Monday, July 1, 2024
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मोदीजी की इटली यात्रा का रहस्य कुछ और है

मोदी के जी7 शिखर सम्मेलन के बाद कांग्रेस का पारिस्थितिकी तंत्र दहशत में आ गया। अब, सच्चाई सामने आ गई है: पीएम मोदी की इटली यात्रा के बाद भारत का सबसे बड़ा रक्षा घोटाला फिर से सामने आ गया है!

2014 में मोदी के शपथ लेने से लगभग 8 महीने पहले, एक इतालवी अदालत ने भारत से जुड़े एक बड़े रिश्वत घोटाले में चार लोगों को दोषी ठहराया था। अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले में रिश्वत में 600 करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त करने वालों के नाम सहित पूर्ण विवरण, 2013 में भारत के दबाव में कभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया था।

ये वर्गीकृत दस्तावेज़, जो अब पीएम मोदी के साथ साझा किए गए हैं, भारत के प्रमुख भ्रष्ट इतालवी-भारतीय राजनीतिक परिवार और इसमें शामिल बिचौलियों का पूरा खुलासा करते हैं। भारत में ली गई रिश्वत की पुष्टि हो गई है, क्योंकि इतालवी अदालत ने रिश्वत देने वालों को दोषी ठहराया और रिश्वत लेने वालों के नाम सील कर दिए।

सूत्रों का कहना है कि मोदी की हालिया इटली यात्रा के बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए काल के वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले की जांच में तेजी आएगी। इटली ने अपनी अदालत के 225 पन्नों के विस्तृत फैसले और संबंधित दस्तावेजों को मोदी के साथ साझा किया, जिसमें पुख्ता सबूत उपलब्ध कराए गए जो भारत में हाई-प्रोफाइल राजनेताओं और बिचौलियों को बेनकाब कर सकते हैं।

अपनी इटली यात्रा के दौरान मोदी की ख़ुशी साफ़ झलक रही थी: “मैं पहले कभी इतना खुश नहीं हुआ था,” उन्होंने कहा।

यह घोटाला पहली बार फरवरी 2013 में दो बिचौलियों के साथ अगस्ता वेस्टलैंड के सीईओ ब्रूनो स्पैगनोलिनी और फिनमैकेनिका के चेयरमैन गुइसेप्पे ओर्सी की गिरफ्तारी के साथ सामने आया। सभी को मिलान कोर्ट ऑफ अपील्स ने भारतीय वायु सेना के साथ एक हेलिकॉप्टर सौदा हासिल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए दोषी ठहराया था।

याद रखें कि मोदी ने तीसरे कार्यकाल के छह महीने के भीतर एक बड़े राजनीतिक भूकंप का वादा किया था। तो झटके शुरू हो गए.

टीम मेलोडी को धन्यवाद देना न भूलें, जिन्होंने भारत के साथ सभी अदालती मुहरबंद दस्तावेज़ साझा किए।

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राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता नेमिल शाह ने  फिल्म निर्माण के रहस्यों को साझा किया

मुंबई। फिल्म निर्देशक नेमिल शाह ने आज 18वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ) के साथ-साथ आयोजित एक मास्टरक्लास में कहा, “मानव जीवन और कुछ नहीं, बल्कि एक दिलचस्प खेल है, भावनाओं और घटनाओं से भरा एक रहस्य है। आइए हम इसे अपनाएं और कुछ विशिष्ट और आकर्षक बनाने के लिए इसकी खोजबीन करें।” युवा फिल्म निर्माता ने अपनी रचना को पूरी तरह से समझने के गहन महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एक रचनाकार के रूप में आगे बढ़ने से पहले आपको अपनी रचना को पूरी तरह से समझने और अनुभव करने की आवश्यकता है। उन्होंने फिल्म निर्माताओं से अपनी कलात्मक प्रक्रियाओं को गहराई से समझने का आग्रह किया।

निर्देशक नेमिल शाह ने लघु फिल्मों के निर्माण में साउण्ड की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने फिल्म निर्माताओं को अपने काम के श्रवण-संबंधी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया और फिल्म के समग्र प्रभाव को बढ़ाने में इसके महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “स्वयं को सुनें, अपने आस-पास की ध्वनि के प्रति सजग रहें। लघु फिल्म के लिए ध्वनि का निर्माण एक कला है।”

लघु फिल्म निर्माण की कला के बारे में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक ने फिल्म निर्माताओं से ऐसी फिल्में बनाने का आग्रह किया, जो स्थान, समय, रसद और दर्शकों जैसी सीमाओं से बंधे बिना उनके दिलों में गूंजती हों। अपने लिए जुनूनी फिल्में बनाएं, ये आखिर में अपनी मंजिल पा लेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि गैर-रचनात्मक मुद्दों के बजाय रचनात्मक तत्वों पर अधिक ध्यान दें।

वित्त पोषण और लॉजिस्टिक्स जैसी बाधाओं पर प्रकाश डालते हुए नेमिल शाह ने कहा कि कम से कम संसाधनों और बजट से भी अच्छी लघु फिल्में बनाई जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति के साथ आज कल कोई भी व्यक्ति एक मोबाइल और कुछ न्यूनतम सामान और लेंस के साथ एक बहुत अच्छी लघु फिल्म बना सकता है।

उचित निर्माण योजना और लगातार मजबूती पर ध्यान केंद्रित करते हुए, नेमिल शाह ने फिल्म निर्माताओं को सलाह दी कि वे लघु फिल्म को फीचर फिल्म या एक सीमित कला के प्रवेश द्वार के रूप में न समझें। उन्होंने यह सुझाव दिया कि केवल अपनी कला के माध्यम से, अपने तरीके से, जीवन और समाज के बारे में अपने अवलोकन को चित्रित करें। उचित योजना के साथ लगातार आगे बढ़ते हुए प्रयास जारी रखें।

नेमिल शाह के बारे में
नेमिल शाह भारत के जामनगर के एक कलाकार हैं, जो मुख्य रूप से फिल्मों और वीडियो इंस्टॉलेशन के क्षेत्र में काम करते हैं। उनकी पहली लघु फिल्म- “दाल भात” ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते और उसकी ऑस्कर के लिए एक आधिकारिक प्रविष्टि भी हुई। वर्ष 2023 में, उन्होंने पेरू के अमेज़ॅन रेन-फोरेस्ट में एक वीडियो ‘ओडोर फिल्म इंस्टॉलेशन’- “9-3” का निर्माण किया, जिसका हाल ही में अपिचटपोंग वीरसेथाकुल जैसे कलाकारों की अभिव्यक्ति के साथ प्रीमियर हुआ। उन्होंने हाल ही में एक सुपर 8 मिमी फिल्म भी पूरी की, जो थाईलैंड बिएनले, 2024 का एक हिस्सा है। सेवन टू सेवन, उनकी पहली फीचर फिल्म होगी, जिसका जल्द ही निर्माण शुरू होने वाला है। 24 वर्षीय नेमिल 18वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ), 2024 के सबसे कम उम्र के मास्टर क्लास वक्ता हैं।

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क्या रत्नों का प्रभाव पड़ता है?

