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तीर्थंकर बनने की प्रक्रिया और 24 तीर्थंकर
तीर्थंकर कैसे बनते हैं?
जैन दर्शन के अनुसार, तीर्थंकर बनने के लिए आत्मा को:
- अत्यंत पुण्य,
- महान तपस्या,
- सात्विक जीवन,
- और तीर्थंकर नामकर्म का बंध होना आवश्यक होता है।
ये आत्माएँ करोड़ों जन्मों तक तप, संयम, और धर्म का पालन कर तीर्थंकर बनने योग्य बनती हैं।
जैन धर्म में तीर्थंकर कोई साधारण गुरु या संत नहीं होते — ये ऐसे महापुरुष होते हैं जिन्होंने केवलज्ञान (संपूर्ण ज्ञान) प्राप्त किया होता है और जो “तीर्थ” अर्थात मोक्षमार्ग की स्थापना करते हैं। तीर्थंकर बनने की प्रक्रिया बहुत विशिष्ट और आध्यात्मिक रूप से गहन होती है।
कोई तीर्थंकर कैसे घोषित होता है?
जैन दर्शन के अनुसार, तीर्थंकर की पहचान और घोषणा का कोई मानवीय या संस्थागत निर्णय नहीं होता, बल्कि यह कर्म सिद्धांत और आत्मिक योग्यता पर आधारित होती है। इसमें मुख्य बातें होती हैं:
1. तीर्थंकर नामकर्म बंध
- किसी जीव (आत्मा) के पिछले जन्मों के उत्तम पुण्य और तप से उसका तीर्थंकर नामकर्म बंधता है।
- यह बंध जीवन के अत्यंत पुण्यशील और त्यागमय अवस्था में होता है।
- यह कर्म तय करता है कि वह आत्मा आगे चलकर तीर्थंकर बनेगी।
2. देवों की पूर्व-घोषणा (पूर्वचिन्ह)
- जब वह आत्मा मनुष्य योनि में तीर्थंकर बनने के लिए जन्म लेती है, तो इंद्रदेव (सुरेन्द्र) और अन्य देवता उसे पहचानते हैं।
- जन्म से पहले कल्पवृक्ष, सिंहासन, चक्र, देवदुन्दुभि, और सपनों के रूप में माता को संकेत मिलते हैं (उदाहरण: त्रिशला माता को 16 स्वप्न)।
3. जन्म के समय शुभ लक्षण
- तीर्थंकरों के जन्म के समय दिव्य घटनाएँ होती हैं:
- पृथ्वी पर शांति छा जाती है
- इंद्रदेव जन्माभिषेक कराते हैं
- आकाशवाणी होती है
- माता-पिता को दिव्य आनंद की अनुभूति होती है
4. केवलज्ञान की प्राप्ति
- तीर्थंकर कठिन तपस्या और ध्यान के बाद केवलज्ञान प्राप्त करते हैं — यानी उन्होंने संसार के समस्त पदार्थों और आत्मा को पूरी तरह जान लिया होता है।
- इसके बाद वे धर्मचक्र प्रवर्तन करते हैं, यानी चार तीर्थ (साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका) की स्थापना करते हैं।
5. तीर्थंकर की भूमिका
- वे केवल उपदेशक नहीं, मोक्षमार्ग के मार्गदर्शक होते हैं।
- उनके उपदेशों को श्रुतज्ञान के रूप में अगली पीढ़ियों तक पहुँचाया जाता है।
क्रम | तीर्थंकर का नाम | प्रतीक चिन्ह |
---|---|---|
1 | ऋषभनाथ (आदिनाथ) | बैल (बृषभ) |
2 | अजितनाथ | हाथी |
3 | संभवनाथ | घोड़ा |
4 | अभिनन्दननाथ | वानर (बंदर) |
5 | सुमतिनाथ | क्रौंच (पक्षी) |
6 | पद्मप्रभ | कमल |
7 | सुपार्श्वनाथ | स्वस्तिक |
8 | चन्द्रप्रभ | चन्द्रमा |
9 | पुष्पदन्त (सुविधिनाथ) | मगरमच्छ |
10 | शीतलनाथ | कल्पवृक्ष |
11 | श्रेयांसनाथ | गैंडा |
12 | वासुपूज्य | भैंसा |
13 | विमलनाथ | शूक |
14 | अनंतनाथ | बाज (गरुड़) |
15 | धर्मनाथ | वज्र (गदा) |
16 | शांतिनाथ | हिरण |
17 | कुंथुनाथ | बकरी |
18 | अरहनाथ | मछली |
19 | मल्लिनाथ | कलश |
20 | मुनिसुव्रतनाथ | कछुआ |
21 | नमिनाथ | नीला कमल |
22 | नेमिनाथ | शंख |
23 | पार्श्वनाथ | सर्प |
24 | महावीर स्वामी | सिंह (शेर) |
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्रभाई पटेल ने ‘विश्व नवकार महामंत्र दिवस’ पर जारी किया विशेष डाक आवरण
