्च किया। लेकिन यह सपना सरदार पटेल ने देखा था। यह काम उनके सपने पूरे करने के लिए हो रहा है।

उन्होंने कहा कि लोग यह इलाका छोड़कर जाने लगे थे। यहां पानी नहीं था। लेकिन जब पता लगा कि पानी मिलेगा। गुजरात नहीं, राजस्‍थान के सभी लोग भी पानी देने पर धन्यवाद देते हैं।

गुलामी की छाया से बाहर निकलने की जरूरत
मोदी ने कहा, "हम गुलामी की छाया से निकल नहीं पाते। गुलामी की छाया से निकलने के लिए ऐसे काम करने होंगे, जिससे हम गर्व के साथ, आत्मसम्मान के साथ दुनिया के सामने खड़े हो सकें।"

मुख्यमंत्री ने कहा, "दुनिया हमें हीन भावना के साथ देखती थी। वाजपेयी शासन में परमाणु विस्फोट किया, तो दुनिया की निगाह हम पर गई। चीन के साथ भी ऐसा था। उसे कोई नहीं देखता था, लेकिन उसने शंघाई से धारणा बदली।"

मोदी ने कहा, "आज जरूरत है कि देश की ग्लोबल पोजिशनिंग की जाए। सवा सौ करोड़ का देश है हमारा। किसी ने देश को एक बनाने की सबसे ज्यादा कोशिश की, तो वह सरदार पटेल थे।

हर देशभक्त हमारे लिए प्रेरणा
उन्होंने सवाल किया, "हम राणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का सम्मान करेंगे या नहीं? क्या वे सभी भाजपा के सदस्य थे? क्या सिर्फ उनका सम्मान होगा, जो भाजपा के सदस्य रहे? नहीं, ऐसा नहीं है। जो देश के लिए जिए-मरे, उससे बड़ा कुछ नहीं। दल से बड़ा देश होता है। ये सभी हमारे लिए प्रेरणा हैं, गौरव हैं।"

मोदी ने कहा, "विरासतें साझी होती हैं। अंबेडकर किसी दल के नहीं थे, लेकिन पूरा दलित-वंचित तबका उन्हें प्रेरणास्रोत के रूप में देखता है।"

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दीपावली और जुआ

दीपावली पर कहीं-कहीं जुआ भी खेला जाता है। इसका प्रधान लक्ष्य वर्षभर के भाग्य की परीक्षा करना है। इस प्रथा के साथ भगवान शंकर तथा पार्वती के जुआ खेलने के प्रसंग को भी जोड़ा जाता है, जिसमें भगवान शंकर पराजित हो गए थे।

हालाँकि यह एक दुर्गुण ही है किन्तु कुछ लोग भगवान शंकर और पार्वतीजी द्वारा द्यूत क्रीड़ा का खेला जाना शास्त्र सम्मत मान लेते हैं। उनकी दृष्टि में यह शास्त्रानुसार है। अफसोस है कि लोग शास्त्रों में बताए गए सद्कर्मों संबंधी निर्देशों का पालन नहीं करते और दुर्गुण को तुरंत अपना लेते हैं।

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जोधपुर में अपना जन्म दिन मनाएगी नीता अंबानी

भारत के सबसे रईस व्यक्ति की पत्नी और बिजनेसवूमेन नीता अंबानी का शुक्रवार को 50वां जन्मदिन है। जन्मदिन को खास बनाने के लिए तमाम तरह के राजसी इंतजाम किए गए हैं। जोधपुर शहर को जन्मदिन की शाही पार्टी के लिए चुना गया है। उम्मैद भवन से करीब 11 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध बालसमंद झील को कार्यक्रन स्थल के तौर पर सजाया गया है। शुक्रवार को सभी मेहमान यहां जन्मदिन पर लक्ष्मी पूजा के लिए जुटेंगे। इसके बाद एक डांस प्रोग्राम भी रखा गया है। इसे मशहूर बॉलीवुड हस्ती वैभवी मर्चेंट द्वारा कोरियोग्राफ किया गया है।

बताया जा रहा है कि नीता अंबानी और उनकी बेटी ईशा भी इसमें अपनी प्रस्तुति दे सकती हैं। कि नीता और ईशा दोनों की प्रोफेशनल क्लासिकल डांसर हैं। इस शाही पार्टी के लिए करीब 250 वीवीआईपी लोगों को भी आमंत्रित किया गया है। इनमें जोधपुर राजपरिवार और उम्मैद भवन के मालिक राजा गजसिंह द्वितीय और उनका परिवार, टाटा, बिरला, मित्तल, गोदरेज समेत बिजनेस जगत की खास हस्तियां शामिल हैं। इसके अलावा नीता अंबानी की आईपीएल टीम से भी कुछ लोगों को आमंत्रित किया गया है जिनमें सचिन तेंदुलकर और जहीर खान शामिल हैं। मेहमानों को लाने-ले जाने के लिए 32 चार्टर्ड प्लेन्स की भी व्यवस्था की गई है।

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वास्तु सम्मत लक्ष्मी पूजन

कमलासना की पूजा से वैभव:

