सेवा में
माननीय श्री प्रकाश जावड़ेकर जी
मानव संसाधन विकास मंत्री,
भारत सरकार।
माननीय महोदय,
नई शिक्षा नीति के संबंध में निम्नलिखित सुझाव विचारार्थ प्रस्तुत कर रही हूँ।
1. यह पता लगाया जाए कि दुनिया के सबसे विकसित 20 देशों में शिक्षा का माध्यम उनके देश की भाषा/ भाषाएँ हैं या किसी अन्य देश की भाषा। दुनिया के बीस सबसे पिछड़े देशों में शिक्षा का माध्यम उनकी अपनी भाषा है या विदेशी भाषा। फिर हम विकसित देशों का अनुसरण करें।
2. दुनिया के प्रख्यात शिक्षाविदों, विचारकों व जीवविज्ञान के नवीनतम अनुसंधान के अनुसार किसी व्यक्ति के विकास की दृष्टि से शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ माध्यम क्या होता है। इसका पता लगा कर उसका अनुसरण किया जाए।
3. यह पता लगाया जाए कि मौलिक चिंतन, मूल ज्ञान-विज्ञान, नवोन्मेष (Innovation), आविष्कारों की दृष्टि से कौन सी भाषा शिक्षा का सर्वश्रेष्ठ माध्यम होती है। मातृभाषा या विदेशी भाषा ? इसका पता लगा कर उसका अनुसरण किया जाए।
4. दुनिया के विभिन्न स्वतंत्र व स्वाभिमानी देश (कुछ पूर्व गुलाम देशों को छोड़कर) प्राथमिक स्तर पर कौन सी भाषा या भाषाएँ सिखाते हैं? पता लगा कर इसका अनुसरण किया जाए।
5. दुनिया के विभिन्न स्वतंत्र व स्वाभिमानी देश (कुछ पूर्व गुलाम देशों को छोड़कर) भाषा आदि में अपने देश के इतिहास, संस्कृति, महापुरुषों, परंपराओं, त्योहारों आदि को प्रस्तुत करते हैं या अन्य देशों के ? इसका पता लगा कर इसका अनुसरण किया जाए।
6. दुनिया के विभिन्न स्वतंत्र व स्वाभिमानी देश (कुछ पूर्व गुलाम देशों को छोड़कर) राष्ट्रीय एकता व राष्ट्रीय स्तर पर संपर्क के लिए राष्ट्रभाषा का प्रयोग करते हैं या विदेशी भाषा का ? इसका पता लगा कर इसका अनुसरण किया जाए।
7. संविधान निर्माताओं द्वारा भारत के संविधान में अनुच्छेद 343 और अनुच्छेद 351 में किस भाषा के प्रयोग, प्रसार व विकास का निदेश दिया गया है, क्या निर्देश दिया गया है ? इसका पता लगा कर इसका पालन किया जाए।
8. संविधान निर्माताओं द्वारा भारत के संविधान में अनुच्छेद 345 और संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित राजभाषा संकल्प में किन भाषाओं के प्रयोग, प्रसार व विकास की बात कही गई है और क्या निर्देश दिया गया है ? इसका पता लगा कर इसका पालन किया जाए।
9. भारतीय भाषाओं की जननी, भारतीय संस्कृति, प्राचीन ज्ञान –विज्ञान, आध्यात्म की भाषा कौनसी है जिसे न केवल विश्वभर में सम्मान दिया जाता है बल्कि विश्वभर में पढाया भी जाता है। जिसके माध्यम से प्राचीन दुर्लभ ज्ञान-विज्ञान पर अनुसंधान भी किया जा रहा है।ऐसी भाषा को महत्व देते हुए उसे पढ़ाने पर विचार किया जाए।
10. जो विश्व स्तर पर आधुनिक ज्ञान-विज्ञान, संपर्क-समन्वय के लिए आवश्यक है । माध्यमिक स्तर से ऐसी भाषा को भी पढ़ाने पर भी विचार किया जाए ।
