रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के सीएसआईटी विभाग के प्रोफेसर ने ऐसा साफ्टवेयर विकसित किया है, जो सेंसर उपकरणों में लगने वाली बैटरी को बचाएगा। यह उपकरण की कार्यक्षमता को भी प्रभावित नहीं होने देगा। इसके अलावा चालक रहित वाहनों के लिए मोशन सेंसर भी तैयार किया है। उनकी इस उपलब्धि को जापान के वैज्ञानिकों ने भी सराहा है। उनको जापान में सेंसर नेटवर्क पर होने वाली सेमिनार में अपने काम को दिखाने के लिए बुलावा भेजा गया है।
रुहेलखंड विवि कंप्यूटर साइंस एंड इंफार्मेशन टेक्नोलॉजी (सीएसआईटी) विभाग के प्रभारी डॉ. रविंद्र सिंह ने यह साफ्टवेयर डेवलप किया। इसे एजुकेशन क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम (टेकिप) के तहत तैयार किया गया। डा. रविंद्र सिंह ने बताया कि वन्य जीवों के मूवमेंट का पता लगाने के अलावा रात में उनके चित्र लेने के लिए सेंसर आधारित कैमरे का इस्तेमाल होता है।
सीमाओं पर घुसपैठ रोकने के लिए भी बैटरी चालित सेंसर उपरण लगाए जाते हैं। इसकी बैटरी की उर्जा को लंबे समय तक बचाना एक बड़ी चुनौती है। खासतौर पर रिमोट एरिया में लगाए गए सेंसर में जाकर बैटरी बदलना बड़ी चुनौती है। कारण है डाटा ट्रांसमिशन के दौरान सेंसर वाले उपकरण ज्यादा बैटरी इस्तेमाल करते हैं। यह साफ्टवेयर उपकरण की क्षमता कम किए बिना बैटरी की उर्जा के खर्च कम कर देगा। अब वे टोकियो यूनवर्सिटी आफ साइंस में सेंसर नेटवर्क पर 17-19 जून तक होने वाली इंटरनेशनल कांफ्रेंस में अपना शोध विश्व मंच पर पेश करेंगे।
मोशन सेंसर पर भी कर रहे काम
डॉ रविंद्र सिंह मोशन सेंसर पर भी काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ड्राइवर विहीन वाहन इमेज सेंसर आधारित तकनीक का प्रयोग कर हाइवे पर तो दौड़ लेते हैं पर जाम में यह तकनीक सही से काम नहीं करती है।ट्रैफिक में टक्कर से कैसे बचा जाए यह मोशन सेंसर के जरिए संभव है।इसलिए कारों के साइड में मोशन सेंसर लगाकर इस समस्या को दूर किया जा सकता है।यह मोशन सेंसर बता देंगे कि वाहन ट्रैफिक में नहीं चल सकता और ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएगा।