Saturday, December 21, 2024
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हम बहुत भाग्यशाली हैं कि भारत हमारा भरोसेमंद मित्र है – शेख हसीना

पांचवीं बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनेंगी शेख हसीना

भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में चुनाव में छिटपुट हिंसा और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) गठबंधन के बहिष्कार के बीच हुए आम चुनावों में प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने बंपर जीत दर्ज की है। अवामी लीग ने 300 सीटों पर हुए चुनावों में आधी से ज्यादा सीटों पर जीत दर्द की। इस जीत के साथ ही वे रिकॉर्ड चौथी बार लगातार पीएम पद संभालेंगी।

शेख हसीना का यह पांचवां कार्यकाल होगा। अनौपचारिक परिणामों का हवाला देते हुए ढाका ट्रिब्यून अखबार ने कहा है कि अवामी लीग ने 170 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत दर्ज की है, जबकि जातीय पार्टी ने 10 सीटें मिली हैं। कहा गया है कि 45 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है।

मतदान के रविवार शाम को संपन्न होने के साथ ही मतगणना भी शुरू हो गई थी। मुख्य चुनाव आयुक्त काजी हबीबुल अवाल ने बताया था कि मतदान करीब चालीस फीसदी रहा। मतदान समाप्त होने से एक घटे पहले आयोग ने कहा था कि दोपहर तीन बजे तक 27.15 फीसदी मतदान हुआ। साल 2018 के आम चुनाव में 80 फीसदी से अधिक मतदान दर्ज किया गया था।

बांग्लादेश चुनाव आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा कि मतदान शाम चार बजे समाप्त हो गया और मतगणना शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि हिंसा की छिटपुट घटनाओं के अलावा 300 निर्वाचन क्षेत्रों में से 299 में मतदान काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा। आयोग ने एक उम्मीदवार की मौत के कारण एक सीट पर मतदान स्थगित कर दिया।

आरंभिक रूझानों से पता चलता है कि अवामी लीग चुनावी दौड़ में सबसे आगे चल रही है। ढाका ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक, अब तक अनाधिकारिक रूप से अवामी लीग ने दस निर्वाचन क्षेत्रों में जीत दर्ज की है। चुनाव आयोग ने पूर्वोत्तर चट्टोग्राम में सत्तारूढ़ अवामी लीग के एक उम्मीदवार की उम्मीदवारी मतदान के अंतिम समय में रद्द कर दी थी, क्योंकि उसने एक पुलिस अधिकारी को ‘डांटा और धमकाया’था।

इस घटनाक्रम के बाद निर्वाचन क्षेत्र में दो बागी उम्मीदवारों के बीच चुनाव लड़ा जा रहा है, जो सत्तारूढ़ पार्टी से भी ताल्लुक रखते हैं। जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बीएनपी के चुनाव से दूर रहने के कारण मतदान प्रतिशत कम रहा। पार्टी ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार में कोई भी चुनाव निष्पक्ष और विश्वसनीय नहीं होगा।

आम चुनाव के दिन का उत्साह कहीं नहीं दिख रहा था। चुनाव प्रचार केंद्रों के सामने भी सत्ताधारी पार्टी के समर्थकों और चुनाव एजेंटों के अलावा मतदाताओं की कोई मौजूदगी नहीं थी। मतदाताओं ने बिना किसी व्यवधान के मतदान किया, जिससे पीठासीन अधिकारियों को खाली समय मिल गया।

नरसिंगडी में एक और नारायणगंज में दो केंद्रों पर मतदान रद्द कर दिया गया। चुनाव आयोग ने नरसिंगडी में चुनावी गड़बड़ी के आरोप में उद्योग मंत्री नुरुल माजिद महमूद हुमायूं के बेटे की गिरफ्तारी का आदेश दिया है। चटगांव-10 सीट से चुनाव लड़ रहे दो उम्मीदवारों के समर्थकों के बीच झड़प के दौरान गोलियां चलाई गईं। दो लोगों शांतो बरुआ (24 वर्षीय) और जमाल (35 वर्षीय) को गोली मार दी गई और उन्हें चट्टोग्राम मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया।

जमालपुर के शारिशाबाड़ी में एक मतदान केंद्र पर अवामी लीग के उम्मीदवार और एक निर्दलीय उम्मीदवार के समर्थकों के बीच झड़प के बाद दो लोग घायल हो गए। ढाका के हजारीबाग में एक मतदान केंद्र के पास दो देसी बम फटने से एक बच्चे सहित चार लोग घायल हो गए।

