इन दिनों ‘गुपकार’ शब्द काफी चर्चा में है। यह चर्चा तेज तब और हो गई, जब मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुपकार गठबंधन को गुपकार गैंग बताया और कहा कि गुपकार गैंग में शामिल लोग कश्मीर में विदेशी ताकतों का दखल चाहते हैं। गुपकार घोषणा में शामिल दलों पर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर जोरदार हमला बोला। इसके बाद एक बार फिर से गुपकार घोषणा सुर्खियों में आ गई है. गुपकार घोषणा में शामिल दलों को गृह मंत्री ने ‘गुपकार गैंग’ करार दिया और कहा कि राष्ट्र हित के खिलाफ काम करने पर उनका खात्मा हो जाएगा. एक तरह से अमित शाह ने गुपकार गठबंधन अथवा गुपकार घोषणा पत्र को देशहित के खिलाफ बताया और कहा कि राष्ट्रहित के खिलाफ काम करने पर देश की जनता इसे डुबो देगी। अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या है गुपकार घोषणा पत्र और इस बार इतना सियासी बवाल क्यों मचा है? कौन हैं गुपकार गठबंधन में शामिल पार्टियां और क्या है इनका मकसद?
गुपकार घोषणा क्या है?
दरअसल, श्रीनगर में एक गुपकार रोड है और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला का यहीं पर आवास है. यहीं पर 4 अगस्त 2019 को 8 दलों ने एक साथ बैठक की थी. उस समय देश में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई थी कि आखिर केन्द्र सरकार क्या कदम उठाने जा रही है, जो इतनी बड़ी तादाद मे जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है. इस असमंजस भरे माहौर में राजनीतिक दलों की फारूक अब्दुल्ला के आवास पर बुलाई गई बैटक में पारित प्रस्ताव को गुपकार घोषणा का नाम दिया गया.
गुपकार घोषणा क्या कहती है?
गुपकार घोषणा में यह कहा गया, ‘हम आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए, जम्मू-कश्मीर के संविधान, इसके राज्य के दर्जे की वापसी के लिए साझी लड़ाई को लेकर समर्पित हैं। हमें राज्य के बंटवारा बिल्कुल नामंजूर है। हम सर्वसम्मति से यह दोहराते हैं कि हमारी एकता के बिना हमारा कुछ नहीं हो सकता।’ इसमें आगे कहा गया, ‘5 अगस्त, 2019 को लिए गए फैसले असंवैधानिक थे जिनका मकसद जम्मू-कश्मीर को अधिकारों से वंचित करना और वहां के लोगों की मूल पहचान को चुनौती देना है।’ गुपकार योजना को लेकर हुई पहली बैठक नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के निवास पर आयोजित की गई थी और इसमें पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सजाद लोन, पीपुल्स मूवमेंट के नेता जावेद मीर, सीपीआईएम नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी और अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष मुजफ्फर शाह ने भाग लिया था।
इन राजनीतिक दलों ने संयुक्त बयान में कहा, ‘हम लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हमारी सभी राजनीतिक गतिविधियां 4 अगस्त, 2019 तक जम्मू-कश्मीर के प्राप्त दर्जे की वापसी की राह में होंगी।’ 22 अगस्त, 2020 को फिर से 6 राजनीतिक दल- नैशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, सीपीआई(एम) और अवामी नैशनल कॉन्फ्रेंस ने फिर से गुपकार घोषणा दो पर दस्तखत किया। इन सभी ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए की वापसी की लड़ाई साथ लड़ने का संकल्प लिया। राज्य में अर्धसैनिकों की तैनाती और असमंजस की स्थिति में यह आपात बैठक हुई, जिसमें राज्य की परिस्थिति को लेकर पार्टियों ने एक साझा बयान जारी किया, जिसे गुपकार समझौता का नाम दिया गया। इस समझौते में कहा गया है कि पार्टियों ने सर्व-सम्मति से फैसला किया है कि जम्मू कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता और उसके विशेष दर्जे को संरक्षित करने के लिए वे मिलकर प्रयास करेंगी।
क्या है गुपकार गठबंधन
दरअसल, गुपकार जम्मू-कश्मीर के विपक्षी दलों का एक गठबंधन है, जिसे पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकर डिक्लेयरेशन (पीएजीडी) का नाम दिया गया है, जो एक तरह का घोषणा पत्र है। इसी गुपकार घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने वाली सभी पार्टियों के एक समूह को गुपकार गठबंधन कहा जाता है। इसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को पहले की तरह विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की है। इस गुपकार गठबंधन में फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस और महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अलावा जम्मू-कश्मीर की 6 पार्टियां शामिल है।
गुपकार का उद्देश्य
इस गुपकार अलांयस का मुख्य उद्देश्य जम्मू और कश्मीर को वापस विशेष दर्जा दिलाना है। इस गुपकार घोषणा पत्र में कश्मीर की इन पार्टियों ने सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर की पहचान, स्वायत्तता और विशेष राज्य का दर्जा की स्थिति की रक्षा और बचाव के अपने प्रयासों में एकजुट होने पर सहमति व्यक्त की थी। इसमें कहा गया है कि पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकर डिक्लेयरेशन का मकसद सभी हितधारकों के साथ राजनीतिक रूप से वार्ता करना है