गृहस्थ को हमेशा कमलासन पर विराजित लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। देवीभागवत में कहा गया है कि कमलासना लक्ष्मी की आराधना से इंद्र ने देवाधिराज होने का गौरव प्राप्त किया था। इंद्र ने लक्ष्मी की आराधना ‘ú कमलवासिन्यै नम:’ मंत्र से की थी। यह मंत्र आज भी अचूक है।

दीपावली को अपने घर के ईशानकोण में कमलासन पर मिट्टी या चांदी की लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजित कर, श्रीयंत्र के साथ यदि उक्त मंत्र से पूजन किया जाए और निरंतर जाप किया जाए तो चंचला लक्ष्मी स्थिर होती है। बचत आरंभ होती है और पदोन्नति मिलती है। साधक को अपने सिर पर बिल्व पत्र रखकर पंद्रह श्लोकों वाले श्रीसूक्त का जाप भी करना चाहिए।

लक्ष्मी पूजन

लक्ष्मी का लघु पूजन (सही उच्चारण हो सके, इस हेतु संधि-विच्छेद किया है।) महालक्ष्मी पूजनकर्ता स्नान करके कोरे अथवा धुले हुए शुद्ध वस्त्र पहनें, माथे पर तिलक लगाएँ और शुभ मुहूर्त में पूजन शुरू करें। इस हेतु शुभ आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुँह करके पूजन करें। अपनी जानकारी हेतु पूजन शुरू करने के पूर्व प्रस्तुत पद्धति एक बार जरूर पढ़ लें।

पूजा सामग्री का शुध्दिकरण :
बाएँ हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ की अनामिका से निम्न मंत्र बोलते हुए अपने ऊपर एवं पूजन सामग्री पर जल छिड़कें-

ॐ अ-पवित्र-ह पवित्रो वा सर्व-अवस्थाम्‌ गतोअपि वा ।
य-ह स्मरेत्‌ पुण्डरी-काक्षम्‌ स बाह्य-अभ्यंतरह शुचि-हि ॥
पुन-ह पुण्डरी-काक्षम्‌ पुन-ह पुण्डरी-काक्षम्‌, पुन-ह पुण्डरी-काक्षम्‌ ।

आसन का शु्ध्दिकरण :
निम्न मंत्र से अपने आसन पर उपरोक्त तरह से जल छिड़कें-
ॐ पृथ्वी त्वया घता लोका देवि त्वम्‌ विष्णु-ना घृता ।
त्वम्‌ च धारय माम्‌ देवि पवित्रम्‌ कुरु च-आसनम्‌ ॥

आचमन कैसे करें:
दाहिने हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें-

ॐ केशवाय नम-ह स्वाहा,
ॐ नारायणाय नम-ह स्वाहा,
ॐ माधवाय नम-ह स्वाहा ।

अंत में इस मंत्र का उच्चारण कर हाथ धो लें-
ॐ गोविन्दाय नम-ह हस्तम्‌ प्रक्षाल-यामि ।

दीपक :
दीपक प्रज्वलित करें (एवं हाथ धोकर) दीपक पर पुष्प एवं कुंकु से पूजन करें-
दीप देवि महादेवि शुभम्‌ भवतु मे सदा ।
यावत्‌-पूजा-समाप्ति-हि स्याता-वत्‌ प्रज्वल सु-स्थिरा-हा ॥
(पूजन कर प्रणाम करें)

स्वस्ति-वाचन :
निम्न मंगल मंत्र बोलें-
ॐ स्वस्ति न इंद्रो वृद्ध-श्रवा-हा स्वस्ति न-ह पूषा विश्व-वेदा-हा ।
स्वस्ति न-ह ताक्षर्‌यो अरिष्ट-नेमि-हि स्वस्ति नो बृहस्पति-हि-दधातु ॥

द्-यौ-हौ शांति-हि अन्‌-तरिक्ष-गुम्‌ शान्‌-ति-हि पृथिवी शान्‌-ति-हि-आप-ह ।
शान्‌-ति-हि ओष-धय-ह शान्‌-ति-हि वनस्‌-पतय-ह शान्‌-ति-हि-विश्वे-देवा-हा

शान्‌-ति-हि  ब्रह्म शान्‌-ति-हि सर्व(गुम्‌) शान्‌-ति-हि शान्‌-ति-हि एव शान्‌-ति-हि सा
मा शान्‌-ति-हि। यतो यत-ह समिहसे ततो नो अभयम्‌ कुरु ।
शम्‌-न्न-ह कुरु प्रजाभ्यो अभयम्‌ न-ह पशुभ्य-ह। सु-शान्‌-ति-हि-भवतु॥
ॐ सिद्धि बुद्धि सहिताय श्री मन्‌-महा-गण-अधिपतये नम-ह ॥

(नोट : पूजन शुरू करने के पूर्व पूजन की समस्त सामग्री व्यवस्थित रूप से पूजा-स्थल पर रख लें। श्री महालक्ष्मी की मूर्ति एवं श्री गणेशजी की मूर्ति एक लकड़ी के पाटे पर कोरा लाल वस्त्र बिछाकर उस पर स्थापित करें। गणेश एवं अंबिका की मूर्ति के अभाव में दो सुपारियों को धोकर, पृथक-पृथक नाड़ा बाँधकर कुंकु लगाकर गणेशजी के भाव से पाटे पर रखें व उसके दाहिनी ओर अंबिका के भाव से दूसरी सुपारी स्थापना हेतु रखें।)