मित्रों! बहुत कम शब्दों में इस प्रश्न का उत्तर समझने की कोशिश करते हैं। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता है कि प्रत्येक ग्रह की स्वयं की किरणें या रश्मियां ( तरंगे) होती हैं। सम्पूर्ण धरती में पड़ने वाले सूर्य और चंद्रमा का प्रत्यक्ष भौतिक प्रभाव तो हम प्रतिदिन देखते ही हैं।

इसी प्रकार जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो ज्योंही वह पृथ्वी के वायुमंडल के संपर्क में आता है उस समय समस्त ग्रहों की तरंगों का प्रभाव उस पर पड़ता है। उस समय वह बच्चा ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही उनकी तरंगों से प्रभावित होगा। जन्म कुण्डली  तात्कालिक आकाश मण्डल का खाका ही तो है। ये विशुद्ध गणित है जिसे दुनिया की कोई भी वैज्ञानिक रिसर्च फेल नहीं कर सकती है। यहां तक कि आधुनिक विज्ञान तमाम वैज्ञानिक उपकरणों की मदद के बावजूद इतनी स्पष्ट जानकारी नहीं दे सकती है। क्योंकि ज्योतिष ना सिर्फ उस समय ब्रह्मांड में ग्रहों की स्थिति बताता है बल्कि ये भी बताता है कि उस वक्त बच्चे पर ग्रहों की किरणों का प्रभाव कैसा पड़ेगा। आश्चर्य तो तब होता है जब उस बच्चे पर पूरी जिंदगी भर तात्कालिक ब्रह्मांडीय स्थिति का प्रभाव बना रहता। और ये प्रभाव उसके मन, बुद्धि, शरीर.. हर जगह दिखाई देते हैं।

हम जानते हैं कि स्वस्थ शरीर के लिए हमारे शरीर में पानी, लवण, ग्लूकोज, विटामिन्स आदि के उचित अनुपात की आवश्यकता है। उसी प्रकार हमारे इस जीवन में प्रत्येक ग्रह किसी ना किसी आयाम का प्रतिनिधित्व करता है।  अगर इन ग्रहों की ऊर्जाओं का अनुपात असंतुलित होगा तो निश्चित रूप से हमारा जीवन भी असंतुलित हो जाता है। इसका असर हमारे लिए शारीरिक, मानसिक समस्याओं के साथ साथ हमारी जिन्दगी से जुड़े सभी पहलुओं में नजर आता है।

अब प्रश्न उठता है कि रत्न क्या करते हैं?
मित्रों रत्न ग्रहों की ऊर्जाओं को बैलेंस करने का काम करते हैं। क्योंकि रत्न का अपना एक अलग विज्ञान है। किसी विशेष ग्रह के लिए विशेष रत्न धारण करना पड़ता है। ताकि वह उस ग्रह की तरंगों को सोखकर हमारे शरीर में प्रवाहित कर सके। ज्योतिष का ज्ञान रखने वाले को ये समझना जरूरी है कि अमुक व्यक्ति के अंदर ग्रहीय ऊर्जाओं का संतुलन कैसे स्थापित किया जा सकता है, जोकि किसी व्यक्ति की संपूर्ण कुंडली विश्लेषण करके ही पता किया जा सकता है। अगर जानकारी के अभाव में गलत रत्न धारण कर लिया जाए तो वो लाभदायक होने के बजाय नुकसान ही पहुंचाएगा। क्योंकि उससे ग्रहों की एनर्जी का तारतम्य बिगड़ने की पूरी संभावना है। ठीक उसी प्रकार जैसे गलत दवा का प्रयोग हमारे लिए नुकसानदायक साबित होता है।

सौरभ दुबे ( Astrological Consultant)
*काशी/बनारस/वाराणसी
*Contact Watsapp Only*- *9198818164*

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बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय परिसर के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री  ने क्या कहा

कार्यक्रम में उपस्थित बिहार के राज्यपाल श्री राजेन्द्र अरलेकर जी, यहां के कर्मठ मुख्यमंत्री श्रीमान नीतीश कुमार जी, हमारे विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर जी, विदेश राज्य मंत्री श्री पबित्र जी, विभिन्न देशों के Excellencies, एंबेसडर्स, नालंदा यूनिवर्सिटी के वीसी, प्रोफेसर्स, स्टूडेंट्स और उपस्थित साथियों!

मुझे तीसरे कार्यकाल की शपथ ग्रहण करने के बाद, पहले 10 दिनों में ही नालंदा आने का अवसर मिला है। ये मेरा सौभाग्य तो है ही, मैं इसे भारत की विकास यात्रा के लिए एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं। नालंदा, ये केवल नाम नहीं है। नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है। नालंदा एक मूल्य है, नालंदा मंत्र है, गौरव है, गाथा है। नालंदा है उद्घोष इस सत्य का, कि आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जाएं लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं। नालंदा के ध्वंस ने भारत को अंधकार से भर दिया था। अब इसकी पुनर्स्थापना भारत के स्वर्णिम युग की शुरुआत करने जा रही है।

साथियों,

अपने प्राचीन अवशेषों के समीप नालंदा का नवजागरण, ये नया कैंपस, विश्व को भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा। नालंदा बताएगा- जो राष्ट्र, मजबूत मानवीय मूल्यों पर खड़े होते हैं, वो राष्ट्र इतिहास को पुनर्जीवित करके बेहतर भविष्य की नींव रखना जानते हैं। और साथियों- नालंदा केवल भारत के ही अतीत का पुनर्जागरण नहीं है। इसमें विश्व के, एशिया के कितने ही देशों की विरासत जुड़ी हुई है। एक यूनिवर्सिटी कैंपस के inauguration में इतने देशों का उपस्थित होना, ये अपने-आप में अभूतपूर्व है। नालंदा यूनिवर्सिटी के पुनर्निर्माण में हमारे साथी देशों की भागीदारी भी रही है। मैं इस अवसर पर भारत के सभी मित्र देशों का, आप सभी का, अभिनंदन करता हूं। मैं बिहार के लोगों को भी बधाई देता हूं। बिहार अपने गौरव को वापस लाने के लिए जिस तरह विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है, नालंदा का ये कैंपस उसी की एक प्रेरणा है।

साथियों,

हम सभी जानते हैं कि नालंदा, कभी भारत की परंपरा और पहचान का जीवंत केंद्र हुआ करता था। नालंदा का अर्थ है- ‘न अलम् ददाति इति ‘नालंदा’ अर्थात्, जहां शिक्षा का, ज्ञान के दान का अविरल प्रवाह हो! शिक्षा को लेकर, एजुकेशन को लेकर, यही भारत की सोच रही है। शिक्षा, सीमाओं से परे है, नफा-नुकसान के नजरिए से भी परे है। शिक्षा ही हमें गढ़ती है, विचार देती है, और उसे आकार देती है। प्राचीन नालंदा में बच्चों का एड्मिशन उनकी पहचान, उनकी nationality को देखकर नहीं होता था। हर देश, हर वर्ग के युवा यहां आते थे। नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए कैंपस में हमें उसी प्राचीन व्यवस्था को फिर से आधुनिक रूप में मजबूती देनी है। और मुझे ये देखकर खुशी है कि दुनिया के कई देशों से यहां स्टूडेंट्स आने लगे हैं। यहां नालंदा में 20 से ज्यादा देशों के स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। ये वसुधैव कुटुंबकम की भावना का कितना सुंदर प्रतीक है।

