प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश की तीव्र आर्थिक वृद्धि के लिए एक रूपरेखा तैयार की है जो कि आंतरिक शक्ति, क्षमता एवं इस देश के लोगों की सामथ्र्य पर आधारित है। प्रधानमंत्री एवं उनके मंत्रियों की टीम ने उस समय मोर्चा संभाला जब समूची विकास दर घिसी-पिटी प्रणाली पर चलते हुए मृत शैया पर पड़ी थी। कुछ था तो वह थी निष्क्रियता जो अर्थव्यवस्था के विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों में दिखाई दे रही थी। परिवर्तन अतिआवश्यक था और विकास की दर में लंबे समय से प्रतीक्षित एक जबर्दस्त छलांग लगाने की एक असाधारण चुनौती थी। सोच एवं कार्य दोनों स्तर पर नौकरशाही, उद्योग जगत और सेवाओं की परंपरागत सोच थी कि ‘जैसा है ठीक है’। ‘बयानबाजी’ वाली परंपरागत शैली, को वास्तविकता में बदलने का वक्त आ गया था। विभागों, क्षेत्रों एवं उद्यमों में बहुत कुछ किया जाना आवश्यक था। रूढ़िवादी विचारधारा, स्थाई उदासीनता तथा विभिन्न संसाधनों की कमी एवं भविष्य के लिए निवेश के अभावपूर्ण वातावरण में विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निष्पादन को दोगुना किया जाना जरूरी था। रेलवे भी इससे अछूती नहीं थी।
पिछले एक वर्ष में देश में नीतिगत सुधार, पहल एवं सुधरे हुए व्यावसायिक माहौल के परिणामस्वरूप 2014-15 में जीडीपी में जबर्दस्त वृद्धि हुई है, और 2015-16 में यह और अधिक सुधार की ओर बढ़ रही है।
अपने एक संबोधन में प्रधानमंत्री ने ठीक ही कहा है कि रेलवे को हमेशा से ‘‘हमारे देश में परिवहन का मात्र एक साधन माना गया है, हम रेलवे को देश के आर्थिक विकास की धुरी के रूप में देखना चाहते हैं।’’
इस बयान को अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र में जरूरी विकास के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, विशेषकर ऊर्जा एवं परिवहन के संदर्भ में ताकि वांछित विकास दर को बढ़ाया जा सके। भारतीय रेल जो अर्थव्यवस्था के सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्षेत्र में से एक है, 66000 किलोमीटर लंबे नेटवर्क के साथ एक प्रबंधन के तहतु दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रेलतंत्र है। यह प्रतिदिन 23 मिलियन यात्री तथा 3 मिलियन टन का परिवहन करती है। इस पर 7000 से अधिक रेलवे स्टेशन हैं तथा अपने 13 लाख कर्मियांे की सहायता से यह प्रतिदिन 21000 से अधिक गाड़ियां चलाती हैं। करोड़ों यात्रियों के अलावा यह भारी मात्रा में कोयला, पेट्रोलियम पदार्थ, उर्वरक, खाद्यान्न, सीमेंट, कच्चा लोहा इत्यादि जैसी महत्वपूर्ण वस्तुओं का परिवहन करती है। विस्तार की कमी की वजह से एक ही नेटवर्क पर यात्री एवं माल दोनों प्रकार का परिवहन होने से दोनों का विकास बाधित हुआ है, और पिछले कुछ दशकों में निवेश की कमी की वजह से इसे पुनः पटरी पर लाने का काम और मुश्किल हो गया है। हालांकि उन्हीं अचल अवसंरचनाओं का दोहन करके यात्री एवं माल दोनों प्रकार के परिवहन में लगातार वार्षिक वृद्धि हो रही है किंतु इस वजह से ज्यादातर महत्वपूर्ण मार्ग अतिसंतृप्त हो गये हैं, जिससे और विकास बाधित हो रहा है।
संसाधनों के अभाव एवं निवेश की कमी से विस्तार एवं अवसंरचना, तकनीकी उन्नयन महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। पिछले कुछ दशकों में बड़ी आर्थिक व्यवस्थाओं में, विशेषकर चीन में रेल तंत्र में निवेश कई गुना बढ़ा है। लेकिन भारत में निवेश के अभाव में न सिर्फ वित्तीय रूप से व्यवहार्य एवं परिचालन की दृष्टि से आवश्यक परियोजनायें बाधित हुई हैं, बल्कि थोड़े से संसाधनों का ढेर सारी योजनाओं में वितरण से भी धन की कमी हो जाती है। इससे क्षमता में संतृप्तता आती है और यातायात में वृद्धि अपेक्षाकृत कम होती है। पिछली पांच वर्षों से रेलवे की प्रारंभिक माल लदान में वृद्धि की विकास दर 4 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है एवं यात्रियों की संख्या में नकारात्मक वृद्धि दर्ज हुई है। ऐसे परिदृश्य में नई सरकार के सामने बहुत सी चुनौतियां सामने आईं। भारतीय रेल को संतृप्तता से निकालकर तीव्र विकास के रास्ते पर लाने के गंभीर प्रयास 2014-15 में शुरु किये गये। इसमें मुख्य जोर अवसंरचना के विकास पर था। 2014-15 के दौरान 1983 किलोमीटर रेलवे लाइन एवं 1375 किलोमीटर रेल लाइनों का विद्युतीकरण शुरू किया गया, अतिरिक्त चल स्टॉक शामिल किये गये एवं क्षमता में वृद्धि वाले कई कार्य पूरे किये गये। परिचालन अनुपात घटा तथा राजस्व वृद्धि में 12.6 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। 2014-15 में रिकार्ड 1098 मिलियन टन का प्रारंभिक माल लदान किया गया।
फरवरी, 2015 में वर्ष 2015-16 का रेल बजट पेश किया गया जो पारंपरिक सोच से एकदम अलग हटकर था। इस बजट में योजना का आकार 1 लाख करोड़ से अधिक था जो अब तक के सबसे बड़े योजना आकार से 53.5 प्रतिशत अधिक था। इसमें क्षमता वृद्धि वाले कार्यों के बजट में 138 प्रतिशत था यात्री सुविधा के कार्यों में 67 प्रतिशत की वृद्धि हुई। ऐसे कार्यों जिनका प्रभाव सभी यात्रियों पर पड़ता है, के अलावा बजट में वरिष्ठ नागरिकों, विशिष्ट रूप से सक्षम यात्रियों, महिला यात्रियों एवं विद्यार्थियों के लिए विशेष व्यवस्थायें की गई हैं। इसमें कौशल विकास, यात्रा क्षमता बढ़ाने, आरामदेह यात्रा प्रदान करने, मेक इन इंडिया, संसाधनों को जुटाने, निजी सार्वजनिक भागीदारी, प्रशासन, संरक्षा, पर्यावरण, तकनीकी उन्नयन एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग का भी खाका खींचा गया। पहली बार बजट में अगले चार वर्षों अर्थात् 2015 से 2019 के दौरान विकास के लिये एक कार्य योजना तैयार की गई, जिसमें नेटवर्क का विस्तार, तकनीकी उन्नयन, सूचना प्रौद्योगिकी का गहन उपयोग, तंत्र का विकास एवं सुधार उन्नत किस्म के रोलिंग स्टॉकों का उपयोग एवं डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को पूरा करना आदि शामिल हैं। परिवहन के निष्पादन में 2015-16 एवं आगे के लिए उच्चतर विकास दर का लक्ष्य रखा गया है, ताकि यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सके।
26 मई, 2015 को एनडीए सरकार ने 1 साल पूरे किये। पिछले एक वर्ष में जो-जो पहलें की गईं, यह उन उपलब्धियों के जश्न मनाने का समय था। हालांकि रेलवे में हमने निर्णय लिया कि नये वर्ष पर न सिर्फ पिछले एक वर्ष की उपलब्यिों को दर्शायेंगे बल्कि एक नई शुरुआत करेंगे। हमने निर्णय लिया कि अपने यात्रियों तक पहुंचा जाए, आम आदमी जो लाखों की संख्या में रोज भारतीय रेल में यात्रा करते हैं। इन आम यात्रियों का अनुभव कैसा होता है। वे किस प्रकार की सुविधा एवं सेवा की आशा करते हैं और क्या रेलवे उनकी मांगों और अपेक्षाओं को पूरा करने का कर सकती हैं, ये कुछ चिंतायें थीं, जिनका निवारण आवश्यक था। यह समय था कि यात्रियों तक पहुंचकर उनके सुझाव लिये जाएं एवं सुनिश्चित किया जाए कि आधारभूत सेवायें जो कि भारतीय रेल द्वारा ग्राहकों को प्रदान की जानी चाहिए वह उन तक पहुंचें। इसलिए, हमने निर्णय लिया कि एक पखवाड़े का कार्यक्रम आयोजित किया जाए जिसे ‘रेलयात्री उपभोक्ता पखवाड़ा’ नाम दिया गया, और सरकार के एक वर्ष पूरे होने के प्रतीक के रूप में इसे 26 मई से 9 जून तक पूरी भारतीय रेलवे पर मनाया गया। यह पखवाड़ा न सिर्फ ‘साल एक शुरुआत अनेक’ को ध्यान में रखकर पिछले एक वर्ष में भारतीय रेल की उपलब्धियों को रेखांकित करने के लिए आयोजित किया गया बल्कि अपने आपको अपने यात्रियों एवं ग्राहकों की सेवा में अपने आपको पुनः समर्पित किया गया, जैसा कि एक सबसे बड़े सेवा प्रदाता के रूप में हम सुधार हेतु लगातार करते आये हैं।