संकल्प :
अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, अक्षत, द्रव्य आदि लेकर श्री महालक्ष्मीजी अन्य ज्ञात-अज्ञात देवीदेवताओं के पूजन का संकल्प करें-

हरिॐ तत्सत्‌ अद्यैत अस्य शुभ दीपावली बेलायाम्‌ मम महालक्ष्मी-प्रीत्यर्थम्‌ यथासंभव द्रव्यै-है यथाशक्ति उपचार द्वारा मम्‌ अस्मिन प्रचलित व्यापरे उत्तरोत्तर लाभार्थम्‌ च दीपावली महोत्सवे गणेश, महालक्ष्मी, महासरस्वती, महाकाली, लेखनी कुबेरादि देवानाम्‌ पूजनम्‌ च करिष्ये।
( अब जल छोड़ दें।)

श्रीगणेश-अंबिका पूजन
हाथ में अक्षत व पुष्प लेकर श्रीगणेश एवं श्रीअंबिका का ध्यान करें।

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आई.आई.टी. कानपुर में आयोजित कल्चरल फेस्ट में पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने जीते अनेक पुरस्कार

भोपाल] 31 अक्टूबर / आई.आई.टी. कानपुर द्वारा 24 से 27 अक्टूबर 2013 तक प्रतिष्ठित कल्चरल फेस्ट अन्तराग्नि-13 का आयोजन किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय के वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डा. संजीव गुप्ता के मार्गदर्शन में 20 विद्यार्थियों का दल विभिन्न इवेन्ट्स में सम्मिलित हुआ। प्रमुख प्रतियोगिताओं में फोटोग्राफी] कविता] संसदीय वाद-विवाद] नुक्कड़ नाटक] समूह गान] जुगलबंदी] आमने-सामने] बालीवुड क्विज़] अंतराग्नि आइडोल संगम] वेस्टर्न सोलो] गुप-चुप] एड्मेड] कहानी में ट्विस्ट] पेयर आन स्टेज] लेक्ज़ीकान माफिया] तर्क] सप्तरंग] इम्पीट्स] पल्प फिक्शन] फ्लेम क्विज़ स्टुडियो फोटोग्राफी में सहभागिता की।

कार्यक्रम के अंतिम दिन परिणाम एवं सोनू निगम नाइट प्रमुख आकर्षण रहे। विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रानिक मीडिया विभाग के एम.एससी. तृतीय सेमेस्टर के छात्र ठाकुर हर्षित गौतम आमने-सामने प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर रहे। जनसंचार विभाग की छात्रा आस्था पुरी ने काव्यांजलि] प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। इसी प्रकार स्पाट फोटोग्राफी प्रतियोगिता के विषय वन्स अपोन ए टाईम इन अंतराग्नि] में बी.ए.(जनसंचार) के छात्र नूह अली आफरीदी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। जिसमें सवा लाख रुपये की छात्रवृत्ति दिल्ली के प्रसिद्ध फोटोग्राफर मुनीष खन्ना] द्वारा प्रायोजित की जावेगी एवं विशेष पुरस्कार बी.ए. (जनसंचार) के छात्र चयन सोनाने को प्राप्त हुआ। इसके तहत् उन्हें पच्चीस हजार की स्कालरशिप एवं दिल्ली में मुनीष खन्ना] के संस्थान में फोटोग्राफी करने का अवसर दिया जावेगा।

आई.आई.टी.] कानपुर के शानदार कल्चरल फेस्ट अंतराग्नि-13 में देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग] मैनेजमेंट एवं कला क्षेत्र के 100 से भी अधिक टीमों ने ि‍शरकत की। जिसमें प्रमुख है दिल्ली से गार्गी कालेज] हिन्दू कालेज] सेठ करोड़ीमल कालेज] शहीद सुखदेव कालेज] मानव रचना] चन्डीगढ़] जयपुर] लखनऊ] मेरठ एवं एम.सी.यू. भोपाल की टीमों ने जलवा बिखेरा। पाँच दिवसीय फेस्ट में युवाओं ने खूब मौज-मस्ती की] जिसमें देश-विदेश्‍ के राक बैन्ड की टीमों ने हिस्सा लिया। एक्टर नावजुद्दीन सिद्दीकी] एक्ट्रेस एलिना कजान] डायरेक्टर एवं एक्टर त्रिगमांशु धुलिया सहित कई नामी हस्ती भी फेस्ट में पहुँचे। इंडिया इंस्पायर्ड में भारत के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस.वाई.कुरैशी] माकपा नेता वृंदा करात] बी.बी.सी. के पूर्व ब्यूरो चीफ मार्क टुली इत्यादि ने सामाजिक] आर्थिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की और सुधार] बदलाव की नसीहत युवाओं को दी।

विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक समन्वयक डा. राखी तिवारी ने बताया कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी आगामी युवा उत्सवों में भागीदारी के लिए तैयारी कर रहे हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला सहित विश्वविद्यालय के िशक्षकों] अधिकारियों ने विद्यार्थियों को बधाईयाँ दी हैं।

(डा. पवित्र श्रीवास्तव)

विभागाध्यक्ष-जनसंपर्क विभाग

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और अब नमो को हुई मुस्लिमों की बदनामी की चिंता

भारतीय जनता पार्टी 2004 में इंडिया शाईनिंग, 2009 में प्राईम मिनिस्टर इन वेटिंग जैसे राजनैतिक ड्रामे रचने के बाद अब गुजरात के विवादित मु यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उ मीदवार बनाकर एक बार फिर उसी प्रकार के राजनैतिक ड्रामे खेलने की कोशिश कर रही है। नरेंद्र मोदी को केवल 2002 के गुजरात दंगों के लिए हीज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा रहा बल्कि भारतीय जनता पार्टी के भीतर रहे हरेन पंडया परिवार से लेकर संजय जोशी, केशूभाई पटेल और अब लाल कृष्ण अडवाणी जैसे प्रभावित व आहत नेता तक नरेंद्र मोदी के राजनैतिक शैली,उनके स्वभाव, उनकी मंशा व हकीकत से भलीभांति वाकि़फ हो चुके हैं।

 

पंरतु जैसाकि दशकों से विश£ेषक यह कहते आ रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी दरअसल राष्ट्रीय स्वयं संघ का एक मुखौटा राजनैतिक दल मात्र है वही बात आज अक्षरश: सामने आती दिखाई दे रही है। यानी नरेंद्र मोदी किसी को पसंद हो या न हो, उनपर कितने ही आरोप क्यों न लग रहे हों, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी छवि कितनी ही दागदार क्यों न हो यहां तक कि पार्टी में पूर्ण रूप से उनकी स्वीकार्यता हो या न हो पंरतु यदि संघ नरेंद्र मोदी को भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का दावेदार पेश किए जाने का निर्देश जारी करता है तो पार्टी के किसी नेता की जुरअत नहीं कि वह संघ के फरमान की अनदेखी कर सके। बहरहाल, संघ की पहली पसंद के रूप में नरेंद्र मोदी पार्र्टी के प्रधानमंत्री पर के दावेदार तो घोषित कर दिए गए हैं पंरतु इस घोषणा ने नरेंद्र मोदी के समक्ष राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के लिए वोट बटोरने तथा पार्टी के अधिक से अधिक प्रत्याशियों को जिताने की चुनौती भी खड़ी कर दी है।

               

गुजरात में हुए गोधरा कांड तथा उसके पश्चात पूरे राज्य में फैले अनियंत्रित अल्पसं यक विरोधी दंगों ने तथा इन दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका ने उनकी पहचान देश के कट्टर हिंदुत्ववादी तथा अल्पसं यक विरोधी व राजधर्म का पालन न करने वाले राजनेता के रूप में स्थापित कर दी है। उनकी तजऱ्-ए-सियासत से देश का अल्पसंख्यक समुदाय ही मतभेद नहीं रखा बल्कि देश के बहुसं यक हिंदू समाज का भी एक बड़ा शिक्षित व बुद्धिजीवी,धर्मनिरपेक्ष समुदाय भी उनकी राजनैतिक शैली को स्वीकार नहीं करता। कई बुद्धिजीवियों ने तो मोदी के बारे में यहां तका कहा है कि यदि उन्हें धरती पर उपलब्ध समुद्र के समूचे पानी से भी नहला दिया जाए तो भी 2002 में उनपर पड़े पक्षपात व भेदभाव के धब्बे कभी समाप्त नहीं हो सकते। कई बुद्धिजीवी यहां तक कहते सुने जा रहे हैं कि यदि मोदी प्रधानमंत्री बन गए तो वे देश छोड़कर चले जाएंगे। परंतु इस प्रकार की आलोचना की परवाह किए बिना तथा कई बार मीडिया के सवालों का जवाब देने में स्वयं को असमर्थ महसूस करने के बावजूद मोदी प्रधानमंत्री बनने के अपने मिशन पर डटे हुए हैं। इस 'परियोजनाÓ पर काम करने के लिए उनके तरकश में जो प्रमुख तीर हैं उनमें सबसे मु य 'रामबाणÓ है कांग्रेस,यूपीए,सोनिया गांधी व राहुल गांधी पर हर वक्त निशाना साधना, दूसरा गुजरात के अपने स्वयंभू विकास मॉडल का कुछ ऐसा बखान करना गोया गुजरात देश के ही नहीं बल्कि विश्व के सबसे अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया हो। और इन सबकी पृष्ठभूमि में इनकी सधी-सधाई टीम जिसमें संघ परिवार से जुड़े कई संगठन शामिल हैं वह कभी परिक्रमा यात्रा के नाम पर तो कभी मंदिर के निर्माण का हवाला देकर तो कभी सांप्रदायिक दंगों व तनाव की आड़ में मोदी के मिशन को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। यदि राजनैतिक विश£ेषकों की मानें तो 2014 का आम चुनाव आते-आते देश का वातावरण और ाी सांप्रदायिक व तनावपूर्ण होने की संभावना है।

               

पिछले दिनों राहुल गांधी ने यह बयान दिया कि पाकिस्तान की खुिफया एजेंसी आईएसआई मुज़ फरनगर के दंगा प्रभावित युवकों से संपर्क बनाने में लगी हुई है। मुझे नहीं मालूम कि राहुल ने यह बयान किस सूचना के आधार पर दिया। परंतु 1984 के सिख विरोधी दंगों से लेकर देश में होने वाले दूसरे बड़े दंगों तक में यह ज़रूर देखा जा सकता है कि दंगा प्रभावित परिवार के सदस्यों पर देश के दुश्मनों की निश्चित रूप से नज़र रहती है और ऐसी शक्तियां प्रभावित परिवार के युवकों को अपने हथियार के तौर पर प्रयोग करना चाहती हैं।