साथियों,

मुझे विश्वास है आने वाले समय में नालंदा यूनिवर्सिटी, फिर एक बार हमारे cultural exchange का प्रमुख सेंटर बनेगी। यहां भारत और साउथ ईस्ट एशियन देशों के आर्टवर्क के documentation का काफी काम हो रहा है। यहां Common Archival Resource Centre की स्थापना भी की गई है। नालंदा यूनिवर्सिटी, Asean-India University Network बनाने की दिशा में भी काम कर रही है। इतने कम समय में ही कई लीडिंग ग्लोबल institutes यहां एक साथ आए हैं। एक ऐसे समय में जब 21वीं सदी को एशिया की सदी कहा जा रहा है-हमारे ये साझा प्रयास हमारी साझी प्रगति को नई ऊर्जा देंगे।

साथियों,

भारत में शिक्षा, मानवता के लिए हमारे योगदान का एक माध्यम मानी जाती है। हम सीखते हैं, ताकि अपने ज्ञान से मानवता का भला कर सकें। आप देखिए, अभी दो दिन बाद ही 21 जून को International Yoga Day है। आज भारत में योग की सैकड़ों विधाएं मौजूद हैं। हमारे ऋषियों ने कितना गहन शोध इसके लिए किया होगा! लेकिन, किसी ने योग पर एकाधिकार नहीं बनाया। आज पूरा विश्व योग को अपना रहा है, योग दिवस एक वैश्विक उत्सव बन गया है। हमने अपने आयुर्वेद को भी पूरे विश्व के साथ साझा किया है। आज आयुर्वेद को स्वस्थ जीवन के एक स्रोत के रूप में देखा जा रहा है। Sustainable lifestyle और sustainable development का एक और उदाहरण हमारे सामने है। भारत ने सदियों तक sustainability को एक मॉडल के रूप में जीकर दिखाया है। हम प्रगति और पर्यावरण को एक साथ लेकर चले हैं। अपने उन्हीं अनुभवों के आधार पर भारत ने विश्व को मिशन LIFE जैसा मानवीय विज़न दिया है। आज इंटरनेशनल सोलर अलायंस जैसे मंच सुरक्षित भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। नालंदा यूनिवर्सिटी का ये कैंपस भी इसी भावना को आगे बढ़ाता है। ये देश का पहला ऐसा कैंपस है, जो Net Zero Energy, Net Zero Emissions, Net Zero Water, and Net Zero Waste मॉडल पर काम करेगा। अप्प दीपो भव: के मंत्र पर चलते हुए ये कैंपस पूरी मानवता को नया रास्ता दिखाएगा।

साथियों,

जब शिक्षा का विकास होता है, तो अर्थव्यवस्था और संस्कृति की जड़ें भी मजबूत होती हैं। हम Developed Countries को देखें, तो ये पाएंगे कि वो इकोनॉमिक और कल्चरल लीडर तब बने, जब वो एजुकेशन लीडर्स हुए। आज दुनिया भर के स्टूडेंट्स और Bright Minds उन देशों में जाकर वहां पढ़ना चाहते हैं। कभी ऐसी ही स्थिति हमारे यहां नालंदा और विक्रमशिला जैसे स्थानों में हुआ करती थीं। इसलिए, ये केवल संयोग नहीं है कि जब भारत शिक्षा में आगे था तब उसका आर्थिक सामर्थ्य भी नई ऊंचाई पर था। ये किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए एक बेसिक रोडमैप है। इसीलिए, 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य पर काम कर रहा भारत, इसके लिए अपने एजुकेशन सेक्टर का कायाकल्प कर रहा है। मेरा मिशन है कि भारत दुनिया के लिए शिक्षा और ज्ञान का केंद्र बने। मेरा मिशन है, भारत की पहचान फिर से दुनिया के सबसे Prominent Knowledge centre के रूप में उभरे। और इसके लिए भारत आज बहुत कम उम्र से ही अपने Students को Innovation की Spirit से जोड़ रहा है। आज एक तऱफ एक करोड़ से ज्यादा बच्चों को अटल टिंकरिंग लैब्स में Latest Technology के Exposure का लाभ मिल रहा है। वहीं दूसरी ओर चंद्रयान और गगनयान जैसे मिशन Students में Science के प्रति रुचि बढ़ा रहे हैं। Innovation को बढ़ावा देने के लिए भारत ने एक दशक पहले Startup India मिशन की शुरुआत की थी। तब देश में कुछ सौ ही स्टार्ट-अप्स थे। लेकिन आज भारत में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा स्टार्ट-अप हैं। पहले की तुलना में आज भारत से रिकॉर्ड पेटेंट फाइल हो रहे हैं, रिसर्च पेपर पब्लिश हो रहे हैं। हमारा जोर अपने Young Innovators को Research और Innovation के लिए ज्यादा से ज्यादा मौके देने का है। इसके लिए सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपये का Research Fund बनाने की घोषणा भी की है।

साथियों,

हमारा प्रयास है भारत में दुनिया का सबसे Comprehensive और Complete Skilling System हो, भारत में दुनिया का सबसे advanced research oriented higher education system हो, इन सारे प्रयासों के नतीजे भी दिखाई दे रहे हैं। पिछले कुछ सालों में भारतीय यूनिवर्सिटीज ने ग्लोबल रैंकिंग में पहले से काफी बेहतर perform करना शुरू किया है।

 10 साल पहले QS ranking में भारत के सिर्फ 9 शिक्षा संस्थान थे। आज इनकी संख्या बढ़कर 46 पहुंच रही है। कुछ दिन पहले ही Times Higher Education Impact रैंकिंग भी आई है। कुछ साल पहले तक इस रैंकिंग में भारत के सिर्फ 13 Institutions थे। अब इस ग्लोबल Impact रैंकिंग में भारत के करीब 100 शिक्षा संस्थान शामिल हैं। पिछले 10 वर्षों में औसतन भारत में हर सप्ताह एक यूनिवर्सिटी बनी है। भारत में हर दिन एक नई ITI की स्थापना हुई है। हर तीसरे दिन एक अटल टिंकरिंग लैब खोली गई है।

