” कुछ भाव बटोरे हैं ” का लोकार्पण
साहित्यकार रामस्वरूप मूंदड़ा: सृजन गंगा से बहती इंद्रधनुषी काव्य धारा
( लेखक राजस्थान के कोटा में रहते हैं और विगत 45 वर्षों से साहित्य, संस्कृति, पर्यटन और विविध विषयों पर निरंतर लिख रहे हैं )
सितंबर माहः राजभाषा हिन्दी का माह और ओड़िशा में हिन्दी की वास्तविक स्थिति
पहली सितंबर,2024 से पूरे भारत के केन्द्र सरकार के सभी विभागों तथा सभी उपक्रमों में हिन्दी माह के रुप में मनाया जा रहा है। कहीं पर हिन्दी दिवस(14 सितंबर),कहीं पर हिन्दी सप्ताह,कहीं पर हिन्दी पखवाड़ा तथा कहीं-कहीं पर इसे राजभाषा हिन्दी माह के रुप में मनाया जा रहा है।ओड़िशा में हिन्दी की वास्तविक स्थिति संतोषजनक मानी जा सकती है जहां के भुवनेश्वर स्थित राज्य विधानसभा सचिवालय में 1986-87 में हिन्दी दिवस मनाया गया था।
गौरतलब है कि वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत महाकाव्य में कुल लगभग 400 तीर्थस्थलों का वर्णन है । महाभारत के आदिपर्व में इन्द्रद्युम्न तीर्थ का भी वर्णन है जिसका सीधा संबंध ओड़िशा प्रदेश के जगन्नाथ धाम पुरी से है जहां पर आनेवाले अधिकांश भक्तों के विचार-विनिमय की मुख्य भाषा जनसम्पर्क के रुप में हिन्दी ही थी। यहीं नहीं 12वीं शताब्दी से लेकर आजतक अगर ओड़िया भाषा के उद्भव और विकास पर विचार किया जाय तो निश्चित रुप से ओड़िशा में जनसम्पर्क की एक लोकप्रिय भाषा के रुप में हिन्दी का विकास हो चुका था जिसको और अधिक विकसित किए ओड़िशा के प्रमुख व्यापारी केन्द्रों(शहरों) के अप्रावासी हिन्दी व्यापारी,कारोबारी और छोटे-बड़े उद्योगपति आदि।
खुशी की बात यह है कि अर्द्ध मागधी हिन्दी भाषा परिवार के तहत मैथिली,बंगाली और ओड़िया आदि भाषाएं आरंभ से ही शामिल हैं। सच तो यह है कि भारतीय संघ की सभी राजभाषाएं आपस में एक-दूसरे के लिए बहन के समान हैं। प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को पुरी धाम में अनुष्ठित होनेवाली भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा में आनेवाले लाखों श्रद्धालु जगन्नाथ भक्तों में हिन्दीभाषी भक्तों की संख्या लगभग 70 प्रतिशत रहती है।1200 से लेकर 1500 वर्ष पूर्व भी भारतीय आर्यभाषा परिवार के पूर्वी मागधी के अंतर्गत ओड़िया भाषा शामिल है।
यही नहीं, हाल ही में(5सितंबर,2023 को) नई दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन,2023 के भारत मण्डपम के मुख्य आकर्षण का केन्द्र भी कोणार्क के सूर्यमंदिर का पहिया रहा जो विश्व में कालचक्र का प्रतीक है। 18सितंबर,2023 को भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सबसे बडी महात्वाकांक्षी योजनाः विश्वकर्मा योजना को लागू कर तथा ओडिशा के विश्वकर्माओं को सम्मानित यह सिद्ध कर दिया कि ओडिशा की कलाएं तो उत्कृष्ट हैं ही साथ ही साथ ओड़िशा में हिन्दी की स्थिति भी अच्छी है।
विगत अगस्त 28,2024 को स्थानीय स्वस्ति प्रीमियम होटल,जयदेव विहार में नेशनल डेली सन्मार्ग,भुवनेश्वर ने अपना हिन्दी पुरस्कार सम्मेलन आयोजित कर यह सिद्ध कर दिया कि ओड़िशा में हिन्दी को जन-जन तक पहुंचाने में हिन्दी समाचारपत्रों की भी अहम् भूमिका है।
गौरतलब है कि खडीबोली हिन्दी के जन्मदाता भारतेन्दु हरिश्चंद्र मात्र 15 साल की उम्र में अपने माता-पिता के साथ जगन्नाथ पुरी आकर भगवान जगन्नाथ जी से खडी बोली हिन्दी में लेखन का दिव्य आशीर्वाद लिए।हिन्दी की अमर रचना श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास भी पुरी धाम आकर चतुर्धा देवविग्रहों में अपने धनुषधारी श्रीराम आदि के दिव्य दर्शन किए।कबीरदास भी यहां पर आये। मीराबाई भी यहां पर आईं।गुरुनानकदेव जी यहां पर आये। चैतन्य महाप्रभु भी यहां पर आये।हिन्दी वैयाकरण कामता प्रसाद गुरु ने भी भगवान जगन्नाथ के दिव्य दर्शनकर हिन्दी के महान वैकारण बने।
