क्या सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जानकारी साझा करने पर गूगल की उससे कोई आमदनी होती है? यदि हां तो यह कैसे होता है और आमदनी कितनी है? यह जानकारी हाई कोर्ट ने गूगल इंडिया, फेसबुक, यू-ट्यूब और व्हाट्सएप आदि सोशल मीडिया साइट्स से मांगी है।
न्यायमूर्ति बीडी अहमद और संजीव सचदेव की खंडपीठ प्रधानमंत्री कार्यालय समेत अन्य मंत्रालयों के सोशल मीडिया के उपयोग करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अदालत ने सभी से 9 मार्च को जवाब दाखिल करने को कहा है। अदालत ने कहा कि यू-ट्यूब की पहुंच करोड़ों लोगों तक है। यदि सरकार कोई जानकारी उस पर दिखाती है तो इससे वह पैसा ही बचा रही है।
क्या यू-ट्यूब पर प्रसारण करने के पैसे लगते हैं? यदि सरकार का गूगल से कोई एग्रीमेंट है तो उससे किसका फायदा होगा? सरकार का, यू-ट्यूब का या फिर लोगों का। अदालत ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन से गूगल समेत अन्य सोशल मीडिया साइट्स के साथ हुए एग्रीमेंट पेश करने का निर्देश दिया। अदालत में यह याचिका पूर्व भाजपा नेता केएन गोविंदाचार्य ने दाखिल की है।