 

स्वयं इंदिरा गांधी व राजीव गांधी भी ऐसी ही मनोभावना का शिकार हुए। लिहाज़ा मुज़फ्फरनगर में ऐसा है या नहीं यह तो नहीं मालूम परंतु यदि आईएसआई द्वारा ऐसा प्रयास किया जा रहा हो तो इसमें कोई आश्चर्य की बात भी नहीं है। परंतु नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी के इस बयान को लेकर उनपर जिन शब्दों में निशाना साधा है उससे नरेंद्र मोदी का दोहरा चरित्र व चेहरा अवश्य दिखाई देता है। मोदी ने फरमाया कि या तो राहुल गांधी उन युवकों के नाम बताएं जो आईएसआई के संपर्क में हैं अन्यथा ऐसा कहकर राहुल गांधी एक समुदाय विशेष (मुसलमानों) को बदनाम कर रहे हैं। गोया नरेंद्र मोदी को राहुल गांधी के द्वारा मुसलमानों की की जा रही बदनामी से तकलीफ होती नज़र आ रही है। ज़ाहिर है ऐसा कहकर वे अल्पसंख्यकों के शुभचिंतक व हिमायती बनने का संदेश देना चाह रहे हैें। उनका अल्पसं यकों के प्रति इस प्रकार का हमदर्दी भरा बयान उनके स्वभाव तथा उनकी राजनैतिक सोच के अनुरूप तो नहीं है परंतु उनका यह बयान उनके लिए वक्त की ज़रूरत अवश्य है।

               

कितना अच्छा होता यदि मुसलमानों की फ़िक्र उन्हें उस समय भी हुई होती जबकि सच्चर आयोग  उनसे गुजरात के अल्पसं यकों के विकास के बारे में बात करने गया था और उन्होंने उसे बेरंग लौटा दिया था? मोदी जी की अल्पसं यकों के प्रति हमदर्दी उस समय कहां चली गई थी जबकि अदालत के निर्देश के बावजूद उन्होंने 2002 में गुजरात में बरबाद किए गए सैकड़ों अल्पसं यक धर्मस्थलों की मुर मत व पुनर्निमाण करने से इंकार कर दिया था? बड़ा आश्चर्य होता है जब नरेंद्र मोदी जैसा वह नेता अल्पसं यकों के प्रति हमदर्दी जताता है जोकि गुजरात दंगों में मरने वालों की तुलना कार के नीचे आकर मरने वाले किसी कुत्ते से करता है? अपने सिर पर अन्य समुदायों की पगड़ी सहर्ष धारण करने वाले व किसी मुस्लिम मौलवी द्वारा भेंट की गई टोपी को सिर पर रखने से मना करने वाले देश के पहले राजनेता आज केवल प्रधानमंत्री बनने की खातिर अल्पसं यकों के हमदर्द होने का स्वांग रचने चले हैं?

               

पिछले दिनों देश के एक प्रमुख धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक साहब ने बिल्कुल सही फरमाया कि चूंकि इस्लाम धर्म माफ किए जाने की सीख देता है और किसी इंसान से हमेशा नफरत या बैर रखना मुनासिब नहीं होता। लिहाज़ा उस नज़रिए से नरेंद्र मोदी को भी मुसलमान माफ कर सकते हैं। परंतु ऐसा भी तभी हो सकता है जबकि मोदी को अपने किए पर पछतावा हो। वे गुजरात में 2002 में अपनी भूमिका के लिए देश से माफी मांगें? भविष्य में ऐसी पुनरावृति न होने देने का विश्वास दिलाएं। केवल अपने भाषणों के द्वारा ही नहीं बल्कि अपनी राजनैतिक गतिविधियों व शासकीय कारगुज़ारियों से भी यह साबित करें कि वे किसी एक धर्म व संप्रदाय के नहीं बल्कि पूरे देश के सभी धर्मों के समस्त भारतवासियों के रहनुमा हैं। परंतु वे ऐसा कतई नहीं कर सकते।

 

संभव है 2014 के चुनाव आने के कुछ ही दिन पूर्व वे देश के अल्पसं सकों को लुभाने के लिए गुजरात दंगों से संबंधित कोई चौंकाने वाला बयान जारी करें। परंतु िफलहाल वे संघ की एक सधी-सधाई रणनीति पर अलपसं यकों को अलग रखकर हिंदू मतों को संगठित करने का किसी भी प्रकार से प्रयास कर रहे हैं। ज़ाहिर है संघ की इस रणनीति में अल्पसं यकों को लुभाने या उनसे क्षमा याचना करने की कोई गुंजाईश कतई नहीं है। ऐसे में मोदी में भी यह साहस नहीं कि उन्हें प्रधानमंत्री पद का पार्टी का दावेदार बनाने में अपनी सर्वप्रमुख भूमिका निभाने वाले संघ की दूरगामी रणनीति की वे अनदेखी करें।

