Wednesday, May 1, 2024
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अनुभूति के पथ पर : जीवन की बातें

किसी कृति की समीक्षा अपने आप में ध्रुव कार्य है और जब कृति ही पुस्तकों की भूमिका और समीक्षा की हो तो उसी समीक्षा तो और भी जटिल हो जाता है। कोटा के कथाकार और समीक्षक विजय जोशी की नई पुस्तक ” “अनुभूति के पथ पर : जीवन की बातें” एक ऐसी ही कृति है जिसमें उन्होंने 31 जनवरी 2024 को बीते एक वर्ष में स्वयं द्वारा की गई विभिन्न लेखकों की 91 कृतियों की समीक्षाओं और लिखी गई भूमिकाओं का संकलन किया है।
उनकी विशेषता  है की वे पुस्तक का अध्योपांत गहन, निष्पक्ष,वैज्ञानिक, अंत प्रवृति के साथ अध्ययन कर वास्तविक चित्रण करते हैं और  की यह सार ही पाठक को पुस्तक की पूरी जानकारी देने में सक्षम है। पुस्तकों की बेबाकी से सटीक समीक्षा पाठकों में पुस्तक को पढ़ने की लालसा जगाती है, यही उनकी समीक्षा की सफलता का राज है।
समीक्षा करते समय वे कोई पूर्वाग्रह नहीं रखते, न ही किसी से संबंध निभाने या छोटा – बड़ा मानने, किसी कोई खुश होगा या नाराज । इन सबसे परे उनके सामने होती है केवल पुस्तक और उसकी विषय वस्तु। यह उसी तरह है जैसे अर्जुन की आंख चिड़िया की आंख के निशाने पर।
इस कृति के संदर्भ में यही की एक ही कृति में पाठक को एक स्थान पर अलग –  अलग लेखकों की विभिन्न प्रकार की साहित्यिक विधाओं की पुस्तकों का एक साथ परिचय प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म उपलब्ध होता है। साहित्य की हर विधा पर लिखी गई पुस्तकों की समीक्षा मनोरंजन के साथ – साथ चिंतन – मनन और एक दिशा प्रदान करती प्रतीत होती है।
साहित्य और पुस्तकों में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए इससे उपयोगी कोई दूसरी कृति नहीं हो सकती। ऐसी कृति निश्चित ही साहित्य के क्षेत्र में भविष्य में बड़ा संदर्भ बनती हैं। साहित्य और साहित्यकारों पर शोध करने वाले शोधार्थियों के लिए अपरिहार्य उपयोगी दस्तावेज साबित होती हैं।
अपने स्वकथ्य “सार” में समीक्षक कहता है समकालीन पीढ़ी के वरिष्ठ और युवा सृजनधर्मियों का इस प्रकार सृजन यात्रा में सहयात्री हो जाना भविष्य के सृजन परिवेश के लिए एक सुखद अनुभूति देता है। कहते हैं अनुभूति के पथ पर जीवन की बातें उजागर होने लगी तब माता – पिता और परिवारजनों ने सदैव प्रोत्साहित करते हुए निर्बाध रूप से लेखन के लिए प्रेरणात्मक ऊर्जा का संचार किया। यही वजह बनी की वह हर कृति को पूरी गंभीर से पढ़ कर ही उस पर लिखते हैं।
पुस्तक की भूमिका लिखते हुए डॉ.गणेश तारे कहते हैं समीक्षाएं पढ़ने पर उन पुस्तकों को पढ़ने की लालसा उत्पन्न होती है। आमुख लिखते हुए युवा कवि -उपन्यासकार किशन प्रणय कहते हैं समीक्षाएं पुस्तकों के रचनाकारों का पुनः संस्कार करती हैं।
केसरिया ज़मीन पर पौराणिक आख्यान को समकालीन कला के संदर्भ में सुंदर रंगों से सजा कर चित्रकार और कला समीक्षक चेतन औदिच्य  द्वारा तैयार किया आवरण पृष्ठ पुस्तक की जान है। पुस्तक की सज्जा और प्रिंटिंग अच्छी बन पड़ी है। साहित्यागार प्रकाशन, जयपुर से 272 पृष्ठ  की हार्ड बाउंड पुस्तक का मूल्य 500 रुपए है।
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