रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु ने यह स्पष्ट कर दिया है कि रेलवे का निजीकरण नहीं होगा। प्रभु ने सरकार द्वारा रेलवे में पीपीपी मॉडल के तहत एफडीआई को बढ़ावा दिए जाने की वजह से उठ रही उसके निजीकरण की आशंकाओं को खारिज कर दिया। रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे में किसी तरह का कोई निजीकरण नहीं होगा। निजी क्षेत्र की सहभागिता के बावजूद रेलवे राष्ट्रीय संपत्ति है और रहेगी।
प्रभु ने रेल मंत्री ने बडे पैमाने पर कर्ज लेकर रेलवे के विस्तार की आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि यात्री किराए और मालमाडे में वृद्धि करने तथा बजटीय आवंटन के पारंपरिक तरीके से हम लंबित परियोजनाओं को पूरा नहीं कर पाएंगे। साथ ही उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि क्या इसके लिए यात्री और माल किराया बढाया जाए ? इसके साथ ही लोकसभा ने रेलवे की वर्ष 2015-16 के लिए लेखानुदान की मांगों और 2014-15 के अनुदान की अनुपूरक मांगों तथा इससे जुडे विनियोग विधेयकों को ध्वनिमत से अपनी मंजूरी दे दी।