ज़ी नेटवर्क के अध्यक्ष एवँ राज्य सभा सांसद श्री सुभाष चन्द्रा ने कहा कि किसी भी परिवर्तन की शुरुआत व्यक्ति को खुद से करना होगी। यस बैंक द्वारा आयोजित यस आई एम द चैंज अवार्ड 2018 को संबोधित करते हुए श्री सुभाष चन्द्रा ने विजेताओँ को बधाई देते हुए कहा कि ऑडिओ-विज़ुअल मीडिया के माध्यम से प्रस्तुत उनकी फिल्मों से सामाजिक मुद्दों को सामने लाने की कोशिश की गई है। उन्होंने सामाजिक विषयों पर फिल्म बनाने की इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि यस फाउंडेशन और श्री राणा कपूर ने इन पाँच सालों में कई बड़े काम किये हैं। उन्होंने 2 लाख लोगों से संपर्क किया है। इस आयोजन के उद्देश्य पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए श्री सुभाष चन्द्रा ने कहा कि वे इऩ फिल्मों को ज़ी नेटवर्क पर मंच प्रदान करेंगे ताकि ये फिल्में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँच सके। उन्होंने कहा कि ज़ी नेटवर्क पर इन फिल्मों को प्रसारित करेंगे।
इस अवसर पर उन्होंने यस आई एम द चैंज अवार्ड्स 2018 के विजेताओँ को सम्मानित भी किया। यस आई एम द चैंज मैं चेंज अवॉर्ड्स देशव्यापी मानसिकता परिवर्तन कार्यक्रम है जो जिम्मेदार युवा नागरिकता की भावना पैदा करता है और फिल्मों जैसे प्रभावशाली माध्यम से सकारात्मक सामाजिक संदेश देता है।
उन्होने कहा कि फिल्में किसी भी माध्यम से ज्यादा असरदार होती है क्योंकि शिक्षा सं वंचित कई लोग अखबार नहीं पढ़ पाते हैं, और गाँवों में तो कोई एक आदमी अखबार पढ़ता है और कई लोग उसे घेरकर खड़े हो जाते हैं और उससे खबरें सुनते हैं। जबकि फिल्म एक ऐसा माध्यम है जिसे हर कोई आसानी से समझ सकता है और यही वजह है कि किसी भी सामाजिक बदलाव में इनका असर भी ज्यादा होता है। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि हम प्रायः देखते हैं कि एक एनजीओ दूसरे एनजीओं के साथ भागीदारी नहीं चाहता है, क्योंकि हर एक को लगता है कि इसका श्रेय किसी एक को ही मिलेगा। यहाँ यह समझना जरुरी है कि जो काम किया जा रहा है वह महत्वपूर्ण है, कौन कर रहा है-यह नहीं।
व्यक्तिगत स्तर पर बदलाव की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि मैने अपने नाम से सरनेम क्यों हटाया। मंडल आयोग के दौर में हर कोई व्यवस्था को दोष दे रहा था और युवा भी उत्तेजित थे। बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन चल रहे थे, तब मैने अपने दोस्तों से कहा था, किसी भी समस्या का समाधान और परिवर्तन व्यक्तिगत स्तर पर ही शुरु होता है और मैने खुद अपने नाम से सरनेम हटा लिया। मैं अब अपने आपको सुभाष चन्द्रा ही कहलाना पसंद करता हूँ। एक व्यक्ति किस तरह बदलाव ला सकता है इसी भावना के साथ मैने ये उदाहरण प्रस्तुत किया कि मैं अपने नाम के साथ सरनेम नहीं लगाउंगा। हालांकि आज भी कई लोग मुझे मेरे सरनेम से संबोधित करते हैं, लेकिन मंडल के दौर में मेरी भावना थी कि मुझे अपने खुद के लिए कुछ अलग करना चाहिए, तो मैने अपना सरनेम हटा दिया। मैंने इस कष्टप्रद आधिकारिक नाम-परिवर्तन प्रक्रिया का पालन किया और अब मैं केवल सुभाष चंद्र के रूप में ही जाना जाने लगा हूँ।