Friday, April 26, 2024
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Homeचुनावी चौपालनेता तुम्हें भेजा है चुनाव में, नेता नहीं ये शातिर है

नेता तुम्हें भेजा है चुनाव में, नेता नहीं ये शातिर है

नेता तुम्हें भेजा है चुनाव में, नेता नहीं ये शातिर है
हे वोटरों सोचो जरा क्या ये तुम्हारे काबिल है

भ्रष्टाचार इसने किया है इतना जितना सागर में पानी
लूट ही लेगा तुमको भाषणों से, यही इसकी रवानी

नींद तुम्हें तो आती होगी, क्या देखा तुमने सपना
आँख खुली तो झूठे वादे थे, ये हो न सका अपना

लूट-खसोट इनकी चलती रहेगी, बजाएंगे ये शहनाई
वोट देकर भूल ही जाना, तुमने ही इनकी दुकान चलाई

अब लूट से इनका जी भरता ही नहीं, अब और ठेके मिले तो चैन मिले
हर कमीशन इनको मिले , ऐसी कोई गैंग मिले

मिलना हो इनसे तो चमचे को खुश कर दो
जिंदगी भर करो इंतजार, या अपना सिर पीटो

ये पैरोडी इस गीत पर आधारित है

फूल तुम्हे भेजा है ख़त में, फुल नहीं मेरा दिल है
प्रियतम मेरे मुझ को लिखना, क्या ये तुम्हारे काबिल है

प्यार छुपा है खत में इतना जितने सागर में मोती
चुम ही लेता हाथ तुम्हारा पास जो तुम मेरे होती

नींद तुम्हे तो आती होगी, क्या देखा तुम ने सपना
आँख खुली तो तनहाई थी, सपना हो ना सका अपना

तनहाई हम दूर करेंगे, ले आओ तुम शहनाई
प्रीत बढ़ाकर भूल ना जाना, प्रीत तुम्ही ने सिखलाई

ख़त से जी भरता ही नहीं, अब नैन मिले तो चैन मिले
चाँद हमारे अंगना उतरे, कोई तो ऐसी रैन मिले

मिलना हो तो कैसे मिलें हम, मिलने की सूरत लिख दो
नैन बिछाए बैठे है हम, कब आओगे ख़त लिख दो

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