भारत में हर दिन दो नए कॉलेज बने हैं। आज देश में 23 IITs हैं। 10 साल पहले 13 IIMs थे, आज ये संख्या 21 है। 10 साल पहले की तुलना में आज करीब तीन गुना यानी की 22 एम्स हैं। 10 साल में मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है। आज भारत के एजुकेशन सेक्टर में बड़े reforms हो रहे हैं। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी ने भारत के युवाओं के सपनों को नया विस्तार दिया है। भारत की यूनिवर्सिटीज ने फ़ॉरेन यूनिवर्सिटीज़ के साथ भी collaborate करना शुरू किया है। इसके अलावा ‘डीकन और वलुन्गॉन्ग’ जैसी International Universities भी भारत में अपने कैंपस खोल रही हैं। इन सारे प्रयासों से भारतीय छात्रों को Higher Education के लिए भारत में ही सर्वश्रेष्ठ शिक्षा संस्थान उपलब्ध हो रहे हैं। इससे हमारे मध्यम वर्ग की बचत भी हो रही है।

साथियों,

आज विदेशों में हमारे प्रीमियर इंस्टीट्यूट्स के कैम्पस खुल रहे हैं। इसी साल अबू धाबी में IIT Delhi का कैंपस खुला है। तंजानिया में भी IIT मद्रास का कैंपस शुरू हो चुका है। और ग्लोबल होते भारतीय शिक्षा संस्थानों की तो ये शुरुआत है। अभी तो नालंदा यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों को भी दुनिया के कोने-कोने में जाना है।

साथियों,

आज पूरी दुनिया की दृष्टि भारत पर है, भारत के युवाओं पर है। दुनिया, बुद्ध के इस देश के साथ, मदर ऑफ डेमोक्रेसी के साथ, कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहती है। आप देखिए, जब भारत कहता है- One Earth, One Family, and One Future- तो विश्व उसके साथ खड़ा होता है। जब भारत कहता है- One Sun, One World, One Grid- तो विश्व उसे भविष्य की दिशा मानता है। जब भारत कहता है- One Earth One Health- तो विश्व उसे सम्मान देता है, स्वीकार करता है। नालंदा की ये धरती विश्व बंधुत्व की इस भावना को नया आयाम दे सकती है। इसलिए नालंदा के विद्यार्थियों का दायित्व और ज्यादा बड़ा है। आप भारत और पूरे विश्व का भविष्य हैं।

अमृतकाल के ये 25 साल भारत के युवाओं के लिए बहुत अहम हैं। ये 25 वर्ष नालंदा विश्वविद्यालय के हर छात्र के लिए भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। यहां से निकलकर आप जिस भी क्षेत्र में जाएं, आप पर अपनी यूनिवर्सिटी के मानवीय मूल्यों की मुहर दिखनी चाहिए। आपका जो Logo है, उसका संदेश हमेशा याद रखिएगा। आप लोग इसे Nalanda Way कहते हैं ना? व्यक्ति का व्यक्ति के साथ सामंजस्य, व्यक्ति का प्रकृति के साथ सामंजस्य, आपके Logo का आधार है। आप अपने शिक्षकों से सीखिए, लेकिन इसके साथ ही एक दूसरे से सीखने की भी कोशिश करिए। Be Curious, Be Courageous and Above all Be Kind. अपनी नॉलेज को समाज में एक सकारात्मक बदलाव के लिए प्रयोग करिए। अपनी नॉलेज से बेहतर भविष्य का निर्माण करिए। नालंदा का गौरव, हमारे भारत का गौरव, आपकी सफलता से तय होगा। मुझे विश्वास है, आपके ज्ञान से पूरी मानवता को दिशा मिलेगी। मुझे विश्वास है हमारे युवा आने वाले समय में पूरे विश्व को नेतृत्व देंगे, मुझे विश्वास है, नालंदा global cause का एक महत्वपूर्ण सेंटर बनेगा।

इसी कामना के साथ, आप सभी का मैं हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं। और नीतीश जी ने सरकार की तरफ से पूरी मदद का जो आह्वान किया है, उसका मैं स्वागत करता हूं। भारत सरकार भी इस विचार यात्रा को जितनी ऊर्जा दे सकती है उसमें कभी भी पीछे नहीं रहेगी। इसी एक भावना के साथ आप सब को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। धन्यवाद!

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पश्चिम रेलवे के मुंबई सेंट्रल मंडल द्वारा ‘पेंशन अदालत’ का आयोजन

मुंबई।   पश्चिम रेलवे के मुंबई सेंट्रल मंडल द्वारा रेलवे पेंशनर्स और फैमिली पेंशनर्स की उपस्थिति में 18 जून, 2024 को ‘पेंशन अदालत’ का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी श्री विनीत अभिषेक द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार मुंबई सेंट्रल मंडल कार्यालय में मुंबई सेंट्रल मंडल के मंडल रेल प्रबंधक श्री नीरज वर्मा और अन्य वरिष्ठ मंडल रेलवे अधिकारियों और कर्मचारियों की उपस्थिति में पेंशन अदालत का आयोजन किया गया। मंडल रेल प्रबंधक श्री वर्मा ने वहाँ उपस्थित सभी को आश्वासन दिया कि न केवल पेंशन अदालत के दौरान, बल्कि सामान्य कार्य दिवसों में भी पेंशनर्स की समस्याओं का ध्यान रखा जाएगा और उनके समाधान के लिए कार्मिक और लेखा विभाग द्वारा पूरा समर्थन दिया जाएगा।

इस अवसर पर पेंशनर्स के अलावा वेस्टर्न रेलवे एम्प्लाइज यूनियन, रिटायर्ड रेलवे एम्प्लाइज एसोसिएशन, वलसाड और सूरत रेलवे पेंशनर्स एसोसिएशन सहित अन्य एसोसिएशनों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान पेंशनर्स की शिकायतों को सुना गया, उनकी गहन जांच की गई और उनका समाधान किया गया। कुल 58 मामले प्राप्त हुए और उन सभी का मौके पर ही समाधान किया गया। पेंशन अदालत के दौरान मंडल रेल प्रबंधक श्री वर्मा ने संबंधित सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारियों को 21 पेंशन भुगतान आदेश (PPOs) सौंपे।

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पश्चिम रेलवे के मुंबई मंडल द्वारा नरदाना में पहले गति शक्ति मल्टीमोडल कार्गो टर्मिनल की शुरुआत

पश्चिम रेलवे के मुंबई मंडल द्वारा हाल ही में नरदाना में पहला गति शक्ति मल्टीमोडल कार्गो टर्मिनल शुरू किया गया। शिरपुर पावर प्राइवेट लिमिटेड (जिंदल पावर लिमिटेड) के सहयोग से चालू किया गया यह कार्गो टर्मिनल मुंबई मंडल के लिए पहला है।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी श्री विनीत अभिषेक द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार जिंदल पावर लिमिटेड द्वारा धुले में स्थापित पावर प्लांट की स्थापित क्षमता 300 मेगावाट है और यह टिपलर हैंडलिंग सुविधाओं और 3-लाइन हैंडलिंग यार्ड से सुसज्जित है। नरदाना के पास इस गति शक्ति मल्टीमोडल कार्गो टर्मिनल के चालू होने से भारतीय रेलवे के माल ढुलाई पूल में प्रति वर्ष 2.05 मिलियन टन की लोडिंग और लगभग 374 करोड़ रुपये का माल जुड़ जाएगा। सड़क मार्ग से कोयले के वर्तमान परिवहन को रेलवे द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा, जिससे रेल गुणांक में और वृद्धि होगी, परिवहन का एक पर्यावरण-अनुकूल तरीका उपलब्ध होगा और यह 2030 तक ‘मिशन 3000 मीट्रिक टन’ को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

