Sunday, November 24, 2024
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बम धमाकों का 22 सालों का घटनाक्रम

करीब 22 साल पहले मुंबई को हिलाकर रख देने वाले एक के बाद एक हुए 12 सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मामले में मौत की सजा पाने वाले दोषी याकूब मेमन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी पर रोक लगाने की उसकी याचिका खारिज किए जाने के बाद आज सुबह फांसी दे दी गई। इस सिलसिलेवार बम धमाकों में 257 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।

देश पर हुए अब तक के इस भीषणतम आतंकवादी हमले के कई षडयंत्रकारियों और साजिशकर्ताओं में शामिल अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम, उसका बेहद करीबी छोटा शकील और याकूब मेमन का बड़ा भाई टाइगर मेमन अभी तक फरार हैं और समझा जाता है कि ये सभी पाकिस्तान में शरण लिए हुए हैं।

करीब 22 साल पुराने मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है :

12 मार्च 1993: एक के बाद एक हुए 12 बम धमाकों ने मुंबई को दहलाया, जिसमें 257 लोग मारे गए और 713 अन्य जख्मी हुए।

19 अप्रैल: अभिनेता संजय दत्त (आरोपी संख्या-117) गिरफ्तार।

04 नवंबर: दत्त सहित 189 आरोपियों के खिलाफ 10,000 से ज्यादा पन्ने का प्राथमिक आरोप-पत्र दाखिल किया गया।

19 नवंबर: मामला सीबीआई को सौंपा गया।

01 अप्रैल 1994: टाडा अदालत ने शहर की सत्र एवं दीवानी अदालत से आर्थर रोड सेंट्रल जेल परिसर के भीतर एक अलग इमारत में काम करना शुरू किया।

10 अप्रैल 1995: टाडा अदालत ने 26 आरोपियों को आरोप-मुक्त किया। बाकी आरोपियों के खिलाफ आरोप-पत्र दायर।

सुप्रीम कोर्ट ने दो और आरोपियों: टै्रवल एजेंट अबु आसिम आजमी (अब समाजवादी पार्टी के विधायक) और अमजद मेहर बक्श को आरोप-मुक्त किया।

19 अप्रैल: सुनवाई की शुरूआत।

अप्रैल-जून: आरोपियों के खिलाफ आरोप तय।

30 जून: दो आरोपी – मोहम्मद जमील और उस्मान इस मामले में सरकारी गवाह बने।

14 अक्तूबर: सुप्रीम कोर्ट ने दत्त को जमानत दी।

23 मार्च 1996: न्यायमूर्ति जे एन पटेल का तबादला। उन्हें उच्च न्यायालय के जज के तौर पर तरक्की दी गई।

29 मार्च: पी डी कोडे को इस मामले की सुनवाई के लिए टाडा की विशेष अदालत का न्यायाधीश नामित किया गया।

अक्तूबर 2000: 684 सरकारी गवाहों से जिरह संपन्न।

09 मार्च-18 जुलाई 2001: अभियुक्तों ने अपने बयान दर्ज कराए।

09 अगस्त: अभियोजन ने बहस की शुरूआत की।

18 अक्तूबर : अभियोजन ने अपनी बहस पूरी की।

09 नवंबर : बचाव पक्ष ने बहस की शुरूआत की।

22 अगस्त 2002 : बचाव पक्ष ने अपनी बहस पूरी की।

20 फरवरी 2003 : दाउद के गिरोह के सदस्य एजाज पठान को अदालत में पेश किया गया।

20 मार्च 2003 : मुस्तफा दोसा की रिमांड कार्यवाही और सुनवाई को अलग कर दिया गया।

सितंबर 2003 : सुनवाई संपन्न। अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा।

13 जून 2006 : गैंगस्टर अबु सलेम की सुनवाई अलग से हुई।

10 अगस्त : न्यायाधीश पी डी कोडे ने कहा कि 12 सितंबर को फैसला सुनाया जाएगा।

12 सितंबर : अदालत ने फैसला देना शुरू किया। मेमन परिवार के चार सदस्यों को दोषी करार दिया गया और तीन को बरी किया गया। 12 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई जबकि 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

01 नवंबर 2011 : 100 दोषियों के साथ-साथ राज्य की ओर से दाखिल अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू की।

29 अगस्त 2012 : सुप्रीम कोर्ट ने अपीलों पर अपना आदेश सुरक्षित रखा।

21 मार्च 2013 : सुप्रीम कोर्ट ने टाइगर मेमन के भाई याकूब मेमन को सुनाई गई मौत की सजा बरकरार रखी और 10 दोषियों की मौत की सजा उम्रकैद में बदल दी। 18 में से 16 दोषियों की उम्रकैद बरकरार रखी गई।

मई 2014 : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने याकूब की दया याचिका खारिज की।

02 जून 2014 : सुप्रीम कोर्ट ने उस अर्जी पर सुनवाई करते हुए याकूब को मौत की सजा देने पर रोक लगाई जिसमें मांग की गई थी कि मौत की सजा के मामलों में दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई चेंबरों की बजाय खुली अदालत में की जाए।

09 अप्रैल 2015 : सुप्रीम कोर्ट ने याकूब की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने शीर्ष न्यायालय की ओर से बरकरार रखी गई मौत की सजा पर फिर से विचार करने की मांग की थी।

21 जुलाई : सुप्रीम कोर्ट ने याकूब की सुधारात्मक याचिका खारिज की, जो मौत की सजा पर रोक लगवाने का उसका आखिरी कानूनी उपाय था।

21 जुलाई : सुप्रीम कोर्ट के याकूब की याचिका खारिज किए जाने के कुछ ही घंटे बाद उसने महाराष्ट्र सरकार में दया याचिका दायर की।

23 जुलाई : याकूब ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर 30 जुलाई को तय उसकी फांसी पर रोक लगाने की मांग की।

27 जुलाई : सुप्रीम कोर्ट ने फांसी पर रोक की मांग वाली याकूब की याचिका पर सुनवाई की, मामला 28 जुलाई तक स्थगित कर दिया।

28 जुलाई : दो सदस्यीय पीठ के याकूब की अर्जी पर बंटा हुआ फैसला देने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई को सुनवाई के लिए यह मामला एक बड़ी पीठ को भेज दिया।

29 जुलाई : सुप्रीम कोर्ट ने याकूब की मौत की सजा पर रोक लगाने की मांग वाली अर्जी खारिज की, सुधारात्मक याचिका को खारिज करने को बरकरार रखा।

29 जुलाई : उसने राष्ट्रपति के समक्ष नई दया याचिका दायर की।

29 जुलाई : महाराष्ट्र के राज्यपाल ने दया याचिका खारिज की, राष्ट्रपति ने भी इसे खारिज किया।

30 जुलाई : याकूब ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी पर रोक की मांग वाली नई याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने तड़के इस विषय पर सुनवाई करते हुए इसे खारिज कर दिया।

30 जुलाई : याकूब को फांसी दे दी गई।

एक निवेदन

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