विकसित राष्ट्र की संकल्पना की प्राप्ति तकनीकी की उपादेयता से संभव है। वर्ष 2047 में विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए तकनीकी की अपार उपादेयता है ।निर्माण हब बनाने में” जीरो डिफेक्ट – जीरो इफेक्ट” के उपादेयता को प्रासंगिक बनाना होगा ।तकनीकी की दक्षता व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण और विश्वास बहाली के लिए आवश्यक अवयव है। वैश्विक बाजार के प्रतियोगिता की सफलता इस तथ्य में निहित है कि हम तकनीकी का सदुपयोग मानव कल्याण के लिए किस सीमा तक कर सकते हैं? तकनीकी उपादेयता से” ईज आफ लिविंग” को बढ़ाया जा सकता है ।
वैश्विक स्तर पर 21वीं सदी तकनीकी से चलने वाली सदी है ;तकनीकी की प्रासंगिकता इस पर निर्भर है कि तकनीकी का विस्तार करें, तकनीकी को आम आदमी के बीच में, समुदाय के बीच में व सामान्य को सशक्त बनाने में करें। तकनीकी कुशलता से मानव का कल्याण होने वाला है। तकनीकी ने सब को सही व सटीक जानकारी प्रदान करके माननीय कल्याण के उन्नयन में सहयोग प्रदान किया है। भारत सरकार तकनीकी को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश कर रही है ।भारत सरकार भारत में नूतन डिजिटल आधारभूत इकाई तैयार कर रही है, जिससे सभी व्यक्तियों, समुदायों एवं संगठनों को तकनीकी तक पहुंचने में सफलता प्राप्त हो सके। डिजिटल क्रांति का लाभ समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंच सके।
तकनीकी की मजबूती से राष्ट्र की एकता,गरिमा एवं तारतम्यता की मजबूती होती है ;जिससे राष्ट्रीय सोच व नवाचार में उन्नयन होता है ।तकनीकी हर किसी तक सही और सटीक जानकारी पहुंचा कर सब को आगे बढ़ने का समान अवसर उपलब्ध कर रहा है। तकनीकी की उपादेयता समाज के प्रत्येक वर्ग वर्ग तक पहुंच सके ,जिससे प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्र की एकता व अखंडता में मदद कर सके। सरकार अपने देश( राज्य) में नागरिक समाज के उन्नयन के लिए अवसंरचना का विकास कर रही है। इन कारकों की उपादेयता से भारत 2047 तक विकसित भारत बन जाएगा।
(लेखक राष्ट्रीय विषयों पर स्वतंत्र लेखन करते हैं व सहायक आचार्य एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)