श्री अभिषेक ने आगे बताया कि इस जीसीटी की शीघ्र कमीशनिंग मुंबई मंडल के ग्राहक केंद्रित दृष्टिकोण से संभव हो पाई है। इसके साथ ही, जीसीटी को दक्षिण मध्य रेलवे के सिकंदराबाद मंडल से अपना पहला रेक प्राप्त हुआ, जिसे 16 जून, 2024 को लोड किया गया और 18 जून, 2024 को नरदाना में गति शक्ति मल्टीमोडल कार्गो टर्मिनल पर रखा गया।

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भीड़ में भी तन्हा हैं राहुल गांधी

राहुल गांधी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. वे देश और राज्यों में सबसे लम्बे अरसे तक हुकूमत करने वाली कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं. हाल के लोकसभा चुनाव में उन्होंने उत्तर प्रदेश के रायबरेली और केरल के वायनाड लोकसभा क्षेत्र से लाखों मतों से जीत हासिल कर इतिहास रचा है. उन्होंने अपने पुराने लोकसभा क्षेत्र वायनाड छोड़कर रायबरेली से सांसद रहने का फ़ैसला किया है. बहरहाल, उनकी ज़िन्दगी कोई आसान नहीं है. इसमें जितने फूल हैं, उससे कहीं ज़्यादा ख़ार हैं जिनकी चुभन उन्हें हमेशा महसूस होती रहती है.

राहुल गांधी एक ऐसे ख़ानदान के वारिस हैं, जिसने देश के लिए अपनी जानें तक क़ुर्बान कर दीं. उनके भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में लाखों-करोड़ों चाहने वाले हैं. लेकिन इस सबके बावजूद वे अकेले खड़े नज़र आते हैं. उनके चारों तरफ़ एक ऐसा अनदेखा दायरा है, जिससे वे चाहकर भी बाहर नहीं आ पाते. एक ऐसी दीवार है, जिसे वे तोड़ नहीं पा रहे हैं. वे अपने आसपास बने ख़ोल में घुटन तो महसूस करते हैं, लेकिन उससे निकलने की कोई राह, कोई तरकीब उन्हें नज़र नहीं आती.

बचपन से ही उन्हें ऐसा माहौल मिला, जहां अपने-पराये और दोस्त-दुश्मन की पहचान करना बड़ा मुश्किल हो गया था. उनकी दादी इंदिरा गांधी और उनके पिता राजीव गांधी का बेरहमी से क़त्ल कर दिया गया. इन हादसों ने उन्हें वह दर्द दिया, जिसकी ज़रा-सी भी याद उनकी आंखें भिगो देती है. उन्होंने कहा था- “उनकी दादी को उन सुरक्षा गार्डों ने मारा, जिनके साथ वे बैडमिंटन खेला करते थे.”

rahul gandhi

वैसे राहुल गांधी के दुश्मनों की भी कोई कमी नहीं है. कभी उन्हें जान से मार देने की धमकियां मिलती हैं, तो कभी उनकी गाड़ी पर पत्थर फेंके जाते हैं. अप्रैल 2018 में उनका जहाज़ क्रैश होते-होते बचा. कर्नाटक के हुबली में उड़ान के दौरान 41 हज़ार फुट की ऊंचाई पर जहाज़ में तकनीकी ख़राबी आ गई और वह आठ हज़ार फ़ुट तक नीचे आ गया. उस वक़्त उन्हें लगा कि जहाज़ गिर जाएगा और उनकी जान नहीं बचेगी. लेकिन न जाने किनकी दुआएं ढाल बनकर खड़ी हो गईं और हादसा टल गया. कांग्रेस ने राहुल गांधी के ख़िलाफ़ साज़िश रचने का इल्ज़ाम लगाया था.

किसी अनहोनी की आशंका की वजह से ही राहुल गांधी हमेशा सुरक्षाकर्मियों से घिरे रहे हैं, इसलिए उन्हें वह ज़िन्दगी नहीं मिल पाई, जिसे कोई आम इंसान जीता है. बचपन में भी उन्हें गार्डन के एक कोने से दूसरे कोने तक जाने की इजाज़त नहीं थी. खेलते वक़्त भी सुरक्षाकर्मी किसी साये की तरह उनके साथ ही रहा करते थे. वे अपनी ज़िन्दगी जीना चाहते थे, एक आम इंसान की ज़िन्दगी. राहुल गांधी ने एक बार कहा था- “अमेरिका में पढ़ाई के बाद मैंने जोखिम उठाया और अपने सुरक्षा गार्डो से निजात पा ली, ताकि इंग्लैंड में आम ज़िन्दगी जी सकूं.” लेकिन ऐसा ज़्यादा वक़्त तक नहीं हो पाया और वे फिर से सुरक्षाकर्मियों के घेरे में क़ैद होकर रह गए.

हर वक़्त कड़ी सुरक्षा में रहना, किसी भी इंसान को असहज कर देगा, लेकिन उन्होंने इसी माहौल में जीने की आदत डाल ली. ख़ौफ़ के साये में रहने के बावजूद उनका दिल मुहब्बत से सराबोर है. वे एक ऐसे शख़्स हैं, जो अपने दुश्मनों के लिए भी दिल में नफ़रत नहीं रखते. वे कहते हैं- “मेरे पिता ने मुझे सिखाया कि नफ़रत पालने वालों के लिए यह जेल होती है. मैं उनका आभार जताता हूं कि उन्होंने मुझे सभी को प्यार और सम्मान करना सिखाया.” अपने पिता की सीख को उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में ढाला. इसीलिए उन्होंने अपने पिता के क़ातिलों तक को माफ़ कर दिया. उनका कहना है- “वजह जो भी हो, मुझे किसी भी तरह की हिंसा पसंद नहीं है. मुझे पता है कि दूसरी तरफ़ होने का मतलब क्या होता है. ऐसे में जब मैं हिंसा देखता हूं चाहे वो किसी के भी साथ हो रही हो, मुझे पता होता है कि इसके पीछे एक इंसान, उसका परिवार और रोते हुए बच्चे हैं. मैं ये समझने के लिए काफ़ी दर्द से होकर गुज़रा हूं. मुझे सच में किसी से नफ़रत करना बेहद मुश्किल लगता है.”

उन्होंने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (लिट्टे) के प्रमुख वेलुपिल्लई प्रभाकरण का ज़िक्र करते हुए कहा था- “मुझे याद है जब मैंने टीवी पर प्रभाकरण के मुर्दा जिस्म को ज़मीन पर पड़ा देखा. ये देखकर मेरे मन में दो जज़्बे पैदा हुए. पहला ये कि ये लोग इनकी लाश का इस तरह अपमान क्यों कर रहे हैं और दूसरा मुझे प्रभाकरण और उनके परिवार के लिए बुरा महसूस हुआ.”

