Monday, November 25, 2024
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छत्तीसगढ़ में 22 परिवारों के 100 लोगों ने सनातन धर्म में की घर वापसी

छत्तीसगढ़ के सरगुजा में 22 परिवारों के करीब 100 लोगों ने 30.09.2024 को एक साथ सनातन वैदिक धर्म में वापसी कर ली।
समय बदल रहा है, महर्षि दयानंद सरस्वती जी और आर्य समाज के शुद्धि आन्दोलन का जिन शंकराचार्यों ने 150 वर्ष पूर्व विरोध किया था, आज वे आर्य समाज के बताए मार्ग पर आ रहे हैं और सभी विधर्मियों की सनातन वैदिक धर्म में वापसी के कार्य में सहयोगी हो रहे हैं । धन्य धन्य महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज, धन्य  धन्य आर्य समाज, धन्य धन्य भारतीय हिंदू शुद्धि सभा।
छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में 29 सितंबर को ‘विशाल हिन्दू धर्म सभा’ आयोजित की गई। इस मौके पर ऋग्वैदिक गोवर्धन मठ, पुरी के पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और प्रदेश भाजपा के नेता प्रबल प्रताप जूदेव ने उत्साहित लोगों को माला पहनाकर उनकी घर वापसी कराई। बताया जाता है कि जिन 22 परिवारों के लोगों ने घर वापसी की वो सभी वनवासी समुदाय से आते है जो कुछ वर्ष छल से ईसाई मिशनरियों के द्वारा धर्मांतरित किए गए थे।
अच्छी शिक्षा, अच्छा जीवन और अच्छे स्वास्थ्य के सपने दिखा कर उन्हें मिशनरियों द्वारा ईसाई मत में मतांतरित कर दिया गया था। जबकि इस बात का भी पता चला है कि कन्वर्जन के बाद भी ये लोग आरक्षण के लिए कागजों पर सनातन धर्म का ही पालन कर रहे थे। लोगों ने आरोप लगाया कि अधिकतर कन्वर्जन लालच और प्रलोभन का लालच देकर किया गया था। इसको लेकर भाजपा नेता प्रबल प्रताप जूदेव ने सोशल मीडिया साइट एक्स के माध्यम से कहा, “पूर्वजों के पुण्य और मेरे सौभाग्य से सनातन धर्म के सर्वोच्च एवं सार्वभौम धर्मगुरु, अनंत श्री विभूषित ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्री गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने मुझे 22 परिवार के 100 सदस्यों की घर वापसी करने का पावन अवसर दिया। कृतज्ञ हूँ कि राष्ट्र निर्माण के इस पवित्र कार्य को सनातन धर्म के सर्वोच्च एवं सार्वभौम धर्मगुरु के सानिध्य में प्रतिपादित करना मेरे लिए ऐतिहासिक, अभूतपूर्व और अलौकिक अनुभूति है।”
(वर्तमान में शुद्धि ही आपकी आने वाली पुश्तों की रक्षा करने में सक्षम हैं। याद रखें आपके धार्मिक अधिकार तभी तक सुरक्षित हैं, जब तक आप बहुसंख्यक हैं। इसलिए अपने भविष्य की रक्षा के लिए शुद्धि कार्य को तन, मन, धन से सहयोग कीजिए। )
#shuddhi_andolan #bhartiya_hindu_shuddhi_sabha #swami_dayanand #swami_shraddhanand