भारतीय डाक विभाग द्वारा जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (जीतो) की ओर से 9 अप्रैल, 2025 को अहमदाबाद के जीएमडीसी मैदान पर आयोजित ‘’विश्व नवकार महामंत्र दिवस” पर एक विशेष आवरण और विरूपण गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्रभाई पटेल द्वारा जारी किया गया। उत्तर गुजरात परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने मुख्यमंत्री को विशेष आवरण की प्रथम प्रति भेंट किया। इस विशेष आवरण पर ‘भगवान पार्श्वनाथ का 2800 वां निर्वाण कल्याणक’ पर जारी डाक टिकट लगाकर इसका विशिष्ट विरूपण किया गया। यह आयोजन जैन समुदाय की ओर से विश्व शांति और अहिंसा के संदेश को फैलाने के उद्देश्य से किया गया। इस दौरान सुबह 8:01 बजे से लेकर 9:36 बजे तक एक साथ 25 हजार से अधिक लोगों ने नवकार मंत्र का सामूहिक जाप किया।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम से पूरे भारत को वर्चुअली संबोधित किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने नवकार मंत्र के गहन आध्यात्मिक अनुभव साझा करते हुए मन में शांति एवं स्थिरता लाने की इसकी क्षमता पर चर्चा की। उन्होंने कहा, “नवकार महामंत्र सिर्फ मंत्र नहीं है। ये हमारी आस्था का केंद्र है। हमारे जीवन का मूल स्वर, और इसका महत्व सिर्फ आध्यात्मिक नहीं है। ये स्वयं से लेकर समाज तक सबको राह दिखाता है, जन से जग तक की यात्रा है। इस मंत्र का प्रत्येक पद ही नहीं, बल्कि प्रत्येक अक्षर अपने आप में मंत्र है।” प्रधानमंत्री ने सामूहिक नवकार मंत्र के जाप के बाद सभी से नौ संकल्प लेने का भी आग्रह किया। गुजरात के गृह मंत्री श्री हर्ष संघवी भी अहमदाबाद में आयोजित कार्यक्रम से वर्चुअली जुड़े।
पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि ‘’विश्व नवकार महामंत्र दिवस’ पर विशेष आवरण को एक विशिष्ट प्रतीक के रूप में तैयार किया गया है। इसमें नवकार मंत्र “नमो अरिहंताणं, नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं, नमो उवज्झायाणं, नमो लोए सव्वसाहूणं, एसो पंच नमुक्कारो, सव्व पावप्पणासणो, मंगलाणं च सव्वेसिँ, पढमं हवइ मंगलं” को प्रदर्शित किया गया है। ऐसे में एक प्रतिष्ठित सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में जारी इस विशेष आवरण के माध्यम से युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति और विरासत से अवगत हो सकेगी। ये विशेष आवरण फिलेटली का एक अद्भुत हिस्सा बनकर और डाक टिकट लगकर देश-विदेश में भी जायेंगे, जहाँ नवकार महामंत्र की गाथा को लोगों तक फैलाएँगे और इसका देश-विदेश में व्यापक प्रचार-प्रसार हो सकेगा।
गौरतलब है कि नवकार महामंत्र दिवस आध्यात्मिक सद्भाव और नैतिक चेतना का एक महत्वपूर्ण उत्सव है और यह जैन धर्म में सबसे अधिक पूजनीय और सार्वभौमिक मंत्र नवकार महामंत्र के सामूहिक जाप के माध्यम से लोगों को एकजुट करने का प्रयास करता है। अहिंसा, विनम्रता और आध्यात्मिक उत्थान के सिद्धांतों पर आधारित यह मंत्र प्रबुद्ध व्यक्तियों के गुणों को श्रद्धांजलि देता है और आंतरिक परिवर्तन को प्रेरित करता है। यह दिवस सभी व्यक्तियों को आत्म-शुद्धि, सहिष्णुता और सामूहिक कल्याण के मूल्यों पर चिंतन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। शांति और एकजुटता के लिए इस वैश्विक मंत्रोच्चार में देश-विदेश से तमाम लोग शामिल हुए। उन्होंने पवित्र जैन मंत्र के माध्यम से शांति, आध्यात्मिक जागृति और सार्वभौमिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए भाग लिया।
इस अवसर पर टोरेंट ग्रुप के चेयरमैन श्री सुधीर मेहता, जीतो की अहमदाबाद इकाई अध्यक्ष श्री ऋषभ पटेल, जीतो के चीफ सेक्रेटरी श्री मनीष शाह, कन्वीनर श्री आसित शाह, वाइस चेयरमैन श्री वैभव शाह, श्री प्रकाश भाई संघवी, श्री गणपतराज चौधरी, अहमदाबाद जीपीओ डिप्टी चीफ पोस्टमास्टर श्री अल्पेश शाह और जैन समुदाय के विभिन्न पंथों जैसे श्वेतांबर, दिगंबर, तेरापंथी, स्थानकवासी आदि के साधु-साध्वी, आचार्य, गच्छाधिपति आयोजन में शामिल हुए।
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति ने जगाई आशा और उम्मीदें
