Tuesday, March 19, 2024
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कोरोना महामारी का कारण साल के अंकों में आखरी में शून्य होना तो नहीं?

कोरोना वायरस पूरी दुनिया पर कहर बनकर टूट पड़ा है। रोज मृतकों और संक्रमितों की संख्‍या लगातार बढ़ती ही जा रही है। ऐसा लगता है जैसे मानवता इस महामारी के चंगुल में फंसती जा रही है। इस मामले में अंकशास्‍त्र और ज्‍योतिष की अपनी दृष्टि है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कोरोना वायरस जिन हालातों में पनपा और फैला, उसका अंकशास्‍त्र और ज्‍योतिष के पास पर्याप्‍त कारण है। मसलन, जब भी किसी वर्ष, दशक या शताब्‍दी के अंत में शून्‍य की संख्‍या आई, दुनिया में किसी महामारी को सहा है। दूसरी तरफ, ज्‍योतिष गणना कहती है कि कोरोना आगामी समय में कब और कैसे समाप्‍त होगा। विशेषज्ञ से बातचीत के आधार पर हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ रोचक तथ्‍य। ध्‍यान से पढ़ें।

अंक ज्योतिष में कोरोना जैसी महामारी का उल्लेख प्रायः होता रहा है परंतु अंक ज्योतिष को कई बार गंभीरता से नहीं लिया गया। जब भी किसी शताब्दी के अंत में शून्य , जीरो आया है, उसी कालखंड में कोई न कोई महामारी आई है जिसने पूरे विश्व में जनता को अपना ग्रास बनाया है।

यों तो ईसा पूर्व की शताब्दियों में भी इसका उल्लेख मिलता है परंतु लिखित रिकार्ड 1520 से मिल जाता है जब अफ्रीकी गुलामों के कारण यूरोप में चेचक और प्लेग के कारण काफी लोग मरे थे। इसके बाद 1620 में भी इसी तरह का जानलेवा संक्रमण फैला और मानव जीवन को नुक्सान पहुंचा। यहां तक कि 1620 में केवल इटली में ही 17 लाख लोग प्लेग से मरे और उत्तरी अफ्रीका में 50000 लोग मारे गए। बुबानिक प्लेग ने भी फ्रांस में लगभग 100,000 लोगों की जान ली, फिर 1820 में थाईलैंड, इंडोनेशिया और फिलीपींस में हैजा फैल गया।

अगली शती अर्थात 1920 में ,स्पेनिश फलू जिसे इन्फलूएंजा कहा गया, फेैल गया। अब 2020 में चीन के वुहान से आई ,कोरोना नामक महामारी का दोगुना प्रभाव हो गया जिससे विश्व के कितने ही देश चपेट में आ गए हैं। यह देखने में आया है कि जब भी किसी साल में 0 शून्य आया है, उस साल कोई न कोई प्लेग, हैजा, कुष्ठ रोग, तपेदिक, चेचक, फलू, एड्स, हैपीटाइटिस जैसा कोई न कोई वायरस विश्व में छाया है।

अंकशास्त्र – 4 अंक की भूमिका

अंकशास्त्र के अनुसार भी 2022 का अंक राहु का 4 है। कोरोना का पहला मरीज 4 दिसंबर, 2019 अर्थात 4 अंक वाली डेट को मिला। अब 4 महीने समाप्त होने यानी चौथे महीने के बाद ही इस महामारी से कुछ राहत मिलेगी, पूरी तो पहली जुलाई के बाद ही छुटकारा होगा। परंतु 2022 राहु का साल होने से , किसी न किसी ऐसी और आपदा से इंकार नहीं किया जा सकता है।