हेमंत कुमार और नागिन की वो अमर धुन

बंबई में हेमंत कुमार का मन लग ही नहीं रहा था। वो वापस कलकत्ता लौट जाना चाहते थे। लेकिन ये सशधर मुखर्जी थे जिन्होंने हेमंत दा को रोके रखा। 1952 में आई फिल्म आनंद मठ पहली हिंदी फिल्म थी जिसमें हेमंत दा ने संगीत दिया था। इसी फिल्म के चलते वो पहली दफा कलकत्ता से बंबई आए थे। आनंद मठ का काम खत्म करके जब हेमंत कुमार जी ने वापस कलकत्ता जाने की बात कही तो सशधर मुखर्जी साहब ने उनसे कहा कि जब तक तुम कम से कम एक हिट फिल्म नहीं दोगे तब तक मैं तुम्हें कलकत्ता वापस जाने ही नहीं दूंगा। सशधर मुखर्जी के कहने पर हेमंत कुमार बंबई में रुक गए। डाकू की लड़की और फेरी नाम की दो फिल्मों का संगीत कंपोज़ किया। लेकिन वो फिल्में बहुत खास प्रदर्शन नहीं कर सकी।
लेकिन फिर आई नागिन जिसमें प्रदीप कुमार और वैयजयंतीमाला मुख्य भूमिकाओं में थे। नागिन की बीन उस वक्त बहुत ज़्यादा मशहूर हुई। लेकिन बीन को फिल्म के संगीत में इस्तेमाल करना हेमंत दा के लिए आसान नहीं था। उन्होंने कुछ सपेरों से मदद लेने की कोशिश की थी। लेकिन बात बन नहीं पाई। तब हेमंत दा ने कल्याणजी-आनंदजी से मदद मांगी। दरअसल, कल्याणजी-आनंदजी ने भी नागपंचमी नाम की एक फिल्म में बीन की धुन निकाली थी। हेमंत दा ने जब उनसे पूछा कि उन्होंने बीन की धुन कैसे तैयार की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने क्लैव्योलाइन पर बीन की धुन छेड़ी थी। इस तरह कल्याणजी-आनंदजी से हेमंत दा को बड़ी मदद मिली। लेकिन चुनौती अभी खत्म नहीं हुई थी। एक नई चुनौती उभरकर खड़ी हो गई थी।
दरअसल, क्लैव्योलाइन पर जब कोई धुन छेड़ी जाती है तो उसके एक नोट और दूसरे नोट के बीच में अच्छा खासा गैप महसूस होता है। जबकी बीन में कोई गैप नहीं होता। इसकी काट हेमंत दा ने ऐसे निकाली की उन्होंने क्लैव्योलाइन के साथ हारमोनियम को मिक्स कर दिया। इस तरह तैयार हुई नागिन फिल्म की वो मशहूर बीन की धुन। हालांकि जब हेमंत कुमार ने धुन कंपोज़ करके डायरेक्टर-प्रोड्यूसर को सुनाई थी तो उन्होंने उस धुन में बदलाव करने की मांग की थी। उनका कहना था कि ये तो बहुत मोनोटोनस साउंड कर रही है। इसमें कुछ नयापन होना चाहिए। मगर हेमंत कुमार जी ने उन्हें समझाया कि गाने में बदलाव चाहे करा लीजिए। लेकिन बीन को ऐसे ही रहने दीजिए। क्योंकि लोगों को ये ऐसे ही पसंद आने वाली है।
 26 सितंबर 1988 को 69 साल की उम्र में हेमंत कुमार जी का निधन हुआ था।
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प्रो. अच्युत सामंत को ‘महात्मा पुरस्कार’

भुवनेश्वर। नई दिल्ली में गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर कीट और कीस के संस्थापक प्रो डॉ. अच्युत सामंत को प्रतिष्ठित ‘महात्मा पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। आदित्य बिड़ला समूह द्वारा प्रदान किया जाने वाला यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को सम्मानित करता है जिन्होंने शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। प्रो डॉ. सामंत को इन क्षेत्रों में उनके उल्लेखनीय प्रयासों के लिए यह पुरस्कार मिला।

प्रसिद्ध CSR कार्यकर्ता अमित सचदेवा द्वारा शुरू किया गया महात्मा पुरस्कार 2016 से समाज विकास में योगदान देने वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों और संगठनों को दिया जाता है। पिछले प्राप्तकर्ताओं में रतन टाटा, अजीम प्रेमजी, बिंदेश्वर पाठक और शबाना आज़मी जैसे दिग्गज शामिल हुए।

पुरस्कार देने से पहले एक चयन समिति प्रत्येक नामांकित व्यक्ति के योगदान का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करती है। प्रो डॉ. सामंत, जिन्होंने शिक्षा और सामाजिक कार्यों के लिए 33 वर्षों से अधिक समय समर्पित किया है, ने असमानता को मिटाने के महात्मा गांधी के दृष्टिकोण के अनुरूप हाशिए पर पड़े और आदिवासी समुदायों के उत्थान पर ध्यान केंद्रित किया है। कीट के माध्यम से प्रो डॉ. सामंत ने पिछले तीन दशकों में इन प्रयासों को गति दी है।

इस वर्ष के समारोह में विद्वान और लेखिका सुधा मूर्ति, प्रसिद्ध ओडिसी और भरतनाट्यम नृत्यांगना सोनल मानसिंह जैसी प्रमुख हस्तियों को भी सम्मानित किया गया। पुदुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी और सामाजिक कार्यकर्ता राजश्री बिड़ला भी इस कार्यक्रम में मौजूद थीं।

