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तीर्थस्थलों के विकास से ही सांस्कृतिक जागरण होगा 

अयोध्याधाम में राम मंदिर के उद्घाटन ने भारतीय जनमानस के अंतःकरण में भारतीय ज्ञान प्रणाली, स्व को जानने एवं समझने तथा सांस्कृतिक विरासतों के प्रति बौद्धिक और मानसिक क्षितिजीकरण का नूतन प्रत्यय स्थापित कर दिया है। धार्मिक सर्वोच्चता के मानसिकता से जकड़े आक्रांताओं ने मंदिरों के ध्वंसाशेस पर जबरदस्ती( बलात्) मस्जिद का निर्माण करके, बलात  धर्म परिवर्तित कर करके, परलोभित करके और  आतातयी व्यवहार से जो भय और डर  का पर्यावरण बनाया था, उसके प्रति भारतीय जनमानस में सक्रिय प्रतिरोध है। अयोध्या में राम मंदिर तीर्थ की लोकप्रियता का प्रतिशत अत्यधिक बड़ा है। भारतीय भू – भाग  प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक पर्यटन और मनोरम सौंदर्य के कारण प्राचीन काल से ही आकर्षण का केंद्र रहा है।
 अयोध्या के तीर्थ स्थल को पैटर्न( मॉडल) बनाकर भारत के अन्य तीर्थ स्थलों का उच्चीकृत और उन्नयन किया जा सकता है, जिससे वैश्विक स्तर के  पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है।
अयोध्या में बाल्मीकि हवाईअड्डे का त्वरित निर्माण करके श्रद्धालुओं को आकर्षित किया जाना अत्यधिक प्रासंगिक है। रेलवे स्टेशन का आधुनिकीकरण करना पर्यटन के प्रति उन्नयन है। प्रत्येक होटल का नवीनीकरण करना पर्यटन के उन्नयन में सहयोगी सिद्ध हो रहा है। पर्यटन हेतु  85000 करोड़ रुपयों का निवेश किया गया है। वैश्विक स्तरीय सुविधाओं, पर्यटन संस्कृति का उन्नयन करने ,पर्यटन अनुकूल प्रत्यय  का उन्नयन करने से वैश्विक  पर्यटक आकर्षित हो रहे हैं। एक वैश्विक प्रतिवेदन के अनुसार, भारत वर्ष में 60% से अधिक पर्यटन स्थल धार्मिक प्रकृति के हैं। वर्ष 2023 में 13 लाख से अधिक लोगों ने इन पर्यटन स्थलों का भ्रमण किया है, उनके आने से राजस्व में वृद्धि होती है और भारत सरकार के दूरदर्शिता ,वैज्ञानिक उपादेयता और शासकीय  उपादेयता की वैश्विक स्तर पर गुणगान होती है। भारत के समृद्ध पर्यटकों को भी धार्मिक पर्यटन के लिए आकर्षित करने का सरल, सटीक और वैज्ञानिक  नवोन्मेष का सरल तरीका है । भारत के बुनियादी ढांचे में निवेश किया जाए, इससे वैश्विक स्तर के पर्यटकों को आकर्षित कर सकेंगे।