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कोरोना ने बरसों से बिछुड़े बेटे से मिलवाया

बिहार के छपरा से 22 किलोमीटर दूर अमनौर प्रखण्ड का पैगा मित्रसेन गांव। इस गांव की एक दम्पती ने सालों से अपने खोए पुत्र के घर वापसी की आस पूरी छोड़ चुके थे। बेटे के आने की राह देखते-देखते दम्पती की आंखें पथरा चुकी थी। आस छोड़ चुके दम्पती ने सालों पहले तीसरे पुत्र की शादी भी कर दी। मगर,कोरोना के कहर ने सालों से मायूस दम्पती के चेहरे पर मुस्कान ला दी।

हुआ यूं कि भेल्दी थाने के पैगा मित्रसेन गांव के बालूलाल दास के पुत्र अजय कुमार उर्फ विवेक दास सात साल पहले अचानक घर से गायब हो गये। परिजनों ने महीनों काफी खोजबीन की। अजय का कोई अता-पता नहीं चला। जब दो-तीन साल बाद घर नहीं लौटा तो घर व गांव वालों ने सोचा कि अजय अब इस दुनिया में नहीं हैं। हालांकि मां-बाप ने अपने बेटे के घर वापसी की आस पर पलकें बिछाए हुए थे। यूपी के बाराबंकी की पुलिस अजय उर्फ विवेक दास को लेकर अहले सुबह भेल्दी थाने पर पहुंची और भेल्दी थानाध्यक्ष विकास कुमार से पैगामित्रसेन गांव के संबंध में जानकारी ली।

थानाध्यक्ष के आदेश पर भेल्दी थाने की पुलिस व चौकीदार ने यूपी पुलिस के साथ पैगा मित्रसेन गांव में पहुंची। सुबह-सुबह पुलिस देख गांव वाले डरे-सहमें, आखिर,बात क्या हैं कि इतनी सुबह गांव में पुलिस पहुंच गई। यूपी पुलिस लालबाबू दास के घर पर पहुंचती है और पंच सुकेश सवाली के समक्ष एक जिम्मेनामा बना उनके पुत्र अजय कुमार को सौंप देती है। पहले तो गांव वाले अजय को पहचान नहीं पाए,मगर मां बेटे को देखते हुए चूम ली और कहा-हमार लाल एतना दिन से कहां रहल ह।

अजय घर से गायब होने के बाद चला गया था जेल
बताया जाता है कि अजय घर से गायब होने के बाद भटकते हुए यूपी के बाराबंकी चला गया था और वहीं किसी मामले में वह जेल चला गया और सजा काट रहा था|इस बीच Covid-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए कोर्ट ने उसे राहत दी और बाराबंकी पुलिस ने पैरोल पर घर भेज दिया। परिजनों का कहना है कि कोरोना के कहर के बीच पुत्र की घर वापसी एक सुखद संदेश है।

साभार- https://www.livehindustan.com/ से

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