हमारा लगातार प्रयास रहता है कि अपने यात्रियों एवं प्रमुख ग्राहकों को कुशल, आर्थिक एवं सुरक्षित परिवहन सेवा प्रदान करें।
26 मई, 2015 से 9 जून, 2015 तक चला ‘रेल यात्री उपभोक्ता पखवाड़ा’ भारतीय रेल द्वारा देश भर में अपने ग्राहकों से मिलने एवं आपसी हितों के चिह्नित क्षेत्रों में उनसे सहयोग लेने का एक प्रयास था। पखवाड़े के दौरान आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेने वाले रेलकर्मियों सहित सभी अंशधारकों की प्रतिक्रिया एवं उत्साह वाकई अभूतपूर्व था। प्रारंभिक प्रतिक्रियायें मीडिया कवरेज, फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल मीडिया से प्राप्त हुईं, जिनसे पता चला कि ‘पखवाड़ा’ सिर्फ यात्रियों@उपभोक्ताओं के अनुभवों से जुड़ी सभी क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की की गतिविधियां आयोजित करने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने देश भर में बड़े पैमाने पर रेलकर्मियों, यूनियनों, वरिष्ठ अधिकारियों, रेलवे की उत्पादन इकाइयों, गैर सरकारी संगठनों, यात्री संघों, प्रेस एवं मीडिया को भी जोड़ा। कुल मिलाकर यात्रियों तक पहुंचने का यह प्रयास एक ऐतिहासिक घटना थी।
1 पखवाड़े तक चला रेल यात्री उपभोक्ता पखवाड़ा इन उद्देश्यों पर आधारित थाः
ऽ सेवा (सेवायें एवं सुविधायें) – यात्रियों के लिए स्टेशनों एवं रेलगाड़ियों मेें सेवाओं एवं सुविधाओं में सुधार।
ऽ समर्पण (परियोजनाओं का देश को समर्पण) – देश भर में भारतीय रेल पर 300 से अधिक परियोजनाओं का लोकार्पण, शुरुआत, उद्घाटन एवं शिलान्यास।
ऽ सहयोग ( सहयोग एवं भागीदारी) – उत्पादन इकाइयों से समझौता ज्ञापनों के द्वारा, कर्मचारियों एवं ट्रेड यूनियनों से स्वास्थ्य शिविर, योग, कालोनियों जैसे मानव संसाधन से जुड़े मामलों में सुधार हेतु, एवं स्थानीय लोगों से जुड़ने के लिए गैर सरकारी संगठनों, यात्री संघों इत्यादि से सहयोग लिया गया।
ऽ संकल्प (प्रतिबद्धता) – गुणवत्तापरक सेवायें उपलब्ध कराने के लिए संकल्प- समयबद्ध, कुशल एवं पारदर्शी।
ऽ संपर्क (जागरुकता, संपर्क, पहुंच) – अपने ग्राहकों एवं यात्रियों तक पहुंचना।
यात्रियों तक पहुंचने के भारतीय रेल के इस ऐतिहासिक प्रयास की कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां
1. एस्केलेटर्स, पैदल ऊपरी पुल, स्टेशन इमारतें, आरक्षण कार्यालय, नये प्लेटफार्म, नई गाड़ियां इत्यादि यात्री सुविधाओं एवं सेवाओं से जुड़े 233 परियोजनायें@कार्य शुरु किये गये जिनकी अनुमानित लागत 4000 करोड़ रुपये है।
2. यात्री सुविधाओं एवं तंत्र की क्षमता बढ़ानेवाली 73 परियोजनायों पर कार्य, जिनकी अनुमानित लाागत 550 करोड़ रुपये होगी।
3. रेल प्राधिकारियों द्वारा 7000 रेलवे स्टेशनों का निरीक्षण किया गया यात्री सुविधाओं में सुधार करने को कहा गया।
4. वरिष्ठ रेल अधिकारियों द्वारा रेलवे स्टेशन परिसरों एवं रेलगाड़ियों में रेल उपभोक्ताओं से संपर्क करके रेलवे द्वारा उन्हें उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं पर उनके सुझाव लेने एवं प्रतिक्रिया जानने हेतु 4000 रोड शो आयोजित किये गये।
