Friday, April 26, 2024
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भाजपा को कहाँ ले जाएगा नोट बंदी का फैसला

मोदी सरकार ने पिछले हफ्ते मंगलवार देर शाम को एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए 500 और 100 की नोटों पर पाबंदी लगाने का निर्णय लिया । इसके बाद से चारो तरफ हलचल तेज हो गई । आम लोगो को थोड़ा बहुत दिक्कते हुई लेकिन ज्यादातर लोगो का यही कहना था कि हम देश के साथ हैं लेकिन क्या जनता का कहना सच है क्योंकि आम जनता का रुख कोई नही भांप सकता । कब बदल जाये । ज्यादा धैर्य वाला शब्द आम लोगो की डिक्शनरी में शायद है ही नही । यही कारण है कि शुरुआत में जो विपक्ष सुषुप्त ज्वालामुखी की तरह शांत था वो अचानक मुखर हो उठा और गरीबों की तरफ से लड़ाई लड़नी शुरू कर दी । कुछ जानकारों का कहना है कि जैसे अटल जी की सरकार द्वारा प्याज की महंगाई वाले निर्णय के चलते भाजपा सत्ता से दूर हो गई वैसे ही मोदी जी द्वारा 500 और 100 की नोटों पर पाबंदी के निर्णय से कहीं फिर से कहीं भाजपा का वनवास न शुरू हो जाये।

आपको बता दें कि ग्रामीण भारत जिसकी 80 फीसदी से ज्‍यादा आबादी का बैंकिंग सिस्‍टम से आज भी जुड़ाव नहीं हो पाया है, और अब तो सहकारी बैंकों को भी 1000 और 500 रुपये के नोटों को लेने पर पाबंदी लगा दी है, ऐसे में दूर दराज के इलाकों के किसानों की मुश्‍किलें तो और भी बढ़ गईं हैं। देखा जाए तो पहले ही मुसीबत में फंसे किसान, मजदूर के लिए ये दिन और कठिनाई879 भ888रे हो गए हैं और अब आने 99 महीनों में भी राहत दिखाई नहीं दे रही है। यदि मुश्‍किलें जल्‍द ही कम नहीं हुईं तो ये फैसला मोदी को पसंद करने वालों को नाराज कर सकता है। कुछ जानकारों का मानना है की जैसे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने अपने कार्यकाल में प्याज की कीमतों में भारी उछाल कर जनता को रुलाया था जिसके चलते भारत के लोगों ने भाजपा को सत्ता से 10 साल दूर रखा था, वही अब मोदी ने नोटबंदी कर आम लोगों को परेशान कर दिया है ।

बहरहाल , सरकार को याद रखना चाहिए कि ये 125 करोड़ की आबादी का देश आज भी कृषि प्रधान है, और 60 फीसदी से ज्‍यादा आबादी गांवों व कस्‍बों में बसती है। ये भारत है, यहां भविष्‍य के अच्‍छे दिनों के इंतजार में यदि वर्तमान खराब होता है, तो सरकारें बदल जाती हैं। ध्‍यान रहे कि पिछली सरकार को प्‍याज ने ही गिराया था।

कुछ भी हो लेकिन इतना तो स्पष्ट है कि अगरमोदी सरकार का यह ऐतिहासिक निर्णय कालेधन और भ्रस्टाचार पर लगाम लगाने पर जरा सा भी कामयाब हुआ तो भाजपा के और अभी अच्छे दिन आ सकते हैं लेकिन अगर नही हुआ तो फिर जनता है कुछ भी जनमत दे सकती है ।

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