यही नहीं,ओड़िशा के साथ-साथ सम्पूर्ण भारत तथा विदेशों में आज हिन्दी दिवस,हिन्दी सप्ताह, हिन्दी पखवाडा तथा हिन्दी माह मनाने का औचित्य इसलिए भी है कि भारत में लगभग 850 भाषाएं बोली जातीं हैं जिनमें हिन्दी जनसम्पर्क की सबसे सशक्त तथा सबसे लोकप्रिय भाषा है।गौरतलब है कि 1918 में महात्मागांधी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी को राजभाषा बनाने की बात कही थी क्योंकि उनके अनुसार हिन्दी भारतीय जनमानस की भाषा है।इसीलिए जब भारत का लिखित संविधान तैयार हुआ तथा उसे जब 26 नवंबर,1949 को स्वीकार किया गया तो संविधान के भाग 17 के अनुच्छेद 343(1) में भारतीय संघ की राजभाषा के रुप में हिन्दी को स्वीकार कर लिया गया जिसकी लिपि देवनागरी रखी गई जबकि अंकों को अंग्रेजी रुप में मान्यता प्रदान की गई।14 सितंबर,1949 को संविधानसभा ने यह भी निर्णय लिया कि हिन्दी एक तरफ जहां भारतीय संघ की राजभाषा होगी वहीं केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा हिन्दी ही होगी।हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए इसे 14 सितंबर,1953 को पूरे भारत में हिन्दी दिवस के रुप में सबसे पहले मनाया गया।
हिन्दी साहित्यकारों में काका कालेलकर,हजारीप्रसाद द्विवेदी तथा सेठ गोविंद दास आदि ने इसका पूर्ण समर्थन किया। हिन्दी भाषा प्रेम की भाषा है।इसे भारत के लगभग 77 प्रतिशत लोग समझते और बोलते हैं।यह भारत की अस्मिता,गौरव और गरिमा की पहचान है।इस भाषा में जैसा बोला जाता है वैसा ही लिखा जाता है।यह भारत के अनेक प्रदेशों की मातृभाषा तथा राजभाषा है।पूरे विश्व में बोली जानेवाली तीन प्रमुख भाषाओः अंग्रेजी और चीनी के बाद हिंदी तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। हिन्दी की शब्द-सम्पदा सबसे अधिक समृद्ध है। हिन्दी में चार प्रकार के शब्द हैं-तत्सम,तत्भव,देशज तथा विदेशी शब्द।यह भी सत्य है कि जब तक हिन्दी का प्रयोग पूर्ण रूप से पूरे भारत में नहीं किया जाएगा तबतक हिन्दी भाषा का पूर्ण विकास असंभव नहीं होगा।
भारत सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों, अनुभागों, राष्ट्रीयकृत बैंकों और उपक्रमों में राजभाषा हिन्दी का प्रयोग तो हो ही रहा है फिर भी भारत सरकार के सभी केन्द्रीय विद्यालयों,नवोदय विद्यालयों तथा सैनिक स्कूलों आदि में जबतक हिन्दी को वैकल्पिक विषय की जगह अनिवार्य विषय के रुप में प्रयोग नहीं होगा तबतक हिन्दी का पूर्ण विकास कदापि संभव नहीं है।रही बात ओड़िशा में हिन्दी की स्थिति की तो यहां पर तेजी के साथ ओड़िया से हिन्दी अनुवाद क्रांति विकसित हो चुकी है साथ ही साथ ओड़िया के अनेक लेखक अपनी मूल रचनाएं भी खड़ी बोली हिन्दी में पिछले लगभग दो दशकों से आरंभ कर दिए हैं जो ओड़िशा में हिन्दी के भविष्य को समुज्ज्वल बना रहे हैं।
बाईबिल में हिंसा का महिमा मंडन
भारत विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा
वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम
वित्तीय वर्ष 2024 25 की प्रथम तिमाही में भारत के
हालांकि चीन में 4.7 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज हुई है तथा वि
भारत में वित्तीय वर्ष 2024-25
प्रथम तो इस तिमाही में लोक सभा चुनाव सम्पन्न हुए हैं जिसके च
साथ ही, लोक सभा चुनाव के समय
कृषि के क्षेत्र में वित्तीय व
इन्हीं कारणों के चलते वैश्विक
विनिर्माण इकाईयों द्वारा किए ग
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विश्व में बहुत लम्बे समय से चल
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(3) वित्तीय वर्ष 2024-25 में जु
(4) इस दौरान केंद्र सरकार का रा
(5) इसी प्रकार विदेशी मुद्रा भं
पिछले सप्ताह में भी विदेशी मु
(6) जुलाई 2024 माह में 8 कोर से
(7) भारत में प्रत्येक 5 दिनों
भारत की अर्थव्यवस्था तो प्रत्
वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम
प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
के-8, चेतकपुरी कालोनी,
झांसी रोड, लश्कर,
ग्वालियर – 474 009
मोबाइल क्रमांक – 9987949940
ई-मेल – prahlad.sabnani@gmail.
खेलों में भारत के स्वर्णिम पल
पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के डॉ. सी. जय शंकर बाबू को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार
पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सी. जय शंकर बाबु को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी) 2024 के लिए चुना गया है। वे भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा पुरस्कार चयनित भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों के 16 शिक्षकों में से एक हैं। उच्च शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों के लिए यह पहला ऐसा पुरस्कार है, जो अब तक केवल स्कूली शिक्षकों तक ही सीमित था। 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित समारोह में भारत के राष्ट्रपति माननीय श्रीमती द्रौपदी मुर्मू चयनित शिक्षकों को पुरस्कृत करेंगी।
डॉ. सी. जय शंकर बाबु ने शिक्षा और पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान दिया है। उनकी सेवाओं में 21 वर्षों के अध्यापन के अनुभव के अलावा 15 वर्षों की पत्रकारिता (समकालिक), 10 वर्षों का प्रशासनिक सेवा (यूपीएससी द्वारा चयनित ग्रुप ‘ए’ स्तर की सेवा भी शामिल है) और सामाजिक सेवा भी शामिल है । डॉ. बाबु भारतीय भाषाओं में कंप्यूटिंग के क्षेत्र में ई-साक्षरता के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने वर्ष 1999 में अपने स्तर पर डिजिटल साक्षरता मिशन की शुरुआत की और पिछले ढाई दशकों में 1700 से अधिक कार्यशालाओं का आयोजन कर अनेक लोगों को मातृभाषा कंप्यूटिंग के अलावा भारतीय भाषा कंप्यूटिंग कौशल प्रदान किया। वे भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने की वकालत करते रहे हैं। उन्होंने पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा स्तर पर हिंदी में 33 बहु-विषयक तकनीकी और रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम तैयार किए हैं, जैसे भाषा प्रौद्योगिकी, नव माध्यम (न्यू मीडिया) अध्ययन, प्रयोजनमूलक हिंदी, बहुभाषाई कंप्यूटिंग, साइबर आलोचना आदि और हिंदी माध्यम में पाठ्य पुस्तकें भी लिखी हैं।
यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विज़न और मिशन के अनुरूप है। वे ‘युग मानस’ साहित्यिक पत्रिका के संस्थापक संपादक, ‘अंतर भारती’ मासिक के प्रधान संपादक और केंद्रीय हिंदी संस्थान की पत्रिका ‘समन्वय दक्षिण’ सहित 10 सह-समीक्षित पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्ड के सदस्य हैं।