11. विदेशों से संपर्क – समन्वय तथा वहाँ के ज्ञान-विज्ञान, साहित्य-संस्कृति आदि से जुड़ने के लिए विदेशी भाषाओं का अध्ययन अध्यापन आवश्यक है। वे विद्यार्थी जो गंभीरतपूर्वक विदेशी भाषाएं सीखना चाहते हैं उनके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर विभिन्न विदेशी भाषाओं के शिक्षण की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।
12. कहा जाता है कि प्राथमिक स्तर पर विदेशी भाषा के माध्यम से शिक्षण बच्चों के विकास व सीखने की स्वभाविक प्रक्रिया को कुंद कर उन्हे नकलची बनाने की ओर प्रवृत्त करता है। इसकी वैज्ञानिक पद्धति से जाँच की जाए और विश्व के अनुभवों से भी पता लगाया जाए। प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर निर्णय लिए जाएँ ।
13. देश के बच्चों में देश के प्रति लगाव व देश-प्रेम को बढ़ावा दिए जाने के लिए पाठ्यक्रम में जिस तरह की पाठ्य सामग्री का समावेश आवश्यक है और जिन गतिविधियों का समावेश किया जाना जरूरी है वह किया जाए ।
14. क्या किसी कल्याणकारी लोकतांत्रिक देश में गरीबों व अमीरों के लिए दो तरह की शिक्षा प्रणाली हो सकती है या होनी चाहिए ? क्या उनमें शिक्षा के माध्यम के स्तर पर दोहरे मापदंड होने चाहिए ? यदि नहीं तो भारत में भी निजी व सकारी स्कूलों में व्याप्त ऐसे भेदभाव को मिटाने पर विचार किया जाना चाहिए।
15. देश के लोग अपनी भाषाओं को अपनी भाषाओं की लिपि में टाइप कर सकें और आधुनिक उपकरणों पर भारतीय भाषाओं में कार्य किया जा सके इसके लिए सूचना-प्रौद्योगिकी शिक्षा के अंतर्गत आवश्यक शिक्षण-प्रशिक्षण की व्यवस्थाएँ की जानी चाहिए ।
16. सूचना-प्रौद्योगिकी शिक्षा से जुड़े सभी शिक्षा संस्थानों में भारतीय भाषाओं से संबंघित भाषा-प्रौद्योगिकी सुविधाओं व विकास कार्यों का समावेश किया जाना चाहिए और प्रौद्योगिकी अनुसंधान व विकास कार्यों में भी भारतीय भाषाओं संबंधी सुविधाओं पर कार्य का समावेश होना चाहिए ताकि प्रौद्योगिकी विकास की प्रक्रिया में भारतीय – भाषाएं पिछड़ न जाएँ ।
17. स्कूल-कॉलेजों में भाषा-शिक्षण के अंतर्गत भाषा – प्रौद्योगिकी को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए ताकि भाषा में स्नातक या स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा पानेवाले विद्यार्थी भाषा-प्रौद्योगिकी के प्रयोग में भी पारंगत हों।
18. जनता को अपनी भाषा में कानूनी प्रक्रिया की सुविधा व न्याय मिल सके इसके लिए जनभाषा में विधि शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि दुनिया के अन्य देशों की तरह भारत में भी अदालतों में जनभाषा यानी (भारतीय भाषाओं) के प्रयोग का मार्ग प्रशस्त हो सके।
19. जो देश आविष्कारों और मूल विज्ञान और अनुसंधान व विकास के क्षेत्र में अग्रणी हैं, उनकी पद्धति या प्राचीन काल में जब भारत इस क्षेत्र में अग्रणी था उसके अनुसार शिक्षा नीति में परिवर्तन लाया जाए। विद्यार्थियों को नकलची के बजाए अकलची बनाने पर गहन विचार-मंथन किया जाना चाहिए।
संपर्क
डॉ.(श्रीमती) कामिनी गुप्ता
kaminimlg1989@gmail.com
प्रस्तुति
वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई
vaishwikhindisammelan@gmail.com
वेबसाइट- वैश्विकहिंदी.भारत / www.vhindi.in