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लव जिहाद पर कानून क्यों?

मध्यप्रदेश सरकार ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून बनानेवाली है। ऐसी घोषणा उत्तरप्रदेश, हरयाणा और कर्नाटक की सरकारों ने भी की है। कोई आश्चर्य नहीं कि भाजपा की सारी सरकारें इस तरह का कानून बना दें। इस कानून के तहत उन सब लोगों को पांच साल की सजा होगी, जो लड़कियों को शादी के नाम पर बहकाने, बलपूर्वक शादी करने और धर्मांतरण के लिए मजबूर करते हैं। पीड़िता के रिश्तेदारों की शिकायत पर दोषियों को गिरफ्तार किया जाएगा। उनकी जमानत भी नहीं होगी। इस तरह का कठोर कानून लाने की जरुरत क्यों समझी जा रही है ? कुछ लोगों का मानना है कि भाजपा सरकारें यह कानून इसलिए ला रही हैं कि वे मुसलमान-विरोधी हैं ? हिंदू लड़कियां मुसलमान न बन सकें, इसीलिए यह कानून लाया जा रहा है। यह सच्चाई नहीं है। यदि यह कानून बनेगा तो ऐसा बनेगा, जो हिंदू-मुसलमानों पर एक-जैसा लागू होगा। न तो लालच या डर के मारे हिंदू लड़कियों को मुलसमान बनाया जा सकेगा और न ही मुसलमान लड़कियों को हिंदू ! दोनों पर यह कानून समान रुप से लागू होगा। यदि नहीं होगा तो अदालतें इसे असंवैधानिक घोषित कर देंगी। कोई भी अदालत किसी को भी स्वेच्छा से धर्म-परिवर्तन करने से रोक नहीं सकतीं।

यहां असली प्रश्न यह है कि ऐसा कानून क्यों लाना पड़ रहा है ? यह इसलिए लाया जा रहा है कि कुछ दिन पहले केरल और कर्नाटक के पादरियों ने शोर मचाया था कि उनकी लगभग 4000 ईसाई बेटियों को डराकर, लालच देकर, झूठ बोलकर और फुसलाकर मुसलमान बना लिया गया है। जो काम अंग्रेज के जमाने में विदेशी पादरी लोग बेखटके करते थे, उसी काम का आरोप उन्होंने मौलवियों पर लगाया। शादी के नाम पर किया गया यह धर्मांतरण अनैतिक है। इसे रोका जाना चाहिए। केंद्रीय जांच एजेंसी ने पाया कि कुछ विदेशी ताकतें इस काम को योजनाबद्ध ढंग से कर रही हैं। अभी कुछ दिन पहले हरयाणा में एक हिंदू लड़की की हत्या का कारण भी यही बताया जाता है कि एक मुसलमान लड़का उससे शादी करने पर उतारु था लेकिन लड़की ने उसे मना कर दिया था। इसे ही ‘लव-जिहाद’ कहा जाता है। मेरा मानना है कि जहां लव होता है, वहां जिहाद के लिए जगह ही नहीं रहती। जिहाद वहीं होता है, जहां दिल में ईंटें भरी हों ओर लबों पर खुदा होता है।

मैं अमेरिका, सूरिनाम, मोरिशस, रुस और चीन जैसे कई देशों में अपने मित्र-परिवारों के साथ रहता रहा हूं, जिनमें पति-पत्नी अलग-अलग मज़हबों को माननेवाले हैं लेकिन वे बड़े प्रेम के साथ रहते हैं। हिंदू पति अपनी मुसलमान पत्नी के साथ रोज़ा रखता है और मुस्लिम पत्नी अपने पति और मित्रों के सामने मग्न होकर कृष्ण-भजन गाती है। हिंदू पति गिरजे में जाता है तो ईसाई गोरी पत्नी मंदिर में आरती उतारती है। यदि आपके दिल में किसी के लिए सच्चा प्रेम है, तो सारे भेद—भाव हवा हो जाते हैं। आपकी दृष्टि अभेद और अद्वैत हो जाती है। मंदिर, मस्जिद, गिरजे की दीवारें गिर जाती हैं और उस सर्वव्यापी को आप अनायास उपलब्ध हो जाते हैं।

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