मीडिया अध्ययन के क्षेत्र में उन्होंने काफ़ी योगदान दिया है और केंद्रीय हिंदी निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित भारतीय साहित्य और मीडिया के वार्षिक सर्वेक्षण की वार्षिकी में एक दशक तक लगातार हिंदी पत्रकारिता और नई प्रौद्योगिकी पर नियमित योगदान है । मीडिया विमर्श पत्रिका के अब तक पाँच भारतीय भाषाओं के मीडिया पर केंद्रित विशेषांकों का उन्होंने संपादन किया है जिनमें तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम और ओड़िया मिडिया विशेषांक शामिल हैं ।
डॉ. सी. जय शंकर बाबू ने दक्षिण भारत में पत्रकारिता के इतिहास पर शोधपरक लेखन किया है और पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय में 1.04 करोड़ रुपये के परियोजना परिव्यय के साथ शोध में समृद्ध रूप से योगदान दे रहे हैं, ‘हिंदी के विकास के लिए आईसीटी’ पर यूजीसी बृहद शोध परियोजना सुसंपन्न किया है । शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की स्पर्क परियोजना के तहत अपभ्रंश का ऐतिहासिक और भाषावैज्ञानिक अध्ययन पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की शोध परियोजना पूरी की है । तेलुगु लोक साहित्य पर केंद्रीय हिंदी संस्थान, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की एक और परियोजना जारी है।
उन्होंने 8 शोधार्थियों को पीएचडी (पुरस्कृत) के लिए मार्गदर्शन किया है, इनमें से 3 के वे सह-मार्गदर्शक थे । 4 शोधार्थियों को एम.फिल. और 40 से अधिक पीजी शोध परियोजनाओं के लिए मार्गदर्शन किया है । शोध के विषय राष्ट्रीय हित के हैं जिनमें लुप्तप्राय भाषाएं, दिव्यांगों के लिए ई-सामग्री विकास, शिक्षण और सीखने के लिए आईसीटी, आदिवासी, दलित और लोक साहित्य, पर्यावरण विमर्श आदि शामिल हैं।
डॉ. बाबू ने यूजीसी – शैक्षिक संचार संकाय द्वारा प्रदत्त परियोजना के तहत भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्वयं (SWAYAM) ऑनलाइन शैक्षिक पोर्टल के लिए बृहद् ऑनलाइन मुक्त पाठ्यक्रमों (MOOCs) का विकास किया है । स्वयं (SWAYAM पोर्टल) पर जनवरी, 2023 सत्र में हिंदी माध्यम में भाषा प्रौद्योगिकी के परिचय पर संचालित MOOC पाठ्यक्रण में 722 शिक्षार्थियों ने नामांकन किया था और जनवरी 2024 सत्र में 942 शिक्षार्थि ने प्रवेश लेकर अध्ययन किया था । हिंदी भाषा में उनके समृद्ध योगदान को देखते हुए, माननीय केंद्रीय गृह मंत्री ने उन्हें भारत सरकार के गृह मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में नामित किया है। बेल्जियम के गेंट विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स ने उन्हें 2012 में विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर के रूप में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था।
डॉ. बाबू 2018 में मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल में थे। विश्व भारती (राष्ट्रीय महत्व का संस्थान), शांतिनिकेतन की कार्यकारिणी समिति ने अक्टूबर, 2023 में डॉ. बाबु को भाषा भवन में प्रोफ़ेसर के रूप में नियुक्त करने की मंजूरी दी। डॉ. बाबु भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में सहायक निदेशक (यूपीएससी द्वारा चयनित) का पद छोड़ने के बाद वर्ष 2010 में पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय में शामिल हुए । शिक्षा जगत को उनके सतत योगदान और नवाचार के प्रति उनके अटूट समर्पण के लिए उन्हें राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया है।
पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति प्रो. के. तरनिक्करसु ने इस उपलब्धि के लिए प्रोफ़ेसर बाबु की सराहना की। पांडिच्चेरी विश्वविद्यालय के अधिकारियों, कर्मचारियों, प्रोफ़ेसरों और छात्रों ने भी उनकी सराहना की।
