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नेहरू पर कुछ और…
लेखाधिकारी प्रधानमंत्री : *एकबार जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद से स्पष्टीकरण माँगा कि आप को हर माह मनोरंजन भत्ता मिलता है तो उसकी बची राशि राजकोष को लौटाया?” (प्रधानमन्त्री के विशेषाधिकारी एमओ मथाई की पुस्तक “माई डेज विद नेहरू”, पृष्ठ 338) नेहरू को शायद याद नहीं रहा कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति केवल आधा […]
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“कुछ यादें : कुछ विचार” : स्मृतियों का खजाना
“कुछ यादें : कुछ विचार” मेरी लगभग चालीस साल की साहित्यिक-यात्रा का लिपिबद्ध दस्तावेज़ है।इसमें साहित्य से जुड़ी प्रायः प्रत्येक विधा की रचना आकलित है।एक तरह से यह मेरी साहित्य-साधना का दर्पण अथवा समुच्चय है। अपनी इस दीर्घकालीन साहित्यिक यात्रा के दौरान मैं ने जो कुछ भी लिखा उसमें मेरे संस्मरण, आलेख, टिप्पणियाँ, वार्ताएँ, पाठकीय […]
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यादों के झरोखे से …एक बानगी
अपने समय को आत्मसात् करता हुआ व्यक्ति जब उन पलों को अपनी यादों में संजोविजय जोशी, कोटाये रखकर समय-समय पर स्वयं ही उनसे बतियाता है तो अनुभूत सन्दर्भों का एक वितान उभर जाता है। यही वितान उसकी स्मृतियो को विस्तार प्रदान करता हुआ व्यक्ति को वैचारिक रूप से सम्बल प्रदान करता है, उसे समय-समय पर […]
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मुंबई महानगरी में शब्दों के जादूगरों के साथ छा रहा है पुस्तकों का जादू
मुम्बई। वर्ली के नेहरू सेंटर हॉल ऑफ हार्मनी में राजकमल प्रकाशन द्वारा आयोजित ‘किताब उत्सव’ के दूसरे दिन कई महत्वपूर्ण आयोजन हुए। कार्यक्रम में आज गुलज़ार और पीयूष मिश्रा ने शिरकत की। ‘किताब उत्सव’ में लगाई गई पुस्तक प्रदर्शनी में दिनभर पुस्तकप्रेमियों की जमघट लगी रही। इस दौरान पाठकों ने बढ़-चढ़कर पुस्तकों की खरीदारी की। […]
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सिने गीतकार : 21 गीतकारों की रोचक दास्तान
अद्विक प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित देवमणि पांडेय की नई किताब का नाम है सिने गीतकार। इस किताब का लोकार्पण चित्रकार आबिद सुरती, कथाकार सूरज प्रकाश और व्यंग्यकार सुभाष चंदर ने दिल्ली के विश्व पुस्तक मेले में 26 फरवरी 2023 को किया। इस पुस्तक में सिने जगत के 21 गीतकारों की रोचक दास्तान शामिल है। साथ […]
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रचना श्रीवास्तव की रचना धर्मिता का सुखद एहसास है ‘सपनों की धूप’
कभी जब कोई आपकी पुस्तक पढ़ कर उसकी समीक्षा लिख कर आपको स्नेह से भेजे तो असीम आनन्द की अनुभूति होती है। ऐसा ही कार्य किया रायपुर के रहने वाले श्री रमेश कुमार सोनी जी ने। उन्होंने मेरी किताब की समीक्षा की है और इतने सुन्दर तरीके से की है कि अपनी ही पुस्तक कुछ […]
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हिंदू समाज को जातियों में किसने बाँटा?
आज के हिन्दू समाज में अनेक विषमताएं हैं. जाती – पाँति, ऊँच – नीच, वर्ण आदि अनेक ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर अनेकों बार समाज बँटा हुआ सा लगता है, क्या इतिहास में भी यही या ऐसी ही विषमताएं हिन्दू समाज में थी..? इसका स्पष्ट उत्तर है – नहीं. उत्तर वैदिक काल में, हिन्दू समाज […]
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साहित्य अपने काल का निर्धारण करता है — जितेन्द्र निर्मोही
कोटा। साहित्यकार अपने साहित्य से काल का निर्धारण करता है। मीर, गालिब, तुलसी,कबीर, मीरां सबने अपने साहित्य से अपने समय को बताया है।समय के साथ साहित्य को जाना जाता है मैथलीशरण गुप्त, निराला , जयशंकर प्रसाद सभी समय के वाहक रहे हैं।मानस आज़ जिन संदर्भों में अज्ञानतावश याद की जा रही है,वह दुखद पहलु है […]
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संवेदनाओं के इंद्रधनुषी हाइकु
( कभी जब कोई आपकी पुस्तक पढ़ कर उसकी समीक्षा लिख कर आपको स्नेह से भेजे तो असीम आनन्द की अनुभूति होती है। ऐसा ही कार्य किया रायपुर के रहने वाले श्री रमेश कुमार सोनी जी ने। उन्होंने मेरी किताब की समीक्षा की है और इतने सुन्दर तरीके से की है कि अपनी ही पुस्तक […]
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हाड़ौती के तीन साहित्यकार प्रणय, विजय, नंदू की किताबों का एक साथ लोकार्पण
कोटा। प्रभा खेतान फाउंडेशन की ओर से ग्रास रूट मीडिया के सहयोग से आईटीसी राजपूताना, जयपुर में ‘आखर राजस्थान’ द्वारा हाड़ौती अंचल से राजस्थानी भाषा की तीन पुस्तकों कवि किशन ‘प्रणय’ का पहला राजस्थानी उपन्यास ’अबखाया का रींगटां‘, युवा कवि नन्दू ‘राजस्थानी’ की प्रथम राजस्थानी कुण्डली संग्रह ’कदै आवसी भोर‘ तथा कथाकार-समीक्षक विजय जोशी की […]