अपने भाषण में प्रो डॉ. सामंत ने आभार व्यक्त किया और पुरस्कार को कीट और कीस परिवार को समर्पित किया। उन्होंने CSR गुड बुक की संपादिका और महात्मा पुरस्कार की निदेशिका मुग्धा अरोड़ा के साथ-साथ आयोजन समिति को भी इस सम्मान के लिए धन्यवाद दिया।

गांधी, शास्त्री जयंती पर निपुण मेले का आयोजन

कोटा  राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, मोरपा सुल्तानपुर में गांधी जयंती और लालबहादुर जयंती पर निपुण मेले का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता  श्रीमती करुणा सेन ने की। विशिष्ठ अथिति के रूप में रामचरन वैष्णव , महेंद्र कुमार मीणा,  मुश्ताक अली और  विनोद कुमार मौजूद रहे। संचालन डॉ. अपर्णा पांडेय ने किया।
संयोजक डॉ.अपर्णा में बताया कि कक्षा 6 से लेकर के 12वीं तक के छात्रों ने मेले में उत्साह पूर्वक भाग लिया। इस अवसर पर स्वच्छता अभियान के अंतर्गत छात्रों ने विद्यालय में सफाई की गई। पोस्टर प्रतियोगिता  में पर्यावरण संरक्षण , नारी शिक्षा ,जल संरक्षण, प्रकृति  संरक्षण और शिक्षाप्रद कहानियों पर छात्रों ने पोस्टर बनाएं । कुछ छात्रों ने सौर ऊर्जा , पवन चक्की , भूकंप रोधी घर, फसलों को पशुओं से कैसे बचाएं आदि  पर मॉडल  बनाए। कुछ छात्रों ने मानव उत्सर्जन तंत्र, श्वसन तंत्र, जीव कोशिका आदि पर भी चित्र प्रदर्शित किए।

इंजीनियर राजकुमार बने बिस्वास,भुवनेश्वर के नये अध्यक्ष

भुवनेश्वर ।  गांधीजयंती  अवसर पर बिस्वास भुवनेश्वर ने अपना एजीएम बुलाया जिसकी अध्यक्षता निवर्तमान अध्यक्ष संजय झा ने की। मंचासीन रहे महासचिव चन्द्रशेखर सिंह,उपाध्यक्ष अजय बहादुर सिंह,सहायक सचिव भूषण चन्द्र सिंह,सहायक सचिव तथा कोषाध्यक्ष किसलय कुमार। कार्यक्रम का संचालन अशोक पाण्डेय ने किया जिसमें उन्होंने राष्ट्रगान की उद्घोषणा के साथ कार्यक्रम का आरंभ किया।

इसके  उपरांत बिस्वास परिवार के गत दो वर्षों में दिवंगत सदस्यों आदि की आत्मा की चिर शांति के लिए सभी ने मौन रखा। स्वागत भाषण दिया निवर्तमान अध्यक्ष संजय झा ने जबकिबिस्वास के गत सत्र के आय-व्यय का विवरण प्रस्तुत किया महासचिव चन्द्रशेखर सिंह ने। उन्होंने अपने संबोधन में यह भी बताया कि बिस्वास भुवनेश्वर आज से लगभग 22 वर्ष पूर्व  सामाजिक कल्याण संस्था के रुप में आरंभ हुआ था जिसका ओड़िशा सरकार से पंजीकरण उन्हीं के कार्यकाल में हुआ था। उन्हीं की टीम की पहल से बिस्वास भुवनेश्वर को अपने स्थाई भवन के लिए ओड़िशा राज्य सरकार से बातचीत चल रही है।
उपाध्यक्ष अजय बहादुर सिंह ने बताया कि उनकी टीम ने अपने कार्याकल के दौरान अनेक सामाजिक तथा जनसेवा का कार्य की है जो काफी उल्लेखनीय कार्य रहे हैं। संजय झा ने यह घोषणा की कि वे नये सत्र 2024-26 के लिए इंजीनियर राजकुमार के नाम का प्रस्ताव करते हैं जिनका समर्थन निवर्तमान महासचिव चन्द्रशेखर सिंह ने किया। बिस्वास भुवनेश्वर के नये अध्यक्ष के रुप में इंजीनियर राजकुमार ने अपने संबोधन में निवर्तमान अध्यक्ष संजय झा और उनकी टीम के 22 वर्षों की की सेवाओं की सराहना की।
 उन्होंने यह भी जानकारी दी कि वे अपनी नई टीम का गठन बहुत जल्द कर लेंगे जिसमें वे पहली बार बिस्वास की आवश्यकतानुसार नया महिला प्रकोष्ठ बनाएंगेयुवा विंग बनाएंगे तथा सदस्य संख्या अभिवृद्धि अभियान को बिस्वास भुवनेश्वर के सभी के सहयोग से तेज करेंगे।आभार प्रदर्शन किया संस्था के निवर्तमान सहायक सचिव चन्द्र भूषण सिंह ने।