राहुल गांधी एक ऐसी शख़्सियत के मालिक हैं, जिनसे कोई भी मुतासिर हुए बिना नहीं रह सकता. देश के प्रभावशाली राज घराने से होने के बावजूद उनमें ज़र्रा भर भी ग़ुरूर नहीं है. उनकी भाषा में मिठास और अपनापन है, जो सभी को अपनी तरफ़ आकर्षित करता है. वे विनम्र इतने हैं कि अपने विरोधियों के साथ भी सम्मान से पेश आते हैं, भले ही उनके विरोधी उनके लिए कितनी ही तल्ख़ भाषा का इस्तेमाल क्यों न करते रहें. किसी भी हाल में वे अपनी तहज़ीब से पीछे नहीं हटते. उनके कट्टर विरोधी भी कहते हैं कि राहुल गांधी का विरोध करना उनकी पार्टी की नीति का एक अहम हिस्सा है, लेकिन ज़ाती तौर पर वे राहुल गांधी को बहुत पसंद करते हैं. वे ख़ुशमिज़ाज, ईमानदार, मेहनती, क्षमाशील और सकारात्मक सोच वाले हैं. बुज़ुर्ग उन्हें स्नेह करते हैं, उनके सर पर शफ़क़त का हाथ रखते हैं, उन्हें दुआएं देते हैं. वे युवाओं के चहेते हैं.

राहुल गांधी अपने विरोधियों का नाम भी सम्मान के साथ लेते हैं, उनके नाम के साथ जी लगाते हैं. सच है कि संस्कार विरासत में मिलते हैं, संस्कार घर से मिला करते हैं. अपने से बड़ों के लिए उनके दिल में सम्मान है, तो बच्चों के लिए प्यार-दुलार है. वे इंसानियत को सर्वोपरि मानते हैं. अपने पिता की ही तरह अपने कट्टर विरोधियों की मदद करने में भी पीछे नहीं रहते.

राहुल गांधी छल और फ़रेब की राजनीति नहीं करते. वे कहते हैं- ”मैं गांधीजी की सोच से राजनीति करता हूं. अगर कोई मुझसे कहे कि आप झूठ बोल कर राजनीति करो, तो मैं यह नहीं कर सकता. मेरे अंदर ये है ही नहीं. इससे मुझे नुक़सान भी होता है. मैं झूठे वादे नहीं करता.” वे ये भी कहते हैं- “सत्ता और सच्चाई में फ़र्क़ होता है. ज़रूरी नहीं है, जिसके पास सत्ता है उसके पास सच्चाई है.”

वे कहते हैं- “जब भी मैं किसी देशवासी से मिलता हूं. मुझे सिर्फ़ उसकी भारतीयता दिखाई देती है. मेरे लिए उसकी यही पहचान है. अपने देशवासियों के बीच न मुझे धर्म, ना वर्ग, ना कोई और अंतर दिखता है.”

कहते हैं कि सच के रास्ते में मुश्किले ज़्यादा आती हैं और राहुल गांधी को भी बेहिसाब मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. बचपन से ही उनके विरोधियों ने उनके ख़िलाफ़ साज़िशें रचनी शुरू कर दी थीं. उन पर लगातार ज़ाती हमले किए जाते हैं. इस बात को राहुल गांधी भी बख़ूबी समझते हैं, तभी तो एक बार विदेश जाने से पहले उन्होंने एक्स पर अपने विरोधियों को सम्बोधित करते हुए लिखा था- “कुछ दिन के लिए देश से बाहर रहूंगा. भारतीय जनता पार्टी की सोशल मीडिया ट्रोल आर्मी के दोस्तों, ज़्यादा परेशान मत होना. मैं जल्द ही वापस लौटूंगा.”

राहुल गांधी पर हर तरफ़ से हमले होते ही रहते हैं. उनके खिलाफ़ देशभर में इतने मामले दर्ज हैं कि वे आए दिन किसी न किसी अदालत में पेश होते रहते हैं. मोदी सरनेम वाले मामले में सूरत की अदालत से दो साल की सज़ा मिलने के बाद 23 मार्च 2023 से उनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई थी. इस पर उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का रुख़ किया. अदालत ने 4 अगस्त को उन्हें दोषी ठहराए जाने के फ़ैसले पर रोक लगा दी. इसके बाद 7 अगस्त को लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता बहाल कर दी.

राहुल गांधी एक नेता हैं, जो पार्टी संगठन को मज़बूत करने के लिए, पार्टी को हुकूमत में लाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन उन्हें वह कामयाबी नहीं मिल पा रही है, जो उन्हें मिलनी चाहिए या ये कहें कि जिसके वे हक़दार हैं. शायद वे सियासत के लिए बने ही नहीं हैं. उन्हें तो सियासत में धकेला गया है.

बहरहाल वे तमाम अफ़वाहों और अपने ख़िलाफ़ रची जाने वाली तमाम साज़िशों से अकेले ही जूझ रहे है और मुस्कराकर उनका सामना कर रहे हैं.

(लेखिका स्टार न्यूज़ एजेंसी में सम्पादक हैं)