डॉ. सी. जय शंकर बाबू
संपादक, ‘युग मानस’
ई-मेल – yugmanas@gmail.com
दूरभाष – 09843508506
प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए अघरिया समाज की अनुकरणीय पहल
रायपुर/ प्रदेश का अघरिया (पटेल) समाज प्रकृति संरक्षण के लिए कई अनूठी पहल कर रहा है। समाज पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य के साथ इस पुनीत कार्य में जोर शोर से जुटा हुआ है।
इसी कड़ी में आज समाज से जुड़े प्रबुद्धजनों ने वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया। राजधानी रायपुर के माना थाना परिसर में आज श्री भुवनेश्वर नायक व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती अनीता नायक ने अपने बच्चों का जन्मदिन प्रकृति के सानिध्य में मनाया और इस विशेष दिन को प्रकृति को समर्पित किया।
अघरिया समाज के साथ साथ नायक परिवार का भी मानना है कि इससे पर्यावरण स्वच्छ व स्वस्थ रहता है।
कार्यक्रम का क्रियान्वयन उप पुलिस अधीक्षक श्री लंबोदर पटेल जी व उनकी धर्मपत्नी रेणुका पटेल द्वारा किया गया। पटेल दंपत्ति का प्रकृति के साथ निःस्वार्थ प्रेम है और भावी पीढ़ी को बेहतर कल देने के उद्देश्य से अक्सर वे अपनी टीम के साथ वृक्षारोपण का आयोजन करते रहते है। उनका मानना है कि वृक्षारोपण केवल महज एक कार्यक्रम नहीं है अपितु इसके अनगिनत फायदे है, जो मानव समाज को पोषित करते है। स्वच्छ हवा के साथ ही यह जल संरक्षण में भी आवश्यक भूमिका निभाता है, जो हमारे जीवन का मूल तत्व है।
इस अवसर पर श्रीमती सुषमा प्रेम पटेल ने लोगों को उत्साहित करते हुए काव्य पाठ भी किया। इस पुनीत अवसर पर श्रीमती मंजू, क्षीर सिंधु पटेल, अजित पटेल, मीनाक्षी पटेल, सुनील पटेल, क्षीरसागर विनीता पटेल, राम नारायण, मोनिका पटेल, श्रीमती किरण अजित पटेल, वर्णिका शर्मा, दुर्गा पटेल, देवाशीष पटेल, रमेश पटेल और सभी सम्मानित जनों ने उत्साह से भाग लिया। सभी ने संकल्प लिया कि टीम वर्क से हम हमेशा रचनात्मक कार्यों में अग्रणी रहेंगे, जिससे स्वस्थ समाज के निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान दे पाएंगे। इस खास मौके पर स्वल्पाहार की व्यवस्था श्रीमती मीनाक्षी पटेल द्वारा किया गया।
चक्रधर समारोह के मंच को पद्मश्री से सम्मानित 7 विभूतियां करेंगी सुशोभित
पद्मश्री हेमा मालिनी, जो भारतीय सिनेमा की एक प्रमुख और बहु-प्रतिभाशाली अभिनेत्री हैं, अपने भरतनाट्यम नृत्य के लिए भी जानी जाती हैं। उन्हें भारतीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है।
पद्मश्री रामलाल बरेठ- इन्होंने रायगढ़ कत्थक शैली को विकसित करने और कत्थक को घराने के रूप में स्थापित करने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। रायगढ़ कत्थक शैली को लोकप्रिय बनाने में पंडित रामलाल बरेठ का बहुत बड़ा योगदान है। उनके अथक प्रयास से रायगढ़ कत्थक शैली को रायगढ़ घराना के नाम से जाना जाता है। रायगढ़ घराना पूरी दुनिया में चौथे कत्थक घराने के रूप में प्रसिद्ध है।
पंडित रामलाल को 1996 में भारत के माननीय राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने भारत के राष्ट्रीय सम्मान संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया है। उन्हें वर्ष 2024 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।