दिनांक 9 अप्रेल 2025 को भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की द्विमासिक बैठक में एकमत से निर्णय लेते हुए रेपो दर में 25 आधार बिंदुओं की कमी करते हुए इसे 6.25 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया है एवं इस मौद्रिक नीति में स्टैन्स को स्थिर (स्टेबल) से उदार (अकोमोडेटिव) कर दिया है। इसका आश्य यह है कि आगे आने वाले समय में भारतीय रिजर्व बैंक रेपो दर में वृद्धि नहीं करते हुए इसे या तो स्थिर रखेगा अथवा इसमें कमी की घोषणा करेगा। भारत में मुद्रा स्फीति की दर को नियंत्रित करने में मिली सफलता के चलते भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा यह निर्णय लिया जा सका है।
वैश्विक स्तर पर अमेरिका द्वारा छेड़े गए व्यापार युद्ध का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत अधिक विपरीत प्रभाव पड़ने की सम्भावना नहीं है और भारतीय रिजर्व बैंक के आंकलन के अनुसार वित्तीय वर्ष 2025-26 में भारत की आर्थिक विकास दर 6.5 प्रतिशत रह सकती है और पूर्व में इसके 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था, अर्थात, अमेरिका द्वारा अपने देश में होने वाले आयात पर लगाए गए टैरिफ से भारतीय अर्थव्यवस्था पर केवल 0.2 प्रतिशत का असर होने की सम्भावना व्यक्त की गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था दरअसल निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर भी नहीं है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद का केवल लगभग 16-17 प्रतिशत भाग ही अन्य देशों को निर्यात किया जाता है। इसमें से भी अमेरिका को तो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का केवल लगभग 2 प्रतिशत भाग ही निर्यात होता है। अतः ट्रम्प प्रशासन द्वारा विभिन्न देशों पर अलग अलग दर से लगाए गए टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर नगण्य सा प्रभाव पड़ने की सम्भावना है।
वैश्विक स्तर पर उक्त वर्णित समस्याओं के बीच भी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई एम एफ) ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2028 तक भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा एवं वर्ष 2025 एवं 2026 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर बनी रहेगी। पिछले 10 वर्षों के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में 100 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। इस वर्ष के अंत तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद का स्तर 4.27 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच जाएगा, जो भारतीय रुपए में लगभग 360 लाख करोड़ रुपए बनता है। वर्ष 2015 से लेकर वर्ष 2024 तक के पिछले 10 वर्षों के समय में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार दुगना हो गया है। वर्ष 2015 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद का आकार 2.10 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर (रुपए 180 लाख करोड़) का था और भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में 10वें क्रम पर था। वर्ष 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार दुगना होकर 4.27 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर रहने का अनुमान लगाया गया है।
पिछले 10 वर्षों के दौरान केंद्र सरकार ने आर्थिक एवं वित्तीय क्षेत्र में कई सुधार कार्यक्रम लागू किए हैं जिससे विशेष रूप से कृषि के क्षेत्र में सुधार दृष्टिगोचर हुआ है। साथ ही, भारत में आधारभूत संरचना खड़ी करने के लिए केंद्र सरकार के पूंजीगत खर्च में भारी भरकम वृद्धि दर्ज हुई है। देश में विदेशी निवेश का लगातार विस्तार हो रहा है और रोजगार के अवसरों में भी अतुलनीय वृद्धि दर्ज हुई है। भारत में विनिर्माण के क्षेत्र में नई इकाईयों की स्थापना को प्रोत्साहन देने के लिए उत्पादन प्रोत्साहन योजना (पी एल आई) लागू की गई है। मुद्रा योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार की गारंटी पर भारतीय बैकों (निजी एवं सरकारी क्षेत्र के बैकों सहित) ने 33 लाख करोड़ रुपए के ऋणों का वितरण किया है।
भारत आज अमेरिका, चीन, जर्मनी एवं जापान के पश्चात विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। पिछले 10 वर्षों के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था ने लम्बी छलांग लगाते हुए, विश्व में 10वें से आज 5वें स्थान पर आ गई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकलन के अनुसार पिछले 10 वर्षों में भारत का सकल घरेलू उत्पाद 100 प्रतिशत बढ़ा है तो अमेरिका का 65.8 प्रतिशत, चीन का 75.8 प्रतिशत, जर्मनी का 43.7 प्रतिशत और जापान का केवल 1.3 प्रतिशत बढ़ा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2025 एवं 2026 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की बनी रहेगी, इस प्रकार भारत वर्ष 2026 में जापान को पीछे छोड़ते हुए विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा एवं वर्ष 2028 में जर्मनी को पीछे छोड़कर भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। जर्मनी, जापान एवं भारत के सकल घरेलू उत्पाद में बहुत ही थोड़ा अंतर है। जापान का सकल घरेलू उत्पाद 4.4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर है, जर्मनी का सकल घरेलू उत्पाद 4.9 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर है, वहीं भारत का सकल घरेलू उत्पाद 4.3 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर है।
यदि भारत में आगे आने वाले वर्षों में मुद्रा स्फीति पर अंकुश कायम रहता है एवं भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा आगे आने वाले समय में ब्याज दरों में लगातार कमी की जाती है तो भारत अपनी आर्थिक विकास दर को 6.5 प्रतिशत से भी आगे ले जा सकने में सफल हो सकता है। अतः भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मुद्रा नीति में स्टैन्स को स्थिर से उदार करने के निहितार्थ हैं।
प्रहलाद सबनानी
सेवानिवृत्त उपमहाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
के-8, चेतकपुरी कालोनी,
झांसी रोड, लश्कर,
ग्वालियर – 474 009
मोबाइल क्रमांक – 9987949940
ई-मेल – prahlad.sabnani@gmail.com
औरंगजेब के अत्याचारों के आगे नहीं झुके कानाहा रावत
वीर गौकुल सिंह ने अथक साहस का परिचय देकर पंचों व मुखियों को रावत पाल के बडे गांव बहीन में एक विशाल पंचायत बुलाई. इस में औरंगजेब से निपटने की योजना तैयार की गई. इस पंचायत में बलबीर सिंह ने गोकला को आश्वासन दिया कि वे अपनी आन बान और शान के लिए अपने प्राण तक न्यौछावर कर देंगे, लेकिन विदेशी आक्रांताओं के समक्ष कभी नहीं झुकेंगे. युद्ध करने की समय सीमा तय हो गई.
खबर औरंगजेब तक पंहुच गई. उसने अपना सेनापति शेरखान को बहीन भेजा. माघ माह शीत लहर में गांव के चुनिंदा लोग वर्णित पंचायत में लिए गए फैसले की तैयारी कर रहे थे, कि अचानक गांव के चौकीदार चंदू बारिया ने औरंगजेब के सेनापति दूत शेरखान के आने की सूचना दी. बंगले पर विराजमान वृद्धों ने भारतीय संस्कृति की रीतिरिवाज के अनुसार शेरखान को आदर सहित बंगले पर बुलवाया तथा उससे आने का कारण पूछा. शेरखान शाह मिजाज से वृद्धों का अपमान करता हुआ बोला – हम बादशाह औरंगजेब का फरमान लेकर आए है. यहां के लोग सीधे-सीधे ढंग से इस्लाम धर्म स्वीकार करते हैं, तो तुम्हारे मुखिया को नवाब की उपाधि से सम्मानित करेंगे. खास चेतावनी यह है कि यदि तुम लोगों ने गोकला जाट का साथ दिया तो अंजाम बुरा होगा।
इतनी बात सुनकर कान्हा रावत वहां से उठे और अपनी निजी बैठक में गया और भाला लेकर वापिस शेरखान पर टूट पडा. गांव के वृद्धों ने उसे रोकने का प्रयास किया, लेकिन वे असफल रहे. इधर शेरखान ने भी अपने साथियों को आदेश दिया कि वे इस छोकरे को शीघ्र काबू करके बंदी बनाएं. कान्हा रावत का उत्साह देखकर उसके युवा साथी भी लाठी, बल्लम आदि शस्त्र लेकर टूट पडे. युवाओं ने उन सैनिको को वहां से भगा कर ही दम लिया.
