“स्त्री” और “मौन” ही संतोष चौधरी के साहित्य के केंद्र बिंदु हैं
” विवाह के पश्चात ससुराल वालों और पति के होने वाले अत्याचारों से जूझती नारी के संघर्ष और उसके अंतर्द्वंद की मनोस्थिति, हिम्मत जुटा कर विरोध करना और फिर मोड़ लेती परिस्थितियों में अकेले अपने और अपनी दो संतानों के अस्तित्व के लिए कड़ा संघर्ष कर सफलता के क्षितिज को छूना ” इसी कथानक के तानेबाने में बुनी है संतोष चौधरी के राजस्थानी उपन्यास “रात पछै परभात:” की कहानी। यूं तो सुनने पर कथनाक सत्तर – अस्सी के दशक की किसी फिल्म की तरह प्रतीत होता है पर जिस खूबसूरती से अपने साहित्य शिल्प का उपयोग कर उन्होंने इस उपन्यास की रचना की है वह इतना आकर्षक है कि एक बार शुरू करने पर पाठक पूरा पढ़ कर ही दम लेता है। यह है साहित्यकार की लेखनी का जादू कि पाठक को अपनी कथा के साथ बांध लेता है। निस्संदेह भविष्य में इनकी लेखनी ऐसे ही सशक्त उपन्यास हमें पढ़ने को मिलेंगे।
अवसर था पिछले दिनों कोटा में उन्हें ज्ञान भारती संस्थान कोटा द्वारा प्रथम कमला कमलेश महिला साहित्यकार पुरस्कार से सम्मानित करने का। मुझे भी इस कार्यक्रम में साहित्यकार जितेंद्र ‘ निर्मोही ‘ जी ने बतौर अध्यक्षता के लिए आमंत्रित किया था। वहीं संतोष जी से परिचय हुआ और उनके साहित्य पर चर्चा के दौरान राजस्थानी उपन्यास के कथानक को जानने का मौका मिला।
आपकी ग्यारह राजस्थानी कहानियों के काव्य संग्रह पर भी चर्चा हुई। ऐसा महसूस हुआ कि इस संग्रह में सभी कहानियां अपने – अपने विशेष विषय और कथ्य के साथ प्रभावी बन पड़ी है, अधिकांश कहानियों में इन्होंने स्त्री, उसके मन और उसकी भावनाओं को अधिक तहरीज दी है। लगता है आपके साहित्य में स्त्री और मौन ही केंद्र बिंदु हैं।
चर्चा इनके हिंदी काव्य संग्रह पर करें तो देखिए गहरे अर्थ लिए इनकी एक लघु कविता की बानगी……
रीते बरसों में
मौन को धारण कर लिया है!
कुछ पीड़ाओं के लिये
कोई शब्द नहीं बनते…
कुछ पीड़ाएं नि:शब्द रहने को ही अभिशप्त हैं !
” नि: शब्द” शीर्षक की इस कविता में मौन और नारी पीड़ा कितनी गहराई लिए है साफ झलकती है। इसी प्रकार “अलविदा” नामक कविता में बिछड़ने और उसकी अनुभूति की गहराई भी गौरतलब है……
जाते समय
हल्के से मेरे हाथ पर
अपना हाथ धर कर
आंखों से
अलविदा कह गये तुम
तुम्हारी मौन मुस्कान के पीछे
बिछड़ने की पीड़ ने
स्पर्श किया था
मेरी हथेली को
तब से
अब तलक
उस हथेली में
तुम्हारी हथेली की गरमास संग
गीलापन भी महसूस कर रही हूं…….*
सृजन : हिंदी और राजस्थानी दोनों भाषाओं में साहित्य सृजन पर आपका पूर्ण अधिकार है। आपकी हिंदी कहानियों का हिंदी काव्य संग्रह “मेरा मौन” वर्ष 2018 में राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित हुआ। इसके उपरांत “रात पछै परभात” राजस्थानी उपन्यास वर्ष 2019 में प्रकाशित हुआ। वर्ष 2020 में ।
” काया री कळझळ ” राजस्थानी कहानी संग्रह का प्रकाशन हुआ। आपकी इन महत्वपूर्ण कृतियों के साथ – साथ कई साझा संकलनों में भी रचनाओं का प्रकाशन का अवसर मिला।
आप की देश – प्रदेश की प्रमुख राजस्थानी और हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां, कवितायें, इंटरव्यू, समीक्षायें और लघुकथायें निरंतर प्रकाशित होती रही है। आकाशवाणी केंद्र और दूरदर्शन राजस्थानी के साहित्यिक कार्यक्रमों और संगोष्ठियों में भी आपकी सक्रिय भागीदारी रही है।
सम्मान : उपन्यास “रात पछै परभात” को नेम प्रकाशन डेह नागौर द्वारा 2020 का कमला देवी सबलावत उपन्यास पुरस्कार तथा जागृति सस्थां जोधपुर द्वारा राजस्थान की बुक ओफ द ईयर अवार्ड 2019 के सम्मान से नवाजा गया । कहानी संग्रह “काया री कळझळ” को सलिला संस्था सलूंबर द्वारा सलिला साहित्य सम्मान 2021 से पुरस्कृत किया गया। राष्ट्र भाषा प्रचार समिति श्रीडूंगरगढ़ द्वारा 2021 का ‘राजस्थली अलंकरण’ सम्मान से आपको सम्मानित किया गया। ज्ञान भारती संस्थान कोटा, राजस्थान द्वारा वर्ष 2022 से शुरू किया गया पहला ‘कमला कमलेश महिला राजस्थानी पुरस्कार- 2022’ से आपको कोटा में से सम्मानित किया गया। इन उल्लेखनीय पुरस्कार और सम्मान के साथ – साथ आपको विभिन्न सामाजिक एवं साहित्यक संस्थाओं द्वारा भी समय – समय पर सम्मानित किया गया।
परिचय: क्षितिज की ओर आगे बढ़ती विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं के साथ मायड़ भाषा आंदोलन हेतु सक्रिय भागीदारी निभाने वाली साहित्यकार सन्तोष चौधरी का जन्म 11फरवरी 1972 को नागौर जिले के गांव शीलगांव में दबंग पुलिस अधिकारी पिता जयराम जी पिण्डेल के घर हुआ। आपने एम.ए. (हिंदी साहित्य) / बी. एड. की शिक्षा प्राप्त की। इन्हें पढ़ाई के साथ-साथ साहित्य में सदा ही रुचि रही है। साहित्य सृजन का विधिवत लेखन हालांकि उम्र के चोथे दशक बाद शुरू किया और वर्तमान समय तक निरंतर साहित्य सृजन में लगी हुई हैं। आपने केन्द्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा सालासर में आयोजित महिला लेखक सम्मेलन 2021, श्रीगंगानगर में महात्मा गांधी पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी , पंजाब विश्वविद्यालय, अमृतसर में हुई अनुवाद कार्यशाला एवं 2022 में सालासर में आयोजित ‘आजादी रै पछै राजस्थानी भाषा लेखन’ के दो दिवसीय कार्यक्रम में सक्रिय सहभागिता निभाई। आप बालिका शिक्षा, महिला सशक्तिकरण तथा कमजोर वर्ग के सहयोग जेसे सामाजिक सरोकारों और विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। वर्तमान में आप जोधपुर में निवास कर साहित्य सृजन में लीन हैं।
संपर्क सूत्र मो. 9571455250.