Sunday, May 19, 2024
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भारतीय अर्थ जगत में स्वत्व बोध के सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं

भारतीय अर्थव्यवस्था आज न केवल विश्व में सबसे अधिक तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गई है बल्कि विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बन गई है। वर्ष 1980 में चीन द्वारा लागू किए गए आर्थिक सुधारों के चलते चीन की अर्थव्यवस्था भी सबसे तेज गति से दौड़ी थी और चीन के आर्थिक विकास में बाहरी कारकों (विदेशी व्यापार) का अधिक योगदान था परंतु आज भारत की आर्थिक प्रगति में घरेलू कारकों का प्रमुख योगदान है। भारत का घरेलू बाजार ही इतना विशाल है कि भारत को विदेशी व्यापार पर बहुत अधिक निर्भरता नहीं करनी पड़ रही है। वैसे भी, वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों, विकसित देशों सहित, की आर्थिक स्थिति आज ठीक नहीं है एवं इन देशों के विदेशी व्यापार सहित इन देशों के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर भी कम हो रही है।

भारत के आर्थिक विकास की वृद्धि दर तेज करने के सम्बंध में घरेलू कारकों में भारत के नागरिकों द्वारा स्वदेशी के विचार को अपनाया जाना भी शामिल है। आज भारतीय नागरिकों में स्वत्व का बोध स्पष्टत: दिखाई दे रहा है। अभी हाल ही में अमेरिका के निवेश के सम्बंध में सलाह देने वाले एक प्रतिष्ठित संस्थान मोर्गन स्टैनली ने अपने एक अनुसंधान प्रतिवेदन में यह बताया है कि वैश्विक स्तर पर आर्थिक विकास की दृष्टि से अगला दशक भारत का होने जा रहा है। अभी तक चीन पूरे विश्व के लिए एक विनिर्माण केंद्र बन गया था। परंतु, आगे आने वाले 10 वर्षों के दौरान स्थिति बदलने वाली है। भारत चीन से भी आगे निकलकर विश्व में सबसे अधिक आबादी वाला देश बन चुका है, जिससे भारत में उत्पादों का उपभोग तेजी से बढ़ रहा है। अतः भारत न केवल उत्पादों के उपभोग का प्रमुख केंद्र बन बन रहा है बल्कि विश्व के लिए एक विनिर्माण केंद्र के रूप में भी उभर रहा है।

सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत पूर्व में ही वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े केंद्र के रूप में विकसित हो चुका है। भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार वर्तमान स्तर 3.50 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2031 तक 7.5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच जाएगा और इस प्रकार भारतीय अर्थव्यवस्था अमेरिका एवं चीन के बाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। आगे आने वाले 10 वर्षों के दौरान आर्थिक क्षेत्र में भारत पूरी दुनिया का नेतृत्व करने जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्विक स्तर पर सुपर पावर बनने के पीछे भारत के विशाल आंतरिक बाजार को मुख्य कारण बताया जा रहा है।

वर्ष 2014 में केंद्र सरकार ने भारत में गरीब वर्ग के नागरिकों को बैकों से जोड़ने के लिए जनधन योजना प्रारम्भ की थी। भारतीय नागरिकों में यह स्व का भाव ही था, जिसके चलते बहुत कम समय में इस योजना के अंतर्गत अभी तक लगभग 50 करोड़ बचत खाते विभिन्न बैकों में खोले जा चुके हैं एवं छोटी छोटी बचतों को जोड़कर आज लगभग 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि इन खातों में जमा की जा चुकी है।

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