मुंबई। किसी भीआपदा का प्रबंधन तैयारी, शमन और प्रतिक्रिया के चारों ओर घूमता है। दुःख का शमन किसी भी आपदा प्रबंधन का मुख्य उद्देश्य होता है, जिसमें घायलों का उपचार करना, उनकी जान बचाना, मृतकों को सम्मान देना और कम से कम समय में प्रभावित लोगों के जीवन में सामान्य स्थिति बहाल करना मुख्य रूप से शामिल है। यह सब तभी सम्भव है, जब इसमें शामिल सभी एजेंसियाॅं सामयिक, प्रभावी और कुशल समन्वय करें। इन सभी पहलुओं के मद्देनज़र राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देशों के आधार पर, पश्चिम रेलवे द्वारा अपनी क्षेत्रीय आपदा प्रबंधन योजना के पाॅंचवें संस्करण को जारी किया गया है, जिसे कोविड -19 के लॉकडाउन के दौरान तैयार और अद्यतन किया गया। इस संस्करण में राहत, बचाव और बहाली के विभिन्न महत्त्वपूर्ण पहलू शामिल किये गये हैं।
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री सुमित ठाकुर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस दस्तावेज़ में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005, महत्वपूर्ण प्रबंधन योजना और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा जारी गाइड लाइन शामिल हैं, जो रेलवे से सम्बंधित हैं। भारतीय रेलवे की प्रणाली और आपदा प्रबंधन योजना के अंतर्गत जोनल डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान का यह संस्करण इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में उपलब्ध है और इसे पश्चिम रेलवे की सूचना प्रबंधन प्रणाली और रेलनेट साइट पर अपलोड किया गया है। श्री ठाकुर के अनुसार, रेलवे हमेशा यही उम्मीद रखती है कि हमें कभी भी इस आपदा प्रबंधन योजना के प्रावधानों को वास्तव में अमल में लाने की आवश्यकता न पड़े, फिर भी यह उल्लेखनीय है कि जितना अधिक हम लोग सभी सम्बंधित आपातकालीन पहलुओं में खुद को तैयार और सतर्क रखेंगे, उतनी अधिक तत्परता से हम रेलवे में किसी भी आपदा के दौरान शीघ्र और प्रभावी बचाव तथा सामान्य स्थिति की बहाली सुनिश्चित कर पायेंगे।