चाइना हमारे हिन्दी फिल्म के एक डायलॉग से इस कदर दुखी हो गया कि उसने एक वायरस ला कर दिखा दिया कि ..नाना पाटेकर साहब का एक मच्छर तो लोगो हिजड़ा बना रहा था लेकिन चाइना का एक वायरस पूरी दुनिया को ही घरघुस्सा बना देगा । इस बात से दुनिया भर के मच्छर, कीड़े -मकोड़ों में भयंकर हीनभावना ने पैठ बना ली है । सभी चिन्तित हैं कि क्या आने वाले समय में उनकी महत्ता कम हो जाएगी ? क्या उनका असर निष्क्रिय हो जाएगा ।इस बात के लिए विश्व के सभी कीड़े मकोड़ों के साथ चाइना के भी कीड़े मकोड़े दुखी ,गंभीर दिखे लेकिन इसके साथ – साथ जिन देशों में कोरोना के चलते कीड़े मकोड़ों को खाने पर पाबंदी लगी या लोगो ने खुद ही एहतियातन रोक लगा रखी है इस वजह सो वहां के कीड़े मकोड़ों में थोड़ी ख़ुशी भी देखी गयी है ।
तो कीड़े मकोड़ों की अपनी इस दिक्कत पर गंभीरता को समझते हुए सभी कीड़े मकोड़ों ने सर्वदलीय आपातकालीन बैठक बुलाई । इस पर सभी पक्ष – विपक्ष के कीड़े मकोड़ों ने बिना ना नुकुर के हिस्सा लिया । सभी की लगभग एक चिंता कि क्या इसके बाद भारतीय या अन्य विदेशी कीड़ो मकोड़ों से लोग नही डरेंगे ? क्या उन पर अब रिसर्च होना बंद हो जाएगा ? होना भी चाहिए सभी को अपने अस्तित्व खोने का भय होता है । इनमें भी सबसे ज्यादा भय मच्छर को लगा । भय ही नही आत्मग्लानि और दुख भी बहुत ज्यादा था । क्योंकि उसके नाम पेटेंट बीमारी की बीमारी की दवा का प्रयोग इस मुए वायरस पे किया जा रहा था । मच्छर बड़ा मायूस था । वो कैसे भी करके ये दवा रोकना चाहता था ।
जब अमेरिक के सर्वे सर्वा को भारत के प्रधानमंत्री ने मलेरिया की दवा देने से मना कर दिया तो एक ही जीव था जो भारतीय राजनीतिक विपक्षियों से ज्यादा खुश था वो था मच्छर !लेकिन उसकी और राजनीति विपक्षी जीवों की यह खुशी ज्यादा देर तक ना ठहर सकी ।दवा भेजने का फैसला लिया गया और खुशी काफुर हो गयी ।मच्छर का दिल बुकनू बुकनू हो गया । सभी कीड़े मकोडों की बैठक हुई उसमें जो बात निकल कर सामने आयी वह ये थी अभी उन सभी के द्वारा कोई इंफ़ेक्शन फैला कर इस वायरस का महत्व कम नही किया जा सकता । इस पर छिपकली ने प्रश्न उठाते हुए कहा ऐसा क्यों नही कर सकते ? मक्खी ने उसको समझाते हुए कहा अभी सभी इंसानी जीव घरों में कैद है और साफ सफाई पर बहुत ध्यान दे रहे हैं। घर – बाहर सभी जगह ! इस लिए अभी हमारा कोई प्रयास निरअर्थक साबित होगा ।
हमें सोच समझ कर ही कदम उठाना चाहिये वरना सारी मेहनत पे पानी फिर जाएगा । वैसे ही हमारे दिन अच्छे नही चल रहे । काली चींटी की चुप्पी सभी कीड़े मकोड़ों को अखर रही थी लेकिन ये सही वक्त नही था बहस का इसलिए किसी ने तूल देना सही नही समझा । तो लाल चींटी ने वहीं कहा कि उसे कोई फर्क नही पड़ता ऐसे किसी वायरस फायरस से .. खाने की मीठी व अन्य सामग्रियों में वो घुसती रही है , घुसती रहेगी इंसानी जीव जब भी छेड़ता है तो उसको छोड़ती नहीं ।घुस -घुस कर जहां तहां काटती है। वहीं मक्खी का रुझान मच्छर के द्वारा उठायी गयी समस्या की तरफ था । साफ सफाई की वजह से उसका भी काम धंधा बंद था । चूहा , मटा, पाई , भुनगा, कॉक्रोच, मकड़ी लगभग सभी चिंतित और परेशान दिखे । उनको ये पता चल चुका था इंसानी जीव लम्बे समय के लिए घरघुस्सा बनाया जा चुका है । जिससे इनका काम धंधा भी लगभग मरने की कगार पर आ खड़ा हुआ है। बैठक हुई ! बैठक के निष्कर्ष से निकला कि अभी थोड़े दिन तक हमें रुक कर माहौल देखना होगा तभी आगे किसी निष्कर्ष पर पहुंच सकेंगे । इस बीच मच्छरों की मायूसी को देखते हुए सभी कीड़े मकोड़ों ने उनको सांत्वना दी .. समझाया । सभी कीड़े मकोड़ों को भय है कहीं ये मच्छर सामूहिक आत्महत्या ना कर लें । मच्छरों की आपातकालीन बैठक में निर्णय लिया गया कि अपने बच्चों को जल्दी से कोरोना का क्रश कोर्स करवाये , जिससे उनकी आने वाली पीढ़िया सही ढंग से जीवन यापन कर सकें।
अब तो फिलहाल जो भी होगा यकीनन ये कठिन समय गुजर जाने के बाद ही पता लगेगा । जब तक इंसान घरघुस्सा रहेगा तब तक कुछ नही होने वाला !
बढ़िया