               

बहरहाल, नमो की सियासत को परवान चढ़ाने के लिए उनके साथ कई रणनीतिकार अलग-अलग मोर्चों पर सक्रिय हैं। सार्वजनिक मंच से लेकर समाचार पत्रों तक स्तंभ तथा इंटरनेट व सोशल मीडिया के माध्यम से, कहीं जेहाद व आतंकवाद का नाम लेकर बहुसं यक मतों को अपने पक्ष में जुटाने की कोशिश की जा रही है तो कहीं कुछ गिने-चुने मुस्लिम चेहरों को आगे रखकर अल्पसं यक मतों को आकर्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। कभी राहुल के बयान पर ही अपनी राजनीति केंद्रित की जा रही है तो कहीं सत्तारुढ़ यूपीए सरकार की मंहगाई व भ्रष्टाचार जैसी नाकामियों को ही सफलता के हथियार के रूप में पेश करने की कोशिश की जा रही है।

 

बुंदेलखंड में मोदी साहब ने फरमाया कि वे लोगों के आंसू पोंछने आए हैं आंसू बहाने नहीं। परंतु मोदी जी यदि भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार न बनते और पार्टी को बहुमत दिलाने की ज़िम्मेदारी उन पर न होती तो उन्हें बुंदेलखंड के लोगों के आंसू पोंछने की शायद अब भी ज़रूरत महसूस न होती। तीन वर्ष पूर्व जब बुंदेलखंड के लोग सूखे के कारण भूख व प्यास से तड़प रहे थे और जिस समय वास्तव में बुंदेलखंडवासियों को अपने हमदर्द राजनेता की तलाश थी उस समय मोदी ने वहां पहुंच कर लोगों के आंसू पोंछने की तकलीफ नहीं की। लोकसभा 2014 के प्रस्तावित चुनाव आते-आते राजनेताओं की ऐसी ही तमाम ल फाजि़यां व उनके घडिय़ाली आंसू और भी देखने को मिलेंगे। देश के मतदाताओं को इनपर नज़र रखने व इनसे सचेत रहने की ज़रूरत है।

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भाई-दूजः बहन के निश्छल प्यार का प्रतीक

भाई दूज का पर्व दीवाली के दो दिन बाद यानि कार्तिक शुक्ल की द्वितीया को मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। आज के दिन भाई खुद अपनी बहन के घर जाता है, बहन उसकी पूजा करती है और उसकी आरती उतारकर उसे तिलक लगाती है।

भाई दूज को लेकर भी कई रोचक और प्रेरणादायक पौराणिक और लोक कथाएँ हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार यमराज, यमुना, तापी, शनि – इन चारों को भगवान सूर्य की संतान माना गया है। यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत स्नेह करते थे। एक बार भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर आये तो अचानक अपने भाई को अपने घर देख यमुना ने बड़े प्यार और जतन से से उनका स्वागत किया और कई तरह व्यंजन बना कर उन्हें भोजन करवाया और खुद ने उपवास रखा, अपनी बहन की इस श्रध्दा से यमराज प्रसन्न हुए और उसे वचन दिया कि आज के दिन जो भाई अपनी बहन को स्नेह से मिलेगा उसके घर भोजन करेगा उसको यम का भय नहीं रहेगा।  इस दिन बहन अपने भाई की दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन के लिए मृत्यु के देवता यमराज की पूजा करती है। अपने भाई को विजय तिलक लगाती है ताकि वह किसी भी तरह के संकटों का सामना कर सके।

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दीवाली की पौराणिक कथा

एक बार भगवान विष्णु माता लक्ष्मीजी सहित पृथ्वी पर घूमने आए। कुछ देर बाद भगवान विष्णु लक्ष्मीजी से बोले- मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूँ । तुम यहीं ठहरो, परंतु लक्ष्मीजी भी विष्णुजी के पीछे चल दीं। कुछ दूर चलने पर ईख (गन्ने) का खेत मिला। लक्ष्मीजी एक गन्ना तोड़कर चूसने लगीं। भगवान लौटे और जब उन्होंने लक्ष्मीजी को गन्ना चूसते हुए देखा तो क्रोधित होकर श्राप दे दिया कि यह खेत जिस किसान का है तुम उसके यहाँ पर १२ वर्ष तक रहकर उसकी सेवा करो।

विष्णु भगवान क्षीर सागर लौट गए तथा लक्ष्मीजी ने किसान के यहाँ रहकर उसे धन-धान्य से पूर्ण कर दिया। उस किसान को पता ही नहीं था कि उसके घर में एक साधारण स्त्री के रूप में रहने के लिए स्वयं लक्ष्मीजी आई है। १२ वर्ष के बाद लक्ष्मीजी भगवान विष्णु के पास जाने के लिए तैयार हो गईं परंतु किसान ने उन्हें जाने नहीं दिया। श्राप की अवधि पूर्ण होने पर भगवान विष्णु स्वयं लक्ष्मीजी को वापस लेने आए परंतु किसान ने लक्ष्मीजी को रोक लिया।  इस पर विष्णु भगवान ने उस किसान से कहा कि  तुम परिवार सहित गंगा स्नान करने जाओ और इन कौड़ियों को भी गंगाजल में छोड़ देना तुम्हारे आने तक मैं यहीं रहूँगा।