4 के अंक, चीन और कोरोना पर यह कहता है ज्‍योतिष

4 का अंक चीन के वुहान क्षेत्र से दुनियाभर में फैल रहे कोरोना वायरस के संबंध में कहा जा रहा है। साल 2020 का योग 4 आता है जो राहु का प्रतीक है। इस वर्ष प्रौद्योगिकी में विकास के साथ साथ संक्रमण से कैसे बचा जा सकता था। राहु ग्रह, त्वचा रोगों, खुजली, , जहर फैलाना, , क्रानिक बीमारियां, महामारी, इत्यादि का कारक होता है।

आर्द्रा नक्षत्र में फैला था कोरोना

जब से राहु ने आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश किया है तभी से कोरोना वायरस का इस दुनिया मे संक्रमण फैला है। राहु का गोचर मिथुन राशि व आर्द्रा नक्षत्र में चल रहा है। मिथुन राशि वायु तत्व राशि होती है। और आर्द्रा का अर्थ भी नमी होता है। राहु वायरस है। और इसका विस्तार वायु व नमी में ही बहुत तेजी से होता है। इसलिए राहु को मिथुन राशि व आर्द्रा नक्षत्र में सबसे ज्यादा बलशाली भी माना जाता है।आर्द्रा नक्षत्र के मध्य में इसका ज्यादा प्रभाव रहेगा और नक्षत्र के लास्ट में इसका प्रभाव भी कम हो जाएगा। इसका असर 14 अप्रैल से कम होना शुरू हो जाएगा।

गुरु और केतु की युति से जन्‍मा विषैला वायरस

यहां गुरु ग्रह की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते। पांच नवंबर 2019 को जैसे ही गुरु और केतु धनु राशि में आए, पूरे विश्वमें एक विषैले वायरस का जन्म हो गया। 26 दिसंबर के ग्रहण ने इस में और आग लगा दी।जब देव गुरु बृहस्पति 30 मार्च को अपनी नीच राशि मकर में गोचर करेंगे, तब इसका प्रभाव बढ़ सकता है। फिर गुरु 29 जुलाई को पुनः धनु में आ जाएंगे। कोरोना का कहर पहली जुलाई को बिल्कुल समाप्त हो जाएगा।

14 अप्रैल के बाद बदल सकते हैं हालात

भारतीय ज्योतिष में वायरस का कारक राहु और शनि को माना जाता है। इन्हीं के प्रकोप के कारण कोरोना महामारी फैली है। शनि के स्वराशि मकर में होने के कारण इस महामारी का प्रभाव निरंतर बढ़ रहा है। हालांकि, सूर्य जब मेष राशि में प्रवेश करेंगे, तब कोरोना का अंत भी संभव हो पाएगा। ज्योतिष के अनुसार, सूर्य 14 अप्रैल 2020 को मेष राशि में प्रवेश करेंगे। वर्तमान में राहु उच्च राशि मिथुन में गोचर कर रहे हैं। इसे कालपुरुष की कुंडली में मुंह, नाक, कान, गले का कारक माना जाता है। राहु लग्नस्थ और साथ ही शुक्र षष्टेश होकर शनि के साथ तृतीयस्थ हैं। अर्थात तृतीय भाव से श्वांस नली, दमा, खांसी, फेफड़े, श्वांस संबंधी रोग हो रहे हैं। चूंकि वायरस हवा के माध्यम से फैल रहा है और आक्सीजन का कारण चंद्र हैं।

नारद संहिता में एक श्लोक में इस युग में एक बड़े महारोग के बारे हजारों साल पहले लिखा गया है कि सूर्य ग्रहण के पश्चात् पूर्वी देश से एक महारोग आएगा। 26 दिसंबर ,2019 को सूर्य ग्रहण लगा और इसी के लगते ही ,चीन के वुहान से इस महारोग की यात्रा आरंभ हो गई। संवत 2076 वैसे भी शनि प्रधान था जबकि 25 मार्च,2020, को आरंभ होने वाले नवसंवत 2077, में राजा बुध और चंद्र है।

(अंक ज्योतिष गणना डॉ पंडित गणेश शर्मा, ज्योतिषाचार्य सीहोर के अनुसार)

साभार- https://www.naidunia.com/ से

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