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जी- 7और भारत

भारत एक निर्णायक नेतृत्व और प्रभावी वैश्विक नेतृत्व के अनुसार प्रत्येक वैश्विक समस्या के समाधान की दिशा में अग्रसर है। मजबूत घरेलू मांग ,निजी खपत और निवेश के आत्मविश्वास के आसार पर आर्थिक विकास 7% से अधिक रहने के आसार हैं ।भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिरता वैश्विक मंदी को कम कर सकता है ,बल्कि वैश्विक विकास को उच्चीकृत करने में महत्वपूर्ण एवं योज्य भूमिका का संपादन कर सकता है।
आने वाले वर्षों में भी 7.5 प्रतिशत सतत विकास दर( जीडीपी) के साथ संसार की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था हो सकता है। अगले डेढ़ दशक में भारत 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को साकार रूप करके आर्थिक मंच  तैयार कर सकता है। मोदी जी के तीसरे कार्यकाल के लिए वैश्विक स्तर के राजनेताओं द्वारा बधाई संदेश प्रेषित करना भारत का वैश्विक स्तर पर उभरता वैश्विक कद है। शपथ ग्रहण समारोह में आए पड़ोसी देशों के शासकाध्यक्ष  और वैश्विक स्तर के नेताओं का आगमन मोदी जी की लोकप्रियता है ।भारत का वैश्विक स्तर पर बढ़ती भूमिका ने दुनिया को  वहुधुर्वीय  व्यवस्था की ओर बदला है।
प्रौद्योगिकी की दुनिया में तरह-तरह के बदलाव, चौथी औद्योगिक क्रांति का समर्थक  और अर्थव्यवस्था के स्वरूप में संरचनात्मक और बुनियादी बदलाव की ओर अग्रसर है। उत्पादन के स्तर ,उत्पादन की उपादेयता और बदलते परिवेश में भारत के प्रति तरजीही देना वैश्विक स्तर पर बदलते भारत का चित्रण कर रहा है। भारत अपने भू – राजनीतिक उपादेयता ,विशाल ऊर्जा भंडार के स्थल और ऐतिहासिक विरासत के कारण वैश्विक स्तर पर अपनी प्रासंगिकता बढ़ा रहा है।
इटली में हो रहे जी- 7 का सम्मेलन ऐसे कठिन दौर में हो रहा है जब वैश्विक स्तर के देश इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी इस सम्मेलन में शिरकत होने के लिए इटली पहुंचे हैं। तीसरे कार्यकाल के प्रधानमंत्री के तौर पर उनका पहला विदेश यात्रा है । इससे पहले 2023 के जापान के हिरोशिमा में जी- 7 का सम्मेलन हुआ तो उसमें भी नरेंद्र मोदी जी शामिल हुए थे। 2019 में जी- 7 के सम्मेलन में भारत को आमंत्रित किया गया था। 2020 में जी – 7 का सम्मेलन अमेरिका में होने वाला था उसके लिए भी भारत को बुलाया गया था। जी- 7 का भारत के साथ वार्ता करना कई आयामों और दृष्टिकोण से आवश्यक है।
प्रश्न यह है कि भारत को जी – 7 के सम्मेलन में इतना लोकतांत्रिक मूल्य और तरजीही आभार  क्यों दिया जा रहा है?  2.66 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ भारत की अर्थव्यवस्था जी – 7 के तीन सदस्य देश क्रमशः फ्रांस, इटली और कनाडा से बड़ी है। यह एक स्थिर ,मजबूत और शक्तिशाली देश का संकेत है। भारत वैश्विक राष्ट्रों के समूह में मजबूत प्रवेशिका किया है।आईएमएफ के अद्यतन प्रतिवेदन के अनुसार ,भारत संसार की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। आईएमएफ की एशिया – पेसिफिक की उपनिदेशक  ने कहा था कि भारत संसार के लिए प्रमुख आर्थिक इंजन हो सकता है, जो उपभोग ,निवेश और व्यापार के जरिए वैश्विक विकास को गति देने में सक्षम है। संसार के विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत बाजार क्षमता, कम लागत ,व्यापार सुधार और अनुकूल औद्योगिक माहौल होने के कारण निवेशकों के लिए सर्वाधिक पसंदीदा तरजीही गंतव्य है।
वैश्विक स्तर पर भारत ने चीन को आबादी (जनसंख्या) के मामले में पीछे छोड़ दिया है। देश की 68 % आबादी कामकाजी( 15 से 64 वर्ष) है और 35 % आबादी 35 वर्ष से कम है। भारत में युवा ,पेशेवर और अर्ध – पेशेवर की संख्या अधिक है। अमेरिका ,जापान और यूरोपीय देश ऐसी नीतियां बना रहे हैं, जिनमें हिंद प्रशांत क्षेत्र के साथ करीबी बढ़ाने की जरूरत है। अमेरिका के वाशिंगटन में स्थित थिंक टैंक हडसन संस्था की एक अद्यतन प्रतिवेदन कहती है कि ऐसा महसूस होता है कि भारत हालिया वर्षों में जी – 7 का स्थाई अतिथि देश बन चुका है।
 जी – 7 वैश्विक स्तर का प्रभावशाली समूह है। समकालीन में रूस- यूक्रेन युद्ध और इसराइल- हमास युद्ध के कारण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जिसको वैश्विक स्तर की कार्यकारिणी कहा जाता है का प्रभाव कम होता जा रहा है। अमेरिका चीन और रूस के पारंपरिक संबंध काफी हद तक बिगड़ चुके हैं। इन परस्पर विरोधी स्थिति में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद त्वरित और निष्पक्ष निर्णय लेने में और असक्षम है। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध की घटना ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तुलना में जी- 7 रूस के खिलाफ ज्यादा कड़ा  रुख  अपनाया है।
समकालीन परिदृश्य में जी – 7 के प्रभाव, उपादेयता और कार्य के क्रियान्वयन में बहुत गिरावट आई है। समकालीन में इसकी प्रासंगिकता पर प्रश्न खड़े हो रहे हैं। 1980 के दरम्यान जी – 7 देश का जीडीपी विश्व के कुल जीडीपी का लगभग 60% था, जो अब घटकर 40% हो गया है । हडसन संस्था के प्रतिवेदन के अनुसार जी – 7 प्रभावशाली देशों का समूह होने के कारण भी इसके कार्यकारी व्यक्तित्व और प्रभाव में कमी आ रही है। इस स्थिति में सुरक्षा कवच और महत्वपूर्ण देश के रूप में भारत जी-7 का सदस्य बन सकता है।भारत का रक्षा बजट संसार के तीसरे स्थान पर है। भारत की जीडीपी ब्रिटेन के बराबर है और फ्रांस, इटली और कनाडा से ज्यादा है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है, इसलिए जी- 7 भारत को प्रत्येक साल गौरव आमंत्रित करता है।
सवाल यह है कि जी- 7 का मौलिक उद्देश्य क्या है?
१. जी- 7 का मौलिक उद्देश्य है कि वैश्विक स्तर पर बढ़ती महंगाई से निजात के लिए सदस्य देशों एवं अन्य आमंत्रित देश के साथ विचार – विमर्श करना है ;
2. कार्बन उत्सर्जन को कम करने और नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों को  बढ़ावा देने की रणनीति होगी ;और
3.  जलवायु परिवर्तन से निपटने पर विचार- विमर्श करना है और वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाना क्योंकि कोविद-19 की त्रासदी से यह स्पष्ट हो गया है कि भविष्य में स्वास्थ्य आपातकाल के लिए वैश्विक व्यवस्था को चुस्त ,सरल और आमजन के उपयुक्त बनाना होगा।
इसके अलावा जी-7 के सम्मेलन में भू- राजनीतिक तनाव रूस – यूक्रेन युद्ध और हमास- इसराइल संघर्ष की चर्चा होगी। जी- 7 विश्व की सात अत्याधुनिक अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है। वैश्विक अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था पर अधिक दबदबा है।इसमें  देश क्रमशः संयुक्त राज्य अमेरिका(विश्व का दारोगा), ब्रिटेन(औपनिवेशिक शोषक का पनाहगार ),जापान(अन्वेषण और नवोन्मेष का देश,उगते हुए सूरज का देश), कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और इटली हैं।
सर्व विदित है कि नरेंद्र मोदी जी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के पश्चात अपनी पहली विदेश यात्रा जी- 7 के शिखर सम्मेलन इटली से की है। पूर्वी एशिया का सर्वाधिक शक्तिशाली और वर्तमान में वैश्विक स्तर की दूसरी आबादी( जनसंख्या) वाला देश चीन इस प्रभावशाली संगठन का हिस्सा नहीं रहा है। चीन में प्रति व्यक्ति आय इन सातों देश की तुलना में बहुत कम है, इसलिए चीन को एक विकसित अर्थव्यवस्था नहीं माना जाता है।
चीन जी-20 का क्रियाशील सदस्य देश है। जी- 7 का क्रियाशील सदस्य देश इटली ने ‘ मैतेयू प्लान’ के तहत अफ्रीकी देश को 5.5 अरब यूरो का कर्ज और आर्थिक सहयोग देने जा रहा है। इस योजना से इटली को ऊर्जा क्षेत्र में स्वयं ऐसे देश के रूप में स्थापित करने में सहयोग मिलेगी जो अफ्रीका और यूरोप के बीच गैस और हाइड्रोजन की पाइपलाइन बना सकता है। इस योजना के लिए इटली कई देशों से भी वित्तीय योगदान देने की अपील कर रहा है। जी- 7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री के सफल व्यक्तित्व से प्रभावित होकर कनाडा ने भी तीसरे कार्यकाल की बधाई दिया है। कनाडा का कहना है कि भारत के साथ रिश्ते सुधर रहे हैं और दोनों देश महत्वपूर्ण आधारभूत संरचना पर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है। उनका कहना है कि” मेरे और जी – 7 के सभी भागीदारों के साथ व्यापक मुद्दों पर काम करने के लिए उत्सुक और विश्वसनीय है जिन पर हमने बात की है”।
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श्री दिलीप महेश्वरी महासम्मेलन मुंबई  के अध्यक्ष बने

अंतरराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीं अशोक जी अग्रवाल एवं राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष  श्री कांतिलाल जी मेहता द्वारा अंतरराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन मुंबई  के नवचयनित अध्यक्ष दिलीप माहेश्वरी का अभिनंदन किया गया । यह नियुक्ति आगामी ३ वर्षों के लिए रहेगी ।
अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन पूरे भारत ही नहीं परंतु विश्व भर के सभी देशों मे निवास कर रहे वैश्य समाज के  साथ समन्वय कर उन्हें एक साझा मंच प्रदान कर वैश्य समाज को सामाजिक ,राजनीतिक व आर्थिक रूप से सक्षम कर उनके उत्कर्ष की लिए कार्य करना इस उद्देश्य के साथ आदरणीय श्री स्वर्गीय रामदास जी अग्रवाल जी ने स्थापना की थी ।
अध्यक्ष दिलीप माहेश्वरी ने बताया कि आईवीफ़ मुंबई का सर्वप्रथम उद्देश्य मुंबई के सभी वैश्य समाज को आई वीएफ मुंबई के साथ जोड़कर संगठन को मज़बूती प्रदान करना एवं मुंबई मे वैश्य समाज  के राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाना ।
अशोक जी अग्रवाल एवं कांतिलाल जी मेहता ने दिलीप जी को आगामी कार्यकाल हेतु शुभकामनाएँ दी।
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ईश्वर और अल्लाह एक नहीं है

१) ईश्वर सर्वव्यापक (omnipresent) है, जबकि अल्लाह सातवें आसमान पर रहता है.
२) ईश्वर सर्वशक्तिमान (omnipotent) है, वह कार्य करने में किसी की सहायता नहीं लेता, जबकि अल्लाह को फरिश्तों और जिन्नों की सहायता लेनी पडती है.
३) ईश्वर न्यायकारी है, वह जीवों के कर्मानुसार नित्य न्याय करता है, जबकि अल्लाह केवल क़यामत के दिन ही न्याय करता है, और वह भी उनका जो की कब्रों में दफनाये गए हैं.
४) ईश्वर क्षमाशील नहीं, वह दुष्टों को दण्ड अवश्य देता है, जबकि अल्लाह दुष्टों, बलात्कारियों के पाप क्षमा कर देता है. मुसलमान बनने वाले के पाप माफ़ कर देता है
५) ईश्वर कहता है, “मनुष्य बनों” मनु॑र्भव ज॒नया॒ दैव्यं॒ जन॑म् – ऋग्वेद 10.53.6,
जबकि अल्लाह कहता है, मुसलमान बनों. सूरा-2, अलबकरा पारा-1, आयत-134,135,136
६) ईश्वर सर्वज्ञ है, जीवों के कर्मों की अपेक्षा से तीनों कालों की बातों को जानता है, जबकि अल्लाह अल्पज्ञ है, उसे पता ही नहीं था की शैतान उसकी आज्ञा पालन नहीं करेगा, अन्यथा शैतान को पैदा क्यों करता?
७) ईश्वर निराकार होने से शरीर-रहित है, जबकि अल्लाह शरीर वाला हैएक आँख से देखता है.
मैंने (ईश्वर) ने इस कल्याणकारी वेदवाणी को सब लोगों के कल्याण केसलिए दिया हैं-
यजुर्वेद 26/
अल्लाह ‘काफिर’ लोगों (गैर-मुस्लिमो ) को मार्ग नहीं दिखाता” (१०.९.३७ पृ. ३७४) (कुरान 9:37) .
८- ईशवर कहता है सं गच्छध्वं सं वदध्वं सं वो मनांसि जानताम् ।
देवां भागं यथापूर्वे संजानाना उपासते ।।-(ऋ० १०/१९१/२)
अर्थ:-हे मनुष्यो ! मिलकर चलो,परस्पर मिलकर बात करो। तुम्हारे चित्त एक-समान होकर ज्ञान प्राप्त करें। जिस प्रकार पूर्व विद्वान,ज्ञानीजन सेवनीय प्रभु को जानते हुए उपासना करते आये हैं,वैसे ही तुम भी किया करो।
क़ुरान का अल्ला कहता है ”हे ‘ईमान’ लाने वालों! (मुसलमानों) उन ‘काफिरों’ (गैर-मुस्लिमो) से लड़ो जो तुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वे तुममें सखती पायें।” (११.९.१२३ पृ. ३९१) (कुरान 9:123) .
९- अज्येष्ठासो अकनिष्ठास एते सं भ्रातरो वावृधुः सौभाय ।-(ऋग्वेद ५/६०/५)
अर्थ:-ईश्वर कहता है कि हे संसार के लोगों ! न तो तुममें कोई बड़ा है और न छोटा।तुम सब भाई-भाई हो। सौभाग्य की प्राप्ति के लिए आगे बढ़ो।
”हे ‘ईमान’ लाने वालो (केवल एक आल्ला को मानने वालो ) ‘मुश्रिक’ (मूर्तिपूजक) नापाक (अपवित्र) हैं।” (१०.९.२८ पृ. ३७१) (कुरान 9:28)
१० क़ुरान का अल्ला अज्ञानी है वे मुसलमानों का इम्तिहान लेता है तभी तो इब्रहीम से पुत्र की क़ुर्बानी माँगीं।
वेद का ईशवर सर्वज्ञ अर्थात मन की बात को भी जानता है उसे इम्तिहान लेने की अवशयकता नही।
११ अल्ला जीवों के और काफ़िरों के प्राण लेकर खुश होता है
लेकिन वेद का ईश्वर मानव व जीवों पर सेवा भलाई दया करने पर खुश होता है
ऐसे तो अनेक प्रमाण हैं, किन्तु इतने से ही बुद्धिमान लोग समझ जाएंगे कि ईश्वर और अल्लाह एक नहीं हैं।
साभार- https://www.facebook.com/arya.samaj/ से 
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