आज सूचना और संचार के विस्फोट का युग है।
प्रिंट के साथ पूरी दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का बोलबाला है।
इस युग में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से तात्पर्य टीवी चैनल ही हो गया है।
वास्तव में रेडियो इसकी आधारशिला के समान है।
वह जन जीवन में छाया रहा।
भी वह लोगों से दूर नहीं है।
ख़ास कर गाँवों की आत्मा में आज भी उसकी आवाज़ आबाद है।
उसके प्रसारण के तरीके और आयाम बदल गए हैं,
लेकिन ध्वनि का जादू आज भी बरकरार है।
यानी रेडियो की प्रासंगिकता बनी रही और अब भी खत्म नहीं हुई है।
कहना न होगा कि रेडियो समाचार में भी पत्रकारों के लिए अवसर बने हुए हैं। चुनौतियां पहले से अधिक हैं, क्योकि अब साधन के साथ प्रतिस्पर्धा भी बढ़ गई है। इसलिए, ज्यादा कौशल, ज्यादा कारीगरी और ज्यादा बारीकी की ज़रुरत है। साथ ही, कुछ हरफनमौला होना भी जरूरी है। यह व्यावसायिकता का दौर है, जिसमें टिके रहने के लिए ठीक ठाक होना पहली शर्त है। बेहतर होना, गुण है। लेकिन, लाज़वाब होना बड़ी नेमत है। तय आपको करना है कि आप कहाँ हैं, किस प्रकार शुरू करेंगे और किस तरह आप अपनी मंज़िल तक पहुंचेंगे।
रेडियो प्रसारण की कई विधाएँ हैं जैसे रेडियो उद्घोषणा। रेडियो आन होते ही हमारे घर में हमारे साथ एक और व्यक्ति उपस्थित हो जाता है, जिसे हमने देखा नहीं होता। जिससे हमारा कोई प्रत्यक्ष परिचय नहीं होता, पर फिर भी वह हमें अपरिचित नहीं लगता। वह हमसे बातचीत नहीं कर रहा होता, पर फिर भी लगता है जैसे बात-चीत हमसे हो रही हो। वह व्यक्ति उद्घोषक होता है। उद्घोषक प्रसारण की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होती है जो सारे प्रसारण तंत्र को श्रोताओं से जोड़े रखती है। एक सफल उद्घोषक में उपयुक्त स्वर,भाषा का ज्ञान, उचित भाषा प्रयोग, लेखन में कुशलता,उच्चारण की शुद्धता,विभिन्न विषयों में ज्ञान एवं रुचि,पूर्वाभ्यास आदि गुण होने चाहिए।
रेडियो में भविष्य की चाह रखने वाले का भाषा पर पूर्ण अधिकार होना चाहिए। उच्चारण साफ होना चाहिए तथा बोलने में उचित गति और प्रवाह होना चाहिए। उसे हमेशा पूर्व निर्धारित विषय पर ही नहीं, कई अवसरों पर अकस्मात भी बोलना पड़ता है। ऐसे समय में शब्दों का चयन सटीक होना चाहिए तथा वाक्य संरचना सीधी होनी चाहिए जिससे वह श्रोताओं को समझ में आ सके। प्रसारण के मौके और नज़ाकत को समझना भी जरूरी है, वरना तिल का ताड़ बन जाये तो आश्चर्य की बात नहीं होगी।
स्मरण रहे कि समारोह या घटना के पूर्व समारोह स्थल, आयोजन, आयोजकों आदि की जानकारी श्रोताओं को दे देनी चाहिए। प्रसारण में सही वक्त पर आपकी खामोशी का भी महत्त्व है। इसलिए, उपयुक्त अवसर पर चुप रहकर, अंतराल देकर घटनास्थल की गतिविधियों को, हलचल को श्रोता तक ध्वनियों के माध्यम से विवरण देते समय सलामी का आदेश, किसी लोक नर्तक जत्थे का संगीत के साथ गुजरना, संगीत के साथ बच्चों का नृत्य, पक्षियों का कलरव, आकाश में विमान का उड़ना। विभिन्न अवसरों का आँखों देखा हाल रिकॉर्ड किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे त्रुटियों को दूर किया जा सकता है। कुछ पुराने संग्रह से भी चीज़ें ताज़ा की सकती हैं।
रेडियो समाचार प्रसारण में पत्रकारों के लिए मुख्य कार्य रिपोर्टिंग के अलावा, समाचार आलेखन, संपादन और वाचन का है। वास्तव में रिपोर्टिंग में भी समाचार लेखन का कार्य शामिल होता है क्योंकि रेडियो के लिए समाचार अधिकतर लिखित रूप में ही भेजे जाते हैं। रेडियो न्यूज़ की प्रक्रिया समाचार संकलन, रिपोर्ट लेखन, संपादन एवं अनुवाद, बुलेटिन निर्माण, और समाचार वाचन। रेडियो समाचार टीवी समाचार की तुलना में ज्यादा तेज गति से श्रोताओं तक पहुँच सकते हैं। समाचार जुटाने में वही सारी सावधानियाँ बरतनी होती हैं जिसकी जिसकी सीख आमतौर पर पत्रकारों को दी जाती है या जिसे वो अनुभव से सीखते हैं।
रिपोर्ट तैयार करते समय समाचार के सभी तथ्यों को ध्यान में रखना ज़रूरी होता है। घटना स्पष्ट रूप से वर्णित हो। स्थान के नाम इस तरह स्पष्ट दिए हों कि दूरदराज का पाठक भी वहाँ की भौगोलिक स्थिति का अनुमान लगा सके। प्रयास ये भी करना चाहिए कि व्यक्तियों और स्थानों के नाम इस तरह से समझाए जाएँ कि उनका समाचार वाचक सही उच्चारण कर सके। घटना की पृष्ठभूमि भी ज़रूरत के अनुसार दी जानी चाहिए। समाचार रिपोर्ट आजकल फैक्स या ईमेल या मोबाइल फोन के व्हाट्सऐप जैसे ऐप्स के जरिए तुरंत ही समाचार कक्ष तक भेजी जाती है। समाचार रिपोर्ट प्राप्त होने पर प्रभारी समाचार संपादक का काम शुरू होता है।
समाचार संपादन और अनुवाद करते समय वाक्य भी बहुत लंबे-लंबे नहीं होने चाहिए। भाषा की सरलता बड़ा गुण है। आशय समझ जाए, बस इतना काफी है। समय के महत्व को बहुत ज्यादा ध्यान में रखना चाहिए और कम से कम शब्दों में अपनी बात कहनी चाहिए। रेडियो के संदर्भ में तो यह बात बहुत ही महत्वपूर्ण है। वरना, जो रहना है, वह कह दिया जाएगा और जो कहना है वह रह जाएगा। इसलिए, रेडियो पर अपनी आवाज़ को कॅरियर बनाने वालों को बड़ी लगन और धीरज के साथ बढ़ना होगा। आपकी आवाज़ को लगातार तराशना होगा।
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राजनांदगांव
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