किसान गंगा नदी में स्नान करने पहुँचा और गंगाजी में कौड़ियां डालते ही चार भुजाएँ निकली जिन्होंने वे कौड़ियाँ अपने पास ले ली।  यह देखकर देखकर किसान ने गंगाजी से पूछा कि ये चार हाथ किसके हैं। गंगाजी ने किसान को बताया कि ये चारों हाथ मेरे ही थे। तुमने जो मुझे कौड़ियाँ भेंट की हैं, वे तुम्हें किसने दी हैं? किसान बोला कि मेरे घर पर एक स्त्री और पुरुष आए हैं। तभी गंगाजी बोलीं- वे लक्ष्मीजी और भगवान विष्णु हैं। तुम लक्ष्मीजी को मत जाने देना, नहीं तो पुन: निर्धन हो जाओगे।

किसान ने घर लौटने पर लक्ष्मीजी को नहीं जाने दिया। तब भगवान ने किसान को समझाया कि मेरे श्राप के कारण लक्ष्मीजी तुम्हारे यहाँ  १२ वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही हैं। फिर लक्ष्मीजी चंचल हैं, इन्हें बड़े-बड़े नहीं रोक सके, तुम हठ मत करो। फिर लक्ष्मीजी बोलीं- हे किसान यदि तुम मुझे रोकना चाहते हो तो कल धनतेरस है। तुम अपना घर स्वच्छ रखना। रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना। मैं तुम्हारे घर आउंगी। तुम उस समय  जब मेरी पूजा करोगे तो मैं अदृश्य रहूँ गी। किसान ने लक्ष्मीजी की बात मान ली और लक्ष्मीजी द्वारा बताई विधि से पूजा की। उसका घर धन-धान्य से भर गया। इस प्रकार किसान प्रति वर्ष लक्ष्मीजी को पूजने लगा तथा अन्य लोग भी लक्ष्मीजी का पूजन करने लगे।

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राम की शक्ति पूजा

दिवाली का मतलब है अंधकार को दूर करना लेकिन इसके शाब्दिक अर्थ को ग्रहण करने की बजाय आप अपने आस-पास के अंधियारे को देखें और अनाथ आश्रमों में रहने वाले बच्चों के बीच जाकर, अपने घर के पास की झुग्गी झोपडियों में रहने वाले गरीबों के बीच जाकर या फिर अपने घर में काम करने वाले नौकरों, ड्रायवरों और महरियों के बच्चों को अपने घर बुलाकर उनके साथ दिवाली मनाएं तो तो दीपावली का पर्व मनाना ज्यादा सार्थक होगा।

महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने राम की शक्ति पूजा पर एक कालजयी रचना लिखी थी हमें उम्मीद है हमारे हिन्दी प्रेमी सुधी पाठकजनों को जरुर पसंद आएगी।

राम की शक्ति पूजा

फिर देखी भीमा-मूर्ति आज रण देवी जो
आच्छादित किए हुए सम्मुख समग्र नभ को,
ज्योतिर्मय अस्त्र सकल बुझ-बुझकर हुए क्षीण,
पा महानिलय उस तन में क्षण में हुए लीन,
लख शंकाकुल हो गए अतुल-बल शेष-शयन;
खिंच गए दृगों में सीता के राममय नयन;
फिर सुना-हँस रहा अट्टाहास रावण खलखल,
भावित नयनों से सजल गिरे दो मुक्ता-दल।

बैठे मारुति देखते राम-चरणारविन्द-
युग 'अस्ति-नास्ति' के एक गुण-गण-अनिन्द्य,
साधना-मध्य भी साम्य-वामा-कर दक्षिण-पद,
दक्षिण करतल पर वाम चरण, कपिवर, गद्गद्
पा सत्य, सच्चिदानन्द रूप, विश्राम धाम,
जपते सभक्ति अजपा विभक्ति हो राम-नाम।
युग चरणों पर आ पड़े अस्तु वे अश्रु-युगल,
देखा कवि ने, चमके नभ में ज्यों तारादल।
ये नहीं चरण राम के, बने श्यामा के शुभ, –
सोहते मध्य में हीरक युग या दो कौस्तुभ;
टूटा वह तार ध्यान का, स्थिर मन हुआ विकल
सन्दिग्ध भाव की उठी दृष्टि, देखा अविकल

बैठे वे वहीं कमल लोचन, पर सजल नयन,
व्याकुल-व्याकुल कुछ चिर प्रफुल्ल मुख निश्चेतन।
"ये अश्रु राम के" आते ही मन में विचार,
उद्वेग हो उठा शक्ति-खोल सागर अपार,
हो श्वसित पवन उच्छवास पिता पक्ष से तुमुल
एकत्र वक्ष पर बहा वाष्प को उड़ा अतुल,
शत पूर्णावर्त, तरंग-भंग, उठते पहाड़,
जल-राशि राशि-जल पर चढ़ता खाता पछाह,
तोड़ता बन्ध-प्रतिसन्ध धरा हो स्फीत -वक्ष
दिग्विजय-अर्थ प्रतिपल समर्थ बढ़ता समक्ष,
शत-वायु-वेग-बल, डूबा अतल में देश-भाव,
जल-राशि विपुल मध मिला अनिल में महाराव