भारत का सांस्कृतिक राजदूत बना ज़ी टीवी

ज़ी टीवी ने 1992 में भारत का पहला प्राइवेट सैटेलाइट चैनल बनने के साथ अपनी यात्रा शुरू की, और पिछले 32 वर्षों में यह भारतीय टेलीविज़न इंडस्ट्री का एक प्रमुख स्तंभ बन गया है। इसकी यात्रा कई महत्वपूर्ण पड़ावों और उपलब्धियों से भरी रही है। ज़ी टीवी की 32 साल की यात्रा भारतीय टेलीविज़न के विकास का एक अभिन्न हिस्सा रही है। इसने मनोरंजन की दुनिया में नए मानदंड स्थापित किए और एक ऐसा मंच प्रदान किया, जहाँ भारतीय संस्कृति, परंपराएँ, और आधुनिकता का मेल देखने को मिला।

ज़ी टीवी (Zee TV) भारत का पहला निजी हिंदी मनोरंजन चैनल है, जिसकी शुरुआत 1992 में हुई थी। इसे सुभाष चंद्रा की कंपनी एस्सेल ग्रुप के तहत ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज द्वारा लॉन्च किया गया था। उस समय ज़ी टीवी ने भारतीय टीवी इंडस्ट्री में एक क्रांति ला दी थी, क्योंकि यह देश का पहला ऐसा चैनल था जो पूरी तरह से केबल और सैटेलाइट के माध्यम से उपलब्ध था।

ज़ी टीवी की पहुंच आज दुनिया भर में फैली हुई है, और यह लगभग 190 से अधिक देशों में देखा जाता है। ज़ी टीवी ने अपने इंटरनेशनल चैनल्स और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए भारतीय और अन्य दर्शकों को ग्लोबल स्तर पर जोड़ने का काम किया है।

1. शुरुआत और नई दिशा:

  • ज़ी टीवी 2 अक्टूबर 1992 को लॉन्च हुआ, और यह भारत का पहला हिंदी एंटरटेनमेंट चैनल था, जिसने दर्शकों को सरकारी दूरदर्शन के अलावा एक विकल्प दिया। यह सैटेलाइट चैनल के माध्यम से देशभर में देखा जाने लगा।
  • 1995: ज़ी टीवी ने अपने कंटेंट को और भी विविध किया और कई नए शो लॉन्च किए, जिसमें ज़ी हॉरर शो और अमानत जैसे कार्यक्रम शामिल थे। यह समय भारतीय टीवी के “स्वर्ण युग” के रूप में जाना जाता है, और ज़ी टीवी ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई।
  • इसके पहले कुछ शोज़ जैसे “तारा,” “अमानत,” “बनेगी अपनी बात,” और “अंतरिक्ष” ने उस समय काफी लोकप्रियता हासिल की।
  • ज़ी टीवी ने परिवारिक धारावाहिकों, टॉक शोज़, रियलिटी शोज़ और म्यूज़िक शोज़ के जरिए भारतीय दर्शकों को विविधतापूर्ण कंटेंट दिया।
  • “सारेगामापा” और “डांस इंडिया डांस” जैसे रियलिटी शोज़ ने टैलेंट हंट की दिशा में नई मिसाल कायम की।
  • इसके साथ ही, ज़ी टीवी ने पारंपरिक और सामाजिक मुद्दों पर आधारित शो जैसे “पवित्र रिश्ता,” “कुमकुम भाग्य,” “जोधा अकबर” इत्यादि दिखाए, जो बड़े दर्शक वर्ग तक पहुंचे और लंबे समय तक हिट रहे।
  • ज़ी टीवी ने न केवल पारंपरिक टीवी पर अपनी पकड़ बनाई, बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी तेजी से बढ़त हासिल की।
  • ज़ी ने अपना ओटीटी प्लेटफॉर्म ज़ी5 लॉन्च किया, जो डिजिटल दर्शकों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था। इससे दर्शकों को कहीं भी और कभी भी कंटेंट देखने का मौका मिला।
  • ज़ी टीवी की पहुंच सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में फैली। ज़ी टीवी के इंटरनेशनल चैनल्स ने अमेरिका, यूके, मिडिल ईस्ट और अन्य देशों में भी भारतीय कंटेंट को दर्शकों तक पहुंचाया।
  • इसने भारतीय संस्कृति और मनोरंजन को ग्लोबल पहचान दिलाई।
  • ज़ी टीवी को पिछले 32 सालों में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा, खासकर जब नए-नए चैनल्स और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स मार्केट में आए। फिर भी ज़ी टीवी ने अपनी एक अलग पहचान बनाए रखी।
  • चैनल ने समय-समय पर अपने कंटेंट और प्रोडक्शन में बदलाव किया ताकि वह नए दर्शकों की मांगों के अनुसार खुद को ढाल सके।
  • ज़ी टीवी को न केवल दर्शकों से प्यार मिला, बल्कि इसे कई नेशनल और इंटरनेशनल अवार्ड्स से भी सम्मानित किया गया।
  • ज़ी टीवी इंटरनेशनल के तहत कई प्रमुख क्षेत्रों में इसके चैनल्स उपलब्ध हैं।
    • उत्तर अमेरिका (यूएसए, कनाडा)
    • यूरोप (यूके, जर्मनी, फ्रांस आदि)
    • मिडिल ईस्ट (यूएई, सऊदी अरब आदि)
    • एशिया (सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया)
    • अफ्रीका (साउथ अफ्रीका, नाइजीरिया)

    इसके अलावा, डिजिटल प्लेटफॉर्म ZEE5 के ज़रिए भी दुनियाभर में लाखों दर्शक ज़ी टीवी के कंटेंट को ऑनलाइन देख सकते हैं।

ज़ी की गौरवशाली यात्रा के 32 वर्षों का यादगार समारोह

जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) ने मंगलवार को अपने 32 साल पूरे होने का जश्न मनाया। इस मौके पर कंपनी ने अपने दर्शकों के प्रति समर्पण और बेहतरीन मनोरंजन प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दोहराया

जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) ने मंगलवार को अपने 32 साल पूरे होने का जश्न मनाया। इस मौके पर कंपनी ने अपने दर्शकों के प्रति समर्पण और बेहतरीन मनोरंजन प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दोहराया, जिसने जी को देश की सबसे बड़ी घरेलू मनोरंजन कंपनी के रूप में स्थापित किया है।

एक प्रेस विज्ञप्ति में ज़ी ने कहा, “पिछले 32 वर्षों में, ज़ी ने टेलीविज़न, डिजिटल, फिल्म और संगीत के माध्यम से न केवल भारतीय संस्कृति और परंपराओं को प्रस्तुत किया है, बल्कि पूरी दुनिया में करोड़ों दर्शकों के दिलों में अपनी जगह बनाई है।”

इस अवसर पर ज़ी के एमडी और सीईओ पुनीत गोयनका ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कंपनी के भविष्य की योजनाओं पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कंपनी अपने व्यवसाय के सभी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन के जरिए मुनाफे को बढ़ाने और सभी हितधारकों के लिए अधिक मूल्य उत्पन्न करने की दिशा में काम कर रही है।

गोयनका ने कहा, “यह दिन हमारे लिए सिर्फ एक मील का पत्थर नहीं है, बल्कि हमारी कड़ी मेहनत, सफलता और 32 वर्षों की सीख का प्रतीक है। हमने मिलकर चुनौतियों का सामना किया, जीत का जश्न मनाया और इंडस्ट्री में एक प्रतिष्ठित नाम के रूप में उभरे। अगले 32 वर्षों में, मैं ज़ी को समाज के लिए एक नई उम्मीद और बदलाव का प्रतीक बनते हुए देखता हूं।”

कंपनी ने अपने व्यापार में बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित करने और भविष्य में स्थिर विकास के लिए आवश्यक कदम उठाने की योजना बनाई है, जिसमें फोकस गुणवत्ता कंटेंट, किफायत और अनुकूलन पर है।

