नीति आयोग जिसकी स्थापना 1 जनवरी ,2015 को किया गया था। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम( यूएनडीपी) जो संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट अभिकरण है ,जिसका तथ्य है कि भारत में 2015 – 2016 और 2019 – 2021 के बीच 13.5 करोड़ लोग गरीबों के मकड़जाल से मुक्त हुए हैं ।इसी पद्धत के आधार पर नीति आयोग ने भी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण( एनएसएसओ) के आंकड़ों के आधार पर माना है कि भारत में गरीबी/ निर्धनता 24.85 % से घटकर 14.96 % हो गई है। भारत सरकार के विभिन्न शासकीय कार्यक्रमों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ( आरएसएस) के लोकोपयोगी व जन जागरूकता अभियान के कारण गरीबी/ निर्धनता में मात्रात्मक गिरावट दर्ज हुई है ।राष्ट्रीय सेवक संघ ने गरीबों की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त किया था।
गरीबी का गिरावट ग्रामीण स्तर पर ज्यादा हुई है। भारत 2022, के आंकड़ों के आधार पर हम कर सकते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में 32.59 % से घटकर 19.28% रह गई है, जबकि शहरों में 8.65% से घटकर 5.27% हुई है ,जो गरीबीऔर बेरोजगारी के कारण बीमारू राज्य थे, वह अब प्रगतिशील राज्यों की कतार में खड़े हैं अर्थात बिहार, मध्य प्रदेश ,राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में 10 करोड़ से अधिक लोग गरीबी से बाहर आ गए है। पोषण, स्वच्छता, आवास और खाना पकाने के संसाधन वाले कार्यक्रमों के वितरण में निरंतर सुधार होने से ऐसे परिणाम आए हैं ।गरीबों के लिए चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं के चलते अब बड़ी संख्या में लोगों के पास से गरीबी कम हुई है। यूएनडीपी के गरीबी आंकने के आंकड़ों से नीति आयोग को भी सहयोग मिला है।
(लेखक प्राध्यापक एवँ राजनीतिक विशेलेषक हैं)