प्राकृतिक सौंदर्य की धनी और धरती पर स्वर्ग का बोध कराने वाली कश्मीर की धरती अब विश्व विरासत स्थल का भी हिस्सा बनेगी। सरकार ने यहां के मुगल गार्डेन को विश्व विरासत स्थलों की सूची में शामिल कराने की कवायद शुरू कर दी है। मशहूर वास्तुकार आभा नारायण लांबा को इसका मसौदा तैयार करने के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया है। लांबा पांच महीने में मसौदा तैयार करेंगी, जिसके बाद प्रदेश सरकार नामांकन कराएगी।
प्रदेश सरकार वर्ष 2017 में इन्हें राज्य धरोहर स्थल घोषित कर चुकी है। यह बाग 16वीं और 17वीं शताब्दी में मुगल शासकों जहांगीर, शाहजहां और दाराशिकोह के शासन काल में बनाए गए थे। सरकार मुगल गार्डन को विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने के लिए संबंधित विभागों से दस्तावेज जुटा रही है। इस जानकारियों को मसौदे में शामिल कर दस्तावेज तैयार किया जाएगा।
मुगल गार्डन के यूनेस्को की विश्व धरोहर लिस्ट में स्थान मिलने के बाद लोगों में इसके प्रति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आकर्षण बढ़ेगा। विश्व भर से पर्यटक इसकी खूबसूरती और इतिहास को जान पाएंगे साथ ही इसके संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रक्रियाओं और मानदंडों का उपयोग किया जाएगा।
सभी गार्डन मुगल शासन काल के दौरान बनाए गए हैं। मुगल बादशाह इन गार्डन में छुट्टियां मनाने आते थे। गार्डन में मुगल कालीन आर्ट दिखता है, जिसमें कश्मीर का पेपर आर्ट भी शामिल है। ईरानी कारीगीरों ने इसे तैयार किया था। गार्डन में 16 और 17वीं शताब्दी के फव्वारे लगे हैं। इसके निर्माण में तत्कालीन इंजीनियरिंग की बेहतरीन झलक मिलती है।
मुगल गार्डन के छह हिस्से हैं, जिसमें निशात बाग, शालीमार बाग, चश्मे शाही, परी महल, वेरिनाग और अचबल शामिल हैं। कहा जाता है मुगल बादशाह चश्मे शाही से पानी दिल्ली ले जाते थे। इन गार्डन में चिनार के पेड़ इनकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते है।