ज़ी टीवी समाज में परिवर्तन और आशा का प्रतीक है: पुनीत गोयनका

जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) के मैनेजिंग डायरेक्टर व मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री  पुनीत गोयनका ने कंपनी के भविष्य को लेकर अपनी बात कही है।  मंगलवार को ZEEL की 32वीं वर्षगांठ पर आयोजित टाउनहॉल में गोयनका ने एम्प्लॉयीज को संबोधित किया। इस दौरान गोयनका ने कहा, “32 साल बाद जब मैं ZEE को एक ऐसी कंपनी के रूप में देखता हूं, तो मुझे लगता है कि कंपनी समाज में उम्मीद और बदलाव की किरण होगी। मैं देखता हूं कि हम अपने मनोरंजन अनुभवों के माध्यम से सामाजिक प्रगति को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा कर रहे होंगे और मैं देखता हूं कि हम अपने वास्तविक लक्ष्य को पूरा कर रहे होंगे, जो उद्देश्यपूर्ण मनोरंजन के माध्यम से लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना होना चाहिए।”

ज़ी  ने एक बयान में कहा कि प्राइवेट सैटेलाइट टेलीविजन इंडस्ट्री के साथ-साथ ZEE  ने 32 सालों का सफर पूरा कर लिया है। आज M&E इंडस्ट्री का आकार 2 ट्रिलियन रुपए से भी ज्यादा हो चुका है और यह तेजी से बढ़ रही है।

इस अवसर पर अपने एम्प्लॉयीज को संबोधित करते हुए गोयनका ने कहा, “आज हम सिर्फ कंपनी की वर्षगांठ नहीं मना रहे, बल्कि उस इंडस्ट्री की स्थापना दिवस भी मना रहे हैं, जिसका मूल्य आज 2 ट्रिलियन रुपए से अधिक है।”

उन्होंने कहा, “जी ने पिछले 32 सालों में मनोरंजन की दुनिया में नए आयाम स्थापित किए हैं। हम हमेशा से दर्शकों को बेहतरीन कहानियां सुनाते रहे हैं, रचनात्मकता की सीमाओं को आगे बढ़ाया है और अरबों लोगों के दिलों से जुड़े हैं।”

ज़ी  की उपलब्धियों पर विचार व्यक्त करते हुए गोयनका ने इस बात पर जोर दिया कि कंपनी ने अपने ग्राहकों को हमेशा प्राथमिकता दी है और सकारात्मक अनुभव प्रदान किए हैं। यही कारण है कि ज़ी ने भारत की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हुए परिवारों को जोड़ा है।

गोयनका ने कहा, “ZEE एक कंपनी से बढ़कर परिवार जैसा है। हमने मिलकर एक ऐसा संगठन खड़ा किया है जो अपने आप को समय के साथ बदलता रहा है।” उन्होंने यह भी बताया कि ज़ी ने 32 वर्षों के दौरान इंडस्ट्री के कई बदलावों को अपनाया और हर बार खुद को मजबूत और अग्रणी साबित किया।

इस दौरान गोयनका ने यह भी कहा, “हमारी क्षमता खुद को नए रूप में ढालने और आगे बढ़ने की है, जो हमारी टीम की ताकत और दृष्टिकोण को दर्शाती है।”

ज़ी की 32वीं वर्षगांठ पर कंपनी का यह दृष्टिकोण मनोरंजन के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।

ज़ी ने 32 वर्षों की सफल यात्रा में देश में लाखों लोगों की रोजगार और रचनात्मक मंच दिया ः डॉ. सुभाष चन्द्रा

जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (ZEEL) सफलतापूर्वक अपने 32 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। इस अवसर पर कंपनी ने अपने दर्शकों के प्रति समर्पण और गुणवत्तापूर्ण मनोरंजन प्रदान करने की प्रतिबद्धता को दोहराया, जिसने ZEE को देश की सबसे बड़ी घरेलू मनोरंजन कंपनी के रूप में स्थापित किया है।

ZEE ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “पिछले 32 वर्षों में, ZEE ने टेलीविजन, डिजिटल, फिल्म और संगीत के ज़रिए न सिर्फ भारतीय संस्कृति और परंपराओं को पेश किया है, बल्कि पूरी दुनिया में करोड़ों दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई है।”