वज्रांग तेजघन बना पवन को, महाकाश
पहुँचा, एकादश रूद्र क्षुब्ध कर अट्टहास।
रावण-महिमा श्यामा विभावरी, अन्धकार,
यह रूद्र राम-पूजन-प्रताप तेज:प्रसार;
इस ओर शक्ति शिव की जो दशस्कन्ध-पूजित,
उस ओर रूद्रवंदन जो रघुनन्दन-कूजित;
करने को ग्रस्त समस्त व्योम कपि बढ़ा अटल,
लख महानाश शिव अचल, हुए क्षण भर चंचल;
श्यामा के पद तल भार धरण हर मन्द्रस्वर
बोले – "सम्वरो, देवि, निज तेज, नहीं वानर
यह, नहीं हुआ शृंगार-युग्म-गत, महावीर
अर्चना राम की मूर्तिमान अक्षय-शरीर,
चिर ब्रह्मचर्य-रत ये एकादश रूद्र, धन्य,
मर्यादा-पुरुषोत्तम के सर्वोत्तम, अनन्य

लीला-सहचर, दिव्यभावधर, इन पर प्रहार
करने पर होगी देवि, तुम्हारी विषम हार;
विद्या का ले आश्रय इस मन को दो प्रबोध,
झुक जाएगा कपि, निश्चय होगा दूर रोध।"
कह हुए मौन शिव; पतन-तनय में भर विस्मय
सहसा नभ से अंजना-रूप का हुआ उदय
बोली माता – "तुमने रवि को जब लिया निगल
तब नहीं बोध था तुम्हें; रहे बालक केवल,
यह वही भाव कर रहा तुम्हें व्याकुल रह-रह
यह लज्जा की है बात कि माँ रहती सह-सह;
यह महाकाश, है जहाँ वास शिव का निर्मल-
पूजते जिन्हें श्रीराम उसे ग्रसने को चल
क्या नहीं कर रहे तुम अनर्थ? सोचो मन में;
क्या दी आज्ञा ऐसी कुछ श्री रघुनन्दन ने?
तुम सेवक हो, छोड़कर धर्म कर रहे कार्य –
क्या असम्भाव्य हो यह राघव के लिए धार्य?"
कपि हुए नम्र, क्षण में माता-छवि हुई लीन,
उतरे धीरे-धीरे गह प्रभुपद हुए दीन।

राम का विषण्णानन देखते हुए कुछ क्षण;
"हे सखा" विभीषण बोले "आज प्रसन्न-वदन
वह नहीं देखकर जिसे समग्र वीर-वानर-
भल्लूक विगत-श्रम हो पाते जीवन निर्जर;
रघुवीर, तीर सब वही तूण में हैं रक्षित,
है वही पक्ष, रण-कुशल-हस्त, बल वही अमित;
हैं वही सुमित्रानन्दन मेघनाद-जित् रण,
हैं वही भल्लपति, वानरेन्द्र सुग्रीव प्रमन,
ताराकुमार भी वही महाबल श्वेत धीर,
अप्रतिभट वही एक अर्बुद-सम महावीर
हैं वही दक्ष सेनानायक है वही समर,
फिर कैसे असमय हुआ उदय भाव-प्रहर!
रघुकुल-गौरव लघु हुए जा रहे तुम इस क्षण,
तुम फेर रहे हो पीठ, हो रहा हो जब जय रण

कितना श्रम हुआ व्यर्थ, आया जब मिलन-समय,
तुम खींच रहे हो हस्त जानकी से निर्दय!
रावण? रावण – लम्पट, खाल कल्मय-गताचार,
जिसने हित कहते किया मुझे पाद-प्रहार,
बैठा उपवन में देगा दुख सीता को फिर,
कहता रण की जय-कथा पारिषद-दल से घिर,
सुनता वसन्त में उपवन में कल-कूजित-पिक
मैं बना किन्तु लंकापति, धिक्, राघव, धिक्-धिक्?'
सब सभा रही निस्तब्ध; राम के स्मित नयन
छोड़ते हुए शीतल प्रकाश देखते विमन,
जैसे ओजस्वी शब्दों का जो था प्रभाव
उससे न इन्हें कुछ चाव, न हो कोई दुराव,
ज्यों ही वे शब्दमात्र – मैत्री की समानुरक्ति,
पर जहाँ गहन भाव के ग्रहण की नहीं शक्ति।

कुछ क्षण तक रहकर मौन सहज निज कोमल स्वर,
बोले रघुमणि – "मित्रवर, विजया होगी न, समर
यह नहीं रहा नर-वानर का राक्षस से रण,
उतरी पा महाशक्ति रावण से आमन्त्रण;
अन्याय जिधर, हैं उधर शक्ति।" कहते छल-छल
हो गये नयन, कुछ बूँद पुन: ढलके दृगजल,
रुक गया कण्ठ, चमक लक्ष्मण तेज: प्रचण्ड
धँस गया धरा में कपि गह-युग-पद, मसक दण्ड
स्थिर जाम्बवान, – समझते हुए ज्यों सकल भाव,
व्याकुल सुग्रीव, – हुआ उर में ज्यों विषम घाव,
निश्चित-सा करते हुए विभीषण कार्यक्रम
मौन में रहा यों स्पन्दित वातावरण विषम।

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