5. रेलवे अधिकारियों एवं कर्मचारियों, कर्मचारी यूनियनों, गैर सरकारी संगठनों, स्काउट, गाइड, सहायतार्थ संगठनों, एवं सोशल मीडिया के जरिये 7 मिलियन यात्रियों एवं आम जनता से संपर्क साधा गया जिसमें फेसबुक से 5 मिलियन, ट्विटर से 1.3 मिलियन एवं .7 मिलियन यात्रियों से स्टेशनों एवं रेलगाड़ियों में संपर्क साधा गया।
6. स्वच्छ भारत अभियान के तहत विभिन्न रेलवे स्टेशनों, स्टेशन परिसरों एवं रेलवे कालोनियों में रेलकर्मियों, यात्रियों एवं गैर सरकारी संगठनोंकी मदद से 7500 साफ-सफाई एवं स्वच्छता अभियान चलाये गये एवं निरीक्षण कार्य आयोजित किये गये।
7. विभिन्न स्टेशनों तथा रेलगाड़ियों में 2700 खान-पान सेवाओं की जांच की गई ताकि खान-पान की गुणवत्ता तथा स्वच्छता के मानक सुनिश्चित किये जा सकें।
8. बिना टिकट यात्रा करने वालों तथा असामाजिक तत्वों की रोकथाम के लिए 4600 सघन टिकट जांच अभियान चलाये गये। परिणामस्वरूप 1.6 लाख मामलों से 9 करोड़ रुपये के रेलवे राजस्व की प्राप्ति हुई।
9. रेलगाड़ियों के समयपालन में सुधार के लिए 3000 से अधिक निरीक्षण किये गये।
10. विभिन्न रेलकारखानों एवं उत्पादन इकाइयों में 126 कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किये गये जिसमें 5500 से अधिक लोगों ने प्रशिक्षण लिया।
11. क्षेत्रीय रेलों पर सघन संरक्षा जागरुकता अभियान चलाया गया जिसमें मानव रहित रेल फाटकों को पार करते समय सड़क उपभोक्ताओं द्वारा बरती जाने वाली सावधानियों पर विशेष ध्यान दिया गया। रेल प्राधिकारियों द्वारा ऐसे 8500 निरीक्षण संचालित किये गये।
12. सतर्कता विभाग के अधिकारियों की टीमों द्वारा 1400 मौकों पर जांच की गई ताकि असामाजिक तत्वों, दलालों एवं अन्य अनियमितताओं को रोका जा सके।
13. क्षेत्रीय रेलों एवं 5 रेलवे उत्पादन इकाइयों के बीच 10 चिह्नित स्टेशनों पर सीएसआर अर्थात सामूहिक सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत यात्री सुविधा कार्यों के विकास हेतु सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये।
14. क्षेत्रीय रेलों द्वारा विभिन्न स्थानों पर 1300 चिकित्सा एवं स्वास्थ्य शिविर आयोजित किये गये, जिनका 55000 लोगों ने लाभ उठाया, जिनमें रेलकर्मियों के अलावा उनके परिजन तथा आम लोग भी शामिल थे।
15. रेलकर्मियों की 450 कालोनियों में 22000 रेलकर्मियों के मकानों की मरम्मत एवं रखरखाव के कार्य किये गये।
16. 590 योग शिविर आयोजित किये गये जिनमें 19000 लोगों ने भाग लिया।
17. एक कदम आगे बढ़कर क्षेत्रीय रेलों एवं मंडल रेल कार्यालयों के मुख्यालयों, राज्यों की राजधानियों एवं जिला मुख्यालयों में 176 संवाददाता सम्मेलन आयोजित किये गये। 6700 से अधिक समाचार प्रकाशित किये गये।
18. रेलवे द्वारा अपने इस प्रयास में राज्य सरकारों, फिक्की, एसोचैम, एवं सीआईआई से भी सहयोग लिया गया।
19. 5 जून, 2015 को दिल्ली एवं सभी क्षेत्रीय रेलों में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया।
अतिरिक्त सुविधाएं प्रदान किये जाने एवं विशेष अभियान चलाये जाने से प्राप्त हुए महत्वपूर्ण लाभों के अलावा कुछ कम महत्वपूर्ण किंतु अतिआवश्यक लाभ भी इस पखवाड़े के आयोजन से हुए, जिसमें अद्भुद सद्भाव एवं सहयोग की भावना जो कि यात्रियों एवं रेलकर्मियों के बीच पनपी, शामिल है। भारतीय रेल और आम जनता के बीच जरूरी विश्वास की भावना पैदा हुई, जो कि कम ही देखने को मिलती है।
इन सबसे ऊपर यह सिर्फ हमारा एक प्रयास था, यह दर्शाने का कि भारतीय रेल राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के ‘विकास का इंजन’ बनने के लिए प्रतिबद्ध है, जो हमारे स्लोगन ‘रेल बढ़े, देश बढ़े’ से झलकता भी है।
(लेखक देश के माननीय रेल मंत्री हैं)