एक ऐसे मंदिर के बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे, जिसका नाम किसी भगवान पर नहीं बल्कि बनाने वाले मजदूर पर रखा गया है। तेलंगाना के मुलुगू जिले के वेंकेटापुर मंडल के पामपेट गांव मे स्थित रामप्पा मंदिर की। जिसको रामलिंगेश्वरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
इस मंदिर की कहानी बाकि सभी मंदिरों की कहानियों से भिन्न है। पौराणिक कथाओं के अनुसार 1213 ईस्वी में आंध्रप्रदेश के काकतिया वंश के महाराज गणपति देव के मन में विचार आया कि वो एक मंदिर का निर्माण करवाए। राजा ने शिल्पकार रामप्पा को आदेश दिया की वो एक ऐसा मंदिर बनाए जिसको हजारो सालों तक कोई हिला ना पाए।रामप्पा ने राजा के आदेश के अनुसार ऐसे भव्य व कौशल खूबसूरत और विशाल मंदिर का निर्माण किया। जिसके बाद राजा ने खूश होकर मंदिर का नाम ही रामप्पा रख दिय़ा। 13 वीं सदी में भारत आए मशहूल इटैलियन व्यापारी और खोजकर्ता मार्को पोलो ने इस मंदिर को आकाशगंगा में सबसे चमकीला तारा कहकर संबोधित किया था। पिछले 800 सालों से ये मंदिर ऐसे की ऐसे खड़ा है।इस मंदिर के बारे में जानने के लिए पुरात्व विभाग की टीम मंदिर की जांच के लिए पहुंची। लेकिन उनके लाख कोशिशों के बाद भी इस रहस्य का पता नहीं लगा पाए। इस मंदिर का एक रहस्य है कि इस मंदिर में लगे पत्थऱ इतने हलके है कि वो पानी में भी आसानी से तैर सकते हैं।
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