Tuesday, May 7, 2024
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Monthly Archives: May, 2021

कौटिल्य अर्थशास्त्र में वर्णित स्वधर्म संकल्पना

भारतीय समाज चार वर्णों में विभक्त है – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र l मनुष्य का जीवन भी चार आश्रमों में विभक्त है – ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। ये दो – वर्ण एवं आश्रम (वर्णाश्रम) – भारतीय समाज के आधार स्तम्भ हैं। शताब्दियों से वर्ण एवं आश्रम में बंधा हुआ भारतीय समाज प्राचीनतम सभ्यताओं के आंतरिक मूल्यों का पोषण करता रहा है। प्राचीन काल से ही जटिल परन्तु अतिसुन्दर भारतीय संस्कृति ने सम्पूर्ण संसार को मंत्रमुग्ध किया है। यह वर्णाश्रम का उपहार है।

ध्रुवीकरण के कारण पश्चिम बंगाल में हिंसा हो रही है, लोग मारे जा रहे हैं, महिलाएँ बलात्कार की शिकार हो रही हैं।

ऐसा विश्लेषण करने वालों से मेरा सीधा सवाल है कि यदि आपकी बहन-बेटी-पत्नी को सामूहिक बलात्कार जैसी नारकीय यातनाओं से गुज़रना पड़ता, यदि आपके किसी अपने को राज्य की सत्ता से असहमत होने के कारण प्राण गंवाने पड़ते, क्या तब भी आपका ऐसा ही विश्लेषण होता?

भारत की पहली महिला न्यायाधीशः अन्ना चांडी

भारत की पहली महिला न्यायाधीश अन्ना एक ऐसी महिला थी, जिन्होंने पितृसत्ता के सामने झुकने से इंकार कर दिया था और महिलाओं के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ आवाज उठाई थी।

कोरोना के खिलाफ जंग में पश्चिम रेलवे की सक्रिय भागीदारी

कोरोना संक्रमितों के उपचार के लिए महाराष्ट्र के नंदुरबार एवं पालघर में पश्चिम रेलवे द्वारा उपलब्ध कराये गए आइसोलेशन कोच

सेवा भारती का प्रयास, भोपाल में कोई भूखा न सोये

कोरोना के इस संक्रमणकालीन दौर में सेवा भारती मध्यभारत के स्वयंसेवक स्वयं की चिंता किए सभी गाँवों, शहरों और बस्तियों (झुग्गी झोपड़ी) में रहने वाले लोगों को कोरोना के प्राणघातक दंश से बचाने के लिए जनजागरण अभियान चला रहे हैं। सेवा भारती के कार्यकर्ता हर जरूरतमंद व्यक्ति की भोजन पानी की भी चिंता कर रहे है ताकि कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए।

प्रार्थना करें, याचना नहीं !

मनुष्य या तो अपने बीते हुए पलों में खोया रहता है या फिर अपने भविष्य की चिंताओं में डूबा रहता है। दोनों सूरतों में वह दुखी रहता है। वास्तविक जीवन वर्तमान में है। उसका संबंध किसी बीते हुए या आने वाले कल से नहीं है। जो वर्तमान में जीता है वही हमेशा खुश रहता है।

भाजपा संघ वाले किसका सम्मान करते हैं?

सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह कि कोहली जी के संपूर्ण लेखन, दर्जनों पुस्तकों, सैकड़ों कहानियों तथा व्यंग्य रचनाओं में कोई एक सूत्र अविच्छिन्न है तो उसे हिन्दू समाज व संस्कृति के प्रति गौरव-भाव ही कह सकते हैं। पाठकों को हिन्दू चेतना से संपृक्त रखने वाले लेखकों में नरेंद्र कोहली अग्रगण्य थे।

दविंदर कौर उप्पल होने के मायने

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में जनसंचार विभाग की अध्यक्ष रहीं प्रो. दविंदर कौर उप्पल का जाना एक ऐसा शून्य रच रहा है, जिसे भर पाना कठिन है। वे एक बेमिसाल अध्यापक थीं, बेहद अनुशासित और अपने विद्यार्थियों से बहुत ज्यादा उम्मीदें रखने वालीं।

आयुष मंत्रालय ने “आयुष-64” के बारे में प्रायः पूछे जाने वाले सवालों के जवाब दिये

कई जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाई गई आयुष–64 दवा को इस महामारी के समय में विशेषज्ञों ने उम्मीद की किरण बताया है। इस दवा को मूलरूप से मलेरिया के उपचार के लिये 1980 में विकसित किया गया था।

वैक्सिनेशन में मीडिया कर्मियों को दी जाये प्राथमिकता और माना जाये अग्रिम पंक्ति का कोरोना योद्धा

मुंबई बीजेपी के उपाध्यक्ष अमरजीत मिश्र ने महाराष्ट्र में मिडियाकर्मियों को अग्रिम पंक्ति का कोरोना योद्धा घोषित किये जाने की मांग की है।
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