27 सियासी दलों के 1,500 से अधिक उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे। इसके अलावा 436 निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव लड़ रहे थे। कड़ी सुरक्षा के बीच हो रहे 12वें आम चुनाव पर 100 से अधिक विदेशी पर्यवेक्षकों ने नजर रखी, जिसमें तीन भारत के हैं। चुनाव के दौरान कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सुरक्षा बलों के 7.5 लाख से अधिक सदस्यों को तैनात किया गया है।

प्रधानमंत्री हसीना ने मतदान शुरू होने के तुरंत बाद ढाका सिटी कॉलेज मतदान केंद्र पर अपना वोट डाला। उनकी बेटी साइमा वाजिद भी उनके साथ थीं। हसीना 2009 से सत्ता में हैं और उनकी अवामी लीग ने दिसंबर 2018 में पिछला चुनाव जीता था। वह प्रधानमंत्री के रूप में लगातार चौथे कार्यकाल और एकतरफा चुनाव में कुल मिलाकर पांचवां कार्यकाल हासिल करने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा, ‘देश में मतदान बहुत अच्छा चल रहा है। मुझे उम्मीद है कि सभी लोग मतदान करने आएंगे और अपने अधिकारों का इस्तेमाल करेंगे। देश में लोकतांत्रिक प्रवाह को बनाए रखें और लोगों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए काम करें।’

उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी का गठबंधन लोकतंत्र में भरोसा नहीं करता है। हसीना ने कहा, ‘लोग जैसा चाहें वैसा मतदान करेंगे और हम उस मतदान का माहौल बनाने में सक्षम हैं। लेकिन, बीएनपी-जमात गठबंधन ने आगजनी सहित कई घटनाएं की हैं। एक सवाल के जवाब में हसीना ने संवाददाताओं से कहा कि भारत बांग्लादेश का ‘भरोसेमंद दोस्त’ है।

उन्होंने कहा, ‘हम बहुत भाग्यशाली हैं कि भारत हमारा विश्वसनीय मित्र है। हमारे मुक्ति संग्राम के दौरान उन्होंने न केवल हमारा समर्थन किया, बल्कि 1975 में जब हमने अपने पूरे परिवार पिता, मां, भाइयों, सभी को खो दिया (एक सैन्य तख्तापलट में) और केवल हम दो (हसीना और उनकी छोटी बहन रेहाना) बच गए … उन्होंने हमें शरण दी। इसलिए हम भारत के लोगों को शुभकामनाएं देते हैं।’ अगस्त 1975 मे शेख मुजीबुर रहमान, उनकी पत्नी और उनके तीन बेटों की सैन्य अधिकारियों द्वारा उनके घर में हत्या कर दी गई थी। उनकी बेटियां हसीना और रेहाना विदेश में होने के कारण बच गईं।

यह पूछे जाने पर कि बीएनपी के बहिष्कार से चुनाव कितना स्वीकार्य होगा, हसीना ने कहा कि उनकी जिम्मेदारी लोगों के प्रति है। उन्होंने कहा, ‘लोग इस चुनाव को स्वीकार करते हैं या नहीं, यह मेरे लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए मुझे उनकी (विदेशी मीडिया की) स्वीकार्यता की परवाह नहीं है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आतंकवादी पार्टी ने क्या कहा या नहीं?’

हसीना की सत्तारूढ़ अवामी लीग (एएल) के चुनाव जीतने की उम्मीद है क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया (78 वर्षीय) की बीएनपी ने चुनावों का बहिष्कार किया है। बीएनपी ने 2014 के चुनाव का बहिष्कार किया था लेकिन 2018 में वह चुनाव में शामिल हो गई। चुनाव लड़ने वाले 27 दलों में विपक्षी जेएपीए पार्टी भी शामिल है। बाकी सत्तारूढ़ अवामी लीग के नेतृत्व वाले गठबंधन के सदस्य हैं।

प्रधानमंत्री शेख हसीना चुनाव में गोपालगंज-3 निर्वाचन क्षेत्र से फिर से निर्वाचित हुईं। उनको 2,49,965 मत मिले। जबकि, निकटतम प्रतिद्वंद्वी बांग्लादेश सुप्रीम पार्टी के एम निजाम उद्दीन लश्कर को महज 469 मत मिले। गोपालगंज के उपायुक्त और निर्वाचन अधिकारी काजी महबूबुल आलम ने परिणाम की घोषणा की। उन्होंने 1986 के बाद से आठवीं बार गोपालगंज-3 सीट जीती है।

एक निवेदन

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