इस खास मौके पर एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन और ZEE के संस्थापक डॉ. सुभाष चंद्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, “32 साल पहले आज के दिन मैंने जी टीवी की शुरुआत की थी। मुझे भी यह अंदाजा नहीं था कि यह न सिर्फ एक बड़े उद्योग का रूप लेगा बल्कि भारत के लिए एक बड़ी ‘सॉफ्ट पावर’ के रूप में विश्वभर में भारत की पहचान बनेगा। सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि जी ने लाखों लोगों को रोजगार और अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान किया। जैसा कि जी के एमडी पुनीत गोयनका ने आज कहा है, जी की यह यात्रा आगे और भी नए और लाभदायक आयामों के साथ बढ़ेगी, जिससे इसके शेयरधारकों को भी फायदा होगा।”

ZEE एंटरटेनमेंट ने अपनी शुरुआत से लेकर अब तक भारतीय मनोरंजन जगत में नए मानक स्थापित किए हैं और आने वाले वर्षों में भी कंपनी अपने दर्शकों को उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री प्रदान करने और उद्योग में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रतिबद्ध है।

पश्चिम रेलवे द्वारा स्वच्छता शपथ के साथ स्वच्छता पखवाड़ा की शुरुआत

मुंबई। भारतीय रेल 1 से 15 अक्टूबर 2024 तक “स्वच्छता पखवाड़ा” मना रही है, जिसमें विशिष्ट थीम के तहत विभिन्न स्वच्छता गतिविधियों का विस्तृत विवरण दिया गया है। पूरे पखवाड़े के दौरान पश्चिम रेलवे स्वच्छ जागरूकता, महात्मा गांधी जयंती और स्वच्छ भारत दिवस, स्वच्छ स्टेशन, स्वच्छ ट्रेनें, स्वच्छ ट्रैक, स्वच्छ परिसर (स्वच्छ कार्यस्थल और स्वच्छ आवासीय क्षेत्र) स्वच्छ आहार, स्वच्छ नीर (स्वच्छ जल), स्वच्छ प्रसाधन और पर्यावरण, स्वच्छता स्पर्धा (स्वच्छता प्रतियोगिता), नो प्लास्टिक दिवस और स्वच्छता जागरूकता रैली जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करेगी।
 पश्चिम रेलवे के अपर महाप्रबंधक श्री प्रकाश बुटानी ने 1 अक्टूबर 2024 को पश्चिम रेलवे मुख्यालय, चर्चगेट में प्रमुख विभागाध्यक्षों (PHOD), वरिष्ठ रेल अधिकारियों और कर्मचारियों को “स्वच्छता शपथ” दिलाई। इसी प्रकार, इसी दिन पश्चिम रेलवे के सभी मंडलों में संबंधित मंडल रेल प्रबंधकों द्वारा अपने कर्मचारियों को स्वच्छता शपथ दिलाई गई।

पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी श्री विनीत अभिषेक द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस पहल के तहत विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जाएँगी। इनमें स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाना, स्वच्छ भारत दिवस मनाना और स्टेशनों, ट्रेनों और पटरियों पर सफाई अभियान चलाना शामिल है। डिपो, संस्थानों और आवासीय क्षेत्रों सहित रेलवे परिसर में स्वच्छता बनाए रखने के लिए समर्पित प्रयास किए जाएँगे। सिंगल-यूज वाले प्लास्टिक को खत्म करने के उद्देश्य से जागरूकता अभियानों के माध्यम से पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वच्छ भोजन और पानी पर विशेष जोर दिया जाएगा। रेलवे बोर्ड स्तर पर स्वच्छता पखवाड़े के दौरान स्वच्छता में सबसे महत्वपूर्ण योगदान देने वालों को पेयजल और स्वच्छता विभाग की ओर से तीन शील्ड प्रदान की जाएँगी।

श्री विनीत ने आगे बताया कि स्वच्छता पखवाड़ा के बारे में संदेश, नारे और घोषणाएँ सभी स्टेशनों पर सार्वजनिक संबोधन प्रणालियों के माध्यम से की जाएँगी। जन जागरूकता अभियान एकल-उपयोग प्लास्टिक के उन्मूलन को भी बढ़ावा देंगे और प्लेटफार्मों और स्टेशन क्षेत्रों में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग डस्टबिन में डालने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इस पहल का समापन 15 अक्टूबर 2024 को स्वच्छता जागरूकता रैली के साथ होगा।

Chief Public Relations Officer,
Mumbai,
Western Railway
022-22002590