Friday, April 26, 2024
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प्रादेशिक कार्यशाला में नई शिक्षा नीति पर गंभीर चिंतन

राजनांदगांव। देश की नई शिक्षा नीति के निर्माण में छत्तीसगढ़ की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राजधानी रायपुर में उच्च शिक्षा मंत्री श्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय के मुख्य आतिथ्य तथा उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ.बी.एल.अग्रवाल के मार्गदर्शन में सम्पन्न राज्य स्तरीय कार्यशाला का सफल संचालन शाासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभाग के राष्ट्र्पति सम्मानित प्राध्यापक डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने किया। कार्यशाला में प्रमुख अतिथि के रूप में प्रतिष्ठित पत्रकार और हिन्दी ग्रन्थ अकादमी के अध्यक्ष श्री रमेश नैयर, वरिष्ठ पत्रकार डॉ.हिमांशु द्विवेदी, पूर्व प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा डॉ.इंदिरा मिश्र, पूर्व निर्वाचन आयुक्त श्री सुशील त्रिवेदी, भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी श्री हिमांशु गुप्ता मंचस्थ थे।

उद्घाटन सत्र में सम्मानित अतिथियों ने नई शिक्षा नीति से जुड़ी अपनी अपेक्षाओं और आशाओं को सार्थक अभिव्यक्ति देते हुए अत्यंत महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए। जिससे पूरा सदन अभिभूत हो उठा। कार्यशाला में प्रदेश के सभी विश्व विद्यालयों के कुलपति, महाविद्यालयों के प्राचार्य, प्राध्यापक, मीडिया के प्रमुख व्यक्तित्व, गणमान्यजन और उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख अधिकारियों ने मिलकर नई शिक्षा नीति के प्रस्तावित बीस बिन्दुओं पर पांच समूह बनाकर गम्भीर मंथन किया। उसके आधार पर प्रत्येक ग्रुप लीडर ने निर्धारित चार-चार बिन्दुओं पर अपनी चर्चा का सार प्रस्तुत किया।
प्रमुख सचिव डॉ.बी.एल.अग्रवाल ने प्रत्येक प्रस्तुति पर अपने विचार साझा करते हुए प्रतिभागियों की शंकाओं का पारदर्शी समाधान भी किया । डॉ.अग्रवाल ने एक विशेष खुले सत्र में उच्च शिक्षा की व्यवस्था और मांगों से जुड़े कई सवालों के प्रभावशाली और स्पष्ट ज़वाब देकर प्रतिभागियों को अपनी संस्थाओं और कार्यक्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन का आह्वान किया। चार सत्रों में हुई इस अहम कार्यशाला में डॉ.चन्द्रकुमार जैन ने विमर्श के सभी दौर को एक सूत्र में बाँधने और उसे रोचक बनाकर नई शिक्षा नीति पर मंथन को समुचित दिशा देने में कुशल भूमिका निभायी जिसकी सभी सम्मानित अतिथियों और विद्वान प्रतिभागियों ने मुक्त कंठ से सराहना की। डॉ.जैन के साथ भिलाई के डॉ.आर.पी.अग्रवाल ने सक्रिय सहभागिता की। कार्यशाला में पूरी तन्मयता से कोशिश की गई कि राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति के मसौदे में छत्तीसगढ़ की अनुशंसाओं और सुझावों को सम्मानजनक स्थान मिले।

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