पद्मश्री कुमारी देवयानी- अनिक शेमोटी, जिन्हें मंच नाम कुमारी देवयानी के रूप में जाना जाता है, एक भारतीय नृत्यांगना हैं, जो भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली भरतनाट्यम में प्रदर्शन करती हैं। उन्होंने भारत के साथ-साथ ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, इटली, ग्रीस, पुर्तगाल, स्कैंडिनेवियाई देशों, एस्टोनिया और दक्षिण कोरिया के त्योहारों और संगीत हॉल में प्रदर्शन किया है। देवयानी भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) की सूचीबद्ध कलाकार हैं। 2009 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
पद्मश्री अनुज शर्मा- छत्तीसगढ़ी सिनेमा और कला क्षेत्र में ख्यात्तिलब्ध व्यक्तित्व श्री अनुज शर्मा को उनके निर्देशनए अभिनय और गायन में उनकी प्रतिभा के लिए जाना जाता है। कला के क्षेत्र में उनकी सेवाओं के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा 2014 में चौथे सर्वाेच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
पद्मश्री डॉ.सुरेंद्र दुबे- डॉ.सुरेंद्र दुबे अपनी हास्य कविताओं के लिए पूरे देश दुनिया में प्रसिद्ध हैं। वे वह पेशे से एक आयुर्वेदिक चिकित्सक भी हैं। प्रदेश की बोली और संस्कृति को उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंचों से बढ़ावा दिया है। उन्हें भारत सरकार द्वारा 2010 में देश के चौथे उच्चतम भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
पद्मश्री रंजना गौहर- प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना, कोरियोग्राफर तथा फिल्म निर्मात्री हैं। उन्हे पद्मश्री व संगीत नाटक अकादमी के पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। वह ओडिसी नृत्य के संदर्भ में एक किताब (ओडिसी द डांस डिवाइन) भी लिख चुकी हैं। श्रीमती रंजना गौहर को 2003 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रतिष्ठित पद्मश्री और 2007 में राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
श्री कमलेश पारीक “कमल”बने भारत गोसेवक समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारत गोसेवक समाज की वार्षिक बैठक आज दिनांक 1सितम्बर को समाज के मुख्यालय 3,सदर थाना रोड दिल्ली स्थित कार्यालय में हुई
महामंत्री श्री राजकुमार अग्रवाल जी की अनुशंसा का सभी सदस्यों ने अनुमोदन किया और पुनः कमलेश पारीक “कमल “, मुंबई को अध्यक्ष और राजकुमार अग्रवाल जी को महामंत्री बनाया गया, संयोजक श्री श्रवण चौहान जी,प्रचार प्रमुख श्री मोहमद फैज खान,मीडिया प्रभारी श्री मनीष सक्सेना, श्री उत्तम अग्रवाल को सदस्यता अभियान प्रमुख तथा श्री मदन चंद्र कर्नाटक को विधि सलाहकार का प्रभार दिया गया।कार्यकारिणी सदस्य के रूप में श्री आशीष सिंघल,श्री मनोज चड्ढा,श्री अश्विन कुमार को नामित किया गया।
वार्षिक बैठक में पिछले वर्ष संस्था की कार्यविधि का प्रतिवेदन श्रवण चौहान ने प्रस्तुत किया।
आगामी वर्ष के कार्य हेतु सभी सदस्यों ने अपने सुझाव प्रस्तुत किए।
अध्यक्ष कमलेश पारीक जी ने गौसेवा हेतु हम क्या कर सकते है और भारत गोसेवक समाज क्या कर सकता है इस पर विचार व्यक्त किए।
विदित हो कि भारत गोसेवक समाज की स्थापना महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोभक्त लाला हरदेव सहाय जी ने गुरु गोलवलकर जी के सानिध्य में सन 1949 में की थी
बैठक में गोभक्त सर्वश्री
रतन जाखड़,प्रवीण गर्ग,आशीष सिंघल,अश्विन कुमार, योगाचार्य डॉ राकेश त्रिपाठी, दिल्ली ,सुश्री मेई कारगा अरुणाचल प्रदेश उपस्थित थे।
उपरोक्त जानकारी प्रचार प्रमुख मोहम्मद फैज़ खान ने एक विज्ञप्ति में दी।
संपर्क
7835814510