रावतों के पांच गावों (बहीन, नागल जाट, अल्घोप, पहाड़ी, और मानपुर) की एक महापंचायत हुई थी जिसमे कान्हा रावत के अध्यक्षता में निर्णय लिए गए थे
हम अपना सनातन धर्म नहीं बदलेंगे.
मुसलमानों के साथ खाना नहीं खायेंगे.
कृषि कर अदा नहीं करेंगे.
रावत पंचायत के निर्णयों की खबर जब औरंगजेब को लगी तो वह क्रोध से आग बबूला हो उठा. उसने अब्दुल नवी सेनापति के अधीन एक बहुत बड़ी सेना बहीन पर आक्रमण के लिए भेजी. सन 1684 में बहिन गाँव को चारों तरफ से घेर लिया. रावतों और मुग़ल सेना में युद्ध छिड़ गया. लेकिन मुगलों की बहुसंख्यक, हथियारों से सुसज्जित सेना के आगे शास्त्र-विहीन आखिर कब तक मुकाबला करते. अनुमानतः 2000 से अधिक वीरगति को प्राप्त हुए थे. कान्हा रावत को गिरफ्तार कर लिया गया.
सात फ़ुट लम्बे तगड़े बलशाली युवा कान्हा रावत को गिरफ्तार करके मोटी जंजीरों से जकड़ दिया गया. उसके पैरों में बेडी, हाथों में हथकड़ी तथा गले में चक्की के पाट डालकर कैद करके दिल्ली लाया गया. वहां उसको अजमेरी गेट की जेल में बंद कर दिया गया. उसी जेल के आगे गढा खोदा गया. कान्हा को प्रतिदिन उस गढे में गाडा जाता था तथा अमानवीय यातनाएं दी जाती थी लेकिन वह इन अत्याचारों से भी टस से मस नहीं हुआ.
एक दिन बड़ी मुश्किल से मिलने की इजाज़त लेकर कान्हा का छोटा भाई दलशाह उसे मिलने के लिए आया. उस समय कान्हा के पैर जांघों तक जमीन में दबाये हुए थे तथा हाथ जंजीरों से जकडे हुए थे. कोड़ों की मार से उसका शरीर सूखकर कांटा हो गया था.
दलशाह से यह दृश्य देखा नहीं गया तो उसने कान्हा से कहा भाई अब यह छोड़ दे. तब कान्हा तिलमिला उठा और बोला:
“अरे दलशाह यह तू कह रहा है. क्या तू मेरा भाई है. मैंने तो सोचा था कि मेरा भाई अब्दुन नबी की मौत की सूचना देने आया है. ताकि मैं शांति से मर सकूं. मैंने तो सोचा था कि मेरे भाई ने मेरा प्रतोशोध ले लिया है.
कान्हा का छोटा भाई दलशाह कान्हा को प्रणाम कर माफ़ी मांग कर वापिस गया. कान्हा रावत के छोटे भाई दलशाह ने रावतों के अतिरिक्त उस क्षेत्र के अनेक गावों को इकठ्ठा कर अब्दुल नवी पर हमला बोल दिया. यह खबर कान्हा को उसकी मृत्यु से एक दिन पहले मिली. इस खबर से कान्हा को बड़ी आत्मिक शांति मिली. इस घटना के बाद औरंगजेब ने कान्हा रावत पर जुल्म बढा दिए. अंत में चैत्र अमावस विक्रम संवत 1738 (1684 इस्वी} को वीरवर कान्हा रावत को जिन्दा ही जमीन में गाड दिया. वह देशभक्त धर्म की खातिर बलिदान हो गया.
जिस स्थान पर कान्हा रावत को जिन्दा गाडा गया था वह स्थान अजमेरी गेट के आगे मौहल्ला जाटान की गली में आज भी एक टीले के रूप में विद्यमान है.
तीर्थंकर महावीर के विचार आज भी प्रासंगिक
श्रमण डॉ पुष्पेन्द्र ने जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक (जयंती) के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि भगवान महावीर ने जो शिक्षाएं और संदेश दिया वह आज भी प्रासंगिक हैं। अहिंसा, अपरिग्रह, करुणा और क्षमा के विचार जनमानस की जीवन पद्धति बन गए हैं। महावीर स्वामी ने मानवता को शांति, प्रेम, सौहार्द और बंधुत्व की भावना के साथ जीवन जीने का मार्ग बताया। संपूर्ण विश्व एक है और सभी प्राणी एक ही परिवार के सदस्य हैं। एक का सुख सबका सुख है। एक की पीड़ा सभी की पीड़ा है, उनका यह संदेश आज भी पूरी दुनिया के लिए आदर्श है।
जयगढ़ दुर्ग : विश्व की सबसे बड़ी जयबाण तोप है आकर्षण का केंद्र
